देहरादून.एक लंबे इंतजार के बाद आखिर उत्तराखंड के मुखिया के लिए आशियाना तैयार हो ही गया। देहरादून को उत्तराखंड की 'अस्थायी' राजधानी मानने वाले ध्यान दें कि मुख्यमंत्री के नए बंगले की लागत लगभग 16 करोड़ है. कुल 34 हजार वर्गफुट क्षेत्रफल के इस भवन में भूतल पर किचन, ड्राइंगरूम्स, दो बेडरूम, पूजा व योगा कक्ष के साथ ही एक संग्रहालय भी है. साथ ही बेहतरीन लाइब्रेरी, योगा व पूजा कक्ष के अलावा जनता दर्शन हाल, सुरक्षा ब्लाक व कर्मचारियों का आवासीय परिसर भी शामिल है. इस भवन की परिकल्पना पहाड़ के गांवों के मकानों पर आधारित है. इमारत की ईट निर्मित दीवारों पर अल्मोड़ा के पत्थरों (पठाल) की क्लेडिंग की गई है. अल्मोड़ा के प्रसिद्ध लाला बाजार और देहरादून में चकराता क्षेत्र के महासू देवता के मंदिर से इसमें प्रेरणा ली गई है.
उत्तराखंड की राजधानी को चंद्रनगर(गैरसैण) ले जाने का सपना देखने वालों के लिए बुरी खबर इसलिए कि राजधानी को पहाड़ स्थान्तरित करने की तमाम सिफारिशों के बावजूद देहरादून में 'स्थायी' निर्माण धड़ल्ले से जारी है. यानि सरकार (चाहे कोई भी हो) ने अंदरखाने तय कर लिया है कि राजधानी कहीं नहीं जाने वाली. यहीं देहरादून में रहेगी जनता को नाक चिढाती. वहीं जनता जनार्दन के लिए सुखद बात ये कि राज्य में आपदा राहत कार्यो के कारण इस भवन का सादे कार्यक्रम में औपचारिक उद्घाटन किया गया.
2 comments:
शर्मनाक हरकत ..जिस देश में लोग भूखे मर रहें हो वहां मुख्यमंत्री महलों में रहे ..शर्म आनी चाहिए ऐसे मुख्यमंत्री को....
मैं आपकी इन बातों से बिलकुल सहमत हूँ और बोलना चाहूँगा की ये सब हमारी ही गलतियाँ जब ये लोग सामने आते है हम अपने मतलब के लिए उनकी खुसामद करते है, हमें अपनी सोच को बदलना होगा, हमारे लिए सर्वप्रथम हमारी मूलभूत सुबिधायें मायने रखती है, १६ करोड़ वहा खर्च करने कि बजाय अगर इस रूपये को काकडीघाट, अल्मोड़ा वाले रास्ते पर खर्च किया जाता तो आज तक वह बनकर तैयार हो जाता .......पर नहीं, पर नहीं आखिर क्यों नहीं ये किसी के पास जवाब नहीं है.....? एक अस्थायी राजधानी में १६ करोड़ रूपये खर्च करने का साफ़ और सीधा मतलब होता है जनता के पैसे का दुरुपयोग करना, अगर कल राजधानी गैरसैण ले जाने वाली योजना सफल हो जाती है तो वह पर कितना करोड़, अरब रूपये खर्च होंगे और वे कहा से आयेंगे ये सोचने वाली बात है.......
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