Monday, September 20, 2010

राहत एवं बचाव कार्य पूरी तत्परता से संचालित किये जा रहे है। निशंक’

अल्मोडा/देहरादून 20 सितम्बर, 2010 प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को अल्मोडा जनपद का व्यापक भ्रमण किया। उन्होंने भारी वर्षा के कारण भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का हैलीकाप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया। मुख्यमंत्री ने बाड़ी बल्टा क्षेत्र में पैदल जाकर अतिवृष्टि एवं भूस्खलन से हुई क्षति को देखा तथा ग्रामवासियों से मुलाकात कर उनका दुःख दर्द जाना। उन्होंने ग्रामवासियों को इस विपदा की घड़ी से उबरने के लिए ढांढस बॅधाया। उन्होंने प्रत्येक मृतक के परिजनों को एक-एक लाख रूपये की सहायता दिये जाने की भी घोषणा की। उन्होंने मुख्यालय से लगे देवली ग्राम सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में अतिवृष्टि, भूस्खलन एवं बाढ़ के कारण हुई मौतों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की तथा राज्य सरकार की ओर से प्रभावित परिवारों को हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रधानमंत्री से राज्य को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करते हुये 5000 करोड़ रूपये तत्काल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने जिलाधिकारी सुबर्द्धन सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पूरी तेजी से राहत कार्य चलाने के निर्देश देते हुये कहा कि लोगों को राहत पहॅुचाने में धन की कमी आड़े नहीं आयेगी। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम व्यक्ति का जीवन बचाने के लिये कार्यवाही करते हुये असुरक्षित स्थानों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों में विस्थापित करें। उसके उपरान्त क्षति का आंकलन कर सूचना शीघ्र से शीघ्र शासन को भेजें। उन्होंने निर्देश दिये कि बन्द पड़ी सभी सड़कों को तुरन्त खुलवायें ताकि यातायात चालू हो सके और अन्तरिम रूप से लोगों के लिये खाद्यान्न की व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाये कि आवश्यक वस्तुओं के दामों में वृद्धि न हो। उन्होंने कहा कि जहॉ-जहॉ भी लोग विस्थापित किये गये हैं उनके लिये भोजन की व्यवस्था की जाय। इसी प्रकार उन्होंने बिजली, पानी तथा रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं को भी पुनर्स्थापित करने के निर्देश दिये ताकि जनता को परेशानियों का सामना न करना पड़े। जिलाधिकारी सुबर्धन ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जनपद में राहत एवं बचाव कार्य पूरी तत्परता से संचालित किये जा रहे है। जिले के अन्तर्गत सभी उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों एवं सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि विस्थापितों के लिये निःशुल्क भोजन, पेयजल आदि की व्यवस्था करें तथा संवेदनशील स्थानों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों में भेजें। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री को बताया कि अभी तक जिले में अतिवृष्टि एवं भूस्खलन के कारण 33 लोगो की मृत्यु हुई है जिनमें से 06 देवली गॉव से, 13 बाड़ी बल्टा गॉव से, 04 पिल्खा से, 02 जोस्याणा से, 02 नौला से, 01 असगोली से, 01 कफड़ा से, 01 सदीलैण (सल्ट), 01 तिमिलचनौला (भिकियासैंण) और 02 स्योंतरा (भिकियासैंण) में के है। उन्होंने बताया कि यह संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में शवों को खोजने का कार्य जारी है।मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने राहत कार्य में लगे सभी ग्रामीणों व क्षेत्रवासियों के साथ-साथ सेना, आईटीबीपी, पुलिस, एस.एस.बी. व प्रशासन तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए जनता से धैर्य रखकर इस संकट से एकजुट होकर निपटने की अपील की। भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, विधायक अजय टम्टा, जिलाध्यक्ष अरविन्द बिष्ट, जिलाधिकारी सुबर्द्धन, पुलिस कप्तान सी.डी.पन्त, एस.डी.एम. एन.एस.क्वीरियाल, सहित अनेक लोग मौजूद थे। 09837261570

Tuesday, September 14, 2010

खराब मौसम में टिहरी पहुंचे सीएम

,14सितम्बर। लोगों की समस्याओं को करीब से देखने की ललक आज मुख्यमंत्राी को खराब मौसम में भी टिहरी खींच लाई। मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील से छोड़े गये पानी से हो रही लोगों की दिक्कतों को देखा और लोगों की समस्याएं सुनकर अध्किारियों को समस्याओं का निराकरण करने के आदेश दिये। मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील का हैलीकॉप्टर से निरीक्षण भी किया। गौरतलब है कि भीषण बारिश के कारण टिहरी झील का जल स्तर बढ़ गया है जिसके चलते झील से पानी छोड़ना पड़ा। झील के पानी से आस पास के कई इलाकों में बाढ़ की समस्या पैदा हो गयी है और पानी बढ़ने के कारण गांवों में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई इलाकों में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। लोगों की समस्याओं को करीब से देखने के लिए मुख्यमंत्राी पिछले तीन दिनों से प्रभावित इलाकों में भ्रमण का कार्यक्रम बना रहे थे लेकिन मौसम उनका साथ नहीं दे रहा था, जिसके चलते भ्रमण का कार्यक्रम लगातार टल रहा था। आज मौसम थोड़ा खुला तो मुख्यमंत्राी हैलीकॉप्टर से टिहरी झील की ओर रवाना हो गये वह चिन्यिालीसौड़ स्थित हैलीपैड पर उतरे। इसके बाद उन्होने प्रभावित गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनी। उन्होने मौके पर मौजूद अध्किारियों को सभी समस्याओं का निराकरण शीघ्र करने के आदेश दिये। मुख्यमंत्राी ने कहा कि क्षेत्रा की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर है। अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर वह शीघ्र ही अध्किारियों के साथ बैठक कर प्रभावित लोगों को राहत दिलायेंगे। लोगों की समस्याएं सुनने के साथ साथ मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील और प्रभावित इलाकों का हैलीकॉप्टर से निरीक्षण भी किया। हवाई निरीक्षण के दौरान चम्बा की पहाड़ियों पर मौसम खराब होने के कारण मुख्यमंत्राी के हैलीकॉप्टर को )षिकेश के स्वर्गाश्रम स्थित हैलीपैड पर उतारना पड़ा। जिसके बाद कुछ देर इंतजार के बाद मौसम खुलने पर मुख्यमंत्राी पुनःचिन्यालीसौड़ पहुंचे और बाद में देहरादून के लिए रवाना हो गये। इस दौरान उनके साथ सिचाई मंत्राी मातवर सिंह कंडारी, गढ़वाल के आयुक्त एनबी नब्याल, जनसंपर्क अध्किारी चौहान भी मौजूद थे। 09837261570

Friday, September 10, 2010

वन विकास अभिकरण का गठन किया जा रहा है, निशंक


मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरूवार को एफ.आर.आई. के आईसी.एफ.आर.ई. सभागार में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री वन पंचायत सुदृढ़ीकरण योजना का शुभारम्भ किया। उन्होंने कार्यक्रम में वन पंचायत का लोगो जारी करते हुए प्रत्येक वर्ष राज्य में 9 सितम्बर को वन पंचायत दिवस मनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का ऐसा विशिष्ट प्रदेश है, जहां 12 हजार से अधिक वन पंचायते है। उन्होंने कहा कि वन पंचायतें उत्तराखण्ड के विकास में नींव का पत्थर साबित होंगी। वन पंचायत प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि वन पंचायत सुदृढ़ीकरण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। वन पंचायतों के माध्यम से महिला किसान नर्सरी व मनरेगा योजनाओं में विभिन्न वानिकी कार्य किया जा रहा है। अटल आदर्श ग्राम योजना के तहत 171 वन पंचायतों को चिन्हित किया गया है। राष्ट्रीय वनीकरण योजना के तहत वित्त पोषण हेतु राज्य वन विकास अभिकरण का गठन किया जा रहा है, जिसके तहत 412 वन पंचायतों में वनीकरण, जल संरक्षण आदि कार्यों का प्रस्ताव है। उन्होंने वन पंचायतों से सम्बन्धित जागरूकता कार्यशालाएं जिला व विकासखण्ड स्तर तक आयोजित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वनों की सुरक्षा के लिए 108 की सेवा को जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों पर निर्भर ग्रामीणों के लिए जलावनी लकड़ी और चारा आदि के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी करनी होगी। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी समस्याओं से लड़ने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को महिला पौधालयों और जड़ी बूटी कृषिकरण से भी जोड़ा जाना चाहिए। कार्यक्रम में अच्छा कार्य कर रही वन पंचायतों के प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री डॉ. निशंक द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। पुरस्कार पाने वालों में अल्मोड़ा भूपाल सिंह भण्डारी, चमोली की सुनंदा देवी, पौड़ी के मोहन सिंह, चमोली के यशवंत सिंह चौहान, उत्तरकाशी के प्रताप पोखरियाल प्रमुख थे। मुख्य सचिव एन.एस.नपलच्याल ने कहा कि मुख्यमंत्री वन पंचायत सुदृढ़ीकरण योजना को कैम्पा योजना से पोषित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अगले दस वर्षों में इस योजना में 80 करोड़ खर्च किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि अभी तक वन पंचायतों के 21 हजार 500 से अधिक सदस्यांे को वन पंचायत नियमावली, माइक्रोप्लान बनाने की कार्यवाही और वनों को अग्नि से बचाने के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 2963 वन पंचायतों के माइक्रोप्लान बन चुके है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के क्रम में इस वर्ष 300 वन पंचायतों में 1500 प्रतिमाह प्रोत्साहन धनराशि पर एक-एक वन पंचायत सहायकों की नियुक्ति की जायेगी। पिरूल के व्यावसाियक उपयोग पर जोर दिया गया है, इसके लिए एक प्रति किलोग्राम की दर से वन पंचायतों को भुगतान किया जायेगा। वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी ने कहा कि वन पंचायतों को चारा विकास, जड़ी बूटी कृषिकरण, जल संवर्द्धन आदि माध्यमों से अपने आय के स्रोतों को बढ़ाना चाहिए। प्रमुख वन संरक्षक वन डॉ. आर.बी.एस.रावत ने कहा कि वन पंचायतों की निधि में लगभग 10 करोड़़ की धनराशि है। प्रदेश की वन पंचायतों के दु्रत विकास के लिए इन्हें मनरेगा, ग्राम्या, बांस एवं रेशा परिषद आदि द्वारा भी जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिरूल को बडे पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन से जोड़ने की योजना है। इस अवसर पर जड़ी बूटी विकास परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. आदित्य कुमार, अपर मुख्य सचिव सुभाष कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग तथा विभिन्न जनपदों से आये वन पंचायतों प्रतिनिधि उपस्थित थे।

Wednesday, September 1, 2010

सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैनिशंक

देहरादून 31 अगस्त, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से एनेक्सी स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को विख्यात लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य समिति के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की।
श्री नेगी ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं के समग्र विकास एवं संरक्षण के लिए लोक भाषा अकादमी का गठन करने की मांग की। श्री नेगी ने कहा कि जहां एक ओर भारतीय भाषाओं की मानक शोध संस्था साहित्य अकादमी द्वारा गढ़वाली-कुमाऊंनी को अपनी सूची में 16वें एवं 17वें स्थान पर रखा गया है, वहीं दूसरी ओर ये भाषाएं संविधान की 8वीं सूची में अपना स्थान नहीं बना पायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषाओं को प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की मांग की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रतिनिधिमण्डल को यथोचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए सचिव भाषा और निदेशक भाषा शोध संस्थान को उपरोक्त मांगो पर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में गठित किये गये भाषा शोध संस्थान के ऊपर क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्द्धन एवं संरक्षण की जिम्मेदारी भी है। आवश्यकता पड़ने पर लोक भाषाओं के लिए अलग से भी संस्थान पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल-कुमाऊंनी सहित उत्तराखण्ड की अन्य लोक भाषाएं अत्यन्त समृद्ध हैं, और इनके संरक्षण संवर्द्धन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करने के लिए सरकार सभी कर्णधारों के साथ विचार विमर्श कर आवश्यक कदम उठायेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की मजबूती हिन्दी की संमृद्धता के लिए भी आवश्यक है। उत्तराखण्ड सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसी दिशा में ठोस कदम बढ़ाते हुए संस्कृत को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रतिनिधिमण्डल में समिति के कार्यकारी अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल बिष्ट, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कठैत, प्रमोद नौटियाल, बी. मोहन नेगी, गणेश खुगशाल, विमल नेगी, ऊषा नेगी आदि सम्मिलित थे।