Saturday, July 17, 2010
तो क्या कांग्रेस के निशाने पर जांच आयोग?
देहरादून 16/जुलाई/2010/कांग्रेस शासनकाल में हुए 56 घोटालों की जांच कर रहे जांच आयोग के खिलापफ कर्मचारियों ने मोर्चा खोलते हुए जांच आयोग के काम को बाधित कर दिया है। वहीं आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर जांच कार्य में बाध उत्पन्न होने के साथ-साथ काम न करने में असमर्थता जता दी है। पिछले काफी समय से पुलिस शिकायत प्राधिकरण में अध्यक्ष के खिलाफ अन्य सदस्यों द्वारा घेराबंदी की जाती रही है लेकिन अपने मकसद में कामयाब न होने के चलते प्राधिकरण के अध्यक्ष प्राधिकरण में लंबित मामले तेज गति से निपटाते जा रहे हैं। जिसका अन्य सदस्य खुलकर विरोध कर रहे है। ताजा मामला एक कर्मचारी को पुलिस प्राधिकरण से निकाले जाने के बाद तूल पकड़ गया है। मामले को लेकर प्राधिकरण के सदस्यों द्वारा कर्मचारियों को ध्रने पर बैठने के लिए उकसाने के साथ-साथ उनका वेतन रोक दिये जाने की धमकी तक दी गई है। जिसके चलते कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण के सदस्य वहां के कामकाज को लेकर शुरू से ही राजनीति का खेल खेलने में लगे हुए है। जिसके चलते गलत तरीके से नियुक्ति किये जाने के साथ-साथ अनियमिताओं को लेकर प्राधिकरण के अध्यक्ष ने जांच करते हुए कई खामियां प्राधिकरण में पकड़ी। जिससे बौखलाए सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलापफ मोर्चा खोलते हुए पूरे खेल को अंजाम दे डाला है। वहीं पुलिस प्राधिकरण का काम देखने के साथ-साथ कांग्रेस शासनकाल में हुए 56 घोटालों की जांच करने वाले आयोग का काम भी प्राधिकरण के अध्यक्ष ही देख रहे हैं और वे तेज गति से घोटालों को उजागर किये जाने में लगे हुए है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि कांग्रेसी नेताओं के इशारे पर प्राधिकरण के कर्मचरियों को हड़ताल पर जाने के लिए उकसाया गया है। जिससे जांच अयोग का काम बाधित हो सके क्योंकि वर्तमान में पुलिस शिकायत प्राधिकरण के कार्यालय से ही जांच आयोग का काम भी संचालित किया जा रहा है। जिसे लेकर सदस्य इसका खुलकर विरोध करते हुए देखे जा रहे है। 56 घोटालों को लेकर जिस तरह से कांग्रेसी बौखलाए हुए हैं वही इन घोटालों में कई बड़े नेताओं का नाम भी सामने आता हुआ देखा जा रहा है। क्योंकि प्राधिकरण के अध्यक्ष ने घोटालो से जुड़े कई ऐसे दस्तावेजों को सम्बंधित विभागों से मागा है जिन पर जांच की आंच पड़ने जा रही है। यहां तक की जांच आयोग ने दस्तावेजों में लापरवाही बरतने तक का आरोप लगाते हुए शासन से घोटासलों की जांच में सहयोग किए जोन की बात को लेकर एक पत्र भी प्रदेश के चीफ सेकेट्री को लिखा है। अब चूंकि 16 जुलाई से जांच आयोग के सामने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की पेशी होनी थी लेकिन उससे पहले ही जिस तरह प्राधिकरण के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का तानाबाना बुना गया उसे लेकर यह उंगलियां भी उठती नजर आ रही है कि जांच आयोग को ठीक ढग से कौन काम नहीं करने देना चाहता? शक की सूई उन नेताओं व आला अधिकारियों पर भी उठ रही है जो जांच के दायरे में आते देखे जा रहे है। जबकि इससे पूर्व शर्मा जांच आयोग घोटालों से सम्बंधित कई दस्तावेज एकत्र कर चुका है लेकिन अभी तक किसी भी घोटाले का पर्दाफाश नहीं किया जा सका है। अब घोटालों को लेकर जहां प्रदेश में राजनीति गरमाती जा रही है वहीं प्राधिकरण के कर्मचारियों की हड़ताल को उन नेताओं की शह समझा जा रहा है जो कहीं न कहीं घोटालों से जुड़े हुए है। जांच आयोग को यदि निष्पक्ष तरीके से काम करने नही दिया गया तो 56 घोटालों का जिन्न बोतल से बाहर नहीं निकल सकता। जबकि घोटालों को लेकर भाजपा अपने घोषणा पत्र में पर्दा पफाश किए जाने की बात जनता के बीच 2007 के चुनाव में कर चुकी है और अब जनता की निगाहें भी इन घोटालेबाज अधिकारियो व राजनेताओं पर लगी हुई हैं जो इन घोटालों के कर्णधर रहे हैं। कुल मिलाकर आने वाले दिनों में जांच आयोग के काम को किसी न किसी तरीके से प्रभावित करने का खेल भी गोपनीय है।
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