Saturday, April 28, 2012

बाबा केदारनाथ के खुले कपाट

मौसम की खराबी के चलते अभिनेता अमिताभ नहीं कर पाए दर्शन
देहरादून, गंगोत्री, यमुनोत्री के बाद शनिवार को बाबा केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। वैदिक मांत्रोचारण के साथ खोले गए कपाट के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। हालांकि कपाट खुलने के कुछ देर बाद ही मौसम की खराबी के चलते केदारनाथ में बर्फबारी होने के कारण अभिनेता अमिताभ बच्चन व नीरा राडिया बाबा केदार के दर्शन नहीं कर सकें। जबकि गंगोत्री में दर्शन करने के बाद उद्योगपति अनिल अंबानी ने शनिवार को अपने पुत्र व भतीजी के साथ केदारनाथ के दर्शन किए।
केदारनाथ में मौसम की खराबी के चलते श्रद्धालुओं की ठंड के कारण भारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है और मौसम खराबी के चलते पर्यटक केदारनाथ धाम तक नहीं पहुंच पा रहे। धाम के कपाट खुलने के दौरान करीब 2000 से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी। भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात किए गया था। वहीं रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाऐंगे यदि मौसम ठीकठाक रहा तो आज रविवार को फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित कई वीवीआईपी बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए आ सकते हैं। गौरतलब है कि केदारनाथ धाम चार ज्योर्तिलिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योर्तिलिंग है।

Friday, April 27, 2012

एनडी तिवारी को देना होगा ब्लड सैंपल

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एकल पीठ के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें कहा गया था कि काग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को पितृत्व संबंधी मामले में खून के नमूने देने को बाध्य नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि तिवारी को डीएनए जांच के लिए खून का सैंपल देना ही होगा और अगर इसमें वह आनाकानी करते हैं तो पुलिस की मदद ली जा सकती है।

Thursday, April 26, 2012

नरेंद्र मोदी को अमरीकी वीजा नहीं


अमरीकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने अपनी नियमित प्रेस कांफ्रेस में कहा, “मोदी के वीजा के मुद्दे पर हमारे रुख में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया है.”
नुलैंड अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को लिखे अमरीकी सांसद जो वाल्श के उस पत्र के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं, जिसमें उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री को राजनयिक वीजा देने के बारे में सरकार के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था .
कहा जा रहा है कि वाल्श ने लगभग पंद्रह दिन पहले यह पत्र लिखा. इस पत्र पर अमरीकी भारतीय मुस्लिम समुदाय (आईएएमसी) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
इस समुदाय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विदेश विभाग को मोदी को वीजा देने के बारे में अपनी 2005 की नीति को नहीं बदलना चाहिए.
महत्वपूर्ण है मोदी ने मार्च 2005 में अमरीकी वीजा के लिए आवेदन किया था. वह एशियाई अमरीकी होटल मालिकों के सालाना सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमरीका जाना चाहते थे.

दिल्ली में महिलाओं के लिए हेलमेट होगा जरूरी

राजधानी में दोपहिया वाहनों पर चालक के साथ बैठने वाली महिलाओं के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य हो जाएगा। हाईकोर्ट ने सुरक्षा का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार को इसके लिए कानून में बदलाव करने को कहा है। कानून में संशोधन के बाद पगड़ी नहीं पहनने वाले सिखों को भी हेलमेट पहनना जरूरी होगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए.के सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ ने कानून में बदलाव के लिए दो महीने का वक्त दिया है। पीठ ने सरकार से इसकी रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है, ताकि इसे जल्द लागू किया जा सके।

तेंदुलकर को रास सदस्य मनोनीत करने की सिफारिश

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री रेखा सहित चार प्रतिष्ठित हस्तियों को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत करने की सिफारिश की गई है।
क्रिकेट की दुनिया में बुलंदियां छू चुके 39 वर्षीय तेंदुलकर और हिन्दी सिनेमा की 80 के दशक की मशहूर अभिनेत्री रेखा संविधान के एक प्रावधान के तहत संसद के उच्च सदन की सदस्यता हासिल करेंगे। इस प्रावधान के तहत राष्ट्रपति 12 सदस्यों को उच्च सदन के लिए मनोनीत कर सकते हैं।

Saturday, April 7, 2012

बहुमत, बहुगुणा और बखेड़ा

देहरादून, विधानसभा चुनाव नतीजों को घोषित हुए एक महीना बीत चुका है लेकिन उत्तराखंड की जनता ने सियासी दलों को जो खंडित जनादेश दिया है उसने दलों के भीतर नेताओं की मर्यादाओं को भी खंड-खंड कर दिया है। कांग्रेस तो इस खंडित जनादेश से परेशान है ही भाजपा की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। भाजपा और कांग्रेस को मिले खंडित जनादेश में छोटे दलों और निर्दलियों की बल्ले-बल्ले हो रही है। कांग्रेस सरकार बनाने में भले ही कामयाब हो गई हो लेकिन समर्थन दे रहे निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के विधायक अब भी बंदूक लेकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को डरा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की कैबिनेट के सदस्य भी मौका देखकर उन्हें चाकू दिखाकर डराने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में संभवतः मुख्यमंत्री विजय बहुुगुणा रात को संतुष्ठी के इस भाव से झपकी लेते होंगे कि ‘चलिए एक दिन और कट गया’। खंडित जनादेश के कारण उत्तराखंड में सरकार होने के बावजूद सरकार होने का अहसास ही नहीं हो रहा है। यह सिर्फ विजय बहुगुणा या कांग्रेस की चिन्ता नहीं है बल्कि यह पूरे उत्तराखंड की चिन्ता है। सरकार किसी भी दल की बने लेकिन यदि वह बहुमत में नहीं है तो उस सरकार के चलने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। जिस तरह से खंडित जनादेश ने सरकार चलाने वालों को असहाय कर दिया है उससे तीव्र गति से विकास की कल्पना करना बेईमानी सा लगता है। इसमें दोष मुख्यमंत्री का नहीं है बल्कि सरकार चलाने के लिए जो आंकड़ा चाहिए, दोष उस आंकडे़ तक नहीं पहुंच पाने का है। दुर्भाग्य से जिनके बूते सरकार बनाने का आंकड़ा विजय बहुगुणा छू रहे हैं उनकी प्राथमिकता में विकास की बजाए मंत्री पद है। ऐसे में बहुगुणा यदि उन्हें खुश कर रहे हैं तो पार्टी के भीतर डैमेज कंट्रोल करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। नतीजा सामने है कि सरकार होने का अहसास ही नहीं हो रहा है।
  खंडित जनादेश ने जिस तरह से सरकार व उसके मुखिया को पंगु बनाया है। उससे यह चिन्ता बढ़ गयी है कि क्या सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। और यदि सरकार कार्यकाल पूरा कर सकी तो क्या मुख्यमंत्री फ्रंटपुफट पर रहकर विकास के चौके-छक्के मार पायेेंगे। यह बड़ा सवाल है। जिस तरह से मौजूदा सरकार फिलहाल बैकपफुट पर है उसने मतदाता को यह अहसास करा दिया है कि लोकतंत्र के महापर्व में जनता जनार्दन को समझ-बूझकर मतदान करने की है। किसी एक दल की सरकार यदि पूर्ण बहुमत में होगी तो उस दल के सामने ऐसी कोई मजबूरी नहीं होगी।