Saturday, September 6, 2008

समुद्र और सूरज लाएंगे रेत पर हरियाली



समुद्र तट के नजदीक स्थित रेगिस्तानी इलाकों में ऐसे ग्रीन हाउस बनाए जाएंगे, जो समुद्री पानी का इस्तेमाल न सिर्फ गर्मी कम करने बल्कि पौधों की सिंचाई के लिए भी करेंगे। समुद्री पानी को काम लायक बनाने के लिए सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरह से रेगिस्तान में हरियाली लाने की तैयारी कर रहा है सहारा फॉरेस्ट प्रोजेक्ट। इसके जरिए न सिर्फ खाद्यान्न उपजाया जा सकेगा, बल्कि क्लीन एनर्जी और ताजा पानी भी मिल सकेगा। कैसा करेगा ग्रीन हाउस काम रेगिस्तान में बहुत बड़े साइज के ग्रीन हाउस बनाए जाएंगे। इनमें कॉन्सनट्रेटेड सोलर पावर ( सीएसपी) का इस्तेमाल किया जाएगा। सीएसपी में सोलर एनर्जी बनाने के लिए शीशों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे सूर्य की किरणें एक ही दिशा में फोकस हो जाती हैं और हीट पैदा कर बिजली बनाई जाती है। सहारा प्रोजेक्ट का दावा है कि इस तरह के ग्रीन हाउस इन्स्टॉलेशन से पूरे रेगिस्तान में हरियाली लाई जा सकती है। क्यों नहीं पनपते रेगिस्तान में पौधे रेतीली इलाकों में पौधों के न पनपने की दो वजह हैं- बहुत ज्यादा तापमान और पानी के साथ-साथ पोषक पदार्थों की मिट्टी में कमी। अभी तक ग्रीन हाउस में इस कमी को बाहर से पूरा किया जाता था, लेकिन इस ग्रीन हाउस में सारी जरूरतें खुद से पूरी की जाएंगी। ये कोशिश होगी शुष्क माहौल को आर्द्र और ठंडा बनाने की। पौधों को बढ़ने के लिए रोशनी की जरूरत होती है। लेकिन रेगिस्तान में रोशनी के साथ-साथ हीट इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि पौधों का विकास ही रुक जाता है। एक खास तापमान के बाद पत्तियों में बने बारीक छेद ( स्टोमेटा) से से पानी का निकलना इतना ज्यादा हो जाता है कि विकास के लिए जरूरी फोटो सिंथेसिस की क्रिया ही रुक जाती है। पौधे फोटोसिंथेसिस के जरिए अपने लिए आहार तैयार करते हैं, जो उनके विकास के लिए जरूरी है। गर्मी का इस्तेमाल जीवन के लिए ग्रीन हाउस में सोलर एनर्जी से बनी हीट का इस्तेमाल समुद्री पानी को भाप में तब्दील करने वाली मशीन सी वॉटर इवेपोरेटर को चलाने में किया जाएगा। इस दौरान भाप के संपर्क में ठंडी हुई हवा को ग्रीन हाउस के अंदर पंप कर दिया जाएगा। इससे हाउस का तापमान 15 डिग्री तक कम हो जाता है। ग्रीन हाउस के दूसरे छोर पर भाप को संघनित कर लिया जाता है। संघनन किसी भी द्रव को गैस से लिक्विड फॉर्म में बदलने को कहते हैं। इस तरह से मिले पानी का इस्तेमाल पौधों की सिंचाई के लिए किया जाएगा। बाकी पानी का इस्तेमाल सोलर एनर्जी के लिए यूज किए जाने वाले शीशों की धुलाई में होगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा सतह मुहैया रहे। इस तरह से ग्रीन हाउस के अंदर कम तापमान और खूब सारी नमी भरा माहौल तैयार किया जाता है। इतना ही नहीं इस तकनीक से पैदा होने वाला ताजा पानी पौधों की जरूरत से पांच गुना ज्यादा होता है। इसलिए सीएसपी शीशों को साफ करने के अलावा कुछ पानी हाउस के बाहर भी रिलीज़ किया जा सकता है। इससे लोकल माइक्रो क्लाइमेट तैयार करने में मदद मिलेगी और आस-पास के पौधों को भी पनपने के लिए सही परिस्थितियां मिलेंगी। सहारा प्रोजेक्ट की कीमत भी सीएसपी और समुद्री ग्रीन हाउस की सस्ती तकनीक के कारण ज्यादा नहीं होगी। डिजाइनरों के मुताबिक 20 हेक्टेयर का ग्रीन हाउस बनाने में लगभग 8 करोड़ डॉलर की लागत आएग

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