Saturday, September 6, 2008

पुरुषों को सेक्स चाहिए, महिलाओं को सहारा


पुरुष और महिलाएं भले ही हमकदम हो गए हों, लेकिन दोनों का मूल स्वभाव आज भी अलग-अलग है। हर काम करने का दोनों का अंदाज़ एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा होता हैः पुरुषों को स्वभाव से आक्रामक, प्रतियोगिता में विश्वास रखने वाला और अपनी बातों को छिपाने में माहिर माना जाता है। दोस्तों से बातचीत में पुरुष अपने सारे राज़ भले ही खोल दें, लेकिन किसी अजनबी से गुफ्तगू में पूरी सावधानी बरतते हैं। कारण, उनकी किसी बात से विरोधी फायदा न उठा सकें। पुरुष आमतौर पर अपने कामकाज़ में किसी तरह की दखलंदाज़ी बर्दाश्त नहीं करते। आपको यह जानकर हैरत होगी कि बड़े से बड़ा नुकसान होने और बहुत ज़्यादा खुशी दोनों ही हालत में पुरुष सेक्स की ज़रूरत शिद्दत से महसूस करते हैं। वे इसे बड़ा स्ट्रेस रिलीवर भी मानते हैं। वहीं, महिलाएं बॉयफ्रेंड या पति से झगड़ा होने पर चाहती हैं कि उनकी बात को पूरी तरह सुना जाए, लेकिन अगर कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका से झगड़े के बाद उसे अपनी मज़बूत बांहों का सहारा देता है और दिल से उससे 'आई एम सॉरी' कह देता है, तो महिलाएं सब कुछ तुरंत भूल जाती हैं। कैलंडर जीन महिलाएं तारीखों का काफी हिसाब-किताब रखती हैं। उन्हें अपने पार्टनर या बॉयफ्रेंड के साथ-साथ दोस्तों, परिचितों और फैमिली मेंबर्स के जन्मदिन और सालगिरह की तारीखें याद रहती हैं, जबकि पुरुष कभी-कभी अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी का भी जन्मदिन भूल जाते हैं। मल्टीटास्किंग महिलाएं एक समय पर कई काम कर सकती हैं। वे फोन पर बात करते-करते टीवी देख सकती हैं। डिनर तैयार करते समय बच्चों की निगरानी कर सकती हैं, लेकिन पुरुष एक समय में एक ही काम करने में विश्वास रखते हैं। संकेतों की पहचान पुरुषों के मुकाबले महिलाएं संकेत पहचानने में ज़्यादा माहिर होती हैं, लेकिन वे दिल के मामले में अपनी बात किसी पर जल्दी ज़ाहिर नहीं करतीं। महिलाएं अपने पार्टनर की आंखों, बातों और उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस से उसकी चाहत का अंदाज़ा बखूबी लगा लेती हैं, लेकिन किसी से कुछ कहतीं नहीं। जबकि पुरुष 'शी लव्स मी, शी लव्स मी नॉट' की भूलभुलैया में भटकते रहते हैं। आपसी समझ कहा जाता है कि एक महिला ही दूसरी महिला को अच्छी तरह समझ सकती है। पुरुष महिलाओं को समझने का लाख दावा करें, लेकिन हकीकत में वे ज़िंदगीभर अपोज़िट सेक्स का नेचर समझने में उलझे ही रहते हैं। तुरंत मांग पुरुष किसी भी चीज़ की ज़रूरत होने पर बड़ी आसानी से उसकी डिमांड कर देते हैं, पर महिलाएं अपनी पसंद की चीज़ की तरफ पहले केवल इशारा ही करती हैं। इसे न समझने पर वह अपनी डिमांड शब्दों से ज़ाहिर करती हैं। बच्चों के करीब महिलाएं आमतौर पर अपने बच्चों की तमाम ज़रूरतों के प्रति सजग रहती हैं। उनकी पढ़ाई, बेस्ट फ्रेंड्स, फेवरिट फूड, सीक्रेट फियर, उनकी आशाओं और सपनों से वे पूरी तरह वाकिफ होती हैं, जबकि पुरुषों का ज़्यादातर समय बाहर बीतता है, इसलिए वे अपने बच्चों को उतनी अच्छी तरह नहीं जान पाते। टीवी सर्फिन्ग महिलाएं टीवी देखते समय एक ही चैनल पर ज़्यादा समय तक टिक सकती हैं। किस चैनल पर उनका पसंदीदा प्रोग्राम कब आएगा, यह उन्हें अच्छी तरह पता होता है, वहीं पुरुष एक समय में छह या सात चैनल देखते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि कुछ समय पहले वे किस चैनल पर कौन-सा प्रोग्राम देख रहे थे? नींद का माहौल महिलाओं को सोने के लिए पूरी शांति की ज़रूरत होती है। हो सकता है कि एक बल्ब जलता रहने पर वह चैन से न सो पाएं, जबकि पुरुष शोर में भी 'घोड़े बेचकर' सो सकते हैं। चाहे कुत्ते भौंक रहे हों, तेज़ आवाज़ में गाना बज रहा हो या बच्चे ऊधम मचा रहे हों, अगर उन्हें सोना है, तो फिर कोई भी चीज़ उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। संभार वार्ता

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