Friday, May 21, 2010

करोडों खर्च के बाद भी सडके नहीं सुधरी

देहरादून। शहर की सडकों के सुधार के लिए कुंभ निधि से दस करोड रुपये तो खर्च हो गए, लेकिन सडकें नहीं सुधरीं। आज भी शहर की अनेक गलियों में कुंभ कार्यो के चलते खुदी सडकें यों ही पडी हैं, जिनका ध्यान न तो मेला पशासन को है और न ही नगर पालिका को।
वहीं चारधाम यात्रा शुरू हो गयी है। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्री इस बार भी हिचकोले खाते ही पहुंच रहे हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग पर दोबाटा के बाद चल रहा सडक चौडीकरण कार्य यात्रा के उत्साह को ठंडा करने के लिये काफी है।
हरिद्वार में महाकुंभ निधि से शहर की सडकों के सीसी व हॉटमिक्स निर्माण के लिए दस करोड रुपये खर्च किये गये, लेकिन अभी भी शहर की अनेक सडकें ऐसी हैं, जो बुरी तरह से जर्जर हैं। अधिकांश सडकें तो जल निगम और गंगा पदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा कराई गई खुदाई के कारण टूटी पडी हैं। इन खराब सडकों के चलते जहां कुंभयात्रियों को परेशानी उठानी पडी थी, वहीं आम नागरिकों को भी बेहद मुश्किल का सामना करना पड रहा है। इसके अलावा कुंभ निधि से बनी अनेक सडकें भी अभी से उखडने लगी हैं। इनके बारे में सभासदों की ओर से लगातार शिकायतें की जा रही हैं। भोपतवाला में तो इसी तरह की एक सडक का खुद चेयरमैन ने निरीक्षण किया था। इन सबके बावजूद न तो खराब सडकें बनाने वाले पालिका के इंजीनियरों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो रही है और न ही उन सडकों का ख्याल किया जा रहा है, जो बन ही नहीं सकीं। इस संबंध में पालिका के अधिशासी अधिकारी भजन लाल आर्य कहते हैं कि जो सडकें नहीं बनी हैं वे कुंभ निधि से प्रस्तावित नहीं थीं। ऐसे में सवाल उठता है कि करोडों रूपये कहां बहा दिये गये।
वहीं दूसरी ओर गंगोत्री व यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्री इस बार भी हिचकोले खाते ही पहुंच रहे हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग पर दोबाटा के बाद चल रहा सडक चौडीकरण कार्य यात्रा के उत्साह को ठंडा करने के लिये काफी है। गंगोत्री राजमार्ग पर इन दिनों यात्री वाहनों की कतार लगी है। हालांकि ऋषिकेश से धरासू बैंड तक सडक की हालत सामान्य है, लेकिन असली दिक्कत इसके बाद शुरू होती है। पिछले पांच माह से चल रहे सडक चौडीकरण कार्य के कारण आगे की यात्रा दुश्वारियों से भरी है। इससे आगे भटवाडी के बाद करीब १२ किमी तथा डबराणी के निकट भी यात्रा मार्ग की हालत में बहुत सुधार नहीं है। इन जगहों से यात्रा वाहन हिचकोले खाते हुए गुजर रहे हैं। दूसरी ओर यमुनोत्री राजमार्ग धरासू बैंड से कुछ दूरी तक सडक निर्माण कार्य के चलते काफी खराब है। वहीं दोबाटा से रास्तर तक के मार्ग पर उडते धूल के गुबार यात्रियों के लिये परेशानी का सबब बने है। इसके अलावा जानकी चट्टी से यमुनोत्री तक के पैदल मार्ग में प्रबंधन सही न होने से भारी गहमागहमी की स्थिति पैदा हो रही है। तीर्थयात्रियों के लिये यमुनोत्री धाम पहुंचने में यह पैदल मार्ग ही सबसे ज्यादा जोखिम भरा साबित हो रहा है। गौरतलब है कि ऋषिकेश से गंगोत्री राजमार्ग की दूरी टिहरी झील के चलते बीते चार वर्षो से तीस किमी अधिक हो चली है।

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