Saturday, January 30, 2010

आधे वजन का सिलिंडर तो नहीं ले रहे आप!

नई दिल्लीः यह जानकार आपको झटका लग सकता है कि नंबर एक में रसोई गैस सिलिंडर खरीदने
वाले कुछ घरेलू कंस्यूमर्स को 305 रुपये में 14.2 किलो नहीं बल्कि 7.1 किलो ही गैस मिल रही है। यानी आपकी जेब में लगभग 150 रुपये का डाका डाला जा रहा है। यह हम नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के छापामारी अभियान के आंकड़े बोल रहे हैं। आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो विभाग की छापामार कार्रवाई में ऐसे कितने ही गैस सिलिंडर जब्त किए गए हैं, जिनमें से आधी यानी 7.1 किलो तक गैस की चोरी की गई थी। दिल्ली सरकार के माप तोल विभाग के मुताबिक इस बार उन्होंने रसोई गैस सिलिंडरों से गैस चोरी रोकने के लिए सिलिंडर गोदामों पर नहीं बल्कि उन डिलिवरी पॉइंट पर छापे मारे, जहां गैस एजेंसी के डिलिवरी मैन सिलिंडरों की घरों में सप्लाई करने वाले थे। इस कार्रवाई में 12 अप्रैल से 19 जून तक पूरी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में 400 छापे मारे गए। जबकि एक छापे में 4 सिलिंडरों की जांच की गई यानी 400 छापों में 1600 रसोई गैस सिलिंडरों की जांच हुई। इनमें से 40 फीसदी यानी 640 सिलिंडरों में गैस कम पाई गई। हैरानी उस वक्त हुई जब इनमें से काफी सिलिंडरों में से 7.1 किलो तक गैस चोरी मिली। विभाग ने बताया कि आमतौर पर सिलिंडरों में से गैस चोरी होने की घटनाओं में यह आंकड़ा 2 से 5 किलो तक का होता था, लेकिन इस कार्रवाई में तो डिलिवरीमैनों ने गैस चोरी करने के सारे रेकॉर्ड ही तोड़ डाले। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि छापों के दौरान डिलिवरी मैन के सिलिंडर को तौलने वाले कांटे चेक किए गए तो उनमें भी हेराफेरी मिली। हालांकि अधिकारी ने बताया कि कई डिलिवरीमैन ऐसे भी मिले जिनके पास तौलने वाला साधन था ही नहीं। यानी वह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को अपनी मर्जी से ऐसे सिलिंडर सप्लाई कर रहे थे जिनमें से उन्होंने गैस चोरी कर रखी थी। अधिकारी के मुताबिक इस मामले में 125 से भी अधिक गैस एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। हालांकि गैस चोरी होने की घटनाएं तीनों ही कंपनियों के सिलिंडरों में मिली हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक मामले इंडियन ऑयल कंपनी के गैस सिलिंडरों में मिले हैं। अधिकारी ने बताया कि इस मामले में इंडियन ऑयल सहित भारत और हिंदुस्तान कंपनियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस में कंपनियों से जवाब मांगा गया है कि सिलिंडरों से गैस चोरी होने की घटनाओं को वह क्यों नहीं रोक पा रही हैं और जिन गैस एजेंसियों के डीलर ऐसा कर रहे हैं उन एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। विभाग का कहना है कि सिलिंडरों से गैस चोरी होने की घटनाएं दिल्ली के किसी विशेष इलाके में ही नहीं हो बल्कि पॉश एरिया से लेकर सामान्य कॉलोनियों में भी इस तरह के मामले पकड़े गए हैं।

Saturday, January 23, 2010

मुख्यमंत्री आवास में भी आत्मदाह की धमकी

देहरादून (नारायण परगाई)। पिछले काफी समय से टावर पर चढे शिक्षा आचार्यों की मांगों को लेकर पूर्ण सिंह राणा द्वारा बीती रात पेट्रोल छिडकर आत्मदाह किये जाने के प्रयास के बाद आज पुलिस ने राणा के खिलापफ आत्मदाह किये जाने का मुकदमा कायम कर लिया है। गौरतलब है कि पिछले पांच दिनों से पूर्ण सिंह राणा शिक्षा मित्रों में समायोजन की मांग को लेकर विधानसभा के पास स्थित टावर पर चढ गए थे और कई बार प्रशासनिक मशीनरी द्वारा उन्हें नीचे उतरने का अनुरोध करने के बाद भी जब वह नहीं उतरे तो बीती रात पुलिस ने राणा को नीचे उतारने के लिए कडी मशक्कत की लेकिन जब तक पुलिसवाले राणा को नीचे उतारने का प्रयास कर पाते तब तक राणा अपने ऊपर पेट्रोल छिडकर आग लगा ली। जिसमें सीओ डालनवाला परमेंद्र डोबाल भी बुरी तरह झुलस गए थे। पुलिस ने अब पूर्ण सिंह राणा के खिलापफ थाना नेहरू कालोनी में आत्मदाह का प्रयास किये जाने के खिलाफ मुकदमा कायम किया है। वहीं इस पूरे मामले में राणा के पिता का साफ कहना है कि प्रशासन द्वारा राणा को जिस तरह से नीचे उतारने का प्रयास किया गया वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और प्रशासनिक मशीनरी द्वारा उन्हें इस बात की कोई खबर नहीं दी गई कि उनके बेटे को नीचे उतारने के लिए इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। उनका साफ कहना है कि प्रशासनिक अध्किारियों की लापरवाही के चलते राणा को आत्मदाह जैसा कदम उठाना पडा है और ऐसे में यदि उनके बेटे की जान चली जाती तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होती। वहीं शिक्षा आचार्यों ने पूर्ण सिंह राणा के खिलापफ की गई कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हुए आगे की लडाई तेज किये जाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। शिक्षा आचार्यों का साफ कहना है कि प्रशासन इस तरह की कार्रवाई को करके कर्मचारियों की मांगों को दबाने का प्रयास कर रहा है और यदि शीघ्र ही उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई तो २५ जनवरी के बाद कई शिक्षा आचार्य आत्मदाह का कदम उठाने को मजबूर होंगे और यदि जरूरत पडी तो मुख्यमंत्री आवास में भी आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। शिक्षा आचार्यों के आंदोलन को देखते हुए एक तरफ जहां खुफिया विभाग व पुलिस तंत्र सर्तक हो गया है वहीं शिक्षा आचार्यों की हर गतिविधि पर नजर रखनी भी शुरू की दी गई है। माना जा रहा है कि पुलिस जल्द ही सभी शिक्षा आचार्यों की आगामी २६ जनवरी को देखते हुए गिरफ्रतारी भी कर सकती है।

दून में बनीं तलवार सलमान खान की फिल्म ‘वीर’ में

देहरादून। दून में बनीं तलवार सलमान खान की फिल्म ‘वीर’ में नजर आएगी। इतना ही नहीं फिल्म में युद्ध में प्रयोग किए गए हथियारों का निर्माण में दून में ही हुआ है। ये सभी हथियार देहरादून के पटेलनगर स्थित दून हैंडीक्राफ्ट में बने हैं। सलमान खान की बहुप्रतिक्षित फिल्म ‘वीर’ आज देश भर में रिलीज हो रही है। इस फिल्म के चलते ही लोगों में पिंडारियों के प्रति जिज्ञासा बढ़ी। डायरेक्टर अनिल शर्मा निर्देशित फिल्म ‘वीर’ में सलमान खान के हाथ में चमचमाती तलवार दून की बनी हुई है। सलमान खान ने इस फिल्म में पिंडारी योद्धा की भूमिका निभाई है। सलमान खान जिस तलवार से अपने दुश्मनों के सरों को कलम करता है, उसे देहरादून के कुशल कारीगरों ने तैयार किया है। इस फिल्म में इस्तेमाल होने वाले भाले और टोप भी इसी फैक्ट्री में बने हैं। दून हैंडीक्राफ्ट के मालिक मोहम्मद जावेद कहते हैं कि लगभग डेढ़ साल पहले फिल्म के प्रोड्यूसर विजय गलानी का फोन आया और उन्होंने फिल्म के लिए तलवार बनाने को कहा। इसके बाद पिंडारियों के समय की तलवार के फोटो के जरिए इसका सैंपल तैयार किया गया। सैंपल तैयार करते समय बहुत ही एहतियात बरतनी पड़ी। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि एतिहासिकता बरकरार रहे। इसके बाद सैंपलों को मुंबई भेजा गया, वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही फिल्म के लिए तलवार तैयार की गई। उन्होंने बताया कि इससे पहले वे धारावाहिक चंद्रकांता और हालीवुड की कई फिल्मों के लिए वैपन्स तैयार कर चुके हैं। तलवार के साथ-साथ फिल्म में प्रयोग कई अन्य हथियार भी दून में ही बनाए गए हैं। श्री जावेद ने बताया कि तलवार का वजन कुल दो किलो है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका पिंडारी मॉडल में बना होना है। उन्होंने बताया कि सलमान खान के लिए बनाई गई तलवार की कीमत तीस हजार रुपये है।

स्वास्थ्य विभाग में करोडों डकारने का गोरखधंधा

देहरादून। प्रदेश के विभिन्न विभागों में फिल्में बनाये जाने के नाम पर जहां लाखों रूपये की बंदरबाट की जा रही है वह विभाग से निकलने वाली निविदाओं में भी भारी गोलमोल की शिकायतें सामने आ रही हैं। ताजा मामला स्वास्थ विभाग द्वारा फिल्म बनाने के नाम पर एक कंपनी को टेंडर दिये जाने का सामने आया है। इतना ही नहीं निविदाओं में दर्शायी गई शर्तों को दरकिनार करते हुए फिल्म बनाने का ठेका एक ऐसी कंपनी को दे दिया गया जो उसकी अर्हताएं ही पूरी नहीं करती। इसे विभागीय लापरवाही कहा जाएगा या फिर पैसे की खनक के आगे अधिकारियों के बिकने की करतूत। पिछले काफी समय से बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में आकर यहां के बेरोजगारों को जहां रोजगार लूटने में लगे हैं वहीं प्रशासनिक तबका भी कमीशनखोरी के चक्कर में फंसकर पैसे की बंदरबाट करने में लगे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के चंदन नगर स्थित महानिदेशालय स्तर से एक प्राइवेट कंपनी को विज्ञापन फिल्में बनाने के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया जबकि उत्तराखंड के अन्य लोगों द्वारा दिये गये आवेदन पत्रों को पैसे की मोटी खनक के आगे दर किनार करते हुए काम ऐसी कंपनी को दे दिया गया जिसे न तो फिल्म बनाने का कोई अनुभव और न ही अभी तक उत्तराखंड में कोई काम करने का प्रमाण पत्र तक हासिल नहीं। विभाग के अधिकारी भी या तो दबाव में काम करने को मजबूर हैं या फिर पैसे की खनक के आगे अपने ईमान तक को बेच डाला जा रहा है। इतना ही नहीं कई अन्य विभागों का तो इतना बुरा हाल है कि विभाग में काम कराने की एवज में खुलकर अधिकारियों द्वारा मोटी रकम की मांग करते हुए अर्हताएं पूरी न होने के बाद भी वर्क ऑर्डर जारी किये जा रहे हैं। ऐसे विभागों के खिलाफ सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाओं से जहां विभाग के अंदर हडकंप मच गया है वहीं कई ऐसे अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब होने वाले हैं जो विभाग के अंदर रहकर ऐसे कई कामों को अंजाम दे चुके हैं जो उनके लिए अब खतरे की घंटी बनने जा रहे हैं। बीते दिवस प्रदेश में लाखो रूपये की बंदरबाट किये जाने से संबंधित एक समाचार छपने के बाद शासन स्तर से लेकर नीचे के अधिकारियों में पूरी तरह हडकंप मचा रहा और यहां तक कि खबर को लेकर खासी सनसनी फैली रही। अभी कई ऐसे विभागों की पोल खुलना बाकी है जो अपने यहां गलत कामों को अंजाम देकर लाखो रूपये की बंदरबाट करने में लगे हुए है। प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों को दिये जा रहे लाखों रूपये के काम मोटी घूस लेकर दिये जा रहे हैं वह प्रदेश के लिए उचित नहीं। वहीं जल्द ही यदि उत्तराखंड के बुद्धिजीवी वर्ग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो महाराष्ट्र की तर्ज पर प्रदेश के हालात भी बन सकते है जो निकट भविष्य के लिए राजनैतिक पार्टियों की भी सिरदर्दी बन सकते हैं। गौरतलब है कि बीते दिवस पर्यटन विभाग में फिल्म बनाने के नाम पर १८ लाख रूपये की फिल्में दिये जाने का मामला बेहद गरम रहा और अब नये मामले के उजागर होने के बाद अन्य मामले भी गरमाने की संभावना बन गई है।

फिल्मों के नाम पर प्रदेश में लाखों की बंदरबाट

देहरादून। प्रदेश में लाखों रूपए की बंदरबांट इस कदर की जा रही है इसका अंदाजा खुद प्रदेश के मुखिया तक को नहीं हो पा रहा। पिछले काफी समय से विवादों में घिरे एक तथा-कथित पत्रकार जो अपने को दूरदर्शन का अधिकारी बताकर पर्यटन विभाग से १८ लाख रूपए की बनाई जाने वाली फिल्मों को लेकर चर्चाओं में आ गया है। इस बात का आभास खुद प्रदेश के पर्यटन मंत्री तक को नहीं हो पाया और अपने को दूरदर्शन का अधिकारी बताने के नाम पर उक्त व्यक्ति पर्यटन विभाग से बनाई जाने वाली दस फिल्मों को अपने हाथों में ले लिया। कई बार विवादों में घिरे होने के कारण तथा-कथित पत्रकार द्वारा खंडूडी के मुख्यमंत्री काल में भी कई कामों को कराने की एवज में लाखो रूपए की चपत प्रदेश सरकार को लगाई जा चुकी है। वहीं चर्चा यह भी है कि अब कुंभ के नाम पर बनाई जाने वाली फिल्मों में भी उक्त व्यक्ति मुख्यमंत्री के करीब आकर फिल्म बनने की तैयारी कर चुका है। बीते कुछ समय पूर्व उक्त व्यक्ति द्वारा बीजापुर गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री को कुंभ के नाम पर बनाई जाने वाली फिल्मों का प्रजेंटेशन दिया जा चुका है। वहीं यह भी संभावनाएं हैं कि कुंभ के नाम पर उक्त व्यक्ति लाखो रूपए की फिल्में हथिया सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के जनपदों में उक्त व्यक्ति के खिलाफ कई ऐसे मामले दर्ज हैं यदि उनकी जांच की जाए तो यह व्यक्ति उत्तराखंड के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। वहीं चर्चाएं यह भी हैं कि कांग्रेस शासनकाल में मुख्यमंत्री तिवारी के बेहद करीब रहकर भी कई ऐसे कामों को उक्त व्यक्ति द्वारा अंजाम दिया गया जिसकी भनक आज तक अधिकारियों तक को नहीं लग पाई। कभी फिल्म तो कभी मोटा टेंडर दिलाने के नाम पर उक्त व्यक्ति बेहद चर्चाओं में रहा है। इतना ही नहीं अधिकारियों तक में अपनी पकड बनाने के लिए उक्त व्यक्ति अब मुख्यमंत्री दरबार का सहारा लेकर सीढयां ऊपर चढने की तैयाारी में जुट गया है लेकिन प्रदेश के आका शायद अभी भी उक्त व्यक्ति की कारगुजारियों से वाकिफ नहीं है। यदि शीघ्र ही प्रदेश के आका ने अपने दरबार में उक्त व्यक्ति की आने जाने की गतिविध्यिां पर रोक नहीं लगाई तो इसके कई घातक परिणाम भी सामने आ सकते हैं।

कुंभनगरी में शराबी पुलिस वालों का बोलबाला

हरिद्वार/देहरादून। एक तरफ प्रदेश सरकार कुंभ की सुरक्षा को लेकर चाक-चौबंद व्यवस्था किये जाने को लेकर आतुर है। वहीं चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती से सुरक्षा को भेद पाना बेहद मुश्किल लग रहा है लेकिन धर्म नगरी हरिद्वार में सुरक्षा व्यवस्था को भेदने में खुद पुलिसवाले ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका शराब के नशे में चूर होकर करने को तैयार बैठे हैं। वैसे तो कुंभ नगरी में शराब व मांस खाना पूरी तरह प्रतिबंधित है लेकिन इसके बाद भी इस प्रतिबंध को ठेंगा दिखाते हुए कुंभ नगरी के इलाके में पडने वाले कई थाने चौकियों में पुलिस के लोग शाम ढलते ही शराब के नशे में मदहोश होते हुए धर्मनगरी का मजाक उडाने में लगे हुए हैं। एक तरफ जहां कुंभ को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड धर्म नगरी में जुटनी शुरू हो गई हैं वहीं ऐसे पुलिसवाले जो नशे के आगोश में समाकर धर्मनगरी को कलंकित करने का प्रयास कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत न तो पुलिस के पास है और न ही मेला प्रशासन के हाथो में। ऐसे में कुंभ की सुरक्षा को लेकर किये जाने वाले दावों पर भी पूरी तरह बट्टा लगता दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं कुंभ में अस्थायी बनाये गये निर्माण स्थलों पर रोजाना शाम होते ही महफिलें सजनी शुरू हो जाती हैं। जो देर रात तक जारी रह रही हैं। कुंभ प्रशासन न तो शाम को ऐसे स्थलों पर चैकिंग अभियान चला रहा है और न ही वहां पर हर गतिविधि को देखा तक नहीं जा रहा। पुलिस के जवानों का नशे के आगोश में समा जाना कुंभ के शाही स्नानों पर पलीता न लगा डाले इसे लेकर यदि शीघ्र ही मेला प्रशासन द्वारा नकेल नहीं कसी गई तो इसके घातक परिणाम भी सामने आ सकते हैं। इतना ही नहीं रायवाला क्षेत्र से लेकर श्यामपुर क्षेत्र तक शराब की दुकानों से रोजाना हजारो की शराब कुंभ की धर्मनगरी में रहने वाले पुलिस के जवान गटकते हुए दखे जा सकते हैं जबकि इससे पूर्व देरहादून के रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से शराब के नशे में चूर पुलिस के सिपाहियों को निलंबित किया जा चुका हैं। वहीं ऋषिकेश में भी दो पुलिसकर्मियों को शराब के नशे में ध्ुात रहने पर निलंबित किया गया है। लगातार शराब के प्रति पुलिसकर्मियों का बढता मोह कुंभ के मेले पर ग्रहण न लगा दे इसे लेकर यदि जल्द ही नकेल नहीं कसी गई तो यह पुलिस के लिए बडा सिरदर्द बन सकता है।

फिल्मों में नजर आएंगे उत्तराखंड के कलाकार

किच्छा के हर्ष, पंतनगर की भावना,बागेश्वर की मंजू फिल्म में मचाएंगी ध्माल
देहरादून । उत्तराखंड को जहां देवो की देवभूमि कहा जाता है वहीं इस प्रदेश में कई ऐसी प्रतिभाएं भी छिपी हुई हैं जो आज तक अपने सपनों की उडानों को पूरा नहीं कर सकी। लेकिन कभी जो बातें ऐसी छिपी हुई प्रतिभाओं ने सोची भी नहीं होंगी उनको विश्वास आर्ट ने पूरा कर दिखाया है। जनपद ऊध्मसिंहनगर, बागेश्वर की रहने वाली ऐसी छिपी हुई प्रतिभाओं में से कुछ प्रतिभाएं अब पिफल्म के बडे पर्दे पर नजर आएंगी। ऊधमसिंह नगर के पंतनगर की रहने वाली भावना कष्ष्ण तिवारी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह एक दिन फिल्म के पर्दे पर नजर आएंगी। सुष्मिता सेन को अपना आर्दश मानने वाली भावना अब फिल्म के बडे पर्दे के साथ-साथ फेमिना में जाने की भी तैयारी कर रही हैं। फरवरी में होने वाली मिस फमिना को लेकर भावना उसकी तैयारियों में जहां जुटी हुई हैं वहीं शुरूआत से ही उन्हें मॉडलिंग का बडा शौंक रहा है। दिल्ली सहित कई पिफल्म एलबमों में वह काम कर चुकी हैं और भावना जल्द ही बडी पिफल्मों में जाने को तैयार हैं।
वहीं बागेश्वर की रहने वाली मंजू पांडे जो कभी सपनों में फिल्म की हिरोइन बनने का ख्वाब देखा करती थी आज हकीकत में वह फिल्म में मौका मिलने के बाद बेहद उत्साहित है। मंजू का साफ कहना है कि बागेश्वर के ग्रामीण इलाके में रहने के साथ-साथ उसे फिल्म में काम करने का जो मौका मिला है वह उसमें पूरी तरह सफल साबित होगी। मंजू के क्षेत्र में अभी उसके फिल्म में हिरोइन बन जाने की कोई खबर नहीं है। वहीं ऊधमसिंहनगर के किच्छा के पास स्थित भगवानपुर गांव के रहने वाले हर्ष देओल भी कालेज टाइम से छोटे कलाकारों की भांति अभिनय करते रहे हैं और अब फिल्म में मौका दिये जाने से वे बेहद उत्साहित ह। हर्ष का कहना है कि कभी कालेज टाइम में अभिनय करने का मौका मिला करता था जो आज पूरा होता दिख रहा है।हर्ष का यह भी कहना है कि उत्तराखंड में अभी ऐसी प्रतिभाएं छिपी हुई हैं जिन्हें सही प्लेटफार्म न मिल पाने के कारण आगे बढने का मौका नहीं मिल पाता लेकिन विश्वास आर्ट द्वारा उभरते कलाकारों की दुनिया पिफल्म में काम करने का जो अवसर उत्तराखंड के कलाकारों को दिया है। इससे राज्य के अन्य कलाकारों में भी उत्साह पैदा होगा। विश्वास आर्ट इंटरटैंनमेंट के संस्थापक व एलबम के निर्माता जेड.एच विश्वास का कहना है कि उत्तराखंड में खूबसूरती के साथ-साथ कई ऐसी जगहें हैं जहां फिल्मों के खूबसूरत दृश्य फिल्माए जा सकते हैं। वहीं राज्य में कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जिन्हें प्रतिभा के बल पर आगे बढाया जा सकता है और इसीलिए विश्वास आर्ट उत्तराखंड के उभरते कलाकारों को मंच प्रदान करने के लिए प्रयास कर रहा है।