Tuesday, June 8, 2010

पत्रकारिता के नाम पर दलाली का मोटा खेल

देहरादून, 8 जून।अब तक सिपर्फ देह व्यापार का ध्ंध करने वाले दलालों की कहानी ही सुनी गयी होेगी लेकिन राजधनी दून में पत्राकारिता के नाम पर दलाली का खेल भी रोजाना खेला जा रहा है। अपने को खबरिया चैनल का पत्राकार बताने वाले कई लोग रोजाना लोगों से मोटी रकम ऐंठकर लाखों के वारे-न्यारे कर चुके हैं। इतना ही नहीं खबरों को मैनेज कराने के नाम पर भी लाखों का मोटा खेल पिछले कापफी समय से बेखौपफ होकर खेला जा रहा है। पुलिस के एक बड़े अध्किारी ने इस बात की पुष्टि नाम न छपने की शर्त पर करते हुए खुलासा किया कि कुछ खबरिया चैनल के पत्राकार मामलों को रपफादपफा कराने की एवज में कई लोगों को लाखों रूपये का चूना खबर न छपने के नाम पर लगा चुके हैं। इतना ही नहीं खबर को उनके पक्ष में छापने की एवज में भी कई लोगों से मोटा खेल खेला जा चुका है। ताजा मामला उस समय सामने देखने को आया जब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार मृत्युंजय मिश्रा को एक महिला के साथ पुलिस ने रंगरलियां मनाते हुए गिरफ्रतार किया गया। लेकिन बाद में गिरफ्रतारी के एक दिन बाद ही मृत्युंजय मिश्रा की र्ध्मपत्नी ने उसी महिला के साथ एक स्थान पर पत्राकार वार्ता आयोजित कर अपने पति पर लगे आरोपों को सिरे से खरिज कर दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस रात मृत्युंजय मिश्रा को पुलिस ने पकड़ा था तभी दस लाख की मोटी डील कर ली गई थी और खबर न छपने के साथ-साथ पूरी खबर को मैनेज करने की जिम्मेदारी भी एक टीवी चैनल के पत्राकार द्वारा ली गई थी। अब यह बात बड़ी तेजी से उठ रही है कि आखिर राजधनी दून में बड़े पैमाने पर रोजाना खबरों को मैनेज करने के नाम पर लाखों का मोटा खेल खेला जा रहा है। अब तक कई लोगों को यह गिरोह लाखों का चूना लगाकर कापफी ध्न अर्जित कर चुका है। लेकिन किसी भी व्यक्ति के शिकायत करने के लिए सामने न आने के चलते पुलिस भी इन लोगों पर कार्यवाही करने से कतरा रही है। राजधनी दून में पुलिस को यह भी संभावना है कि पत्राकारिता की आड़ में कई अन्य गोरखध्ंध्े को भी अंजाम दिये जा रहे हैं। कुल मिलाकर दून नगरी में पत्राकारिता के नाम पर दलाली किये जाने का गोरख ध्ंध बड़ी तेजी से पफलपफूल रहा है। बाहरी राज्यों से पत्राकारिता करने वाले कई ऐसे संदिग्ध् लोगों के खिलापफ अन्य राज्यों में मुकदमे कायम होने के बाद भी पुलिस अभी तक उनका रिकॉर्ड नहीं खंगाल सकी है। जिससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कभी भी कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता है। क्योंकि अक्सर बड़ी वारदातों में चूक की वजह वैरिपिफकेशन न होने के साथ-साथ व्यक्ति की सही पहचान न होना भी सामने आ चुकी है। दून नगरी में पत्राकारिता की आड़ में जिस तरह से दलाली का खेल खेला जा रहा है उसे लेकर अब खुद ही पत्राकार जगत के कई लोग इन लोगों से खासे परेशान हो उठे है। पूर्व में भी कई मामले इस तरह के सामने आए। जिनमें सबूत के तौर पर कुछ भी प्रस्तुत नहीं किया जा सका। जबकि शासन स्तर के एक अध्किारी को गाड़ी के भीतर पकड़ा गया था। लेकिन जांच के दौरान कोई भी सबूत पेश नहीं हो सका।पैसे मांगने की बात उस वक्त उजागर हुई जब पत्राकार वार्ता के दौरान पूरा मामला दबाने के लिए कहा गया था। वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मृत्युंजय मिश्रा व सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस के मालिक आदेश गुप्ता के बीच प्रिंटिंग की छपाई के दौरान विवाद चला आ रहा है। माना जा रहा है कि मृतयुंजय मिश्रा को पफंसाने के पीछे यह खेल भी हो सकता है। जबकिपुलिस की भूमिका भी पूरी तरह संदिग्ध् नजर आ रही है। अब दलाली का पैसा मांगने वाले एक टीवी चैनल के पत्राकार के खिलापफ दिल्ली कार्यालय पैसे मांगे जाने की शिकायत की गई है।