Saturday, October 30, 2010

स्वामी रामदेव सही है या मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष’’!

देहरादून। रामदेव ने उत्तराखण्ड के विकास को लेकर जो बयान दिया उससे भाजपा में हडकम्प है सरकार के बचाव में राज्य मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने रामदेव पर हमला बोला। उन्होनें बोला रामदेव ने जो बयान दिया वह तथ्यों से परे है। यहां तक गुणगान कर दिया कि कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल में जो कार्य हुए उससे अध्कि कार्य प्रदेश के वर्तमान भाजपा सरकार ने तीन वर्षो में कर दिये है। वहीं बीती शाम रामदेव के संगी बालकृष्ण की मुख्यमंत्राी से सचिवालय में भेंट हुई। बाबा रामदेव अपने बयान से पलटे गये दावा किया कि उनके बयान को मीडिया ने गलत ढंग से पेश किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि ‘‘बाबा रामदेव सही है या पिफर मीडिया सलाहकार अध्यक्ष’’! उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी मेें मीडिया से बातचीत के दौरान योगगुरू बाबा रामदेव ने कांग्रेस शासनकाल में नारायण दत्त तिवारी को प्रदेश में विकास पुरूष का ताज पहना दिया और यहां तक कह दिया कि अन्य सरकार राज्य का विकास नहीं कर पाई। बाबा रामदेव की इस टिप्पणी पर भले ही भाजपा के अन्दर भूचाल मचा और किसी भी बडे या छोटे नेता ने बाबा रामदेव के खिलापफ कोई मोर्चा नहीं खोला लेकिन हर सरकार में मुख्यमंत्राी की परिक्रमा करने वाले डॉक्टर भसीन जोकि मौजूदा समय में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति अध्यक्ष ने मुख्यमंत्राी के सामने अपने नम्बर बढाने के लिए तत्काल एक पत्रा जारी कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि योगाचार्य स्वामी रामदेव ने उत्तराखण्ड के विकास को लेकर जो बयान दिया है वह तथ्यों से परें है और जानकारी के अभाव में दिया गया प्रतीत होता है। अन्यथा स्वामी रामदेव उत्तराखण्ड में कांग्रेस स्थान पर भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यो की प्रसन्नसा करते। डॉ भसीन ने स्वामी रामदेव के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के पांच वर्ष के तुलना में भाजपा के तीन वर्षो मे किये गये कार्यो से सम्बन्ध्ति पुस्तिका सन्दर्भ हेतु स्वामी जी को भेज रहे है। अपने बयान में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र भसीन ने कहा कि स्वामी रामदेव का यह कथन कि नारायण दत्त तिवारी को छोडकर कोई अन्य सरकार राज्य का विकास नहीं कर पाई तथ्यों पर आधरित नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि राज्य में कांग्र्रेस सरकार के पांच वर्षो मंे जो कार्य किये गये उनसे कई अध्कि कार्य प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा तीन वर्ष में कर लिये गये है। यह बात विकास के आंकडों से सि( होती है। डॉ देवेन्द्र भसीन को आखिरकार बाबा रामदेव का बयान इतना क्यों खल गया कि उन्होंने आनन-पफानन में अपना बयान जारी करने का पहले तो परपंच रचा और उसके बाद अखबार के दफ्रतर मेें पफोन करके कहा कि अब यह बयान मत प्रकाशित मत करना क्योकि बाबा से बात हो गई है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या अब अखबार मैं क्या छपना है और क्या नहीं यह मीडिया सलाहकार के अध्यक्ष तय करेगे। क्योंकि वह आजतक भले ही मीडियाकर्मियों की समस्याओं का हल करने के लिए कोई पहल न कर पाये हो लेकिन वह सरकार की पैरवी में ही जुटे रहते है। ऐसे में इस सलाहकार समिति का अस्तित्व में बना रहना एक नौटंकी के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं बाबा रामदेव अपने दिये गये बयान से 24 घंटें बाद ही पलट गये और उनका कहना था कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। अब बाबा रामदेव से कोई यह पूछे कि अगर उनका बयान गलत तरीके से पेश किया गया है तो क्या वह उन मीडिया कर्मियों के खिलापफ कोई नोटिस देंगे जिन्होंने उनका बयान गलत ढंग से पेश किया है। वहीं अब यह सवाल भी तैर रहे है कि ‘‘स्वामी रामदेव सही है या मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष’’!

Friday, October 22, 2010

डीएफओ बना सरकार की आंख का तारा!

देहरादून। उत्तराखण्ड में सरकार कुछ अध्किारियों पर इतनी उदार दिखी कि उसने शासन की सहमति को भी रद्दी की टोकरी में डालकर बर्खास्तगी की दहलीज पर खडे एक डीएपफओ को गम्भीर अनियमितताओं जैसे सैकडों पेड काटने व सरकारी पैसे से सड़क अपने पफार्म हाउस तक ले जाने का दोषी पाये जाने के बावजूद दीर्घ दण्ड के रूप में सिपर्फ एक प्रतिकूल प्रविष्टि एवं एक वार्षिक वेतन वृ(ि एक वर्ष तक रोकते हुए प्रकरण को समाप्त किये जाने का आदेश पारित कर दिया। हैरानी वाली बात यह है कि जिस दिन वन मंत्राी ने डीएपफओ को बचाने के लिए यह आदेश दिये उसी दिन प्रदेश के मुख्यमंत्राी से भी इसकी अनुमति ले ली गई। सवाल उठ रहा है कि प्रमुख सचिव एवं आयुक्त वन एवं साम्य विकास उत्तराखण्ड ने तो डीएपफओ के आरोप को गम्भीर अनियमितताओं हेतु दीधर्् दण्ड का भोगी माना जिसमें सेवा से हटाना और पदच्युति शामिल बताया था लेकिन डीएपफओ की नौकरी किसके इशारे पर बचा दी गई यह एक रहस्य बनकर रह गया है।गौरतलब है कि टिहरी में ग्राम गाजणा के भंगल्याणियों नामें तोक में अवैध् वृक्ष पातन का मामला 2008 में कापफी गर्माया आरोप लगे कि टिहरी में वन विभाग में तैनात रहे डीएपफओ एच.के. सिंह ने अपनी पत्नी के पफार्म हाउस तक सड़क पहुंचाने के लिए सैकडों हरे-भरे पेड कटवा डाले और सरकारी पैसे से बनाई गई सड़क को अपने पफार्म हाउस तक ले जाने का खेल खेला। यह मामला जब उपफान पर आया तो मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू कराई गई जिसके चलते प्रमुख वन संरक्षक ने टिहरी वन प्रभाग मंे काटे गये पेडों के क्रम में प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये गये अधिकारियों एच.के. सिंह को वानिकी प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी से आर.एस. कहेडा सहायक वन संरक्षक को मुख्य वन संरक्षक, कुमांऊ नैनीताल के कार्यालय से, बृजकुमार श्रीवास्तव वन क्षेत्राध्किारी को मुख्य वन संरक्षक कुमांऊ नैनीताल के कार्यालय से सम्ब( किया था। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 14 नवम्बर 2008 को इस स्थल का मौकामुआना अपर मुख्य सचिव एपफआरडीसी ने किया था जिसमें उन्होंने अंकित किया कि इस घटना से सम्बन्ध्ति मौके पर स्थानीय व्यक्तियों एवं कुछ बाहरी व्यक्तियों की नीजि भूमि स्थित है। देखने में यह विदित होता है कि इस भूमि तक कच्ची एप्रोच रोड पहुंचाने हेतु वहां स्थित पुराने पैदल मार्ग को चौडा करने के लिए विस्तृत रूप से भूमि कटान किया गया है यह कटान निजी नाप भूमि, राजस्व विभाग के अन्तर्गत बेनाप भूमि एवं वनभूमि पर किया जाना प्रथम दृष्टिया विदित होता है। निजी भूमि के अतिरिक्त बिना अनुमति अन्य भूमि पर कटान किया जाना पूर्णतः अनियमित है। इस भू-कटान के दौरान तथा वहां स्थित अन्य स्थानों पर पेडों को भी बिना अनुमति के भारी मात्रा में काटा गया है और नीचे गध्ेरे में पफेंक दिया गया है इस प्रकार बिना अनुमति अनुचित तरीके से निजी भूमि, राजस्व विभाग के अन्तर्गत आ रही बेनाप भूमि एवं वन विभाग की भूमि पर इन पेडों का कटान किया जाना प्रथम दृष्ट्या विदित होता है। जो अनिमित है इन पेडों की संख्या 800 से अधिक है। आख्या में अंकित है कि एचके सिंह की पत्नी अनिता सिंह द्वारा गाजणा में भू-क्रय किया गया है जो भू-अभिलेखा में दर्ज है इस प्रकार से इन्हें उपरोक्त अवैध् पेड कटान एवं अवैध् एप्रोच मार्ग निर्माण से स्पष्ट रूप से लाभ पहुंचाता है। आख्या में अवैध पेड कटान एवं अवैध् मार्ग निर्माण निर्माण लम्बे समय से होना अंकित है जो कि विस्तृत स्तर पर हुआ था जिसका सीध लाभ एच.के. सिंह डीएपफओ को, अपनी पत्नी जो गाजणा में भू-स्वामिनी है के माध्यम से होता है। आख्या में यह भी कहा गया है कि इस बात में कोई संदेह नहीं प्रतीत होता कि कम से कम पफील्ड स्तर से जुडे अध्किारियों को इन अवैध् कार्यों की जानकारी रही होगी। टिहरी जिलाध्किारी ने शासन को जो अपनी रिपोर्ट भेजी उसमें कहा गया है कि वृक्ष पातनकर्ताओं द्वारा अवैध् रूप से नाप भूमि में 780 वृक्ष, उत्तराखण्ड सरकार की भूमि से 69 वृक्ष व मिलानी वन भूमि से 221 कुल 1070 वृक्षों का पातन किया गया है तथा 350 मीटर के स्थान पर 1005 मी0 अवैध् सड़क खेदने के बावजूद वन विभाग के अध्किारियों द्वारा सीध्े-सीध्े अभियुक्तों को बचाने की कोशिश की गई है। जिलाधिकारी ने पत्रा में कहा कि उक्त अनियमितता के लिए वन विभाग के अध्किारी एच.के.सिंह द्वारा वृक्ष पातन स्थल पर अपनी पत्नी के नाम से भूमि क्रय की गई है अतः अपने अध्किारी को बचाने के लिए वन बीट अध्किारी, वन क्षेत्राध्किारी, उप वन क्षेत्राध्किारी तथा स्वयं प्रभागीय वनाध्किारी एच.के. सिंह प्रथम दृष्ट्या दोषी हैं। अवैध् रूप से सड़क का निर्माण एच.के.सिंह की पत्नी के नाम क्रय की भूमि तक किया गया है। चर्चा यह भी है कि यह सड़क सम्भवतः विधयक निध् िसे बनवाई गई थी। 18 दिसम्बर 2009 को शहरी विकास वन एवं पर्यावरण विभाग उत्तराखण्ड शासन के सचिव अनुप वधवन ने अपनी आख्या देते हुए लिखा कि एच.केसिंह उपरोक्त गंभीर अनियमितताओं हेतु दीर्घ दण्ड के भोगी हैं जिनमें सेवा से हटाना और पदृच्युति शामिल है। दीर्घ दण्ड के विकल्प पत्रा पर अंकित हैं कठोरतम दण्ड पर भी विचार किया जा सकता है। कृ0 दण्ड एवं उसके पफलस्वरूप निलंबन, निलंबन भत्ता, वेतन के सम्बन्ध् में निर्णय हेतु मुख्यमंत्राी के निर्देश प्राप्त करना चाहे। सबसे बडी बात यह है कि सचिव की इस संतुति पर उसी दिन प्रमुख सचिव एवं आयुक्त वन एवं साम्य विकास उत्तराखण्ड शासन सुभाष कुमार ने भी अपनी संतुति दे दी। उध्र प्रमुख सचिव की संतुति के तीन दिन बाद वन पर्यावरण मंत्राी रहे बिशन सिंह चुपफाल के पास आख्या प्रस्तुत की गई कि जिसमें कहा गया कि जांच अध्किारी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधर पर आरोप संख्या-1 में तीन मीटर चौडी सडक के विरू( सात मीटर सड़क का चौडीकरण करना एवं पर्यावेक्षण दायित्वों का निर्वहन न करना, आरोप संख्या-2 में मात्रा पर्यवेक्षण दायित्व का निर्वहन करना तथा आरोप संख्या-3 में सड़क निर्माण कार्य में कम घनत्व दिखाकर एन.पी.वी. की ध्नराशि 5,950.00 कम जमा कराने का दोषी पाया गया। इसलिए एच.के.सिंह को दीर्घ दण्ड के रूप में एक प्रतिकूल प्रविष्टि एवं एक वार्षिक वेतन वृ(ि एक वर्ष तक रोकते हुए प्रकरण को समाप्त किया जाना है। इस आख्या पर वन मंत्राी ने 22 दिसम्बर 2009 को प्रकरण को समाप्त करने के लिए अपनी संस्तुति दे दी। हैरतअंगेज बात यह है कि उसी दिन मुख्यमंत्राी से भी प्रकरण को समाप्त कराने की अनुमति ले ली गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिस अध्किारी को बर्खास्त तक करने की संस्तुति शासन के आला अध्किारियों ने की उस अध्किारी को बचाने के लिए आखिरकार किसने खेल खेला यह अपने आप में एक बडा सवाल खडा हो रखा है और इस घटना से तो यह सापफ हो गया है कि इतना बडा अपराध करने वाले अध्किारी को भी अगर सरकार बचाने के लिए आगे आ रही है तो यह अपने आप में इस राज्य के लिए तो एक चिंता का विषय हो ही सकता है।

Thursday, October 21, 2010

पुलिस बल को कृष्ण व अर्जुन की भुमिका निभानी होगीः निशंक


देहरादून देश की एकता व अखण्डता ने पुलिस बलों का विशेष योगदान रहा है। और पिछले एक वर्षो में पुलिस बलों ने अपने योगदान को और अध्कि बढ़ाया है। यह बातें प्रदेश के मुख्यमंत्राी डॉ. रमेश पेाखरियाल निशंक ने पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस स्मृति परेड के दौरान व्यक्त कि श्री निशंक ने कहा की हमेशा से ही उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण निक्षावर किए है। और देशभक्ति का सबूत पूरी दूनिया के सामने दिया है। उन्होंने कहा कि देश की किसी युग में उत्तराखण्ड के सबसे अध्कि लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। इसलिए प्रत्येक पुलिस कर्मी का कर्तव्य बनता है कि वह उत्तराखण्ड प्रदेश को भय मुक्त प्रदेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़े उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कृति के अनुरूप प्रदेश को आदर्श राज्य बनाना होगा और यह सब हर किसी के परस्पर सहयोग से ही सम्भव हो सकेगा। श्री निशंक ने कहा कि प्रदेश को विकसित बनाने में कई नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा जिसे मजबुती से शहीद हुए लोगों से प्ररेणा लेते हुए पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्षो में देश भर में हुई नक्सली एवं माववादी घटनाओं में जिस तरह से पुलिस व सैन्य बलों ने अपने योगदान को और अध्कि बढ़ाया है। उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। क्योंकि पिछले एक वर्ष में देश के अलग-अलग स्थानों पर शहीद होने वाले उत्तराखण्ड के भी 17 जवान शामील थे। उन्होंने कहा इसी तरह शहीद हुए जवानों से प्ररेणा लेते हुए। उत्तराखण्ड के पुलिस बल को भी कृष्ण व अर्जुन की भुमिका निभाते हुए मानसिक रूप से प्रदूषण पफैलाने वाले लोगों को प्रदेश से दूर भगाना होगा। जिससे उत्तराखण्ड का नाम देश भर में और अध्कि शीर्ष पर पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड देश का भाल है। जिसकी रक्षा के साथ-साथ इसे आदर्श राज्य बनाने की भी सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा पिछले दस वर्ष की यात्रा बेहद सुखद रही है। और राज्य गठन से लेकर वर्ष 2009 तक लिए गये आकड़ों के आधर पर ही उत्तराखण्ड विकास की दर में नम्बर वन स्थान पर हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्राी ने प्रदेश के पुलिस बल को और अध्कि मजुबत तरीके से काम किये जाने की बात भी कही है। और वर्दी भत्ता बढ़ाये जाने की घोषणा के साथ-साथ पिछले वर्ष दी गयी पुलिस निध् िमें 1 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी के साथ इस वर्ष भी एक करोड़ रूपये दिये जाने की घोषणा की इसके साथ ही प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पाण्डे ने मुख्यमंत्राी राहत कोष में आपदा राहत कार्यो के लिये एक दिन का पुलिस कर्मियों का 60 लाख का चेक भी मुख्यमंत्राी को भेंट किया।इस दौरान विधनसभा अčयक्ष हरबंस कपूर, संसदीय कार्यमंत्राी प्रकाश पन्त, सिंचाई मंत्राी मतबर सिंह कण्डरी, आपदा प्रबन्ध्न मंत्राी खजान दास, शिक्षा मंत्राी गोविन्द सिंह बिष्ट, नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत, मेयर विनोद चमोली, विधयक कुलदीप कुमार, राजकुमार, दिनेश अग्रवाल, गणेश जोशी, कुंवर प्रणव दायित्वधरी मनोहर कान्त čयानी रविन्ć जुगरान, सुभाष बड़थ्वाल, काशी सिंह ऐरी, भस्कर नैथानी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, पुलिस महानिदेशक आलोक बी. लाल, अपर पुलिस महानिदेशक विजय राघव पन्त, पुलिस महानिरक्षक अनिल रतुड़ी, डीआईजी अभिनव कुमार, आईजी एन.ए. गणपति, एसएसपी देहरादून जीएस मार्तोलिया, एसपी सीटी अजय जोशी, जीएन गोस्वामी, अमित सिन्हा सहित कई अन्य पुलिस अध्किारी भी मौजूद थे।

उत्तराखण्ड में अपराध की औसत दर कम है,निशंक


मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरूवार को पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस कल्याण निधि में एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने सहायक उप निरीक्षक से निरीक्षक स्तर तक प्रति पांच वर्ष में दिया जाने वाला वर्दी भत्ता 1500 रुपये से बढ़ा कर 3000 रुपये और कांस्टेबल से निरीक्षक स्तर तक प्रति माह दिया जाने वाला धुलाई भत्ता 30 रुपये से बढ़ा कर 100 रुपये करने की घोषणा भी की। उन्होंने अधिकारियों का पौष्टिक आहार भत्ता 550 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये करने तथा जवानों के लिए 750 से बढ़ाकर 900 रुपये करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने टाइप द्वितीय एवं तृतीय बैरकों के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश देते हुए इस मद में पांच करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी देने की घोषणा की। उन्होंने इस अवसर पर पुलिस विभाग को सहयोग प्रदान करने वाले समस्त ग्राम चौकीदारों का मानदेय 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये करने की घोषणा की। पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि पुलिस के सम्मुख एक भयमुक्त एवं विकासशील समाज की स्थापना का परमलक्ष्य है। उन्होंने गत एक वर्ष में सम्पूर्ण देश में कर्तव्य पालन करते हुए शहीद हुये लगभग 800 पुलिस जवानों का स्मरण करते हुये पुलिस की वीरता एवं कर्तव्य परायणता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। गीता के श्लोक को उद्धृत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस का कार्य सज्जनों की रक्षा करना एवं दुष्टों का विनाश करना है। उन्होंने कहा कि यद्यपि अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड में अपराध की औसत दर कम है, परन्तु देवभूमि की संस्कृति को बनाये रखते हुए जो थोड़ा बहुत अपराध भी यहां हो रहा है वह स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने पुलिस विभाग को अभियान चलाकर बाहरी राज्यों से आने वाले अपराधियों पर अंकुश लगाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश में आपदा प्रबंधन में और महाकुम्भ के सफल संचालन में उत्तराखण्ड पुलिस के योगदान की प्रशंसा की।मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने पुलिस कार्मिकों के कल्याण के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। जोखिम भरे कार्य करते समय गम्भीर रूप से घायल पुलिस कार्मिकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में लगभग चार गुना की वृद्धि की गई है। सभी पुलिस कार्मिकों का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराया गया है, जिसके प्रीमियम का भुगतान शासन द्वारा स्थापित पुलिस कल्याण निधि द्वारा किया जा रहा है। पुलिस कार्मिकों के पौष्टिक आहार भत्ते में वृद्धि की गई है और हेड कांस्टेबलों एवं कांस्टेबलों को 350 रुपये प्रतिमाह मोटर साईकिल भत्ता दिया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक जे.एस. पाण्डे ने बताया कि गत वर्ष देश में सभी पुलिस बलों से 792 जवान कर्तव्य पालन के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुये हैं। इनमें एक बड़ी संख्या नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद हुये जवानों की है। उन्होंने बताया कि कुल शहीद जवानों में उत्तराखण्ड पुलिस के 17 जवान, बीएसएफ के 64, सीआरपीएफ के 191 और एसएसबी के 29 जवान शामिल है। पुलिस महानिदेशक ने उत्तराखण्ड पुलिस विभाग के कार्मिकों द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया गया एक दिन का वेतन रुपये 60 लाख का चेक भी मुख्यमंत्री को भेंट किया।इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीद स्मृति पुस्तिका शहीद स्थल पर स्थापित करते हुए शहीद जवानों की स्मृति में पुष्प चक्र अर्पित किया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष हरबंश कपूर, संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पन्त, सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कण्डारी, आपदा प्रबंधन मंत्री खजान दास, नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत, मेयर विनोद चमोली, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष मनोहर कान्त ध्यानी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार सहित अन्य गणमान्य लोगों एवं पुलिस अधिकारियों ने भी शहीद स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित किये।

Wednesday, October 20, 2010

मुख्यमंत्री के नए बंगले की लागत लगभग 16 करोड़

देहरादून.एक लंबे इंतजार के बाद आखिर उत्तराखंड के मुखिया के लिए आशियाना तैयार हो ही गया। देहरादून को उत्तराखंड की 'अस्थायी' राजधानी मानने वाले ध्यान दें कि मुख्यमंत्री के नए बंगले की लागत लगभग 16 करोड़ है. कुल 34 हजार वर्गफुट क्षेत्रफल के इस भवन में भूतल पर किचन, ड्राइंगरूम्स, दो बेडरूम, पूजा व योगा कक्ष के साथ ही एक संग्रहालय भी है. साथ ही बेहतरीन लाइब्रेरी, योगा व पूजा कक्ष के अलावा जनता दर्शन हाल, सुरक्षा ब्लाक व कर्मचारियों का आवासीय परिसर भी शामिल है. इस भवन की परिकल्पना पहाड़ के गांवों के मकानों पर आधारित है. इमारत की ईट निर्मित दीवारों पर अल्मोड़ा के पत्थरों (पठाल) की क्लेडिंग की गई है. अल्मोड़ा के प्रसिद्ध लाला बाजार और देहरादून में चकराता क्षेत्र के महासू देवता के मंदिर से इसमें प्रेरणा ली गई है.

उत्तराखंड की राजधानी को चंद्रनगर(गैरसैण) ले जाने का सपना देखने वालों के लिए बुरी खबर इसलिए कि राजधानी को पहाड़ स्थान्तरित करने की तमाम सिफारिशों के बावजूद देहरादून में 'स्थायी' निर्माण धड़ल्ले से जारी है. यानि सरकार (चाहे कोई भी हो) ने अंदरखाने तय कर लिया है कि राजधानी कहीं नहीं जाने वाली. यहीं देहरादून में रहेगी जनता को नाक चिढाती. वहीं जनता जनार्दन के लिए सुखद बात ये कि राज्य में आपदा राहत कार्यो के कारण इस भवन का सादे कार्यक्रम में औपचारिक उद्घाटन किया गया. 

खजानदास को जान का खतरा!

देहरादून। स्वच्छ छवि, स्वभाव से सीध्े सरल और ईमानदार, ऐसा कोई कार्य नहीं किया कि कोई सामान्य व्यक्ति भी उन्हें ध्मकी देता, मापिफया, आतंकवादियों की बात दूर रही, पिफर भी जान का खतरा! ह ना हैरान करने की बात। पशोपेश में मत पडिये, चलिऐ बता देते है कि यह खतरा किसी को नहीं बल्कि अपने कैबिनेट मंत्राी खजानदास को है। शायद आप विश्वास न करें लेकिन खजानदास को यह खतरा महसूस हो रहा है। तभी तो उन्होंने रिवालर/पिस्टल का लाईसेंस लिया है। यूॅ तो वह नये-नये कैबिनेट मंत्राी बने है। सुरक्षा के लिए सूबे की सरकार ने उन्हें गनर मुहिया करा रखा है। हैसियत वाले है, मात्रा सूचना देने पर आनन-पफानन में पुलिस की गार्द आ सकती है। लेकिन शायद इतने भरसे वे संतुष्ट नहीं है। इस लिए सारे नियमों को दरकिनार करते हुए उन्होंने रिवाल्र का लाईसेंस लिया है। रिवालर का लाइसेंस लेने की एक प्रक्रिया है। अगर कोई सामान्य व्यक्ति या व्यापारी रिवालर या पिस्टल का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करें तो इसके लिए जटिल प्रक्रिया से गुजरना होता है। मसलन 16 थानो की रिर्पोट लगती है। रिवालर का लाइसेंस पाने के लिए महीनों आम आदमी को पुलिस से लेकर जिला प्रशासन तक के चक्कर काटने पडते है और रिवालर व पिस्टल का लाइसेंस किस लिए लिया जाना है उसके लिए आम आदमी को अपना पूरा तर्क देना पडता है। देखने में आता है कि जिस थाने से लाईसेंस बनने होता है वहां का प्रभारी पहले पूरी छानबीन कर अपनी रिपोर्ट देता है और उसके बाद सभी 16 थानों से रिपोर्ट मंगाई जाती है जिसमें अच्छाकासा समय लग जाता है। इतना हीं नहीं दर्जनों आवेदन ऐसे है जो आज भी अस्लाह, क्लर्क के यहां ध्ूल पफांक रहे है क्योंकि चर्चा यहां तक है कि जब तक आवेदनकर्ता अपनी पहॅुच से कुछ अध्किारियों को रूबरू नहीं करा देता तब तक उसका लाईसेंस बनना महाभारत होता है। लेकिन अपने खजानदास के साथ ऐसा कुछ घटित नहीं हुआ क्योंकि वह ठहरे कैबिनेट मंत्राी। भला उन पर यह सारे नियम कानून लागू हो सकते है। सूत्रों के अनुसार खजानदास पुत्रा संतादास निवासी 131/2 बसंत विहार में निवास करते है और उन्होंने अपने हथियार का लाईसेंस बनाने के लिए आवेदन किया और उनकी जांच 30 अगस्त 2010 को राजधनी के पुलिस कप्तान के कार्यालय में भेजी गई। चर्चा है कि इस आवेदन को बंसत विहार थाने मंे भेजा गया जहां रिपोर्ट में अंकित किया गया कि राज्य के कैबिनेट मंत्राी खजानदास को आत्मरक्षा के लिए रिवालर व पिस्टल का लाईसेंस चाहिए जिस पर उन्होनंे अपनी रिपोर्ट प्रेषित की कि सभी थानों में खजानदास के खिलापफ कोई अपराध् दर्ज नहीं है और उसी के चलते उन्हें हथियार की संस्तुति की गई। चर्चा यहां तक है कि सभी 16 थानों से लिखित में रिपोर्ट नहीं ली गई बल्कि आवेदन में दर्ज किया गया कि सभी थानों से खजानदास के खिलापफ अपराध् की सूचना शून्य में है। सूत्रों का कहना है कि 22 सितम्बर 2010 को खजानदास का हथियार का लाईसेंस रिवालर/पिस्टल स्वीकृत हो गया और 27 सितम्बर को खजानदास ने अपना हथियार का लाईसेंस बनवा लिया। बताया जा रहा है कि यह हथियार का लाईसेंस 22 सितम्बर 2013 तक वैध् है। सवाल यह उठता है कि लाईसेंस देने वाली अथयोटी ने आनन-पफानन में मंत्राी जी का लाईसेंस देने की स्वीकृति कर दी। अब मंत्राी जी को लाईसेंस तो मिल गया है लेकिन सम्भवतः वह रिवालर/पिस्टल खोज रहे है। लेकिन यह पता नहीं है कि मंत्राी जी को रिवालर/पिस्टल पर ट्रेगर दबाना आता है भी या नहीं। शेपफटी लॉक लगाना और खोलना भी शायद उन्हें सिखना पडे। ऐसे मंे सवाल उठता है कि रिवालर की उन्हें इतनी जरूरत क्या पड गई कि सारी प्रक्रिया को चंद समय में पूरा कराकर उन्हंे लाईसेंस लेना पड गया। आखिर उन्हें किससे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने दायित्वधरियों से लेकर विधयकों व मंत्रियों को सरकारी गनर उपलब्ध् करा रखे है और इस राज्य में आजतक ऐसा देखने को नहीं मिला कि किसी विधयक या मंत्राी पर कोई जानलेवा हमला हुआ हो। सवाल कैबिनेट मंत्राी खजानदास से जुडा है तो यह अपने आप में हैरानी करने वाली बात है कि आखिरकार जो कैबिनेट मंत्राी सरल व साधरण किस्म के व्यक्ति के है और मसूरी व उसके आसपास उनका राजनैतिक क्षेत्रा है जहां आदमी को सम्मान देना इलाके के लोगों की रगो में कूट-कूट कर भरा है। ऐसे इलाके के अगर मंत्राी को अपनी जान का खतरा सताने लगे तो यह अपने आप में इस राज्य के लिए चिंता का विषय ही कहा जा सकता है।

Friday, October 15, 2010

आपदा प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये।

नई टिहरी/देहरादून 14 अक्टूबर, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बांध झील से प्रभावित गांवों का निरीक्षण करने के बाद भागीरथीपुरम में टी.एच.डी.सी. निरीक्षण भवन के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये। डॉ. निशंक ने झील से सटे तिवाड़गांव, रौलकोट, सौड, उप्पू गांवों में जाकर प्रभावितों की समस्याएं सुनी। इस अवसर पर अधिकांश ग्रामीणों का कहना था कि टिहरी झील से उनके गांव को कभी भी क्षति हो सकती है, इसलिये उनका पूर्ण विस्थापन किया जाय। मुख्यमत्रंी से तिवाड़ गांव के 19 ऐसे परिवार है, जिनकी भूमि 90 प्रतिशत डूब गयी है, केवल मकान ही बचा है। जबकि रौलकोट के ग्रामीणों ने भी धसाव की आशंका को देखते हुए पूर्ण विस्थापन की मांग की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को मौके पर निर्देश दिये कि जी.एस.आई. की टीम जितनी जल्दी आये, उतनी जल्दी प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाये, जहां जी.एस.आई. अपनी रिपोर्ट में पूर्ण विस्थापन का उल्लेख करेगा। सौड उप्पू के ग्रामीणों का कहना था कि उनकी निस्प्रयोज्य भूमि ही शेष रह गई है, जबकि उपजाऊ भूमि झील में डूब चुकी है, इसको मध्य नजर रखते हुये उन्होंने भी पूर्ण विस्थापन की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी। रौलकोट बने प्राथमिक पाठशाला भवन के विवाद के मामले जांच के आदेश देते हुये मुख्यमंत्री ने इसके लिये दोषी व्यक्ति के प्रति जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने मानको में परिवर्तन हेतु टी.एच.डी.सी. के अधिकारियों को निर्देश दिये, जिस पर अधिकारियों ने कहा कि वे इस प्रकार के प्रकरणों को समन्वय समिति की बैठक में रखकर इसका समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री ने अवरूद्ध शेष सड़कों को तत्काल चालू करने तथा पेयजल, विद्युत लाईनों को दुरूस्त करने के निर्देश दिये। उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों में चीनी, मिट्टी का तेल, एवं खाद्यान्न की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी राघिका झा ने बताया कि आपदा के दौरान 19000 परिवार, 1159 गांव, 302 पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान, 11 कच्चे मकान, 600 आंशिक क्षतिग्रस्त मकान तथा 590 करोड़ रुपये की परिसम्पत्तियों का नुकसान हुआ है। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने अम्बरीश चन्द्र चमोली के द्वारा रचित लघु प्रबन्ध काव्य जय रघुनायक पुस्तक का भी विमोचन किया। इस अवसर पर पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत, विधायक प्रतापनगर विजय सिंह पंवार, भाजपा अध्यक्ष विनोद सुयाल, पुलिस अधीक्षक केवल खुराना, मुख्य विकास अधिकारी आशीष जोशी, मुख्य महाप्रबंधक ए.के.शाह, खेम सिंह चौहान, दिनेश डोभाल, अजयपाल सिंह नेगी, जयेन्द्र सेमवाल जिला महामंत्री भाजपा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

आई.ए.एस. व पी.सी.एस. अधिकारियों का स्थानांतरण

देहरादून 14 अक्टूबर, 2010 शासन द्वारा जनहित में आई.ए.एस. व पी.सी.एस. अधिकारियों का स्थानांतरण एवं दायित्वों में फेरबदल किया गया। यह जानकारी देते हुए अपर सचिव कार्मिक अरविन्द सिंह हयांकी ने बताया कि प्रबन्ध निदेशक कुमांयू मण्डल विकास निगम नैनीताल डॉ. पी.एस.गुसांई को स्थानांतरित करते हुए जिलाधिकारी चमोली, जिलाधिकारी नैनीताल शैलेश बगोली को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ प्रबन्ध निदेशक कुमायूं मण्डल विकास निगम का पदभार सौपा गया है। जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग रमन रविनाथ को स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव ग्राम्य विकास, वित्त तथा मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव ग्राम्य विकास, वित्त तथा मुख्य समन्वयक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एस.ए.मुरूगेशन को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग के पद पर तैनात किया गया है। जिलाधिकारी नीरज सेमवाल को स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव लोक निर्माण, तकनीकी शिक्षा तथा निदेशक तकनीकी शिक्षा के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव खेल, नियोजन, संस्कृति, प्रशिक्षण तथा निदेशक खेल डॉ रंजीत कुमार सिन्हा को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ अपर सचिव धर्मस्व का पदभार भी सौपा गया है। अपर सचिव पर्यटन, लोक निर्माण तथा प्रबन्ध निदेशक गढ़वाल मण्डल विकास निगम डी.सैथिल पांडियन को उनके लोक निर्माण विभाग के पदभार से अवमुक्त किया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। आई.ए.एस. नीरज खरवाल को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व देहरादून के पद पर तैनात किया गया है। आई.ए.एस.परिवीक्षाधीन हरिद्वार ज्योति यादव को देहरादून में तैनात किया गया है। अपर सचिव नियोजन, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना तथा स्टॉफ ऑफिसर मुख्य सचिव प्रयाग सिंह जंगपागी को मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना के पदभार से अवमुक्त किया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। अपर सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा बाह्य सहायतित परियोजना विनोद शर्मा को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ अपर सचिव नागरिक उड्डयन का पदभार सौपा गया है। अपर सचिव गन्ना एवं चीनी,परिवहन, नियोजन तथा नागरिक उड्डयन विनोद प्रसाद रतूड़ी को अपर सचिव नागरिक उड्डयन के पदभार से अवमुक्त किया गया है। शेष पदभार यथावत रहेगे। सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण तथा क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक गढ़वाल मण्डल सुशील कुमार को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून के पद पर तैनात किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी देहरादून, मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून इन्दुधर को मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून के पदभार से अवमुक्त किया गया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। महाप्रबन्धक जी.एम.वी.एन. एवं उत्तराखण्ड परिवहन निगम तथा सचिव साडा यू.सी.कबडवाल को महाप्रबन्धक उत्तराखण्ड परिवहन निगम तथा सचिव साडा के पदभार से अवमुक्त किया गया है तथा अपर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति का पदभार अतिरिक्त रूप से सौपा गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। ए.डी.एम. हरिद्वार विनोद कुमार सुमन को सचिव एम.डी.डी.ए. के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा विशेष कार्याधिकारी आवास एवं विकास परिषद सतीश चन्द्र बडोनी को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव ग्राम्य विकास तथा मुख्य समन्वयक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का पदभार सौपा गया है। अपर सचिव तकनीकि शिक्षा, प्रबन्ध निदेशक हिल्ट्रान, अधिशासी निदेशक कर्मचारी बीमा निदेशक, तकनीकी शिक्षा, निदेशक युवा कल्याण विजय कुमार ढौड़ियाल को अपर सचिव तकनीकी शिक्षा तथा निदेशक तकनीकी शिक्षा के पदभार से अवमुक्त किया गया है तथा अपर सचिव युवा कल्याण का पदभार अतिरिक्त रूप से सौपा गया है। शेष पदभार यथावत रहेंगे। डिप्टी कलैक्टर नैनीताल आलोक कुमार पाण्डेय को महाप्रबन्धक चीनी मिल गदरपुर, महाप्रबन्धक चीनी मिल गदरपुर संजय कुमार को ए.डी.एम. पौडी, डिप्टी कलैक्टर देहरादून विनोद गिरी गोस्वामी को ए.डी.एम. पिथौरागढ़, डिप्टी कलैक्टर पिथौरागढ़ प्रशांत कुमार आर्या को अघिशासी निदेशक चीनी मिल किच्छा, डिप्टी कलैक्टर उत्तरकाशी सुन्दर लाल सेमवाल को डिप्टी कलैक्टर टिहरी, डिप्टी कलैक्टर देहरादून हंसा दत्त पाण्डेय को डिप्टी कलैक्टर उत्तरकाशी, डिप्टी कलैक्टर नैनीताल श्रीश कुमार को डिप्टी कलैक्टर बागेश्वर, डिप्टी कलैक्टर ऊधमसिंहनगर प्रकाश चन्द्र दुमका को डिप्टी कलैक्टर पिथौरागढ़, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व देहरादून एस.एन.पाण्डेय को अपर जिलाधिकरी हरिद्वार के पद पर तैनात किया गया है।