Wednesday, September 1, 2010

सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैनिशंक

देहरादून 31 अगस्त, 2010 मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से एनेक्सी स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को विख्यात लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य समिति के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की।
श्री नेगी ने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं के समग्र विकास एवं संरक्षण के लिए लोक भाषा अकादमी का गठन करने की मांग की। श्री नेगी ने कहा कि जहां एक ओर भारतीय भाषाओं की मानक शोध संस्था साहित्य अकादमी द्वारा गढ़वाली-कुमाऊंनी को अपनी सूची में 16वें एवं 17वें स्थान पर रखा गया है, वहीं दूसरी ओर ये भाषाएं संविधान की 8वीं सूची में अपना स्थान नहीं बना पायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से गढ़वाली-कुमाऊंनी भाषाओं को प्राथमिक स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की मांग की।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने प्रतिनिधिमण्डल को यथोचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए सचिव भाषा और निदेशक भाषा शोध संस्थान को उपरोक्त मांगो पर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में गठित किये गये भाषा शोध संस्थान के ऊपर क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्द्धन एवं संरक्षण की जिम्मेदारी भी है। आवश्यकता पड़ने पर लोक भाषाओं के लिए अलग से भी संस्थान पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गढ़वाल-कुमाऊंनी सहित उत्तराखण्ड की अन्य लोक भाषाएं अत्यन्त समृद्ध हैं, और इनके संरक्षण संवर्द्धन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं को पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करने के लिए सरकार सभी कर्णधारों के साथ विचार विमर्श कर आवश्यक कदम उठायेगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की मजबूती हिन्दी की संमृद्धता के लिए भी आवश्यक है। उत्तराखण्ड सरकार देश एवं प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसी दिशा में ठोस कदम बढ़ाते हुए संस्कृत को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रतिनिधिमण्डल में समिति के कार्यकारी अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल बिष्ट, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कठैत, प्रमोद नौटियाल, बी. मोहन नेगी, गणेश खुगशाल, विमल नेगी, ऊषा नेगी आदि सम्मिलित थे।

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