Friday, September 5, 2008

मर्दों की आक्रामकता की वजह?


अकसर कहा जाता है कि औरतें किसी सजीले मर्द के मुकाबले ऐसे मर्दों को पसंद करती हैं, जो उन पर हावी हो सके। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि कुछ मर्द ज्यादा आक्रामक क्यों होते हैं? दरसअल यह बात जर और जोरू से जुड़ी है।हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक महिलाओं को हासिल करने की लालसा और दौलत हासिल करने की भूख वे दो कारण हैं, जिनके चलते मर्दों में होड़ और बहादुरी की भावना आती है।एक अंतरराष्ट्रीय दल ने यह नतीजे उन विकासकारी शक्तियों के विश्लेषण के आधार पर तैयार किए हैं, जिनके चलते मर्दों में बहादुरी की भावना विकसित होती है। इसके चलते वे अपने साथियों से मुकाबला करते हैं। इस होड़ में सफल होने की संभावना सीधे तौर पर बहादुरी के प्रदर्शन से जुड़ी है। ब्रिटिश अखबार द डेली टेलीग्राफ के अनुसार स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के लारेंट लेहमैन और प्रोफेसर मार्क फेल्डमैन के नेतृत्व में एक दल ने विकासवादी जंग का गणितीय विश्लेषण किया, जो सभ्यता की पहुँच से दूर छोटे-छोटे समूहों पर आधारित थी। इसमें शिकारी जीवन जीने वाले समुदाय शामिल हैं।अध्ययन के नतीजों के अनुसार होड़ और बहादुरी से जुडे़ गुणसूत्रों का चुनिंदा दबाव बड़े आकार के समुदायों में भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। चुनिंदा दबाव वह सीमा है, जिसे लोगों की एक आबादी या तो लाभकारी आनुवंशिकी या सांस्कृतिक गुण के लिए हासिल कर लेती है जिससे उसे फायदा मिलता है। इस फायदे के चलते उस समूह की उत्तरजीविता की दर बढ़ जाती है।अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार यह दबाव होड़ करने से मिलने वाले लाभ से भी संचालित होता है। यह दबाव एक समूह के बहादुर मर्दों ही नहीं, उनके परिवार के सदस्यों पर भी होता है। यही कारण है कि अकसर जंग का नुकसान बहादुर मर्दों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी उठाना पड़ता है।अध्ययन के मुताबिक शिकार करने वाले समुदायों के बारे में यह एक सुविख्यात तथ्य है कि वे अकसर दूसरे समुदायों पर हमले करते हैं और उनकी संपत्ति के साथ-साथ उनकी औरतों को भी हासिल कर लेते हैं। संभार टुडे

No comments: