प्रदेश में बीटीसी प्रशिक्षण के जरिए प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती नहीं होगी। यही नहीं एनसीटीई की गाइड लाइन नहीं आने से सूबे में प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति पर अघोषित रोक लगी है।
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट के तहत केंद्र सरकार की व्यवस्था प्रभावी हो चुकी हैं। इससे सूबे में शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण पर पेच फंस गया है। राज्य सरकार प्राइमरी शिक्षकों के तौर पर बीएड डिग्रीधारी और बीटीसी प्रवेश परीक्षा नहीं करा पा रही है। एक्ट के मुताबिक देशभर में प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में एकरूपता लाई जाएगी। इस आधार पर प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती के लिए दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण के नाम और पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया जाएगा। शिक्षा महकमे ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव सौंप दिया है।
आरटीई के तहत ही जनवरी, वर्ष 2012 से पहले राज्यों को प्रशिक्षण कोर्स का स्वरूप तय होने और इस आधार पर प्रशिक्षण व्यवस्था बनाने में लगने वाले समय के मद्देनजर बीएड डिग्रीधारकों की बतौर प्राइमरी शिक्षक नियुक्ति करने की हरी झंडी दी गई है, लेकिन इसके साथ ही टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट की अनिवार्यता भी जोड़ी गई है। इस टेस्ट की गाइड लाइन भी एनसीटीई को तैयार करनी है।
एनसीटीई की ओर से अब तक यह गाइड लाइन जारी नहीं होने से सूबे में बीटीसी प्रवेश परीक्षा अथवा विशिष्ट बीटीसी के जरिए प्राइमरी शिक्षकों की जल्द भर्ती के राज्य सरकार के अरमानों पर पानी फिर गया है। नए मानकों के मुताबिक प्राइमरी शिक्षकों के तकरीबन दो हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। महकमे ने बीटीसी का नाम परिवर्तित कर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीईएलईडी) रखने की संस्तुति की है। नाम बदलने की स्थिति में इस संबंध में प्रस्तावित प्रारंभिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में भी इसे शामिल किया जाएगा। यही नहीं विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण ले रहे 1300 प्रशिक्षणार्थियों के बैच को टीइटी से गुजरना होगा अथवा नहीं, इस बारे में भी असमंजस बना हुआ है। दरअसल, यह बैच दो वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद अप्रैल, 2012 में पास आउट होगा। जनवरी, 2012 के बाद एक्ट के तहत नई व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगी। इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने को राज्य एनसीटीई को पत्र भेज चुका है। लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब राज्य दोबारा रिमाइंडर भेज रहा है। एनसीटीई से जवाब आने तक प्रशिक्षण और नई नियुक्तियों को लेकर सरकार के कदम थम गए हैं।
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Thursday, December 23, 2010
क्रिसमस व नए साल का जश्न फीका रहने के आसार हैं।
विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क समेत दूसरे स्थानों पर जंगलों के आसपास के रिसॉर्ट एवं होटलों में इस बार क्रिसमस व नए साल का जश्न फीका रहने के आसार हैं। रिसॉर्ट और होटलों में न तो डीजे का शोर होगा और न वहां तेज रोशनी ही की जा सकेगी। पार्किंग भी अपने परिसरों में होगी और शाम ढलते ही कोई भी सैलानी जंगल की ओर रुख नहीं कर सकेगा। यानी, जश्न के नाम पर ऐसा कोई काम नहीं होने दिया जाएगा, जिससे जंगल का कानून टूटे।राज्य वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी ने बताया कि होटलों, रिसॉर्ट में क्रिसमस और नए साल के जश्न से वाइल्ड लाइफ में कोई खलल न पड़े, इसके लिए यह गाइडलाइन जारी की गई है। 25 और 31 दिसंबर को वन महकमा विशेष सतर्कता बरतेगा। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी दोनों अवसरों पर होटल, रिसॉर्ट की निगरानी रखेंगे।श्री बलूनी के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह कार्बेट नेशनल पार्क समेत दूसरे स्थानों पर जंगलों के आसपास के होटल व रिसॉर्ट में यंत्र लगाए, ताकि यह पता चल सके कि वहां कोई ऐसा शोर तो नहीं हुआ, जिससे वन्य जीवों को दिक्कत का सामना करना पड़ा हो। उन्होंने बताया कि नियमों का पालन न करने वाले होटलों व रिसॉर्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
गौरतलब है कि कार्बेट नेशनल पार्क के आसपास ही सर्वाधिक डेढ़ सौ के करीब होटल व रिसॉर्ट हैं। क्रिसमस और न्यू इयर सेलिब्रेशन के मद्देनजर ये पैक रहते हैं। वहां डीजे का शोर, तेज लाइटों का इस्तेमाल, शाम ढलते ही वहां रहने वालों के जंगल की ओर रुख करने की शिकायतें मिलती रही हैं। इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। वन विभाग की कवायद में कार्बेट पार्क पर इस बार विशेष फोकस रहेगा।
गौरतलब है कि कार्बेट नेशनल पार्क के आसपास ही सर्वाधिक डेढ़ सौ के करीब होटल व रिसॉर्ट हैं। क्रिसमस और न्यू इयर सेलिब्रेशन के मद्देनजर ये पैक रहते हैं। वहां डीजे का शोर, तेज लाइटों का इस्तेमाल, शाम ढलते ही वहां रहने वालों के जंगल की ओर रुख करने की शिकायतें मिलती रही हैं। इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। वन विभाग की कवायद में कार्बेट पार्क पर इस बार विशेष फोकस रहेगा।
Monday, November 15, 2010
राष्ट्र के गौरव को ऊंचा बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। निशंक’
देहरादून 15 नवम्बर, 2010मुख्यमंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सीमाद्वार स्थित कैम्प में आयोजित पासिंग आउट परेड को सम्बोधित करते हुए कहा कि आई.टी.बी.पी. के अधिकारियों और जवानों ने राष्ट्र के गौरव को ऊंचा बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड वीरों की भूमि है और यहां की सरकार ने सैनिक एवं अर्द्ध सैनिक बलों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाये है। उन्होंने कहा कि आई.टी.बी.पी. के जवानों के लिए आवासीय कालोनी के लिए जमीन उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार आई.टी.बी.पी. को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की चीन के साथ लगने वाली लम्बी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को देखते हुए आई.टी.बी.पी. की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होेंने हाल ही में आपदा प्रबन्धन और महाकुम्भ की सुरक्षा में आई.टी.बी.पी. द्वारा दिये गये सहयोग की सराहना की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पास आउट होने वाले तीनों बैचों के प्रशिक्षणार्थियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया। आई.टी.बी.पी. के महानिदेशक रंजीत कुमार भाटिया ने अपने स्वागत सम्बोधन में भारत तिब्बत सीमा पुलिस की विभिन्न उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत चीन सुरक्षा के मामले में आने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए आई.टी.बी.पी. हर समय सक्षम एवं तत्पर है। सोमवार को आई.टी.बी.पी. सीमाद्वार में आयोजित पासिंग आउट परेड में 260 अधिकारी एवं अधीनस्थ अधिकारी आई.टी.बी.पी. की मसूरी स्थित अकादमी में प्रशिक्षण के उपरांत सम्मिलित हुए। इस अवसर पर प्रशिक्षु अधिकारियों को भारत के संविधान का सम्मान करने और प्राणों की परवाह न करते हुए देश की रक्षा करने की शपथ भी दिलायी गई। इन पास आउट होने वाले अधिकारियों में सहायक सेनानी/जी.डी. बैच के 31 अधिकारी, जी.ओज. काम्बेटाइजेशन कोर्स के 28 अधिकारी तथा उप निरीक्षक श्रेणी में 201 अधिकारी सम्मिलित है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के इतिहास में यह सबसे बड़ी पासिंग आउट परेड थी, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में अधिकारी पास होकर देश की इस अग्रणी सुरक्षा बल में शामिल हुए है। इस अवसर पर महानिरीक्षक आई.टी.बी.पी. एम.सी.भट्ट सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारी एवं पास आउट होने वाले अधिकारियों के परिजन उपस्थित थे।
भारत की युवा जनसंख्या उसकी सबसे बड़ी ताकत है। टाटा
देहरादून 15 नवम्बर, 2010 उत्तराखण्ड राज्य की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार को ओ.एन.जी.सी. के ए.एम.एन.घोष सभागार में आयोजित राज्य व्याख्यान माला 2010 को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रतन नवल टाटा ने कहा कि भारत की युवा जनसंख्या उसकी सबसे बड़ी ताकत है। आज भारत दक्षिण एशिया सहित पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। प्रगति के आधुनिक मानकों पर भारत के लोग दुनिया में किसी से कम नही है। परंतु इन सभी अवसरों के साथ रोजगार एवं शिक्षा के मौके सृजित करना, पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए सतत विकास करना तथा नक्सलवाद तथा आतंकवाद का सामना करना जैसी भारत के समक्ष बड़ी चुनौतियां भी हैं। श्री टाटा आठवें राज्य स्थापना दिवस व्याख्यान में ‘21वीं सदी का भारत: अवसर एवं चुनौतियां’ विषय पर बोल रहे थे। श्री टाटा ने कहा कि मूल्य एवं नैतिकता समाज के सभी क्षेत्रों के लिए बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश भारत की पहचान ऐसे देश के रूप में बनती जा रही है, जहां के लोग कोई काम करने अथवा अपना काम करवाने के लिए गलत तरीके से पैसे का लेन देन करते है। उन्होंने कहा कि देश में उद्योगों के साथ ही किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए एक स्वच्छ माहौल होना चाहिए, जो मेरिट पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की महाशक्ति बन सकता है, लेकिन इसके लिए हम सभी को अपना योगदान देना होगा। अपने संक्षिप्त सम्बोधन के बाद लोगो के प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री टाटा ने कहा कि सफल व्यवसाय का कोई मूल मंत्र उनके पास नही है, लेकिन ईमानदार मूल्यों का पालन करते हुए कोई भी असफल नही हो सकता। मुंबई में ताज होटल पर हुए आतंकवादी हमलों से जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुए श्री टाटा ने कहा कि इन हमलों ने दिखा दिया, कि उस समय प्रशासनिक मशीनरी इसके लिए तैयार नही थी। सुरक्षा बलों की तैनाती में विलम्ब हुआ था और सक्षम कमांडो दस्ता सुबह से पहले नही आ पाया था। एक अन्य प्रश्न के जवाब में श्री टाटा ने कहा कि समस्याओं का पूर्वानुमान करना आवश्यक है। उत्तराखण्ड में औद्योगिक पैकेज समाप्त हो जाने के बाद भी टाटा समूह राज्य में अपने उद्यम का विस्तार करेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि नैनो का निर्माण पंतनगर स्थित कारखाने में जारी रहेगा। एक अन्य प्रश्न के जवाब में श्री टाटा ने कहा कि यहां से वापस जाने के बाद वे अपने उच्चाधिकारियों का एक दल उत्तराखण्ड भेजेंगे, जो यहां निवेश की संभावनाओं पर विचार करेगा। उन्होंने माना कि उत्तराखण्ड में कृषि और औद्यानिकी पर आधारित खेती की बेहतर संभावनाएं है। अपने रिटायरमेंट से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में श्री टाटा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपरिहार्य नही होता और उन्होंने आशा व्यक्त की कि उनका उत्तराधिकारी भी मूलभूत नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए टाटा समूह और देश के लिए अच्छा काम करेगा। उन्होंने कहा कि उनकी रिटायरमेंट की पूर्व घोषित योजना में कोई बदलाव नही है। राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोगों की जीवनशैली और शिक्षा स्तर देश के किसी भी राज्य की तुलना में कम नही है और यहां के लोगों को भविष्य की चुनौतियों के लिए हर समय तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में 9 प्रतिशत से अधिक की विकास दर का लाभ समाज के आखिरी छोर के व्यक्ति तक पहुंचाना होगा। राज्य के समक्ष व्याप्त चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गांवों से पलायन रोकना होगा, अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करना होगा और जनता से जुड़ी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। मुख्यमंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि श्री रतन टाटा प्रगति एवं विकास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के प्रथम दस वर्षों में उत्तराखण्ड ने अपनी पहचान देश के अग्रणी राज्यों में बनाई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर, प्रति व्यक्ति आय, स्वयं का कर राजस्व अर्जन जैसे मानकों पर उत्तराखण्ड ने तेजी से प्रगति की है। देश-दुनिया के नामी उद्योग घरानों ने उत्तराखण्ड में अपने उद्योग स्थापित किये है। पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश को देश का आदर्श राज्य बनाने के लिए सरकार ने विजन 2020 के अन्तर्गत ठोस पहल शुरू की है। इससे पूर्व प्रदेश के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने श्री टाटा का स्वागत करते हुए उनके जीवन वृत्त से लोगो को अवगत कराया। सचिव उमाकांत पंवार ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित किया। अपर सचिव दीपम सेठ ने समारोह का संचालन किया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी.तिवारी, प्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कंडारी सहित बड़ी संख्या जनप्रतिनिधिगण, दायित्वधारी, उद्योगपति आदि उपस्थित थे। 09837261570
Monday, November 1, 2010
निःषुल्क चिकित्सा षिविर आयोजित
देहरादून 31 अक्टूबर 2010, महिला कॉग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री, कौमी एकता की संयोजक व पूर्व मेयर मनोरमा डोबरियाल शर्मा ने आज मेहूवाला ग्राम में उत्तराखण्ड लोकतन्त्र अभियान द्वारा आयोजित विषाल निःषुल्क चिकित्सा षिविर के मुख्यअतिथि के रूप में रिब्बन काट कर उदघाटन किया। इस अवसर पर अपने सम्बोद्धन में उन्होंने कहा कि देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में जनता को विभिन्न बिमारियों से इलाज के लिए इस तरह के निःषुल्क केम्प के आयोजन किये जाएगें। जिसमें विभिन्न बिमारियों के इलाज हेतु निःषुल्क दवा वित्ररण के साथ-साथ विषेषज्ञों डाक्टरों की सहायता ली जा रही है। उन्होंने कहा कि वे इस षिविर में अपनी सेवा देनें वाले सभी डाक्टरों का आभार प्रकट करती है। उन्होंने कहा कि जनता की सेवा वे इसी प्रकार करती रहेगी। षिविर में चर्म रोग विषेषज्ञ डा0 तरूण मित्तल, नेत्र रोग विषेषज्ञ डा0 योगम्बर बर्त्वाल, नाक,कान,गला, रोग विषेषज्ञ डा0 आलोक जैन,जनरल फिजीषियन डा0 आर यादव, बाल रोग विषेषज्ञ डा0 डी.पी. जोषी, सर्जरी रोग विषषेज्ञ डा0 मनीष आनन्द, हृदय रोग विषषेज्ञ डा0 संजय गाँधी। आदि ने भारी संख्या में पहुचंे लोगो को अपनी सेवायें प्रदान की व निःषुल्क इलाज के लिए दवा का वितरण भी किया गया। उन्होनें कैम्प का शुभारम्भ करने से पहले पूर्व प्रद्यानमंत्री स्व0 श्रीमती इदिंरा गाँधी के पुण्य तिथि पर श्रद्वान्जलि अर्पित की। व स्व0 सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर भी उनको नमन किया। उक्त मेडिकल कैम्प को सफल बनाने में आयोजक उत्तराखण्ड लोकतन्त्र अभियान के अध्यक्ष शेर सिंह लटवाल, संयोजक, कुलदीप डोबरियाल, महामंत्री रविकान्त रावत, सचिव सतीष कुमार, हाजी नूरहसन, जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक, कॉग्रेस कमेटी डा0 एम.एस. अन्सारी, बी.डी.सी. सदस्य मुकेष चौहान बीना देवी, मौ0 फारूक, ग्राम प्रधान, मौ0 इरषाद, बीना शर्मा, सावित्री भारती, मौ0 रिसालुद्दीन साहव हक्कानी, मौ0 ज़हीर अहमद आदि लोगो का विषेष योगदान रहा।
कंाग्रेस हाईकमान ने यषपाल का बढ़ाया कद।
देहरादून, कांग्रेस प्रदेष अध्यक्ष यषपाल आर्या की पुनः ताजपोषी कर कांग्रेस हाइकमान ने उत्तराखण्ड में उनके कद को और अधिक बढ़ा दिया है जबकि प्रदेष अध्यक्ष पद को लेकर उनके विरोधी गुट लगातार उनकी ताजपोषी ना होने का पिछले काफी समय से ताना बाना बुनते रहे लेकिन कांग्रेस की राश्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में पांचों लोकसभा की सीटों का कांग्रेस की झोली में आना महत्वपूर्ण माना और प्रदेष अध्यक्ष के कुषल नेतृत्व के कारण ही पांचों सीटों पर विजयश्री हासिल किए जाने का श्रेय उन्हें पुनः प्रदेष अध्यक्ष पद पर ताजपोषी कर दे डाला। हाईकमान के सामने जिस तरह से यषपाल आर्या का कद ऊंचा हुआ है। उसे लेकर 2012 के होने वाले विधान सभा चुनाव में लोकसभा की पांचों सीटों की तरह सभी सीटों पर जीत दर्ज किए जाने की जिम्मेदारी भी यषपाल आर्या के कंधों पर आ गई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आगामी होने वाले विधान सभा चुनाव में बिना मुख्यमंत्री पोजैक्ट किए ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही पार्टी को एकजुटता के साथ चुनाव में जुटने का मूलमंत्र भी तैयार करेगी क्योकि हाईकमान किसी भी कीमत पर लोकसभा चुनाव की तरह प्रदेष की सभी सीटों पर कब्जा करने का खाका तैयार करने में जुटी हुई है। हालाकि यषपाल आर्या के विरोधी को उनकी प्रदेख अध्यक्ष पद पर ताजपोषी से नाखुष नजर आ रहे है लेकिन हाईकमान ने साफतौर पर नाराजगी जताने वाले कांग्रेसी नेताओं को एआइसीसी का सदस्य बनाते हुए एकजुटता के साथ 2012 में पुनः सत्तवापसी किए जाने की बाते साफतौर पर कही है। प्रदेष अध्यक्ष पद पर पुनः यषपाल की ताजपोषी ने यह संकेत भी दे दिए है कि प्रदेष मे यदि कांग्रेस बहुमत से अधिक विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो इसका श्रेय कांग्रेस के प्रदेष अध्यक्ष को देते हुए उन्हें 2012 में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर भी बैठाया जा सकता है क्योंकि उत्तराखण्ड के कांग्रेसी नेता हरीष रावत को कांग्रेस हरिद्वार से सांसद बनाते हुए केन्द्रीय मंत्री बना चुकी है और अब पुनः हरीष रावत को प्रदेष की राजनीति में सक्रीय ना करते हुए उन्हें केन्द्रीय नेता के रूप में पेष करेगी। यषपाल आर्या के सरल स्वभाव के साथ साथ सभी कां्र्रग्रेसी नेताओ को साथ लेकर चलने का जहां मांदा है वहीं कांग्रेस की नजर दलित वोटो पर भी टिकी हुई है क्योकि उत्तराखण्ड की सभी विधान सभाओ में दलित वोटों का आंकड़ा लाखों में है और कांग्रेस इसे किसी भी कीमत पर खोना नही चाहती क्योकि उत्तराखण्ड दौरो के दौरान कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी व कांग्रेस राश्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी दलित वोटो का गहन मंथन कर चुकी है और पूरे देषभर में कांगेस की नजर आगामी होने वाले विधान सभा चुनाव में खासतौर से दलित वोटों पर लगी हुई है क्योंकि दलित वोटो के साथ साथ यदि पार्टी के कैडर वाटों को जोड़ दिया जाए तो किसी भी प्रदेष में कांगेस को विधानसभा चुनाव में विजयश्री हासिल करने में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नही पड़ेगी हालाकि यषपाल आर्या की पुनः प्रदेष अध्यक्ष पद पर ताजपोषी से जहां दलित समुदाय के साथ साथ हर वर्ग में खासा उत्साह बना हुआ है वहीं उनकी साफ छवि को देखते हुए उन्हें अगले मुख्यमंत्री के रूप में भी देखा जा रहा है। पुनः प्रदेष अध्यक्ष पद पर बनने के बाद यषपाल आर्या से हुई बातचीत में उन्होने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हे जो जिम्मेदारी दी है उसे वह बखूबी निभाऐगे। और सभी को साथ लेकर 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्जकर पुनः सत्ता वापसी की जाएगी। उन्होने कहा कि वह सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर सदन से लेकर सड़को तक आन्दोलन कर चुके है लेकिन इसके बाद भी भाजपा सरकार विकास कार्याे में कोई ध्यान नही दे रही और जल्द ही आगामी रणनीति तय कर सरकार के खिलाफ आन्दोलन षुरू किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में श्री आर्या ने कहा कि उन्हें पुनः प्रदेष अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है और वह उस पर पूरी तरह खरा उतरने प्रयास करेंगे कुल मिलाकर यषपाल आर्या के प्रदेष अध्यक्ष बनने के बाद उनके सर्मथको में खुषी एवं नए उत्साह का संचार हो गया है वहीं 2012 में विजयश्री हासिल कर पुनः कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी आ गई है। अब देखना होगा कि यषपाल किस तरह से पुनः अपनी पारी की षरूआत करते हुए भाजपा को सत्ता से दूर करने में कामयाब हो पाते हैं।
Saturday, October 30, 2010
स्वामी रामदेव सही है या मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष’’!
देहरादून। रामदेव ने उत्तराखण्ड के विकास को लेकर जो बयान दिया उससे भाजपा में हडकम्प है सरकार के बचाव में राज्य मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने रामदेव पर हमला बोला। उन्होनें बोला रामदेव ने जो बयान दिया वह तथ्यों से परे है। यहां तक गुणगान कर दिया कि कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल में जो कार्य हुए उससे अध्कि कार्य प्रदेश के वर्तमान भाजपा सरकार ने तीन वर्षो में कर दिये है। वहीं बीती शाम रामदेव के संगी बालकृष्ण की मुख्यमंत्राी से सचिवालय में भेंट हुई। बाबा रामदेव अपने बयान से पलटे गये दावा किया कि उनके बयान को मीडिया ने गलत ढंग से पेश किया है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि ‘‘बाबा रामदेव सही है या पिफर मीडिया सलाहकार अध्यक्ष’’! उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी मेें मीडिया से बातचीत के दौरान योगगुरू बाबा रामदेव ने कांग्रेस शासनकाल में नारायण दत्त तिवारी को प्रदेश में विकास पुरूष का ताज पहना दिया और यहां तक कह दिया कि अन्य सरकार राज्य का विकास नहीं कर पाई। बाबा रामदेव की इस टिप्पणी पर भले ही भाजपा के अन्दर भूचाल मचा और किसी भी बडे या छोटे नेता ने बाबा रामदेव के खिलापफ कोई मोर्चा नहीं खोला लेकिन हर सरकार में मुख्यमंत्राी की परिक्रमा करने वाले डॉक्टर भसीन जोकि मौजूदा समय में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति अध्यक्ष ने मुख्यमंत्राी के सामने अपने नम्बर बढाने के लिए तत्काल एक पत्रा जारी कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि योगाचार्य स्वामी रामदेव ने उत्तराखण्ड के विकास को लेकर जो बयान दिया है वह तथ्यों से परें है और जानकारी के अभाव में दिया गया प्रतीत होता है। अन्यथा स्वामी रामदेव उत्तराखण्ड में कांग्रेस स्थान पर भारतीय जनता पार्टी सरकार के कार्यो की प्रसन्नसा करते। डॉ भसीन ने स्वामी रामदेव के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के पांच वर्ष के तुलना में भाजपा के तीन वर्षो मे किये गये कार्यो से सम्बन्ध्ति पुस्तिका सन्दर्भ हेतु स्वामी जी को भेज रहे है। अपने बयान में प्रदेश मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र भसीन ने कहा कि स्वामी रामदेव का यह कथन कि नारायण दत्त तिवारी को छोडकर कोई अन्य सरकार राज्य का विकास नहीं कर पाई तथ्यों पर आधरित नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि राज्य में कांग्र्रेस सरकार के पांच वर्षो मंे जो कार्य किये गये उनसे कई अध्कि कार्य प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा तीन वर्ष में कर लिये गये है। यह बात विकास के आंकडों से सि( होती है। डॉ देवेन्द्र भसीन को आखिरकार बाबा रामदेव का बयान इतना क्यों खल गया कि उन्होंने आनन-पफानन में अपना बयान जारी करने का पहले तो परपंच रचा और उसके बाद अखबार के दफ्रतर मेें पफोन करके कहा कि अब यह बयान मत प्रकाशित मत करना क्योकि बाबा से बात हो गई है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या अब अखबार मैं क्या छपना है और क्या नहीं यह मीडिया सलाहकार के अध्यक्ष तय करेगे। क्योंकि वह आजतक भले ही मीडियाकर्मियों की समस्याओं का हल करने के लिए कोई पहल न कर पाये हो लेकिन वह सरकार की पैरवी में ही जुटे रहते है। ऐसे में इस सलाहकार समिति का अस्तित्व में बना रहना एक नौटंकी के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं बाबा रामदेव अपने दिये गये बयान से 24 घंटें बाद ही पलट गये और उनका कहना था कि बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। अब बाबा रामदेव से कोई यह पूछे कि अगर उनका बयान गलत तरीके से पेश किया गया है तो क्या वह उन मीडिया कर्मियों के खिलापफ कोई नोटिस देंगे जिन्होंने उनका बयान गलत ढंग से पेश किया है। वहीं अब यह सवाल भी तैर रहे है कि ‘‘स्वामी रामदेव सही है या मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष’’!
Friday, October 22, 2010
डीएफओ बना सरकार की आंख का तारा!
देहरादून। उत्तराखण्ड में सरकार कुछ अध्किारियों पर इतनी उदार दिखी कि उसने शासन की सहमति को भी रद्दी की टोकरी में डालकर बर्खास्तगी की दहलीज पर खडे एक डीएपफओ को गम्भीर अनियमितताओं जैसे सैकडों पेड काटने व सरकारी पैसे से सड़क अपने पफार्म हाउस तक ले जाने का दोषी पाये जाने के बावजूद दीर्घ दण्ड के रूप में सिपर्फ एक प्रतिकूल प्रविष्टि एवं एक वार्षिक वेतन वृ(ि एक वर्ष तक रोकते हुए प्रकरण को समाप्त किये जाने का आदेश पारित कर दिया। हैरानी वाली बात यह है कि जिस दिन वन मंत्राी ने डीएपफओ को बचाने के लिए यह आदेश दिये उसी दिन प्रदेश के मुख्यमंत्राी से भी इसकी अनुमति ले ली गई। सवाल उठ रहा है कि प्रमुख सचिव एवं आयुक्त वन एवं साम्य विकास उत्तराखण्ड ने तो डीएपफओ के आरोप को गम्भीर अनियमितताओं हेतु दीधर्् दण्ड का भोगी माना जिसमें सेवा से हटाना और पदच्युति शामिल बताया था लेकिन डीएपफओ की नौकरी किसके इशारे पर बचा दी गई यह एक रहस्य बनकर रह गया है।गौरतलब है कि टिहरी में ग्राम गाजणा के भंगल्याणियों नामें तोक में अवैध् वृक्ष पातन का मामला 2008 में कापफी गर्माया आरोप लगे कि टिहरी में वन विभाग में तैनात रहे डीएपफओ एच.के. सिंह ने अपनी पत्नी के पफार्म हाउस तक सड़क पहुंचाने के लिए सैकडों हरे-भरे पेड कटवा डाले और सरकारी पैसे से बनाई गई सड़क को अपने पफार्म हाउस तक ले जाने का खेल खेला। यह मामला जब उपफान पर आया तो मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू कराई गई जिसके चलते प्रमुख वन संरक्षक ने टिहरी वन प्रभाग मंे काटे गये पेडों के क्रम में प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये गये अधिकारियों एच.के. सिंह को वानिकी प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी से आर.एस. कहेडा सहायक वन संरक्षक को मुख्य वन संरक्षक, कुमांऊ नैनीताल के कार्यालय से, बृजकुमार श्रीवास्तव वन क्षेत्राध्किारी को मुख्य वन संरक्षक कुमांऊ नैनीताल के कार्यालय से सम्ब( किया था। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 14 नवम्बर 2008 को इस स्थल का मौकामुआना अपर मुख्य सचिव एपफआरडीसी ने किया था जिसमें उन्होंने अंकित किया कि इस घटना से सम्बन्ध्ति मौके पर स्थानीय व्यक्तियों एवं कुछ बाहरी व्यक्तियों की नीजि भूमि स्थित है। देखने में यह विदित होता है कि इस भूमि तक कच्ची एप्रोच रोड पहुंचाने हेतु वहां स्थित पुराने पैदल मार्ग को चौडा करने के लिए विस्तृत रूप से भूमि कटान किया गया है यह कटान निजी नाप भूमि, राजस्व विभाग के अन्तर्गत बेनाप भूमि एवं वनभूमि पर किया जाना प्रथम दृष्टिया विदित होता है। निजी भूमि के अतिरिक्त बिना अनुमति अन्य भूमि पर कटान किया जाना पूर्णतः अनियमित है। इस भू-कटान के दौरान तथा वहां स्थित अन्य स्थानों पर पेडों को भी बिना अनुमति के भारी मात्रा में काटा गया है और नीचे गध्ेरे में पफेंक दिया गया है इस प्रकार बिना अनुमति अनुचित तरीके से निजी भूमि, राजस्व विभाग के अन्तर्गत आ रही बेनाप भूमि एवं वन विभाग की भूमि पर इन पेडों का कटान किया जाना प्रथम दृष्ट्या विदित होता है। जो अनिमित है इन पेडों की संख्या 800 से अधिक है। आख्या में अंकित है कि एचके सिंह की पत्नी अनिता सिंह द्वारा गाजणा में भू-क्रय किया गया है जो भू-अभिलेखा में दर्ज है इस प्रकार से इन्हें उपरोक्त अवैध् पेड कटान एवं अवैध् एप्रोच मार्ग निर्माण से स्पष्ट रूप से लाभ पहुंचाता है। आख्या में अवैध पेड कटान एवं अवैध् मार्ग निर्माण निर्माण लम्बे समय से होना अंकित है जो कि विस्तृत स्तर पर हुआ था जिसका सीध लाभ एच.के. सिंह डीएपफओ को, अपनी पत्नी जो गाजणा में भू-स्वामिनी है के माध्यम से होता है। आख्या में यह भी कहा गया है कि इस बात में कोई संदेह नहीं प्रतीत होता कि कम से कम पफील्ड स्तर से जुडे अध्किारियों को इन अवैध् कार्यों की जानकारी रही होगी। टिहरी जिलाध्किारी ने शासन को जो अपनी रिपोर्ट भेजी उसमें कहा गया है कि वृक्ष पातनकर्ताओं द्वारा अवैध् रूप से नाप भूमि में 780 वृक्ष, उत्तराखण्ड सरकार की भूमि से 69 वृक्ष व मिलानी वन भूमि से 221 कुल 1070 वृक्षों का पातन किया गया है तथा 350 मीटर के स्थान पर 1005 मी0 अवैध् सड़क खेदने के बावजूद वन विभाग के अध्किारियों द्वारा सीध्े-सीध्े अभियुक्तों को बचाने की कोशिश की गई है। जिलाधिकारी ने पत्रा में कहा कि उक्त अनियमितता के लिए वन विभाग के अध्किारी एच.के.सिंह द्वारा वृक्ष पातन स्थल पर अपनी पत्नी के नाम से भूमि क्रय की गई है अतः अपने अध्किारी को बचाने के लिए वन बीट अध्किारी, वन क्षेत्राध्किारी, उप वन क्षेत्राध्किारी तथा स्वयं प्रभागीय वनाध्किारी एच.के. सिंह प्रथम दृष्ट्या दोषी हैं। अवैध् रूप से सड़क का निर्माण एच.के.सिंह की पत्नी के नाम क्रय की भूमि तक किया गया है। चर्चा यह भी है कि यह सड़क सम्भवतः विधयक निध् िसे बनवाई गई थी। 18 दिसम्बर 2009 को शहरी विकास वन एवं पर्यावरण विभाग उत्तराखण्ड शासन के सचिव अनुप वधवन ने अपनी आख्या देते हुए लिखा कि एच.केसिंह उपरोक्त गंभीर अनियमितताओं हेतु दीर्घ दण्ड के भोगी हैं जिनमें सेवा से हटाना और पदृच्युति शामिल है। दीर्घ दण्ड के विकल्प पत्रा पर अंकित हैं कठोरतम दण्ड पर भी विचार किया जा सकता है। कृ0 दण्ड एवं उसके पफलस्वरूप निलंबन, निलंबन भत्ता, वेतन के सम्बन्ध् में निर्णय हेतु मुख्यमंत्राी के निर्देश प्राप्त करना चाहे। सबसे बडी बात यह है कि सचिव की इस संतुति पर उसी दिन प्रमुख सचिव एवं आयुक्त वन एवं साम्य विकास उत्तराखण्ड शासन सुभाष कुमार ने भी अपनी संतुति दे दी। उध्र प्रमुख सचिव की संतुति के तीन दिन बाद वन पर्यावरण मंत्राी रहे बिशन सिंह चुपफाल के पास आख्या प्रस्तुत की गई कि जिसमें कहा गया कि जांच अध्किारी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधर पर आरोप संख्या-1 में तीन मीटर चौडी सडक के विरू( सात मीटर सड़क का चौडीकरण करना एवं पर्यावेक्षण दायित्वों का निर्वहन न करना, आरोप संख्या-2 में मात्रा पर्यवेक्षण दायित्व का निर्वहन करना तथा आरोप संख्या-3 में सड़क निर्माण कार्य में कम घनत्व दिखाकर एन.पी.वी. की ध्नराशि 5,950.00 कम जमा कराने का दोषी पाया गया। इसलिए एच.के.सिंह को दीर्घ दण्ड के रूप में एक प्रतिकूल प्रविष्टि एवं एक वार्षिक वेतन वृ(ि एक वर्ष तक रोकते हुए प्रकरण को समाप्त किया जाना है। इस आख्या पर वन मंत्राी ने 22 दिसम्बर 2009 को प्रकरण को समाप्त करने के लिए अपनी संस्तुति दे दी। हैरतअंगेज बात यह है कि उसी दिन मुख्यमंत्राी से भी प्रकरण को समाप्त कराने की अनुमति ले ली गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिस अध्किारी को बर्खास्त तक करने की संस्तुति शासन के आला अध्किारियों ने की उस अध्किारी को बचाने के लिए आखिरकार किसने खेल खेला यह अपने आप में एक बडा सवाल खडा हो रखा है और इस घटना से तो यह सापफ हो गया है कि इतना बडा अपराध करने वाले अध्किारी को भी अगर सरकार बचाने के लिए आगे आ रही है तो यह अपने आप में इस राज्य के लिए तो एक चिंता का विषय हो ही सकता है।
Thursday, October 21, 2010
पुलिस बल को कृष्ण व अर्जुन की भुमिका निभानी होगीः निशंक
देहरादून देश की एकता व अखण्डता ने पुलिस बलों का विशेष योगदान रहा है। और पिछले एक वर्षो में पुलिस बलों ने अपने योगदान को और अध्कि बढ़ाया है। यह बातें प्रदेश के मुख्यमंत्राी डॉ. रमेश पेाखरियाल निशंक ने पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस स्मृति परेड के दौरान व्यक्त कि श्री निशंक ने कहा की हमेशा से ही उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण निक्षावर किए है। और देशभक्ति का सबूत पूरी दूनिया के सामने दिया है। उन्होंने कहा कि देश की किसी युग में उत्तराखण्ड के सबसे अध्कि लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। इसलिए प्रत्येक पुलिस कर्मी का कर्तव्य बनता है कि वह उत्तराखण्ड प्रदेश को भय मुक्त प्रदेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़े उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कृति के अनुरूप प्रदेश को आदर्श राज्य बनाना होगा और यह सब हर किसी के परस्पर सहयोग से ही सम्भव हो सकेगा। श्री निशंक ने कहा कि प्रदेश को विकसित बनाने में कई नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा जिसे मजबुती से शहीद हुए लोगों से प्ररेणा लेते हुए पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्षो में देश भर में हुई नक्सली एवं माववादी घटनाओं में जिस तरह से पुलिस व सैन्य बलों ने अपने योगदान को और अध्कि बढ़ाया है। उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। क्योंकि पिछले एक वर्ष में देश के अलग-अलग स्थानों पर शहीद होने वाले उत्तराखण्ड के भी 17 जवान शामील थे। उन्होंने कहा इसी तरह शहीद हुए जवानों से प्ररेणा लेते हुए। उत्तराखण्ड के पुलिस बल को भी कृष्ण व अर्जुन की भुमिका निभाते हुए मानसिक रूप से प्रदूषण पफैलाने वाले लोगों को प्रदेश से दूर भगाना होगा। जिससे उत्तराखण्ड का नाम देश भर में और अध्कि शीर्ष पर पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड देश का भाल है। जिसकी रक्षा के साथ-साथ इसे आदर्श राज्य बनाने की भी सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा पिछले दस वर्ष की यात्रा बेहद सुखद रही है। और राज्य गठन से लेकर वर्ष 2009 तक लिए गये आकड़ों के आधर पर ही उत्तराखण्ड विकास की दर में नम्बर वन स्थान पर हो गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्राी ने प्रदेश के पुलिस बल को और अध्कि मजुबत तरीके से काम किये जाने की बात भी कही है। और वर्दी भत्ता बढ़ाये जाने की घोषणा के साथ-साथ पिछले वर्ष दी गयी पुलिस निध् िमें 1 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी के साथ इस वर्ष भी एक करोड़ रूपये दिये जाने की घोषणा की इसके साथ ही प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ज्योति स्वरूप पाण्डे ने मुख्यमंत्राी राहत कोष में आपदा राहत कार्यो के लिये एक दिन का पुलिस कर्मियों का 60 लाख का चेक भी मुख्यमंत्राी को भेंट किया।इस दौरान विधनसभा अčयक्ष हरबंस कपूर, संसदीय कार्यमंत्राी प्रकाश पन्त, सिंचाई मंत्राी मतबर सिंह कण्डरी, आपदा प्रबन्ध्न मंत्राी खजान दास, शिक्षा मंत्राी गोविन्द सिंह बिष्ट, नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत, मेयर विनोद चमोली, विधयक कुलदीप कुमार, राजकुमार, दिनेश अग्रवाल, गणेश जोशी, कुंवर प्रणव दायित्वधरी मनोहर कान्त čयानी रविन्ć जुगरान, सुभाष बड़थ्वाल, काशी सिंह ऐरी, भस्कर नैथानी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, पुलिस महानिदेशक आलोक बी. लाल, अपर पुलिस महानिदेशक विजय राघव पन्त, पुलिस महानिरक्षक अनिल रतुड़ी, डीआईजी अभिनव कुमार, आईजी एन.ए. गणपति, एसएसपी देहरादून जीएस मार्तोलिया, एसपी सीटी अजय जोशी, जीएन गोस्वामी, अमित सिन्हा सहित कई अन्य पुलिस अध्किारी भी मौजूद थे।
उत्तराखण्ड में अपराध की औसत दर कम है,निशंक
मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरूवार को पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस कल्याण निधि में एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने सहायक उप निरीक्षक से निरीक्षक स्तर तक प्रति पांच वर्ष में दिया जाने वाला वर्दी भत्ता 1500 रुपये से बढ़ा कर 3000 रुपये और कांस्टेबल से निरीक्षक स्तर तक प्रति माह दिया जाने वाला धुलाई भत्ता 30 रुपये से बढ़ा कर 100 रुपये करने की घोषणा भी की। उन्होंने अधिकारियों का पौष्टिक आहार भत्ता 550 रुपये से बढ़ाकर 700 रुपये करने तथा जवानों के लिए 750 से बढ़ाकर 900 रुपये करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने टाइप द्वितीय एवं तृतीय बैरकों के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश देते हुए इस मद में पांच करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी देने की घोषणा की। उन्होंने इस अवसर पर पुलिस विभाग को सहयोग प्रदान करने वाले समस्त ग्राम चौकीदारों का मानदेय 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये करने की घोषणा की। पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि पुलिस के सम्मुख एक भयमुक्त एवं विकासशील समाज की स्थापना का परमलक्ष्य है। उन्होंने गत एक वर्ष में सम्पूर्ण देश में कर्तव्य पालन करते हुए शहीद हुये लगभग 800 पुलिस जवानों का स्मरण करते हुये पुलिस की वीरता एवं कर्तव्य परायणता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। गीता के श्लोक को उद्धृत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस का कार्य सज्जनों की रक्षा करना एवं दुष्टों का विनाश करना है। उन्होंने कहा कि यद्यपि अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखण्ड में अपराध की औसत दर कम है, परन्तु देवभूमि की संस्कृति को बनाये रखते हुए जो थोड़ा बहुत अपराध भी यहां हो रहा है वह स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने पुलिस विभाग को अभियान चलाकर बाहरी राज्यों से आने वाले अपराधियों पर अंकुश लगाने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश में आपदा प्रबंधन में और महाकुम्भ के सफल संचालन में उत्तराखण्ड पुलिस के योगदान की प्रशंसा की।मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने पुलिस कार्मिकों के कल्याण के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। जोखिम भरे कार्य करते समय गम्भीर रूप से घायल पुलिस कार्मिकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में लगभग चार गुना की वृद्धि की गई है। सभी पुलिस कार्मिकों का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराया गया है, जिसके प्रीमियम का भुगतान शासन द्वारा स्थापित पुलिस कल्याण निधि द्वारा किया जा रहा है। पुलिस कार्मिकों के पौष्टिक आहार भत्ते में वृद्धि की गई है और हेड कांस्टेबलों एवं कांस्टेबलों को 350 रुपये प्रतिमाह मोटर साईकिल भत्ता दिया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक जे.एस. पाण्डे ने बताया कि गत वर्ष देश में सभी पुलिस बलों से 792 जवान कर्तव्य पालन के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुये हैं। इनमें एक बड़ी संख्या नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद हुये जवानों की है। उन्होंने बताया कि कुल शहीद जवानों में उत्तराखण्ड पुलिस के 17 जवान, बीएसएफ के 64, सीआरपीएफ के 191 और एसएसबी के 29 जवान शामिल है। पुलिस महानिदेशक ने उत्तराखण्ड पुलिस विभाग के कार्मिकों द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया गया एक दिन का वेतन रुपये 60 लाख का चेक भी मुख्यमंत्री को भेंट किया।इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने शहीद स्मृति पुस्तिका शहीद स्थल पर स्थापित करते हुए शहीद जवानों की स्मृति में पुष्प चक्र अर्पित किया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष हरबंश कपूर, संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पन्त, सिंचाई मंत्री मातबर सिंह कण्डारी, आपदा प्रबंधन मंत्री खजान दास, नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत, मेयर विनोद चमोली, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष मनोहर कान्त ध्यानी, मुख्य सचिव सुभाष कुमार सहित अन्य गणमान्य लोगों एवं पुलिस अधिकारियों ने भी शहीद स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित किये।
Wednesday, October 20, 2010
मुख्यमंत्री के नए बंगले की लागत लगभग 16 करोड़
देहरादून.एक लंबे इंतजार के बाद आखिर उत्तराखंड के मुखिया के लिए आशियाना तैयार हो ही गया। देहरादून को उत्तराखंड की 'अस्थायी' राजधानी मानने वाले ध्यान दें कि मुख्यमंत्री के नए बंगले की लागत लगभग 16 करोड़ है. कुल 34 हजार वर्गफुट क्षेत्रफल के इस भवन में भूतल पर किचन, ड्राइंगरूम्स, दो बेडरूम, पूजा व योगा कक्ष के साथ ही एक संग्रहालय भी है. साथ ही बेहतरीन लाइब्रेरी, योगा व पूजा कक्ष के अलावा जनता दर्शन हाल, सुरक्षा ब्लाक व कर्मचारियों का आवासीय परिसर भी शामिल है. इस भवन की परिकल्पना पहाड़ के गांवों के मकानों पर आधारित है. इमारत की ईट निर्मित दीवारों पर अल्मोड़ा के पत्थरों (पठाल) की क्लेडिंग की गई है. अल्मोड़ा के प्रसिद्ध लाला बाजार और देहरादून में चकराता क्षेत्र के महासू देवता के मंदिर से इसमें प्रेरणा ली गई है.
उत्तराखंड की राजधानी को चंद्रनगर(गैरसैण) ले जाने का सपना देखने वालों के लिए बुरी खबर इसलिए कि राजधानी को पहाड़ स्थान्तरित करने की तमाम सिफारिशों के बावजूद देहरादून में 'स्थायी' निर्माण धड़ल्ले से जारी है. यानि सरकार (चाहे कोई भी हो) ने अंदरखाने तय कर लिया है कि राजधानी कहीं नहीं जाने वाली. यहीं देहरादून में रहेगी जनता को नाक चिढाती. वहीं जनता जनार्दन के लिए सुखद बात ये कि राज्य में आपदा राहत कार्यो के कारण इस भवन का सादे कार्यक्रम में औपचारिक उद्घाटन किया गया.
उत्तराखंड की राजधानी को चंद्रनगर(गैरसैण) ले जाने का सपना देखने वालों के लिए बुरी खबर इसलिए कि राजधानी को पहाड़ स्थान्तरित करने की तमाम सिफारिशों के बावजूद देहरादून में 'स्थायी' निर्माण धड़ल्ले से जारी है. यानि सरकार (चाहे कोई भी हो) ने अंदरखाने तय कर लिया है कि राजधानी कहीं नहीं जाने वाली. यहीं देहरादून में रहेगी जनता को नाक चिढाती. वहीं जनता जनार्दन के लिए सुखद बात ये कि राज्य में आपदा राहत कार्यो के कारण इस भवन का सादे कार्यक्रम में औपचारिक उद्घाटन किया गया.
खजानदास को जान का खतरा!
देहरादून। स्वच्छ छवि, स्वभाव से सीध्े सरल और ईमानदार, ऐसा कोई कार्य नहीं किया कि कोई सामान्य व्यक्ति भी उन्हें ध्मकी देता, मापिफया, आतंकवादियों की बात दूर रही, पिफर भी जान का खतरा! ह ना हैरान करने की बात। पशोपेश में मत पडिये, चलिऐ बता देते है कि यह खतरा किसी को नहीं बल्कि अपने कैबिनेट मंत्राी खजानदास को है। शायद आप विश्वास न करें लेकिन खजानदास को यह खतरा महसूस हो रहा है। तभी तो उन्होंने रिवालर/पिस्टल का लाईसेंस लिया है। यूॅ तो वह नये-नये कैबिनेट मंत्राी बने है। सुरक्षा के लिए सूबे की सरकार ने उन्हें गनर मुहिया करा रखा है। हैसियत वाले है, मात्रा सूचना देने पर आनन-पफानन में पुलिस की गार्द आ सकती है। लेकिन शायद इतने भरसे वे संतुष्ट नहीं है। इस लिए सारे नियमों को दरकिनार करते हुए उन्होंने रिवाल्र का लाईसेंस लिया है। रिवालर का लाइसेंस लेने की एक प्रक्रिया है। अगर कोई सामान्य व्यक्ति या व्यापारी रिवालर या पिस्टल का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करें तो इसके लिए जटिल प्रक्रिया से गुजरना होता है। मसलन 16 थानो की रिर्पोट लगती है। रिवालर का लाइसेंस पाने के लिए महीनों आम आदमी को पुलिस से लेकर जिला प्रशासन तक के चक्कर काटने पडते है और रिवालर व पिस्टल का लाइसेंस किस लिए लिया जाना है उसके लिए आम आदमी को अपना पूरा तर्क देना पडता है। देखने में आता है कि जिस थाने से लाईसेंस बनने होता है वहां का प्रभारी पहले पूरी छानबीन कर अपनी रिपोर्ट देता है और उसके बाद सभी 16 थानों से रिपोर्ट मंगाई जाती है जिसमें अच्छाकासा समय लग जाता है। इतना हीं नहीं दर्जनों आवेदन ऐसे है जो आज भी अस्लाह, क्लर्क के यहां ध्ूल पफांक रहे है क्योंकि चर्चा यहां तक है कि जब तक आवेदनकर्ता अपनी पहॅुच से कुछ अध्किारियों को रूबरू नहीं करा देता तब तक उसका लाईसेंस बनना महाभारत होता है। लेकिन अपने खजानदास के साथ ऐसा कुछ घटित नहीं हुआ क्योंकि वह ठहरे कैबिनेट मंत्राी। भला उन पर यह सारे नियम कानून लागू हो सकते है। सूत्रों के अनुसार खजानदास पुत्रा संतादास निवासी 131/2 बसंत विहार में निवास करते है और उन्होंने अपने हथियार का लाईसेंस बनाने के लिए आवेदन किया और उनकी जांच 30 अगस्त 2010 को राजधनी के पुलिस कप्तान के कार्यालय में भेजी गई। चर्चा है कि इस आवेदन को बंसत विहार थाने मंे भेजा गया जहां रिपोर्ट में अंकित किया गया कि राज्य के कैबिनेट मंत्राी खजानदास को आत्मरक्षा के लिए रिवालर व पिस्टल का लाईसेंस चाहिए जिस पर उन्होनंे अपनी रिपोर्ट प्रेषित की कि सभी थानों में खजानदास के खिलापफ कोई अपराध् दर्ज नहीं है और उसी के चलते उन्हें हथियार की संस्तुति की गई। चर्चा यहां तक है कि सभी 16 थानों से लिखित में रिपोर्ट नहीं ली गई बल्कि आवेदन में दर्ज किया गया कि सभी थानों से खजानदास के खिलापफ अपराध् की सूचना शून्य में है। सूत्रों का कहना है कि 22 सितम्बर 2010 को खजानदास का हथियार का लाईसेंस रिवालर/पिस्टल स्वीकृत हो गया और 27 सितम्बर को खजानदास ने अपना हथियार का लाईसेंस बनवा लिया। बताया जा रहा है कि यह हथियार का लाईसेंस 22 सितम्बर 2013 तक वैध् है। सवाल यह उठता है कि लाईसेंस देने वाली अथयोटी ने आनन-पफानन में मंत्राी जी का लाईसेंस देने की स्वीकृति कर दी। अब मंत्राी जी को लाईसेंस तो मिल गया है लेकिन सम्भवतः वह रिवालर/पिस्टल खोज रहे है। लेकिन यह पता नहीं है कि मंत्राी जी को रिवालर/पिस्टल पर ट्रेगर दबाना आता है भी या नहीं। शेपफटी लॉक लगाना और खोलना भी शायद उन्हें सिखना पडे। ऐसे मंे सवाल उठता है कि रिवालर की उन्हें इतनी जरूरत क्या पड गई कि सारी प्रक्रिया को चंद समय में पूरा कराकर उन्हंे लाईसेंस लेना पड गया। आखिर उन्हें किससे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने दायित्वधरियों से लेकर विधयकों व मंत्रियों को सरकारी गनर उपलब्ध् करा रखे है और इस राज्य में आजतक ऐसा देखने को नहीं मिला कि किसी विधयक या मंत्राी पर कोई जानलेवा हमला हुआ हो। सवाल कैबिनेट मंत्राी खजानदास से जुडा है तो यह अपने आप में हैरानी करने वाली बात है कि आखिरकार जो कैबिनेट मंत्राी सरल व साधरण किस्म के व्यक्ति के है और मसूरी व उसके आसपास उनका राजनैतिक क्षेत्रा है जहां आदमी को सम्मान देना इलाके के लोगों की रगो में कूट-कूट कर भरा है। ऐसे इलाके के अगर मंत्राी को अपनी जान का खतरा सताने लगे तो यह अपने आप में इस राज्य के लिए चिंता का विषय ही कहा जा सकता है।
Friday, October 15, 2010
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये।
नई टिहरी/देहरादून 14 अक्टूबर, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बांध झील से प्रभावित गांवों का निरीक्षण करने के बाद भागीरथीपुरम में टी.एच.डी.सी. निरीक्षण भवन के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये। डॉ. निशंक ने झील से सटे तिवाड़गांव, रौलकोट, सौड, उप्पू गांवों में जाकर प्रभावितों की समस्याएं सुनी। इस अवसर पर अधिकांश ग्रामीणों का कहना था कि टिहरी झील से उनके गांव को कभी भी क्षति हो सकती है, इसलिये उनका पूर्ण विस्थापन किया जाय। मुख्यमत्रंी से तिवाड़ गांव के 19 ऐसे परिवार है, जिनकी भूमि 90 प्रतिशत डूब गयी है, केवल मकान ही बचा है। जबकि रौलकोट के ग्रामीणों ने भी धसाव की आशंका को देखते हुए पूर्ण विस्थापन की मांग की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को मौके पर निर्देश दिये कि जी.एस.आई. की टीम जितनी जल्दी आये, उतनी जल्दी प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाये, जहां जी.एस.आई. अपनी रिपोर्ट में पूर्ण विस्थापन का उल्लेख करेगा। सौड उप्पू के ग्रामीणों का कहना था कि उनकी निस्प्रयोज्य भूमि ही शेष रह गई है, जबकि उपजाऊ भूमि झील में डूब चुकी है, इसको मध्य नजर रखते हुये उन्होंने भी पूर्ण विस्थापन की मांग मुख्यमंत्री के सामने रखी। रौलकोट बने प्राथमिक पाठशाला भवन के विवाद के मामले जांच के आदेश देते हुये मुख्यमंत्री ने इसके लिये दोषी व्यक्ति के प्रति जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने मानको में परिवर्तन हेतु टी.एच.डी.सी. के अधिकारियों को निर्देश दिये, जिस पर अधिकारियों ने कहा कि वे इस प्रकार के प्रकरणों को समन्वय समिति की बैठक में रखकर इसका समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री ने अवरूद्ध शेष सड़कों को तत्काल चालू करने तथा पेयजल, विद्युत लाईनों को दुरूस्त करने के निर्देश दिये। उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों में चीनी, मिट्टी का तेल, एवं खाद्यान्न की स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी राघिका झा ने बताया कि आपदा के दौरान 19000 परिवार, 1159 गांव, 302 पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान, 11 कच्चे मकान, 600 आंशिक क्षतिग्रस्त मकान तथा 590 करोड़ रुपये की परिसम्पत्तियों का नुकसान हुआ है। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने अम्बरीश चन्द्र चमोली के द्वारा रचित लघु प्रबन्ध काव्य जय रघुनायक पुस्तक का भी विमोचन किया। इस अवसर पर पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत, विधायक प्रतापनगर विजय सिंह पंवार, भाजपा अध्यक्ष विनोद सुयाल, पुलिस अधीक्षक केवल खुराना, मुख्य विकास अधिकारी आशीष जोशी, मुख्य महाप्रबंधक ए.के.शाह, खेम सिंह चौहान, दिनेश डोभाल, अजयपाल सिंह नेगी, जयेन्द्र सेमवाल जिला महामंत्री भाजपा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
आई.ए.एस. व पी.सी.एस. अधिकारियों का स्थानांतरण
देहरादून 14 अक्टूबर, 2010 शासन द्वारा जनहित में आई.ए.एस. व पी.सी.एस. अधिकारियों का स्थानांतरण एवं दायित्वों में फेरबदल किया गया। यह जानकारी देते हुए अपर सचिव कार्मिक अरविन्द सिंह हयांकी ने बताया कि प्रबन्ध निदेशक कुमांयू मण्डल विकास निगम नैनीताल डॉ. पी.एस.गुसांई को स्थानांतरित करते हुए जिलाधिकारी चमोली, जिलाधिकारी नैनीताल शैलेश बगोली को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ प्रबन्ध निदेशक कुमायूं मण्डल विकास निगम का पदभार सौपा गया है। जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग रमन रविनाथ को स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव ग्राम्य विकास, वित्त तथा मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव ग्राम्य विकास, वित्त तथा मुख्य समन्वयक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एस.ए.मुरूगेशन को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग के पद पर तैनात किया गया है। जिलाधिकारी नीरज सेमवाल को स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव लोक निर्माण, तकनीकी शिक्षा तथा निदेशक तकनीकी शिक्षा के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव खेल, नियोजन, संस्कृति, प्रशिक्षण तथा निदेशक खेल डॉ रंजीत कुमार सिन्हा को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ अपर सचिव धर्मस्व का पदभार भी सौपा गया है। अपर सचिव पर्यटन, लोक निर्माण तथा प्रबन्ध निदेशक गढ़वाल मण्डल विकास निगम डी.सैथिल पांडियन को उनके लोक निर्माण विभाग के पदभार से अवमुक्त किया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। आई.ए.एस. नीरज खरवाल को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व देहरादून के पद पर तैनात किया गया है। आई.ए.एस.परिवीक्षाधीन हरिद्वार ज्योति यादव को देहरादून में तैनात किया गया है। अपर सचिव नियोजन, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना तथा स्टॉफ ऑफिसर मुख्य सचिव प्रयाग सिंह जंगपागी को मुख्य समन्वयक अटल आदर्श ग्राम योजना के पदभार से अवमुक्त किया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। अपर सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा बाह्य सहायतित परियोजना विनोद शर्मा को उनके वर्तमान पदभार के साथ-साथ अपर सचिव नागरिक उड्डयन का पदभार सौपा गया है। अपर सचिव गन्ना एवं चीनी,परिवहन, नियोजन तथा नागरिक उड्डयन विनोद प्रसाद रतूड़ी को अपर सचिव नागरिक उड्डयन के पदभार से अवमुक्त किया गया है। शेष पदभार यथावत रहेगे। सचिव मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण तथा क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक गढ़वाल मण्डल सुशील कुमार को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून के पद पर तैनात किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी देहरादून, मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून इन्दुधर को मुख्य नगर अधिकारी नगर निगम देहरादून के पदभार से अवमुक्त किया गया गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। महाप्रबन्धक जी.एम.वी.एन. एवं उत्तराखण्ड परिवहन निगम तथा सचिव साडा यू.सी.कबडवाल को महाप्रबन्धक उत्तराखण्ड परिवहन निगम तथा सचिव साडा के पदभार से अवमुक्त किया गया है तथा अपर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति का पदभार अतिरिक्त रूप से सौपा गया है, शेष पदभार यथावत रहेंगे। ए.डी.एम. हरिद्वार विनोद कुमार सुमन को सचिव एम.डी.डी.ए. के पद पर तैनात किया गया है। अपर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा विशेष कार्याधिकारी आवास एवं विकास परिषद सतीश चन्द्र बडोनी को उनके वर्तमान पदभार से स्थानांतरित करते हुए अपर सचिव ग्राम्य विकास तथा मुख्य समन्वयक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का पदभार सौपा गया है। अपर सचिव तकनीकि शिक्षा, प्रबन्ध निदेशक हिल्ट्रान, अधिशासी निदेशक कर्मचारी बीमा निदेशक, तकनीकी शिक्षा, निदेशक युवा कल्याण विजय कुमार ढौड़ियाल को अपर सचिव तकनीकी शिक्षा तथा निदेशक तकनीकी शिक्षा के पदभार से अवमुक्त किया गया है तथा अपर सचिव युवा कल्याण का पदभार अतिरिक्त रूप से सौपा गया है। शेष पदभार यथावत रहेंगे। डिप्टी कलैक्टर नैनीताल आलोक कुमार पाण्डेय को महाप्रबन्धक चीनी मिल गदरपुर, महाप्रबन्धक चीनी मिल गदरपुर संजय कुमार को ए.डी.एम. पौडी, डिप्टी कलैक्टर देहरादून विनोद गिरी गोस्वामी को ए.डी.एम. पिथौरागढ़, डिप्टी कलैक्टर पिथौरागढ़ प्रशांत कुमार आर्या को अघिशासी निदेशक चीनी मिल किच्छा, डिप्टी कलैक्टर उत्तरकाशी सुन्दर लाल सेमवाल को डिप्टी कलैक्टर टिहरी, डिप्टी कलैक्टर देहरादून हंसा दत्त पाण्डेय को डिप्टी कलैक्टर उत्तरकाशी, डिप्टी कलैक्टर नैनीताल श्रीश कुमार को डिप्टी कलैक्टर बागेश्वर, डिप्टी कलैक्टर ऊधमसिंहनगर प्रकाश चन्द्र दुमका को डिप्टी कलैक्टर पिथौरागढ़, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व देहरादून एस.एन.पाण्डेय को अपर जिलाधिकरी हरिद्वार के पद पर तैनात किया गया है।
Monday, September 20, 2010
राहत एवं बचाव कार्य पूरी तत्परता से संचालित किये जा रहे है। निशंक’
अल्मोडा/देहरादून 20 सितम्बर, 2010 प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को अल्मोडा जनपद का व्यापक भ्रमण किया। उन्होंने भारी वर्षा के कारण भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का हैलीकाप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया। मुख्यमंत्री ने बाड़ी बल्टा क्षेत्र में पैदल जाकर अतिवृष्टि एवं भूस्खलन से हुई क्षति को देखा तथा ग्रामवासियों से मुलाकात कर उनका दुःख दर्द जाना। उन्होंने ग्रामवासियों को इस विपदा की घड़ी से उबरने के लिए ढांढस बॅधाया। उन्होंने प्रत्येक मृतक के परिजनों को एक-एक लाख रूपये की सहायता दिये जाने की भी घोषणा की। उन्होंने मुख्यालय से लगे देवली ग्राम सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में अतिवृष्टि, भूस्खलन एवं बाढ़ के कारण हुई मौतों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की तथा राज्य सरकार की ओर से प्रभावित परिवारों को हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रधानमंत्री से राज्य को आपदाग्रस्त राज्य घोषित करते हुये 5000 करोड़ रूपये तत्काल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने जिलाधिकारी सुबर्द्धन सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पूरी तेजी से राहत कार्य चलाने के निर्देश देते हुये कहा कि लोगों को राहत पहॅुचाने में धन की कमी आड़े नहीं आयेगी। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम व्यक्ति का जीवन बचाने के लिये कार्यवाही करते हुये असुरक्षित स्थानों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों में विस्थापित करें। उसके उपरान्त क्षति का आंकलन कर सूचना शीघ्र से शीघ्र शासन को भेजें। उन्होंने निर्देश दिये कि बन्द पड़ी सभी सड़कों को तुरन्त खुलवायें ताकि यातायात चालू हो सके और अन्तरिम रूप से लोगों के लिये खाद्यान्न की व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाये कि आवश्यक वस्तुओं के दामों में वृद्धि न हो। उन्होंने कहा कि जहॉ-जहॉ भी लोग विस्थापित किये गये हैं उनके लिये भोजन की व्यवस्था की जाय। इसी प्रकार उन्होंने बिजली, पानी तथा रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं को भी पुनर्स्थापित करने के निर्देश दिये ताकि जनता को परेशानियों का सामना न करना पड़े। जिलाधिकारी सुबर्धन ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जनपद में राहत एवं बचाव कार्य पूरी तत्परता से संचालित किये जा रहे है। जिले के अन्तर्गत सभी उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों एवं सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि विस्थापितों के लिये निःशुल्क भोजन, पेयजल आदि की व्यवस्था करें तथा संवेदनशील स्थानों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों में भेजें। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री को बताया कि अभी तक जिले में अतिवृष्टि एवं भूस्खलन के कारण 33 लोगो की मृत्यु हुई है जिनमें से 06 देवली गॉव से, 13 बाड़ी बल्टा गॉव से, 04 पिल्खा से, 02 जोस्याणा से, 02 नौला से, 01 असगोली से, 01 कफड़ा से, 01 सदीलैण (सल्ट), 01 तिमिलचनौला (भिकियासैंण) और 02 स्योंतरा (भिकियासैंण) में के है। उन्होंने बताया कि यह संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में शवों को खोजने का कार्य जारी है।मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने राहत कार्य में लगे सभी ग्रामीणों व क्षेत्रवासियों के साथ-साथ सेना, आईटीबीपी, पुलिस, एस.एस.बी. व प्रशासन तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए जनता से धैर्य रखकर इस संकट से एकजुट होकर निपटने की अपील की। भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, विधायक अजय टम्टा, जिलाध्यक्ष अरविन्द बिष्ट, जिलाधिकारी सुबर्द्धन, पुलिस कप्तान सी.डी.पन्त, एस.डी.एम. एन.एस.क्वीरियाल, सहित अनेक लोग मौजूद थे। 09837261570
Tuesday, September 14, 2010
खराब मौसम में टिहरी पहुंचे सीएम
,14सितम्बर। लोगों की समस्याओं को करीब से देखने की ललक आज मुख्यमंत्राी को खराब मौसम में भी टिहरी खींच लाई। मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील से छोड़े गये पानी से हो रही लोगों की दिक्कतों को देखा और लोगों की समस्याएं सुनकर अध्किारियों को समस्याओं का निराकरण करने के आदेश दिये। मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील का हैलीकॉप्टर से निरीक्षण भी किया। गौरतलब है कि भीषण बारिश के कारण टिहरी झील का जल स्तर बढ़ गया है जिसके चलते झील से पानी छोड़ना पड़ा। झील के पानी से आस पास के कई इलाकों में बाढ़ की समस्या पैदा हो गयी है और पानी बढ़ने के कारण गांवों में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई इलाकों में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। लोगों की समस्याओं को करीब से देखने के लिए मुख्यमंत्राी पिछले तीन दिनों से प्रभावित इलाकों में भ्रमण का कार्यक्रम बना रहे थे लेकिन मौसम उनका साथ नहीं दे रहा था, जिसके चलते भ्रमण का कार्यक्रम लगातार टल रहा था। आज मौसम थोड़ा खुला तो मुख्यमंत्राी हैलीकॉप्टर से टिहरी झील की ओर रवाना हो गये वह चिन्यिालीसौड़ स्थित हैलीपैड पर उतरे। इसके बाद उन्होने प्रभावित गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनी। उन्होने मौके पर मौजूद अध्किारियों को सभी समस्याओं का निराकरण शीघ्र करने के आदेश दिये। मुख्यमंत्राी ने कहा कि क्षेत्रा की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर है। अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर वह शीघ्र ही अध्किारियों के साथ बैठक कर प्रभावित लोगों को राहत दिलायेंगे। लोगों की समस्याएं सुनने के साथ साथ मुख्यमंत्राी ने टिहरी झील और प्रभावित इलाकों का हैलीकॉप्टर से निरीक्षण भी किया। हवाई निरीक्षण के दौरान चम्बा की पहाड़ियों पर मौसम खराब होने के कारण मुख्यमंत्राी के हैलीकॉप्टर को )षिकेश के स्वर्गाश्रम स्थित हैलीपैड पर उतारना पड़ा। जिसके बाद कुछ देर इंतजार के बाद मौसम खुलने पर मुख्यमंत्राी पुनःचिन्यालीसौड़ पहुंचे और बाद में देहरादून के लिए रवाना हो गये। इस दौरान उनके साथ सिचाई मंत्राी मातवर सिंह कंडारी, गढ़वाल के आयुक्त एनबी नब्याल, जनसंपर्क अध्किारी चौहान भी मौजूद थे। 09837261570
Friday, September 10, 2010
वन विकास अभिकरण का गठन किया जा रहा है, निशंक
मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरूवार को एफ.आर.आई. के आईसी.एफ.आर.ई. सभागार में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री वन पंचायत सुदृढ़ीकरण योजना का शुभारम्भ किया। उन्होंने कार्यक्रम में वन पंचायत का लोगो जारी करते हुए प्रत्येक वर्ष राज्य में 9 सितम्बर को वन पंचायत दिवस मनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का ऐसा विशिष्ट प्रदेश है, जहां 12 हजार से अधिक वन पंचायते है। उन्होंने कहा कि वन पंचायतें उत्तराखण्ड के विकास में नींव का पत्थर साबित होंगी। वन पंचायत प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने कहा कि वन पंचायत सुदृढ़ीकरण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। वन पंचायतों के माध्यम से महिला किसान नर्सरी व मनरेगा योजनाओं में विभिन्न वानिकी कार्य किया जा रहा है। अटल आदर्श ग्राम योजना के तहत 171 वन पंचायतों को चिन्हित किया गया है। राष्ट्रीय वनीकरण योजना के तहत वित्त पोषण हेतु राज्य वन विकास अभिकरण का गठन किया जा रहा है, जिसके तहत 412 वन पंचायतों में वनीकरण, जल संरक्षण आदि कार्यों का प्रस्ताव है। उन्होंने वन पंचायतों से सम्बन्धित जागरूकता कार्यशालाएं जिला व विकासखण्ड स्तर तक आयोजित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वनों की सुरक्षा के लिए 108 की सेवा को जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों पर निर्भर ग्रामीणों के लिए जलावनी लकड़ी और चारा आदि के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी करनी होगी। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी समस्याओं से लड़ने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को महिला पौधालयों और जड़ी बूटी कृषिकरण से भी जोड़ा जाना चाहिए। कार्यक्रम में अच्छा कार्य कर रही वन पंचायतों के प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री डॉ. निशंक द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। पुरस्कार पाने वालों में अल्मोड़ा भूपाल सिंह भण्डारी, चमोली की सुनंदा देवी, पौड़ी के मोहन सिंह, चमोली के यशवंत सिंह चौहान, उत्तरकाशी के प्रताप पोखरियाल प्रमुख थे। मुख्य सचिव एन.एस.नपलच्याल ने कहा कि मुख्यमंत्री वन पंचायत सुदृढ़ीकरण योजना को कैम्पा योजना से पोषित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अगले दस वर्षों में इस योजना में 80 करोड़ खर्च किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि अभी तक वन पंचायतों के 21 हजार 500 से अधिक सदस्यांे को वन पंचायत नियमावली, माइक्रोप्लान बनाने की कार्यवाही और वनों को अग्नि से बचाने के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 2963 वन पंचायतों के माइक्रोप्लान बन चुके है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के क्रम में इस वर्ष 300 वन पंचायतों में 1500 प्रतिमाह प्रोत्साहन धनराशि पर एक-एक वन पंचायत सहायकों की नियुक्ति की जायेगी। पिरूल के व्यावसाियक उपयोग पर जोर दिया गया है, इसके लिए एक प्रति किलोग्राम की दर से वन पंचायतों को भुगतान किया जायेगा। वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी ने कहा कि वन पंचायतों को चारा विकास, जड़ी बूटी कृषिकरण, जल संवर्द्धन आदि माध्यमों से अपने आय के स्रोतों को बढ़ाना चाहिए। प्रमुख वन संरक्षक वन डॉ. आर.बी.एस.रावत ने कहा कि वन पंचायतों की निधि में लगभग 10 करोड़़ की धनराशि है। प्रदेश की वन पंचायतों के दु्रत विकास के लिए इन्हें मनरेगा, ग्राम्या, बांस एवं रेशा परिषद आदि द्वारा भी जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिरूल को बडे पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन से जोड़ने की योजना है। इस अवसर पर जड़ी बूटी विकास परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. आदित्य कुमार, अपर मुख्य सचिव सुभाष कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग तथा विभिन्न जनपदों से आये वन पंचायतों प्रतिनिधि उपस्थित थे।
Wednesday, September 1, 2010
सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैनिशंक
देहरादून 31 अगस्त, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से एनेक्सी स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को विख्यात लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य समिति के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की।
श्री नेगी ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं के समग्र विकास एवं संरक्षण के लिए लोक भाषा अकादमी का गठन करने की मांग की। श्री नेगी ने कहा कि जहां एक ओर भारतीय भाषाओं की मानक शोध संस्था साहित्य अकादमी द्वारा गढ़वाली-कुमाऊंनी को अपनी सूची में 16वें एवं 17वें स्थान पर रखा गया है, वहीं दूसरी ओर ये भाषाएं संविधान की 8वीं सूची में अपना स्थान नहीं बना पायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषाओं को प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की मांग की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रतिनिधिमण्डल को यथोचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए सचिव भाषा और निदेशक भाषा शोध संस्थान को उपरोक्त मांगो पर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में गठित किये गये भाषा शोध संस्थान के ऊपर क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्द्धन एवं संरक्षण की जिम्मेदारी भी है। आवश्यकता पड़ने पर लोक भाषाओं के लिए अलग से भी संस्थान पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल-कुमाऊंनी सहित उत्तराखण्ड की अन्य लोक भाषाएं अत्यन्त समृद्ध हैं, और इनके संरक्षण संवर्द्धन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करने के लिए सरकार सभी कर्णधारों के साथ विचार विमर्श कर आवश्यक कदम उठायेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की मजबूती हिन्दी की संमृद्धता के लिए भी आवश्यक है। उत्तराखण्ड सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसी दिशा में ठोस कदम बढ़ाते हुए संस्कृत को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रतिनिधिमण्डल में समिति के कार्यकारी अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल बिष्ट, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कठैत, प्रमोद नौटियाल, बी. मोहन नेगी, गणेश खुगशाल, विमल नेगी, ऊषा नेगी आदि सम्मिलित थे।
श्री नेगी ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं के समग्र विकास एवं संरक्षण के लिए लोक भाषा अकादमी का गठन करने की मांग की। श्री नेगी ने कहा कि जहां एक ओर भारतीय भाषाओं की मानक शोध संस्था साहित्य अकादमी द्वारा गढ़वाली-कुमाऊंनी को अपनी सूची में 16वें एवं 17वें स्थान पर रखा गया है, वहीं दूसरी ओर ये भाषाएं संविधान की 8वीं सूची में अपना स्थान नहीं बना पायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषाओं को प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की मांग की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रतिनिधिमण्डल को यथोचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए सचिव भाषा और निदेशक भाषा शोध संस्थान को उपरोक्त मांगो पर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में गठित किये गये भाषा शोध संस्थान के ऊपर क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्द्धन एवं संरक्षण की जिम्मेदारी भी है। आवश्यकता पड़ने पर लोक भाषाओं के लिए अलग से भी संस्थान पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल-कुमाऊंनी सहित उत्तराखण्ड की अन्य लोक भाषाएं अत्यन्त समृद्ध हैं, और इनके संरक्षण संवर्द्धन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करने के लिए सरकार सभी कर्णधारों के साथ विचार विमर्श कर आवश्यक कदम उठायेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की मजबूती हिन्दी की संमृद्धता के लिए भी आवश्यक है। उत्तराखण्ड सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसी दिशा में ठोस कदम बढ़ाते हुए संस्कृत को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रतिनिधिमण्डल में समिति के कार्यकारी अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल बिष्ट, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कठैत, प्रमोद नौटियाल, बी. मोहन नेगी, गणेश खुगशाल, विमल नेगी, ऊषा नेगी आदि सम्मिलित थे।
Tuesday, August 31, 2010
लापरवाह कर्मियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जायेंगे। निशंक
देहरादून, 31 अगस्त 2010 राज्य गठन के उद्देशयों के अनुरूप सभी अधिकारी व कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करें। नई कार्य संस्कृति विकसित करते हुए जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जायेगा, जबकि लापरवाह कर्मियों के विरूद्ध सख्त कदम उठाये जायेंगे। यह निर्देश मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून के विभिन्न कार्यलयों में आकस्मिक निरीक्षण करने के दौरान दिये। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने निरीक्षण के दौरान विभागों की उपस्थिति पंजिकाओं तथा विभागीय संचालित योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने दोपहर बाद सबसे पहले कांवली रोड़ स्थित ऊर्जा भवन का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने उप महाप्रबंधक एन.के. जोशी से से विभागीय प्रगति तथा अब तक व्यय हुई धनराशि की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने संबंधित अधिकारी से विद्युत सामग्री की आपूर्ति के सापेक्ष क्षेत्र में वितरण की अद्यतन स्थिति पर प्रगति आख्या प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विद्युत सामग्री की मौके पर आपूर्ति का निरन्तर अनुश्रवण किया जाय। उन्होंने महाप्रबंधक यूपीसीएल से नियोजन एवं अनुश्रवण के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने उपस्थिति पंजिका का निरीक्षण करते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन लोगो के रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं है, उन्हें चेतावनी जारी की जाय, भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न दोहराई जाय। मुख्यमंत्री ने इसे पश्चात जलागम निदेशालय का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अतिरिक्त निदेशक डी.जे.के. शर्मा तथा नीना ग्रेवाल से विभागीय योजनाओं की प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने केन्द्र को भेजी गई परियोजना रिपोर्ट की प्रगति की भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जलागम परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केन्द्र द्वारा जो दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं, उनका शत-प्रतिशत पालन किया जाय। श्री शर्मा ने बताया कि केन्द्र को 400 करोड़ रुपये की परियोजना प्रस्ताव भेजे गये हैं। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विकास योजनाओं पर आधारित प्रकाशन साहित्य को ग्रामीण क्षेत्रों तक वितरित किया जाय तथा प्रकाशन साहित्य को हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया जाय। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक द्वारा विभागीय योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर अपर निदेशक नीना ग्रेवाल ने बताया कि परियोजना में 2 लाख 3 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल भूमि के हिसाब से परियोजना प्रस्ताव तैयार किये गये हैं। इसमें पर्वतीय भूमि को 15 हजार प्रति हैक्टेयर तथा मैदानी भूमि को 12 हजार प्रति हैक्टेयर के मानक से परियोजना को तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने उत्तराखण्ड परिवहन निगम के कार्यालय का भी औचक निरीक्षण किया गया, जहां उन्होंने उपस्थिति पंजिका तथा निगम की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति के संबंध में विभागीय अधिकारियों से विस्तार से रिपोर्ट प्राप्त की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने भूमि सर्वेक्षण निदेशालय में वन भूमि से लंबित मामलों पर विस्तार से जानकारी मांगी। उन्होंने राज्य स्तर, केन्द्र स्तर पर लंबित प्रकरणों की विस्तार से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश नोडल अधिकारी को दिये। संबंधित पटल सहायक द्वारा बताया गया कि 5 हैक्टेयर क्षेत्रफल तक के वन भूमि अधिनियम से प्रभावित होने वाले 161 परियोजनाओं में से 48 की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। अवशेष प्रकरणों को केन्द्र सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय को पुनः अनापत्ति हेतु संदर्भित किया जा रहा है। हिमालय आजीविका सुधार परियोजना कार्यालय में निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. निशंक को परियोजना निदेशक विजय कुमार ने बताया कि 2004 से दिसम्बर 2012 तक संचालित इस परियोजना में केन्द्र से आइफैड योजना के तहत लगभग 110 करोड़ रुपये प्राप्त हुए है, जिसके विपरीत अब तक 52 प्रतिशत खर्चा किया जा चुका है तथा 30 करोड़ रुपये राज्यांश स्वीकृत हुआ है एवं विभिन्न वित्त पोषित संस्थाओं से लगभग 80 करोड़ रुपये काश्तकारों को पोषित कराने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने परियोजना निदेशक विजय कुमार को राज्यांश का प्रस्ताव बढ़ाने के निर्देश देते हुए योजना के समाप्त होने तक व्यय में तेजी लाने के निर्देश दिये है।
Monday, August 30, 2010
26 GENTLEMEN CADETS OF PC (SL) COURSE-23
Dehradun- 30 Aug 10A total of 26 Gentlemen Cadets of the Permanent Commission (Special List) Course Serial No. 23, passed out today as commissioned officers amidst grand ceremony at the renowned Chetwode Hall of the Indian Military Academy. The ceremony was presided over by Lt Gen RS Sujlana PVSM, AVSM, VSM, Commandant, Indian Military Academy. The course trains selected personnel from the ranks on the Indian Armed Forces found suitable to be given commission in the Indian Army. Lt Gen RS Sujlana PVSM, AVSM, VSM, Commandant, Indian Military Academy in his address to the passing out course said, I immensely appreciate your consistent efforts to reach this goal; it is indeed a praiseworthy and distinguished achievement. You need to continue with the same zeal during your service as an officer. He further said, As commissioned officer, there will be great stress on qualities of leadership, moral, physical courage, discipline, loyalty and integrity towards the nation. This can be achieved only by persistent hard work, ability and dedication. The Commandant also congratulated the families of the newly commissioned officers. The Gold Medal for standing first in the order of merit was awarded to Gentleman Cadet Kanchan Sikdar of the DOGRA Regt. The Gentlemen Cadets turned officers, could be distinctly seen full of pride and enthusiasm as they look forward to serve as officers of the Indian Army and live up to the glory of this premier institution.
आखिर बदमाशों की अय्याशी का कहां था ठिकाना...?
देहरादून,30अगस्त। वैस्ट यूपी के खूंखार बनमाशें की दून नगरी जहां शरण स्थली बनती जा रही है वहीं प्रौपर्टी डीलिंग व जुवे के बढ़े कारोबार में भी स्थानीय सपफेदपोश नेताओं के तार बदमाशों से जुड़े हुए हैं। इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाशों को पुलिस ने बीती रात घंटाघर से गिरफ्रतार कर लिया। पुलिस को पकड़े गए बदमाशों से पूछताछ में यह भी जानकारी मिली कि बदमाश दून में करोड़ों की जमीन व जुवे के अड्डों को संचालित करने का गेम खेल चुके थे। यहां तक की जुवे के अड्डों को संचालित करेने के लिए स्थानीय कई लोगों को भी इस गैंग नें अपना सदस्य बना लिया था। पुलिस को जानकारी मिली है उसमें कई चौकाने वाले तथ्य यह भी है कि कई बड़े अध्किारियों के साथ इन बदमाशो के संबंध् रहे हैं और उन्हीं के पैसों को दून जमीनों पर यह बदमाश लगाने का खेल खेला करते थे। बीते दिवश राजू रौतेला हत्या काण्उ का मुख्य आरोपी सुशील चौध्री व अमरदीप कोर्ट में पेशी के बाद क्लेमनटाउन थना क्षेत्रा के अर्नतर्गत 105 बीघा जमीन की साईड देखने भी गया था। इसके साथ ही दून में सट् टे का करोबार बढ़ाने के लिए वे अपने साथ अन्य बदमाशों को भी लेकर आया था। और दून में सट्टे का कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ एक स्थानीय न्यूज चैनल का अपने को पत्राकार बताने वाले नईम खान के साथ जमीन की साईड देखने भी गया था। इसके साथ ही कई अन्य लोगों से भी मुलाकात कर दून में सट्टे के कारोबार को लेकर मंथन भी किया गया था। पुलिस को देहरादून की सपा नेत्राी हेमा बोरा व सुरभी होटल के मालिक संजय घई से भी बदमाशें के मिलने की पुखता जानकारी सामने आई है और पैसों का मोटा खेल खेले जाने की जानकारी भी मिली है। जबकि पुलिस सूत्रों ो मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए बदमाश पिछले करीब एक हफ्रते से दून में रहकर कारोबार को बढ़ने का खेल खेल रहे थे। यहां तक की एक होटल में इन बदमाशों द्वारा कई दिनों तक अययाशी का खेल भी खेला जाता रहा। जबकि बीते चार दिनों पूर्व एक महिला के साथ इनके विवाद की बातें भी सामने आ रही है। बदमाशें के कई दिनों तक दून नगरी में रहने की भनक न तो पुलिस के आला अध्किारियों को लग सकी और न ही बदमाशेां की किसी गतिविध् िका कोई खुलासा पुलिस कर सकी। जबकि पकड़े गए बदमाश सिरोही गैंग के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाशों में गिने जाते हैं। यहां तक कि पकड़े गये बदमाशों का मेरठ में सट्टे का बढ़ा कारोबार संचालित होता है और इसी कारोबार को दून नगरी में बढ़ाने के लिए यह लोग सुशील चौध्री व अमरदीप के साथ आए थे। जबकि जगन चौध्री और उपेंद्र सिंरोही पटेलनगर थाना क्षेत्रा निवासी नईम खान से भी मिलकर जमीन का सौदा करने में लगे हुए थे। यही नहीं पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बदमाशों के कारोबार में कई बढ़े नेताओं के साथ-बढ़े अध्किारी भी काले ध्न को सपफेद किए जाने का खेल पिछले कापफी समय से खेलने में लगे हुए थे। यहां तक की देहरादून की कई ऐसी विवादित जमीनों पर इन बदमाशों की निगाहें भी लगी हुई थी। इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बदमाशों को स्थानीय किसी ऐसे व्यक्ति ने सभी जानकारी मुहैया कराई थी जो कुछ समय पूर्व ही उत्तर प्रदेश से दून नगरी में आया है और यहां कई विवादित जमीनों पर बदमाशों के सहारे कब्जा करना चाहता है। क्योकि उत्तर प्रदेश में रहते हुए कई बदमाशों से उसकी पटरी नहीं चल पाने के कारण वह दून नगरी में चला आया था। लेकिन यहा आने के बाद भी उसका संपर्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदमाशों से लगातार रहा और यहां रहकर वह कई बढ़े अध्किारियों से भी मोटी रकम लेकर ब्लैकमेल करता रहा है। दून नगरी में कई बार विवादित होने बाद यह व्यकित अब बदमाशों के सहारे जमीन कब्जा कर करोड़ों के वारे न्यारे करना चाहता है। वहीं पुलिस की कल की गई कार्रवाई में स्थानीय लोगों को अभी तक ना पकड़े जाने में भी कई तरह की शंकाएं जन्म ले रही है। क्योंकि अचानक चार बदमाशों को पकड़े जाने का ताना बाना जिस तरह से बुना गया है उसे लेकर दूसरे गुट के पुलिस से मिल जाने की बाते भी सामने आ रही है।
उत्तराखण्ड में पोलियो उन्मूलन अभियान को अच्छी कामयाबी मिली है। निशंक
देहरादून, 30 अगस्त 2010 मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार रोड स्थित एक होटल के सभागार में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा आयोजित उत्तराखण्ड राज्य पल्स पोलियो सेमिनार का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश सरकार पोलियो के शतप्रतिशत उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में उसे कामयाबी भी मिल रही है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष प्रदेश में बाहर से आये एक मामले को यदि अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाय तो उत्तराखण्ड में पोलियो उन्मूलन अभियान को अच्छी कामयाबी मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सफलताओं के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग को संतुष्ट होकर नहीं बैठना है, और शतप्रतिश उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोलियो के विरूद्ध वर्षो से चली आ रही यह लड़ाई अपने आखिरी चरण में आ पहुंची है, और एक मजबूत समग्र प्रयास इसका जड़ से नाश कर देगा।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार नये मेडिकल कॉलेजो की शुरूआत सहित कई प्रभावी योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि 108 एंम्बूलेंस सेवा की सफलता सर्वविदित है। इसी प्रकार हाल ही में कोरोनेशन अस्पताल में लोक निजी सहभागिता के आधार पर नेफ्रोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो उन्मूलन अभियान में दिये जा रहे योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटरी इंटरनेशनल के सदस्य न केवल आर्थिक रूप से सक्षम है वरन वे वैचारिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। उन्होंने कहा कि आज के इस मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से प्रदेश के विकास में और अधिक योगदान करने की अपील की।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. उमाकान्त पंवार ने कार्यक्रम में पल्स पोलियो कार्यक्रम में प्रदेश सरकार द्वारा दिये जा रहे योगदान की जानकारी देने के साथ ही आगामी नीतियों पर चर्चा की। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. एचसी भट्ट ने स्वयंसेवियों द्वारा दिये जा रहे योगदान के साथ ही लोगों में जागरूकता का प्रसार करने वाली विधियों पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार नये मेडिकल कॉलेजो की शुरूआत सहित कई प्रभावी योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि 108 एंम्बूलेंस सेवा की सफलता सर्वविदित है। इसी प्रकार हाल ही में कोरोनेशन अस्पताल में लोक निजी सहभागिता के आधार पर नेफ्रोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई है। रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो उन्मूलन अभियान में दिये जा रहे योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटरी इंटरनेशनल के सदस्य न केवल आर्थिक रूप से सक्षम है वरन वे वैचारिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है। उन्होंने कहा कि आज के इस मशीनी युग में इस प्रकार के प्रयासों से ही मानवता को बचाया जा सकता है। उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से प्रदेश के विकास में और अधिक योगदान करने की अपील की।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव डॉ. उमाकान्त पंवार ने कार्यक्रम में पल्स पोलियो कार्यक्रम में प्रदेश सरकार द्वारा दिये जा रहे योगदान की जानकारी देने के साथ ही आगामी नीतियों पर चर्चा की। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. एचसी भट्ट ने स्वयंसेवियों द्वारा दिये जा रहे योगदान के साथ ही लोगों में जागरूकता का प्रसार करने वाली विधियों पर चर्चा की।
गौ, गंगा और हिमालय भारतीय संस्कृति की पहचान . निशंक
देहरादून, 30अगस्त 2010 गौ, गंगा और हिमालय भारतीय संस्कृति की पहचान है और इसके संवर्द्धन, व संरक्षण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार द्वारा उत्तराखण्ड में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। यह विचार मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार रोड़ स्थित स्थानीय वैडिंग प्वाइंट में श्री गोपाल गौ लोक धाम समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संत गोपालमणि महाराज द्वारा लिखित धेनु मानस ग्रंथ का लोकार्पण करने के पश्चात व्यक्त किये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने धेनु मानस को अद्वितीय गं्रथ बताया। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु स्वामी गोपालमणि जी को भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व उत्तराखण्ड की जनता की ओर से साधुवाद व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि इस देवभूमि में इस गं्रथ के माध्यम से पूरे देश में एकता एवं त्याग का प्रभावी संदेश जायेगा, जो आज के युग में प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि की संस्कृति में गौ सहित दुर्गा, सरस्वती आदि को मां के रिश्ते से जोड़कर सम्मान करने की परम्परा है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ से यह निष्कर्ष निकलता है, कि गाय मां ही उत्पत्ति का मूल स्रोत है। उन्होंने भारतीय इतिहास व संस्कृति के पुनर्रूत्थान में ग्रंथ को मील का पत्थर बताया।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौ संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाये जा रहे है। इसके लिए ऋषिकेश में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में गोवध पर प्रतिबंध लगाया है। देहरादून के कालसी क्षेत्र में गौ नस्ल सुधार हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र विकसित किया गया है तथा गो मूत्र अर्क को आर्थिकी से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति को एकता में पिरोती है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्पर्श गंगा अभियान द्वारा गंगा की अविरलता, स्वच्छता के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरूआत की गई है, जिससे प्रभावित होकर विश्व के अनेक देशों ने इसे सराहा है।
इस अवसर पर गं्र्रथ के रचियता गोपालमणि जी महाराज ने कहा कि दैवीय प्रेरणा से उन्होंने इस ग्रंथ की रचना की है। उन्होंने कहा कि गौ माता में दिव्य शक्ति है, जिसे पहचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्य सराहनीय है।
उपाध्यक्ष खादी ग्रामोद्योग बोर्ड प्रेम बुढाकोटी ने कहा कि गंगा, गाय, और हिमालय पर केन्द्रित इस ग्रंथ को एक साहित्यकार के रूप में डॉ. निशंक द्वारा लोकर्पित करने से इसका महत्वपूर्ण और भी बढ़ गया है।
कार्यक्रम में ग्राम्य विकास राज्यमंत्री श्रीमती विजया बड़थ्वाल, महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुशाील बलूनी, खेल परिषद के अध्यक्ष नारायण सिंह राणा, उपाध्यक्ष प्रांतीय रक्षक दल सुभाष बड़थ्वाल, अध्यक्ष मीडियाल सलाहकार समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह पंवार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कलाकार जे.पी.ममंगाई ने किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने धेनु मानस को अद्वितीय गं्रथ बताया। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु स्वामी गोपालमणि जी को भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व उत्तराखण्ड की जनता की ओर से साधुवाद व्यक्त करते है। उन्होंने कहा कि इस देवभूमि में इस गं्रथ के माध्यम से पूरे देश में एकता एवं त्याग का प्रभावी संदेश जायेगा, जो आज के युग में प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि की संस्कृति में गौ सहित दुर्गा, सरस्वती आदि को मां के रिश्ते से जोड़कर सम्मान करने की परम्परा है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ से यह निष्कर्ष निकलता है, कि गाय मां ही उत्पत्ति का मूल स्रोत है। उन्होंने भारतीय इतिहास व संस्कृति के पुनर्रूत्थान में ग्रंथ को मील का पत्थर बताया।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौ संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाये जा रहे है। इसके लिए ऋषिकेश में गौे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान की स्थापना की जा रही है। गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में गोवध पर प्रतिबंध लगाया है। देहरादून के कालसी क्षेत्र में गौ नस्ल सुधार हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र विकसित किया गया है तथा गो मूत्र अर्क को आर्थिकी से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति को एकता में पिरोती है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा स्पर्श गंगा अभियान द्वारा गंगा की अविरलता, स्वच्छता के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरूआत की गई है, जिससे प्रभावित होकर विश्व के अनेक देशों ने इसे सराहा है।
इस अवसर पर गं्र्रथ के रचियता गोपालमणि जी महाराज ने कहा कि दैवीय प्रेरणा से उन्होंने इस ग्रंथ की रचना की है। उन्होंने कहा कि गौ माता में दिव्य शक्ति है, जिसे पहचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ संरक्षण की दिशा में किये जा रहे कार्य सराहनीय है।
उपाध्यक्ष खादी ग्रामोद्योग बोर्ड प्रेम बुढाकोटी ने कहा कि गंगा, गाय, और हिमालय पर केन्द्रित इस ग्रंथ को एक साहित्यकार के रूप में डॉ. निशंक द्वारा लोकर्पित करने से इसका महत्वपूर्ण और भी बढ़ गया है।
कार्यक्रम में ग्राम्य विकास राज्यमंत्री श्रीमती विजया बड़थ्वाल, महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती सुशाील बलूनी, खेल परिषद के अध्यक्ष नारायण सिंह राणा, उपाध्यक्ष प्रांतीय रक्षक दल सुभाष बड़थ्वाल, अध्यक्ष मीडियाल सलाहकार समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, समिति के अध्यक्ष बलबीर सिंह पंवार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कलाकार जे.पी.ममंगाई ने किया।
सरकार खेल एवं खिलाड़ियों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध .निशंक
dehradun 30 augest मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने एनेक्सी स्थित उनके आवास पर उदयीमान पैरा औलंपिक खिलाड़ी प्रेम कुमार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रेम कुमार को खेल दिवस की बधाई देते हुए, उनका सम्मान किया। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रेम कुमार ने अपनी दृढ़ ईच्छा शक्ति और कौशल का प्रदर्शन करते हुए उत्तराखण्ड का नाम देश-विदेश में रोशन किया है। उन्होंने कहा कि अपनी शाररिक चुनौतियांे का सफलतापूर्वक सामना करते हुए श्री प्रेम कुमार ने ओर लोगों को भी आगे बढ़ने की राह दिखाई है। उन्होंने कहा कि सरकार खेल एवं खिलाड़ियों की तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि श्री प्रेम कुमार ने हाल ही में राष्ट्रीय पैरा औलंपिक खेलों में बैंटमिंटन प्रतियोगिता में राज्य के लिए दो कांस्य पदक जीते थे। श्री कुमार बैंटमिंटन और तैराकी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री प्रेम कुमार ने हाल ही में राष्ट्रीय पैरा औलंपिक खेलों में बैंटमिंटन प्रतियोगिता में राज्य के लिए दो कांस्य पदक जीते थे। श्री कुमार बैंटमिंटन और तैराकी में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर चुके हैं।
कैट परीक्षा: हर छात्र के लिए होगा इस बार अलग-अलग प्रश्Aपत्र
नई दिल्ली। भारतीय प्रबंधन संस्थान में दाखिले के लिए होने वाली कैट परीक्षा में इस बार हर छात्र के लिए अलग-अलग प्रश्Aपत्र होंगे। यह निर्णय परीक्षा में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए और गडबडी से निपटने के लिए लिया गया है।गौरतलब है कि कैट की परीक्षाएं 27 अक्तूबर से 24 नवंबर के बीच देश के 33 शहरों में होंगी। इसके लिए इस बार अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित प्रश्Aपत्र तैयार किए गए हैं। परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था प्रोमेट्रिक के प्रबंध निदेशक सौमित्र राय ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार हर छात्र का प्रश्Aपत्र एक दूसरे से भिन्न होगा, लेकिन उनका मूल्यांकन एक ही स्केल पर किया जाएगा। प्रश्Aपत्रों का मूल्यांकन तीन खंडो और चार स्तरों पर किया जाएगा।राय ने बताया कि परीक्षा में निष्पक्षता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक छात्र को एक सामान्य मापदंड पर परखने, अलग-अलग तिथियों में अलग-अलग समय पर परीक्षा लेने और प्रश्Aपत्रों की सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
Thursday, August 12, 2010
डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में नई कार्य संस्कृति विकसित की गई
देहरादून, 12 अगस्त, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से विगत देर सायं उत्तराखण्ड सचिवालय सेवा अधिकारी संघ (राजपत्रित) के प्रतिनिधिमण्डल ने एनेक्सी स्थित उनके आवास पर भेंट की। प्रतिनिधिमण्डल ने प्रदेश में नई कार्य संस्कृति विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। साथ ही विजन 2020 के अन्तर्गत प्रदेश के विकास में गति प्रदान करने में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सचिवालय सेवा के अधिकारी, कर्मचारी उनकी अपेक्षा के अनुसार प्रदेश की जनता के हित में कार्य करेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में नई कार्य संस्कृति विकसित की गई और सभी अधिकारी व कर्मचारी उसी के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का निर्माण विकास एवं जन-जन के कल्याण की भावना से हुआ है। उन्होंने कहा कि विकास की गति को तेज करने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को क्षमता विकास कार्यक्रमों में रूचि लेने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार क्षमता विकास करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है, जिसमें अधिक से अधिक सहभागी होकर प्रदेश के विकास में सहभागी बने।
उत्तराखण्ड सचिवालय सेवा अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि राज्य गठन के समय से जो अधिकारी और कर्मचारी पूरी लगन से कार्य कर रहे हैं, ऐसा कोई निर्णय न लिया जाय, जिससे कि उनकी पदोन्नति पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यदि ऐसा करना जरूरी हो, तो पहले सचिवालय के सभी संघों को विश्वास में लिया जाय। प्रतिनिधि मण्डल ने समीक्षा अधिकारी, टंकण लिपिक सहित सचिवालय में विभिन्न रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया कि आधुनिक कार्य प्रणाली एवं तकनीकों से सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रतिष्ठित संस्थानों में व्यापक प्र्रशिक्षण दिया जाय। साथ ही पत्रावलियों के सुव्यस्थित रख-रखाव के लिए सचिवालय में संदर्भदाता की पूर्व व्यवस्था को सभी अनुभागों में बहाल किया जाय। प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश की भांति सी.यू.जी. मोबाइल सुविधा प्रदान करने की भी मांग की।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड सचिवालय सेवा अधिकारी संघ के अध्यक्ष अर्जुन सिंह, उपाध्यक्ष जे.एल.शर्मा, महासचिव संतोष बडोनी, संयुक्त सचिव वीरेन्द्रपाल सिंह, अनिल पाण्डेय, कोषाध्यक्ष सतीश चन्द्र जोशी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में नई कार्य संस्कृति विकसित की गई और सभी अधिकारी व कर्मचारी उसी के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का निर्माण विकास एवं जन-जन के कल्याण की भावना से हुआ है। उन्होंने कहा कि विकास की गति को तेज करने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को क्षमता विकास कार्यक्रमों में रूचि लेने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार क्षमता विकास करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है, जिसमें अधिक से अधिक सहभागी होकर प्रदेश के विकास में सहभागी बने।
उत्तराखण्ड सचिवालय सेवा अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि राज्य गठन के समय से जो अधिकारी और कर्मचारी पूरी लगन से कार्य कर रहे हैं, ऐसा कोई निर्णय न लिया जाय, जिससे कि उनकी पदोन्नति पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यदि ऐसा करना जरूरी हो, तो पहले सचिवालय के सभी संघों को विश्वास में लिया जाय। प्रतिनिधि मण्डल ने समीक्षा अधिकारी, टंकण लिपिक सहित सचिवालय में विभिन्न रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया कि आधुनिक कार्य प्रणाली एवं तकनीकों से सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रतिष्ठित संस्थानों में व्यापक प्र्रशिक्षण दिया जाय। साथ ही पत्रावलियों के सुव्यस्थित रख-रखाव के लिए सचिवालय में संदर्भदाता की पूर्व व्यवस्था को सभी अनुभागों में बहाल किया जाय। प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश की भांति सी.यू.जी. मोबाइल सुविधा प्रदान करने की भी मांग की।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड सचिवालय सेवा अधिकारी संघ के अध्यक्ष अर्जुन सिंह, उपाध्यक्ष जे.एल.शर्मा, महासचिव संतोष बडोनी, संयुक्त सचिव वीरेन्द्रपाल सिंह, अनिल पाण्डेय, कोषाध्यक्ष सतीश चन्द्र जोशी आदि उपस्थित थे।
निशंक ने कहा कि सरकार अधिकारियों के हितों के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
देहरादून, 12 अगस्त, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से विगत देर सायं उत्तराखण्ड सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) संघ का प्रतिनिधिमण्डल ने एनेक्सी स्थित उनके आवास पर भेंट की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि सरकार अधिकारियों के हितों के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा संघ प्रदेश को देश का आदर्श राज्य बनाने में अपना सक्रिय सहयोग दे। उन्होंने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी को मिले, इसके लिए ठोस कार्ययोजना के तहत कार्य करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की है, जिन्हें मूर्तरूप दिया जाना है।
सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) संघ के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड सिविल सेवा संवर्ग में अन्य राज्य के अधिकारी को पुनः प्रतिनियुक्ति न देने का आग्रह किया।
इस अवसर पर सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) संघ के अध्यक्ष विजय ढौड़ियाल, महासचिव विनोद रतूड़ी सहित अपर सचिव एम.सी. जोशी, अरविन्द सिंह ह्यांकी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि सरकार अधिकारियों के हितों के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा संघ प्रदेश को देश का आदर्श राज्य बनाने में अपना सक्रिय सहयोग दे। उन्होंने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी को मिले, इसके लिए ठोस कार्ययोजना के तहत कार्य करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की है, जिन्हें मूर्तरूप दिया जाना है।
सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) संघ के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड सिविल सेवा संवर्ग में अन्य राज्य के अधिकारी को पुनः प्रतिनियुक्ति न देने का आग्रह किया।
इस अवसर पर सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) संघ के अध्यक्ष विजय ढौड़ियाल, महासचिव विनोद रतूड़ी सहित अपर सचिव एम.सी. जोशी, अरविन्द सिंह ह्यांकी आदि उपस्थित थे।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त न्यायमूर्ति बारिन घोष को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी।
उत्तराखण्ड की राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा ने आज राजभवन ऑडिटोरियम में आयोजित एक समारोह में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त न्यायमूर्ति बारिन घोष को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। शपथ ग्रहण से पूर्व रजिस्ट्रार जनरल श्री रवीन्द्र मैठाणी ने भारत सरकार द्वारा जारी नियुक्ति सम्बन्धी अधिसूचना का उल्लेख करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के सातवें मुख्य न्यायाधीश के इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष श्री हरवंश कपूर, मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ’निशंक’, पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी, पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूड़ी, मेयर श्री विनोद चमोली, सांसद श्री सतपाल महाराज, शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक, विधायक श्री गणेश जोशी, श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल, श्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव श्री एन.एस. नपच्याल, प्रमुख सचिव श्री सुभाष कुमार, प्रमुख सचिव श्री राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव श्री राजीव गुप्ता, परिवहन आयुक्त श्री एम. रामास्वामी, प्रमुख सचिव न्याय श्रीमती इन्दिरा आशीष, सचिव राज्यपाल श्री अशोक पई, अपर सचिव राज्यपाल श्री अरूण ढौड़ियाल, आयुक्त गढ़वाल मण्डल श्री अजय नबियाल, प्रमुख सचिव विधान सभा श्री महेश चन्द्र, डी.जी.पी. श्री जे.एस. पाण्डे अपर सचिव श्री दीपम सेठ सहित शासन-प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
समारोह में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल, न्यायमूर्ति बी.सी.काण्डपाल रजिस्ट्रार इंस्पेक्शन श्री प्रशांत जोशी, रजिस्ट्रार प्रोटोकाल श्री अनुज कुमार तथा जिला जज देहरादून श्री यू.सी.ध्यानी सहित बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ अधिवक्ता, उत्तराखण्ड के वरिष्ठ महाधिवक्ता श्री बाबुलकर तथा बड़ी संख्या में गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे।
नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष का जन्म 05 जून, 1952 को कलकत्ता में हुआ। बी.काम. एल.एल.बी. की शिक्षा/उपाधि ग्रहण करने पश्चात दिसम्बर 1978 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होकर वे कलकत्ता हाईकोर्ट में मुख्यतः सिविल कम्पनी तथा कॉस्टीटशूनल अफेयर्स पर पै्रक्टिस करते रहे। 14 जुलाई, 1995 में उनकी नियुक्ति कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश के पद पर हुई। वे जनवरी 2005 में पटना हाईकोर्ट स्थानांन्तरित हुए। न्यायामूर्ति घोष इससे पूर्व जम्मू कश्मीर तथा सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहे।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के सातवें मुख्य न्यायाधीश के इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष श्री हरवंश कपूर, मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ’निशंक’, पूर्व मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी, पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूड़ी, मेयर श्री विनोद चमोली, सांसद श्री सतपाल महाराज, शहरी विकास मंत्री श्री मदन कौशिक, विधायक श्री गणेश जोशी, श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल, श्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव श्री एन.एस. नपच्याल, प्रमुख सचिव श्री सुभाष कुमार, प्रमुख सचिव श्री राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव श्री राजीव गुप्ता, परिवहन आयुक्त श्री एम. रामास्वामी, प्रमुख सचिव न्याय श्रीमती इन्दिरा आशीष, सचिव राज्यपाल श्री अशोक पई, अपर सचिव राज्यपाल श्री अरूण ढौड़ियाल, आयुक्त गढ़वाल मण्डल श्री अजय नबियाल, प्रमुख सचिव विधान सभा श्री महेश चन्द्र, डी.जी.पी. श्री जे.एस. पाण्डे अपर सचिव श्री दीपम सेठ सहित शासन-प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
समारोह में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल, न्यायमूर्ति बी.सी.काण्डपाल रजिस्ट्रार इंस्पेक्शन श्री प्रशांत जोशी, रजिस्ट्रार प्रोटोकाल श्री अनुज कुमार तथा जिला जज देहरादून श्री यू.सी.ध्यानी सहित बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ अधिवक्ता, उत्तराखण्ड के वरिष्ठ महाधिवक्ता श्री बाबुलकर तथा बड़ी संख्या में गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे।
नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष का जन्म 05 जून, 1952 को कलकत्ता में हुआ। बी.काम. एल.एल.बी. की शिक्षा/उपाधि ग्रहण करने पश्चात दिसम्बर 1978 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत होकर वे कलकत्ता हाईकोर्ट में मुख्यतः सिविल कम्पनी तथा कॉस्टीटशूनल अफेयर्स पर पै्रक्टिस करते रहे। 14 जुलाई, 1995 में उनकी नियुक्ति कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश के पद पर हुई। वे जनवरी 2005 में पटना हाईकोर्ट स्थानांन्तरित हुए। न्यायामूर्ति घोष इससे पूर्व जम्मू कश्मीर तथा सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहे।
Friday, August 6, 2010
गढ़वाली और कुमांऊनी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल कर राज
देहरादून। गढ़वाल सांसद श्री सतपाल महाराज जी द्वारा गढ़वाली और कुमांऊनी भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल कर राज भाषा का दर्जा दिए जाने के संसद में दिए व्यकतव्य पर पूर्व मंत्री एंव उŸाराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने श्री सतपाल महाराज का आभार प्रकट किया है। श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने इसका समर्थन करते हुए कहा है कि जो साक्ष्य श्री सतपाल महाराज जी ने संसद के समक्ष प्रस्तुत किए हैं वह यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि ये प्राचीनतम भाषाएं हैं और उन्होंने यह भी कहा कि आज जब पूरा विश्व अपनी भाषाओं के संरक्षण को प्रयासरत है ऐसे में हम सबको मिलकर अपनी भाषाओं को राज भाषा का दर्जा दिलाने के लिए मांग उठानी चाहिए। उŸाराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजीव महर्षि ने भी श्री सतपाल महाराज के लोकसभा में दिए गये इस व्यकतव्य का स्वागत किया और गढ़वाल सांसद का आभार प्रकट किया है। उन्होंने श्री सतपाल महाराज जी द्वारा संसद में दिए गये इस व्यकतव्य का स्वागत करते हुए कहा कि गढ़वाली भाषा के दसवीं सदी के साहित्य की उपलब्धता यह प्रमाणित करती है यह प्राचीनतम भाषाएं हैं और इसके लिए इनकों आठवीं अनुसूची में शामिल कर राज भाषा का दर्जा अवश्य ही मिलना चाहिए।
Wednesday, August 4, 2010
गैस की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं की जायेगीः भट्ट
4अगस्त। प्रदेश में गैस की कालाबाजारी को लेकर खाद्य मंत्राी ने अध्किारियों की बैठक लेकर उन्हें कड़ी पफटकार लगायी और कालाबाजारी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न करने की सख्त हिदायत दी है। सचिवालय में अध्किारियों की बैठक में लेते हुए प्रदेश के खाद्य एवं राजस्व मंत्राी दिवाकर भट्ट ने कहा कि किसी भी कीमत पर पूरे प्रदेश में गैस व खाद्य सामग्री की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं की जायेगी और गैस कंपनियों के अध्किारियों को कड़ी पफटकार लगाते हुए गैस की कालाबाजारी पर शीघ्र रोक लगाये जाने के कड़े निर्देश लगाते हुए उन्हें जमकर कड़ी पफटकार लगायी। श्री भट्ट ने कहा कि पूरे प्रदेश में 144 गैस एजेंसियां उपभोक्ताओं को गैस की आपूर्ति कर रही है और प्रदेश सरकार किसी भी कीमत पर कालाबाजारी नहीं होना देना चाहती लेकिन इसके बाद भी कई स्थानों से गैस की कालाबाजारी को लेकर जो शिकायतें विभाग को मिल रही है उसे लेकर विभाग बहुत चिन्हित है। उसे लेकर पूरे प्रदेश में स्थापित होटल ढाबों में घरेलू गैस चलाने वाले लोगों के खिलापफ छापामारी अभियान चलाकर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 78 नई गैस एजेंसियं जल्द ही केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद आ जायेगी जिससे गैस की कमी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जायेगा और गैस एजेंसियों की मनमानी से इन नई गैस एजेंसियों के आ जाने से रोक लग सकेंगी। श्री भट्ट ने कहा कि कोई भी गैस उपभोक्ता गैस बुकिंग के सात दिन के भीतर गैस प्राप्त कर सकेगा और यदि किसी भी उपभोक्ता को गैस उपलब्ध् नहीं होती तो वह प्रदेश के हेल्प लाइन नंबर 2740765 पर संपर्क कर किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करवा सकता है जिससे उपभोक्ताओं को हर सुविध तत्काल मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कालाबाजारी रोकने के लिए शीघ्र ही जिम्मेदार अध्किारियों की बैठक बुलाकर त्वरित कार्यवाही को अंजाम दिया जायेगा और हर जनपद में उपभोक्ता को कोई परेशानी न हो इसका भी ध्यान रखा जायेगा।
सीएम को उड़ाने की ध्मकी देने वाले दो दबोचे
,4अगस्त। मुख्यमंत्राी को 15 अगस्त के दिन बम से उड़ाने की ध्मकी देने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्रतार किया है। कल प्रदेश के मुख्यमंत्राी को बम से उड़ाने की ध्मकी देने के बाद हरकत में आयी पुलिस ने देहरादून के प्रेम नगर निवासी र्ध्मेंद्र को हिरासत में लिया था जिसके नाम पर वह मोबाइल था जिससे मुख्यमंत्राी को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस ने आज ग्राम मुन्यसारी पिथौरागढ़ निवासी मनोज कुमार पुत्रा किशन राम तहसील पोखरी जिला चमोली निवासी शंकर सिंह राणा पुत्रा जोत सिंह राणा को उस समय गिरफ्रतार कर लिया जब वह पंजाब नेशनल बैंक के पास भागने की पिफराक में थे। पुलिस को कल हिरासत में लिये गये र्ध्मेंद्र ने बताया कि सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले दो व्यक्ति उसके मित्रा थे। जिन्होंने उसकी आईडी के आधर पर एक मोबाइल सिम ले लिया था और उसी से कल प्रदेश के मुख्यमंत्राी को बम से उड़ायी जाने की ध्मकी दी गयी थी। ध्मकी देने के बाद से ही पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया था और मुख्यमंत्राी की सुरक्षा का दायरा भी बढ़ा दिया गया था। आज जनपद के पुलिस कप्तान जीएस मर्तोलिया ने मीडिया के सामने दोनों आरोपियों को प्रस्तुत किया। जिसमें खुलासा कि उन्होनंे मुख्यमंत्राी को सिपर्फ बातों ही बातों में जान से मारने की ध्मकी दी है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर यह भी पता लगाने की प्रयास कर रही है कि कई उनके संबंध् किसी अन्य संगठन से जुड़े तो नहीं है।
सीएम को उड़ाने की ध्मकी देने वाले दो दबोचे
,4अगस्त। मुख्यमंत्राी को 15 अगस्त के दिन बम से उड़ाने की ध्मकी देने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्रतार किया है। कल प्रदेश के मुख्यमंत्राी को बम से उड़ाने की ध्मकी देने के बाद हरकत में आयी पुलिस ने देहरादून के प्रेम नगर निवासी र्ध्मेंद्र को हिरासत में लिया था जिसके नाम पर वह मोबाइल था जिससे मुख्यमंत्राी को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस ने आज ग्राम मुन्यसारी पिथौरागढ़ निवासी मनोज कुमार पुत्रा किशन राम तहसील पोखरी जिला चमोली निवासी शंकर सिंह राणा पुत्रा जोत सिंह राणा को उस समय गिरफ्रतार कर लिया जब वह पंजाब नेशनल बैंक के पास भागने की पिफराक में थे। पुलिस को कल हिरासत में लिये गये र्ध्मेंद्र ने बताया कि सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले दो व्यक्ति उसके मित्रा थे। जिन्होंने उसकी आईडी के आधर पर एक मोबाइल सिम ले लिया था और उसी से कल प्रदेश के मुख्यमंत्राी को बम से उड़ायी जाने की ध्मकी दी गयी थी। ध्मकी देने के बाद से ही पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया था और मुख्यमंत्राी की सुरक्षा का दायरा भी बढ़ा दिया गया था। आज जनपद के पुलिस कप्तान जीएस मर्तोलिया ने मीडिया के सामने दोनों आरोपियों को प्रस्तुत किया। जिसमें खुलासा कि उन्होनंे मुख्यमंत्राी को सिपर्फ बातों ही बातों में जान से मारने की ध्मकी दी है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर यह भी पता लगाने की प्रयास कर रही है कि कई उनके संबंध् किसी अन्य संगठन से जुड़े तो नहीं है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की जायेगा। खजान दास
देहरादून 04 अगस्त, 2010- हमारा प्रयास यही रहना चाहिए कि जिला, राज्य, केन्द्र, बाह्य सहायतित योजनाओं में धनराशि के समय से सदुपयोग में भी हमारा उत्तराखण्ड देश में तथा देहरादून जनपद उत्तराखण्ड में प्रथम स्थान पर रहे ताकि राज्य मुख्यालय का जनपद होने के नाते अन्य जनपदों के लिये यह अनुकरणीय जनपद बन सके। मुख्यमंत्री ने इन योजनाओं में प्रगति के प्रति असन्तोष व्यक्त करते हुये जनपदों के प्रभारी मंत्रियों को पत्र लिखकर निर्देश देते हुये खेद व्यक्त किया है और कर्तव्य निर्वहन, जिम्मेदारी, ढिलाई के प्रति तेजी लाने की अपेक्षा की है। उन्होंने सात दिनों के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये भी निर्देशित किया है। यह बातें देहरादून जनपद के प्रभारी मंत्री (राज्यमंत्री समाज कल्याण एवं आपदा प्रबन्धन) खजान दास ने विधान भवन में आयोजित समस्त विभागों की जिला राज्य /केन्द्र पोषित/बाह्य सहायतित योजनाओं व विभिन्न विकास कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक में कही। उन्होंने इस बात पर अत्यन्त खेद व असन्तोष व्यक्त किया कि जून 2010 तक जनपद दूसरे नम्बर पर होने के बावजूद जुलाई में और पिछड़ रहा है। उन्होंने कहाकि सभी विभाग सामन्जस्य व समन्वय बिठाकर सहयोग से कार्य करते हुये कर्तव्य पालन,जन सेवा व जिम्मेदारी समझते हुये कार्यकर जनपद को प्रथम स्थान पर लायें। सभी विभाग उपलब्ध धनराशि का समय से सदुपयोग करते हुये कार्यों में तेजी लायें। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके बावजूद भी जो अधिकारी लापरवाही करेंगे उनके विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिये भी नहीं चूकेंगे। उन्होंने जिलाधिकारी को 7 दिन के भीतर विभिन्न योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि सूचनाओं के सही एवं समय से भेजने थ्योरिटिकल व प्रैक्टिकल की सूचनाओं में एकरूपता, समयबद्धता, पारदर्शिता, वायदे के अनुसार निर्धारित समय पर कार्य पूर्ण करने, जन अपेक्षाओं का ध्यान रखने का विशेष ध्यान रखा जाय। उन्होंने कहाकि उपलब्ध धनराशि का पूर्ण उपयोग हो और अगले वर्ष के लिये धनराशि अवशेष न छोड़ी जाय। उन्होंने कहाकि विभागीय अधिकारी सम्बन्धित विभागों एवं जिलाधिकारी के सहयोग से आ रही कठिनाईयों का त्वरित निस्तारण करते हुये योजनाओं को समय से पूर्ण करें। उन्होंने कहाकि 2 माह बाद फिर से समीक्षा बैठक में अपेक्षित परिणाम सामने आने चाहिए तथा दिये गये निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने लापरवाह अधिकारियों को आगाह किया कि सूचनाऐं समय पर एवं सही उपलब्ध करायें व गत वर्ष की भांति जनपद को प्रथम स्थान पर लाने के लिये एकजुट प्रयास करें अन्यथा कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही से भी नहीं चूकेंगे। उन्होंने अधिकारियों से अपनी सुस्त कार्य प्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। राज्यमंत्री श्री दास ने विभिन्न स्थानों पर मार्गों का निर्माण कर इन्हें शहीदों के नाम से करने की कार्रवाई के भी निर्देश दिये विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं उनके प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति पर भी खेद व्यक्त करते हुये कहाकि कई विभागों को प्रगति अत्यन्त ही असन्तोषजनक है जिन्हें तेजी से काम करने की आवश्यकता है। जिलाधिकारी डी0 सैन्थिल पाण्डियन ने कहाकि अवमुक्त धनराशि के सापेक्ष व्यय में तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने जल निगम, समाज कल्याण, मनरेगा, लोक निर्माण, वन विभागों -2 (2)
को निर्देशित किया कि व्यय की स्थिति में तेजी लाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहाकि निर्देशों के अनुपालन में एक माह के भीतर अपेक्षित तेजी न लाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की जायेगा। उन्होंने कहाकि जिला, राज्य, केन्द्र पोषित व बाह्य सहायतित योजनाओं का गत वर्ष का 130 करोड रुपये अवशेष है जिससे इस वर्ष की व्यय की प्रगति का प्रतिशत भी कम हुआ है। जिलाधिकारी ने उपलब्ध समस्त धनराशि दिसम्बर 2010 तक व्यय कर लेने के निर्देश दिये। परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण देहरादून डॉ0 आर0एस0 पोखरिया ने बताया कि वर्ष 2010-00 में जिला योजना में जुलाई तक चारों सैक्टरों में अनुमोदित परिव्यय 37604.75 लाख, शासन से अवमुक्त धनराशि 14211.33 लाख, क्रमिक व्यय 4938.74 लाख है जो शासन से अवमुक्त कुल व्यय का 34.75 प्रतिशत है। 1 अप्रैल 2010 का अवशेष 13097.01 लाख रुपये है। बैठक में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
को निर्देशित किया कि व्यय की स्थिति में तेजी लाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहाकि निर्देशों के अनुपालन में एक माह के भीतर अपेक्षित तेजी न लाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ की जायेगा। उन्होंने कहाकि जिला, राज्य, केन्द्र पोषित व बाह्य सहायतित योजनाओं का गत वर्ष का 130 करोड रुपये अवशेष है जिससे इस वर्ष की व्यय की प्रगति का प्रतिशत भी कम हुआ है। जिलाधिकारी ने उपलब्ध समस्त धनराशि दिसम्बर 2010 तक व्यय कर लेने के निर्देश दिये। परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण देहरादून डॉ0 आर0एस0 पोखरिया ने बताया कि वर्ष 2010-00 में जिला योजना में जुलाई तक चारों सैक्टरों में अनुमोदित परिव्यय 37604.75 लाख, शासन से अवमुक्त धनराशि 14211.33 लाख, क्रमिक व्यय 4938.74 लाख है जो शासन से अवमुक्त कुल व्यय का 34.75 प्रतिशत है। 1 अप्रैल 2010 का अवशेष 13097.01 लाख रुपये है। बैठक में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हमेशा याद रहेगा स्व.जीना का योगदानः डा0 निशंक
,4 अगस्त। मुख्यमंत्राी डा. रमेश पोखरियाल निशंक आज सैनिक हैलीपैड पर पहुंचे जहां अध्किारियों ने उनकी अगवानी की। अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्राी श्री निशंक सोबन सिंह जीना परिसर पहुंचे और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रृ(ासुमन अर्पित किये तत्पश्चात मुख्यमंत्राी ने अनेक कार्यक्रमों मंे प्रतिभाग किया। भाजपाईयों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मुख्यमंत्राी डा. निशंक दोपहर सैनिक हैलीपैड पर उतरे जहां जिलाध्किारी और एसएसपी ने उनकी अगवानी की। तत्पश्चात डा. निशंक सोबन सिंह जीना परिसर पहुंचे और उनकी जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर स्व.जीना की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात मुख्यमंत्राी ने रामजी इण्टर कालेज में अनेक विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। कालेज ग्राउंड में अपने सम्बोध्न में डा. निशंक ने कहा कि स्व.जीना को एक प्रऽर अध्विक्ता, कुशल राजनीतिज्ञ, समाजसेवी,पत्राकार और भारतीय जनसंघ का आधर स्तम्भ थे। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में निर्बल एवं असहाय वर्ग के कल्याण के लिए कार्य किया। डॉ.निशंक ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में मूल्यों की राजनीति में विश्वास किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार में स्व.जीना ने पर्वतीय विकास मंत्राी के रूप में कार्य करते हुए इस क्षेत्रा के विकास में अहम योगदान निभाया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा। उन्होंने पर्वतीय विकास मे बाध्क वन अध्निियम 1980 और अन्य पहाड़ विरोध्ी कानूनों का मुऽर विरोध् किया। स्व. जीना ने सामाजिक शैक्षिक विकास के लिए भी कार्य किये और इस क्षेत्रा के कई शिक्षा संस्थानों के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। अल्मोड़ा हाईस्वूफल को इंटर कालेज और पिफर उसे डिग्री कालेज बनाने में उनके योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है। मुख्यमंत्राी ने कहा कि श्री जीना ने पत्राकारिता और साहित्य के माध्यम से भी जनता की आवाज को उठाने के प्रयास किये। श्री जीना स्वतंत्राता आन्दोलन के बाद अलग उत्तराऽण्ड राज्य के आन्दोलन में भी सक्रिय रहे। मुख्यमंत्राी डॉ. निशंक ने कहा कि श्री जीना ने इस क्षेत्रा के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जनता की आवाज को उठाया। मुख्यमंत्राी ने कहा कि अपने लम्बे राजनैतिक तथा सामाजिक जीवन में भी जीना सौम्यता, मृदुभाषिता और समाज सेवा के लिए विख्यात रहे। जन्म शताब्दी समारोह के पश्चात सीएम ने टैक्सी स्टैंड का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्राी के आगमन पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था तैनात थी।
Saturday, July 17, 2010
जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन में आरोपों से घिरी सरकार, बरती गई अनियमितताओं से निशंक बैकफुट पर
देहरादून 16/जुलाई/2010/जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन में बरती गई अनियमितताओं के आरोपों से घिरी भाजपा की निशंक सरकार ने 56 जलविद्युत परियोजनाओं का आवंटन निरस्त कर अपने भुल स्वीकार करने के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने जांच समिति की रिपोर्ट को आधार मानते हुए आवंटन निरस्त करने की कार्यवाही को अंजाम दिया हालाकि हाईकोर्ट में आज इस संदर्भ में दायर की गई दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई होनी थी। परन्तु मुख्यमंत्री ने ऐन वक्त पर आवंटन निरस्त करने का निर्णय ले कर विपक्ष द्वारा लगाये जा रहे घोटालों के आरोप को और बल दे दिया। पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री और सरकार को फजीहत दर फजीहत का सामना करना पड़ा क्योंकि बीते 9 जुलाई को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बड़े दावे के साथ घोटाले के आरोपो को नकारते हुए कहा था उन्होंने सभी दस्तावेजों का अवलोकन कर लिया है इस मामले में घोटाले की बात बेबुनियाद है। गौरतलब है कि राज्य की 56 जलविद्युत परियोजनओं का आवंटन निरस्त करने का निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा गठित की गई जांच समिति की रिर्पोट पर लिया गया जांच समिति के सदस्य ऊर्जा सचिव उत्पल कुमार सिंह, वित्त सचिव एलएम पंत व न्याय विभाग के अपर सचिव ने अपने रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि 25 जुलाई 2008 को जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन हेतु प्रकाशित किये गये विज्ञापन में खामिया थी। विज्ञापन में ऊर्जा के क्षेत्र में अनुभव के साथ ही अवस्थापना के अनुभव को भी शामिल किया गया था विज्ञापन की भाषा स्पष्ट न होने के कारण परियोजनाओं के आवंटन के लिए ऊर्जा क्षेत्र में अनुभव और दक्षता न रखने वाली कंपनियों ने भी आवेदन कर दिया था। कई कंपनियों से डीपीआर भी नहीं ली गई जबकि आवेदक कम्पनियों के लिए डीपीआर देना आवश्यक था। समिति की रिपोर्ट आने पर इन्हीं कारणों को आधर बनाते हुए मुख्यमंत्री ने परियोजनाओं का आवटंन निरस्त कर दिया। उल्लेखनीय कि एक ही परिवार के सदस्यों को कई प्रोजेक्ट आवंटित किए जाने को लेकर विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक जम कर हंगामा किया था। और जलविद्युत परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की मांग की थी, भले ही सरकार ने आवंटन निरस्त करने का फैसला ले लिया हो लेकिन इसके बावजूद कई सवाल ऐसे उभर रहे है जो सरकार की नियत पर संदेह पैदा करते हैं? क्योंकि अरबों रूपये की लागत वाली जलविद्युत परियोजना के आवंटन हेतु जारी किये गये विज्ञापन में प्रकाशन से पूर्व आवश्यक शर्तो को शामिल क्यों नही किया गया विज्ञापन प्रकाशित होने से पूर्व उसकी तकनीकि जांच क्यों नहीं कि गई। सवाल यह भी उठता है कि किन कारणों से कुछ लोंगों को लाभ पहुंचाने के लिए विज्ञापन प्रकाशन से लेकर परियोजनाओं के आवंटन में नियम व शर्तो की अनदेखी क्यों की गई ऐसे किसके इशारे पर और किन अधिकारियों ने किया। सबसे बड़ा सवाल है कि अनदेखी व लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदार अधिकारियों और उसमें लिप्त नेताओं को बेनकाब कर उनके विरूद्ध भी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही। जहां पूरे प्रकरण में भाजपा की निशंक सरकार बैकफुट पर आ गई है। और विपक्ष दल कांग्रेस को सरकार को घेरने का नया अवसर मिल गया ऐसे में विधानसभा का मानसून सत्रा में विपक्ष का सामना कैसे मुख्यमंत्री निशंक कर पायेंगे। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि सरकार के फैसले से कांग्रेस द्वारा लगाये जा रहे घोटालों के आरोपों की पुष्टि होती है। कांग्रेस अब इन परियोजनाओं की आवंटन की सीबीआई जांच कराने की मांग करेगी।
तो क्या कांग्रेस के निशाने पर जांच आयोग?
देहरादून 16/जुलाई/2010/कांग्रेस शासनकाल में हुए 56 घोटालों की जांच कर रहे जांच आयोग के खिलापफ कर्मचारियों ने मोर्चा खोलते हुए जांच आयोग के काम को बाधित कर दिया है। वहीं आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर जांच कार्य में बाध उत्पन्न होने के साथ-साथ काम न करने में असमर्थता जता दी है। पिछले काफी समय से पुलिस शिकायत प्राधिकरण में अध्यक्ष के खिलाफ अन्य सदस्यों द्वारा घेराबंदी की जाती रही है लेकिन अपने मकसद में कामयाब न होने के चलते प्राधिकरण के अध्यक्ष प्राधिकरण में लंबित मामले तेज गति से निपटाते जा रहे हैं। जिसका अन्य सदस्य खुलकर विरोध कर रहे है। ताजा मामला एक कर्मचारी को पुलिस प्राधिकरण से निकाले जाने के बाद तूल पकड़ गया है। मामले को लेकर प्राधिकरण के सदस्यों द्वारा कर्मचारियों को ध्रने पर बैठने के लिए उकसाने के साथ-साथ उनका वेतन रोक दिये जाने की धमकी तक दी गई है। जिसके चलते कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण के सदस्य वहां के कामकाज को लेकर शुरू से ही राजनीति का खेल खेलने में लगे हुए है। जिसके चलते गलत तरीके से नियुक्ति किये जाने के साथ-साथ अनियमिताओं को लेकर प्राधिकरण के अध्यक्ष ने जांच करते हुए कई खामियां प्राधिकरण में पकड़ी। जिससे बौखलाए सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलापफ मोर्चा खोलते हुए पूरे खेल को अंजाम दे डाला है। वहीं पुलिस प्राधिकरण का काम देखने के साथ-साथ कांग्रेस शासनकाल में हुए 56 घोटालों की जांच करने वाले आयोग का काम भी प्राधिकरण के अध्यक्ष ही देख रहे हैं और वे तेज गति से घोटालों को उजागर किये जाने में लगे हुए है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि कांग्रेसी नेताओं के इशारे पर प्राधिकरण के कर्मचरियों को हड़ताल पर जाने के लिए उकसाया गया है। जिससे जांच अयोग का काम बाधित हो सके क्योंकि वर्तमान में पुलिस शिकायत प्राधिकरण के कार्यालय से ही जांच आयोग का काम भी संचालित किया जा रहा है। जिसे लेकर सदस्य इसका खुलकर विरोध करते हुए देखे जा रहे है। 56 घोटालों को लेकर जिस तरह से कांग्रेसी बौखलाए हुए हैं वही इन घोटालों में कई बड़े नेताओं का नाम भी सामने आता हुआ देखा जा रहा है। क्योंकि प्राधिकरण के अध्यक्ष ने घोटालो से जुड़े कई ऐसे दस्तावेजों को सम्बंधित विभागों से मागा है जिन पर जांच की आंच पड़ने जा रही है। यहां तक की जांच आयोग ने दस्तावेजों में लापरवाही बरतने तक का आरोप लगाते हुए शासन से घोटासलों की जांच में सहयोग किए जोन की बात को लेकर एक पत्र भी प्रदेश के चीफ सेकेट्री को लिखा है। अब चूंकि 16 जुलाई से जांच आयोग के सामने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की पेशी होनी थी लेकिन उससे पहले ही जिस तरह प्राधिकरण के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का तानाबाना बुना गया उसे लेकर यह उंगलियां भी उठती नजर आ रही है कि जांच आयोग को ठीक ढग से कौन काम नहीं करने देना चाहता? शक की सूई उन नेताओं व आला अधिकारियों पर भी उठ रही है जो जांच के दायरे में आते देखे जा रहे है। जबकि इससे पूर्व शर्मा जांच आयोग घोटालों से सम्बंधित कई दस्तावेज एकत्र कर चुका है लेकिन अभी तक किसी भी घोटाले का पर्दाफाश नहीं किया जा सका है। अब घोटालों को लेकर जहां प्रदेश में राजनीति गरमाती जा रही है वहीं प्राधिकरण के कर्मचारियों की हड़ताल को उन नेताओं की शह समझा जा रहा है जो कहीं न कहीं घोटालों से जुड़े हुए है। जांच आयोग को यदि निष्पक्ष तरीके से काम करने नही दिया गया तो 56 घोटालों का जिन्न बोतल से बाहर नहीं निकल सकता। जबकि घोटालों को लेकर भाजपा अपने घोषणा पत्र में पर्दा पफाश किए जाने की बात जनता के बीच 2007 के चुनाव में कर चुकी है और अब जनता की निगाहें भी इन घोटालेबाज अधिकारियो व राजनेताओं पर लगी हुई हैं जो इन घोटालों के कर्णधर रहे हैं। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में जांच आयोग के काम को किसी न किसी तरीके से प्रभावित करने का खेल भी गोपनीय है।
Saturday, June 19, 2010
हल्द्वानी के निवासी रह चुके हैं प्रधनमंत्राी
पंतनगर, 19 जून। पंतनगर में 26वें दीक्षान्त समारोह में हॉल उस समय तालियों की गूंज से गड़गड़ा गया जब पता चला कि देश के प्रधनमंत्राी डा.मनमोहन सिंह हल्द्वानी के निवासी रहे चुके है। अपने सम्बोध्न में राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने कहा कि देश के विभाजन के पश्चात डा.मनमोहन सिंह अपने परिवार के साथ हल्द्वानी आये थे और एक वर्ष तक हल्द्वानी में रहे। जैसे ही श्रीमती आल्वा ने यह जानकारी दी पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा और प्रधनमंत्राी भी मंद मंद मुस्कुराने लगे।
पैकेज की मांग को अनसुना किया पीएम ने
पंतनगर, 19 जून। पंतनगर में आयोजित 26वंे दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रधनमंत्राी डा.मनमोहन सिंह विराजमान थे। मंच पर मुख्यमंत्राी डा.रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा भी विराजमान थे। संचालन कर रहे कुलपति बीएस बिष्ट ने सम्बोध्न के लिए मुख्यमंत्राी डा.निशंक को आमंत्रित किया। श्री निशंक ने अपने सम्बोध्न की शुरूआत में प्रधनमंत्राी के आगमन पर उनका अभिनन्दन किया। उन्होंने प्रातः 10ः33 पर अपना सम्बोध्न शुरू किया और 10ः52 पर अपना सम्बोध्न समाप्त किया । सम्बोध्न के अंत में डा.निशंक ने राज्य के विकास के लिए औद्योगिक पैकेज की अवध् ि2013 तक बढ़ाने की मांग की उनके सम्बोध्न के पश्चात राज्यपाल श्रीमती आल्वा ने अपना सम्बोध्न किया। तत्पश्चात कुलपति डा.बिष्ट ने प्रधनमंत्राी को सम्बोध्न के लिए आमंत्रित किया। प्रधनमंत्राी डा.मनमोहन सिंह ने 11ः12 बजेअपना सम्बोध्न प्रारम्भ किया। सर्वप्रथम उन्होंने सर्वोच्च आये छात्रा छात्राओं को शुभकामनाएं दी। प्रधनमंत्राी डा.सिंह ने 11ः35 बजे अपना सम्बोध्न समाप्त किया लेकिन पैकेज बढ़ाने की मांग को लेकर वह मुख्यमंत्राी डा.निशंक का अनुरोध् टाल गये। जिससे डा.निशंक थोड़ा उदास दिखे।
कृषि विकास में पंत विवि का अहम योगदानः डा.मनमोहन
पंतनगर, 19 जून। प्रधनमंत्राी डा0 मनमोहन सिंह ने कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय हरित क्रांति की जननी है यहां के वैज्ञानिक और शोध्कर्ता देश के विकास में अपना अहम योगदान दें ताकि राष्ट्र ऊंचाईयों को छू सके। प्रधनमंत्राी श्री सिंह आज पंतनगर में आयोजित 26वें दीक्षांत समारोह तथा गोल्डन जुबली वर्ष पर बतौर मुख्य अतिथि सम्बोध्ति कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्व विद्यालय के लिए दीक्षान्त समारोह बेहद अहम है जो छात्रों के भविष्य का निर्धारण करता है उन्होंने कहा कि पंत विवि में शिक्षा प्राप्त करना ही बड़ी उपध् िहैउन्होनंे कहा कि पंत विवि का कई दशकों से कृषि के क्षेत्रा में महत्वपूर्ण योगदान है,लेकिन वर्तमान में यहां के छात्रा नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहे। उन्होंने कहा कि भारत में पशुओं की पैदावार अच्छी है और छोटे किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्र सरकार निरन्तर प्रयासरत है। किसानों को उनकी पैदावार का उचित मूल्य दिया जाना बेहद जरूरी है इसके लिए राज्य सरकारें भी प्रयास करें। प्रधनमंत्राी डा.सिंह ने कहा कि राष्ट्र कृषि विकास योजनाओं के साथ सभी राज्यों को सहयोग दिया जायेगा। उद्यान और वानिकी के क्षेत्रा में प्रयास किये जायेंगे। कृषि विज्ञान केन्द्रों में शोध् कराई जायेगी। ताकि पफसलों की पैदावार और बढ़ सके। प्रधनमंत्राी ने कहा कि कृषि क्षेत्रों में पीपी मोड़ होने चाहिए सारे वैज्ञानिक और शोध्कर्ता देश के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने पर्यावरण संतुलन और ग्लोबल वार्मिग पर भी सहयोग देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड नैसर्गिक सौदर्य से ओतप्रोत राज्य है यहां पहाड़ों पर खेती के प्रयास किये जा रहे है तथा हिमालय को भी संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे है। राज्यपाल माग्रेट आल्वा ने अपने सम्बोध्न में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य सीड् हब के रूप में विकसित हो रहा है पंत नगर विश्वविद्यालय शोध् एवं अनुसंधन में देश का सर्वोत्तम विवि है। तराई में चावल उत्पादन का अहम योगदान है जिस पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। उन्होने कहा िक उत्तराखण्ड देवभूमि है। नये राज्य होने के कारण आर्थिक विकास की ओर देखना होगा। युवा पीढ़ी मात्रा कृषि नही बल्कि औद्योगिक विकास में भी अपना अहम योगदान दे ताकि राज्य में समुचित विकास हो। श्रीमती आल्वा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोत्साहन देना जरूरी है। पहाड़ांे व जंगलों में महिलाएं बेहद मेहनतकश है। मुख्यमंत्राी डा.रमेश पोखरियाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह से उपाध् िप्राप्त करने वाले छात्रा भविष्य में देश व प्रदेश की कृषि की दिशा में योजनाकार रणनीति के निर्माता होंगे। उत्तराखण्ड कृषि मुनियों की तपोस्थली है। प्रकृति ने प्रदेश को प्रचुर वनसंम्पदा दी है साथ ही जैव विविध्ता का भी अपार भण्डार है। राज्य के जल संसाध्नों को संरक्षित सम्वध्ति एवं प्रदूषण मुक्त करने हेतु स्पर्श गंगा अभियान जनप्रिय हो चुका है। निवेदित राज्य ने 65 प्रतिशत वन और दुरूह भौगोलिकता के बावजूद भी राष्ट्र विकास दर में देश में तीसरा स्थान हासिल किया है राज्य बनने के समय विकास दर 2.9 प्रतिशत भी लेकिन अब 9.5 प्रतिशत है। वार्षिक आय भी बढ़कर 42 हजार रूपये प्रति व्यक्ति हो चुकी है। आम आदमी का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए सरकार सुनियोजित विकास कर रही है। डा.निशंक ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रा में हरित क्रांति अभी अध्ूरी है। यहां की भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों किसानों के लिए उपयुक्त नही है। जिस कारण आध्ुनिक कृषि मशीनरी का प्रयोग यहां कठिन है। डा.निशंक ने कहा कि विश्व भर में जैविक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ी है और यहां पर्वतीय क्षेत्रों मे ंआज भी जैविक तरीके से खेती की जा रही हे यदि किसानों को जागरूक किया जाये तो यह बड़ा कदम होगा। मुख्यमंत्राी डा.निशंक ने कहा कि कृषि योजनाआंे का सीध लाभ किसानों को देने के लिए कृषि महोत्सव शुरू किया है। गांव गांव कृषक रथ के जरिये किसानों की समस्याओं का समाधन किया जा रहा है। प्रधनमंत्राी डा.मनमोहन सिंह,राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा और मुख्यमंत्राी डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने समारोह में भाग लेने वाले छात्रा छात्राओं को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधनमंत्राी डा. मनमोहन सिंह ने पं गोविन्द बल्लभ पंत के चित्रा पर मार्ल्यापण कर किया। इस दौरान केन्द्रीय उद्योग मंत्राी हरीश रावत, आर.के.ध्वन,कुलपति डा.बी.एस.बिष्ट,बलराज पासी,विधयक तिलक राज बेहड़,शैलेन्द्र मोहन सिंघल, हरभजन सिंह चीमा, रामपुर की पूर्व सांसद बेगम नूरबानों,सुखदेव सिंह नामधरी,यशपाल आर्य,निरंजन आल्वा,सुभाष चतुर्वेदी,दरबार सिंह, मीना शर्मा,सुरेश अग्रवाल,हरीश पनेरू, सुरेश परिहार,गुलशन छाबड़ा,देव बहादुर,राजेन्द्र पाल,अनिल शर्मा समेत तमाम विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ छात्राओं ने स्वागत गीत से किया तथा समारोह का समापन राष्ट्रगान से किया गया।
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