Tuesday, December 30, 2008

सेक्स नहीं, इंटरनेट है महिलाओं की पसंद

यह ख़बर इस बात को साबित करती है कि आज के दौर में तकनीक किस तरह हमारे सिर पर चढ़कर बोल रही है। अमेरिकी


पुरुषों और महिलाओं के मिजाज पर हुए सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 46 फीसदी अमेरिकी महिलाएं इंटरनेट सर्फिंग को सेक्स से ऊपर रखती हैं। उनका मानना है कि कुछ हफ़्तों के लिए अगर उन्हें सेक्स और इंटरनेट में किसी एक चुनना हो तो वह इंटरनेट को तरजीह देंगी। अमेरिकी महिलाओं पर नेट का जादू इस कदर चल रहा है कि वह सेक्स से ज़्यादा फनी सर्फिंग को मानने लगी हैं। अमेरिका बेस्ड बड़ी सॉफ्टेवयर कंपनी इंटेल ने हैरिस इंटरएक्टिव के साथ मिलकर ' इंटरनेट रिलायंस इन टुडेज इकॉनमी ' मुद्दे पर एक सर्वे किया। सर्वे की शुरुआती नतीजे बताते हैं कि 46 फीसदी अमेरिकी महिलाएं इंटरनेट की इस कदर दीवानी हैं कि वह कुछ दिनों के लिए सेक्स से परहेज तो कर सकती हैं पर इंटरनेट की तिलिस्मी दुनिया से एक पल की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। हालांकि, सेक्स से बेपरवाही के मामले में अमेरिकी पुरुष भी पीछे नहीं हैं। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि करीब 30 फीसदी पुरुष भी सेक्स के आनंद की कीमत पर इंटरनेट पर पींगे बढ़ाना बेहतर समझते हैं। इस सर्वे के नतीजे इस मायने में भी खास हैं कि यह अमेरिकी अपमार्किट समाज के मिजाज की एक तस्वीर भी पेश करते हैं। सर्वे बताता है कि अमेरिकी समाज में इंटरनेट का महत्व पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ चुका है। यह इस कदर लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर हावी है कि जब लोगों से यह पूछा गया कि वह कौन से गैजिट या आइटम या सहूलियतें हैं, जिनके बिना वह नहीं जी सकते तो लोगों ने इंटरनेट को उस लिस्ट में सबसे ऊपर बताया। जबकि, केबल टीवी, बाहर डिनर, शॉपिंग और जिम जैसी पारंपरिक शौक सूची में कहीं पीछे हैं।

शादी के लिए चाहिए एचआईवी पॉजिटिव लड़की

सभी चाहते हैं कि उनकी शादी किसी खूबसूसरत, सुशील, गोरी चिट्टी, पतली और स्वस्थ लड़की से होए। य
ह पढ़कर आप सोचेंगे कि यह भी कोई बात हुई? भला कौन होगा जो इस तरह का सपना नहीं देखेगा। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो चाहता है कि उसकी होने वाली पत्नी भले ही खूबसूरत न हो, न ही उपरोक्त कोई खूबी हो! इसके उलट उसकी इच्छा है कि उसकी शादी ऐसी लड़की से हो जिसका दिमाग खूबसूरत हो और सबसे अहम बात यह कि उसे एड्ज़ (एचआईवी पॉजिटिव) होना जरूरी है। अहमदाबाद के चंदेश सोलंकी (29) की यही हार्दिक इच्छा है। खुद चंदेश को एड्ज़ नहीं है लेकिन उसकी इच्छा है कि वह किसी एचआईवी पॉजिटिव ग्रसित लड़की से शादी कर अपना घर बसाएं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि आखिर चंदेश ऐसा क्यों करना चाहता है? नहीं, कोई सामाजिक कार्य करने का उसका विचार नहीं है। असल में चंदेश अपनी पहली शादी की नाकामयाबी के बाद निराश हो गए हैं। एक गारमंट फैक्ट्री में मास्टर कटर के रूप में कार्यरत चंदेश ने बताया: अहमदाबाद में 2001 में आए भूकंप में हमारा घर टूट गया था। इसके बाद मैं अपनी पत्नी के साथ मुंबई काम धंधे के लिए आकर बस गया। छह महीने बाद मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि वह कॉलगर्ल बन गई है। चंदेश इस बात को सुनकर सकते में आ गया। इससे पहले कि वह कुछ संभलता और कुछ सोच पाता उसकी पत्नी अपने प्रेमी तीन बच्चों के पिता के साथ भाग गई। चंदेश का कहना है कि इस घटना के बाद वह टूट गया। उसने अब यह फैसला किया है कि वह शादी एचआईवी पॉजिटिव लड़की से करेगा। इसलिए कि वह मेरा ज्यादा ध्यान रखेगी।

wish to a happy new year2009

naya varsh aa raha hai sabhi is kay selibrasan ki tarayri kar rahay hai . lakin kya jo bitay varsh mai hua wo desh kay liya thik tha bilkul nahi desh mai terrist activactisn asi rahi rahi ki desh ka har am jan bhaybat ho gaya lakin kisi nay bhi himant nahi hari aur jo kuch hua wo sab kay hi samnay tha ayoo is naya saal mai prem kushi ki kamanay kay sath nay saal 2009 ka sawgat kartay hua sabhi buri aadatoo ko tayag de sabhi ko nay saaaal ki bhadai

नए साल में अपने लिए किए गए संकल्प पर टिकता क्यों नहीं है?


हम में से ज्यादातर लोग दिसम्बर में ही सोच लेते हैं कि नए साल में हम क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे। धूम्रपान छोड़ दूंगा, गुस्से पर काबू रखूंगा, अपनी चीजें करीने से रखूंगा, टालमटोल नहीं करूंगा, सुबह सैर किया करूंगा, वजन कम किया जाएगा- नए वर्ष में संकल्पों की सूची बहुत लम्बी है। दिलचस्प बात यह है कि 20 प्रतिशत लोग जनवरी के पहले हफ्ते में ही अपना संकल्प तोड़ देते हैं और 50 प्रतिशत लोग तीन महीने के अन्दर छोड़ देते हैं। यह एक पहेली है कि आज जबरदस्त कंपीटीशन में जो व्यक्ति अपने क्षेत्र में औरों से आगे हैं, वह नए साल में अपने लिए किए गए संकल्प पर टिकता क्यों नहीं है? एक मनोवैज्ञानिक का कहना है, 'नए वर्ष का संकल्प आमतौर पर भावनात्मक होता है और लोगों के दबाव में आकर किया जाता है। जो बात मन से नहीं उपजती, वह कमजोर होती है। आप को पता नहीं होता है कि क्या करना है या किस तरह करना है?' संकल्प पर कायम रहने के लिए योजनाबद्घ ढंग से एक-एक कदम बढ़ना चाहिए और आप को यह मालूम होना चाहिए कि आखिर आप चाहते क्या हैं और उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है। एक बड़ी कम्पनी में मानव- संसाधन विभाग की अधिकारी लीला मागो कहती हैं: 'संकल्प टूटने की एक वजह यह भी है कि जनवरी के पहले हफ्ते में ही लोग ज्यादती पर उतर आते हैं। सुबह सैर पर जाने का वादा करनेवाला एकाध किलोमीटर की बजाय तीन-चार किलोमीटर चलने लग जाता है। घर में व्यायाम करनेवाला कुछ ज्यादा ही कसरत करने लगता है और जोड़ों में दर्द की शिकायत करता है। जो दुबला होना चाहता है वह खाना- पीना आधे से भी कम कर देता है।' संकल्प टूटने का दूसरा कारण यह है कि चलो, आज मिस हो गया, नहीं कर सके, कल से फिर शुरू कर देंगे,' कह कर एकाध दिन के लिए उसे ताक पर रख देते हैं। बाक्स टॉप 10 संकल्प -....................1 वजन कम करेंगे। - फिट रहने के लिए व्यायाम करेंगे। सुबह सैर जाएंगे। - धूम्रपान छोड़ देंगे। - दारू कम पिऊंगा या छोड़ दूंगा। - बीवी बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिताएंगे।। - उधार नहीं लेंगे। - अपने आप को सुव्यवस्थित करूंगा। चीजें इधर उधर नहीं रखूंगा। टाल मटोल नहीं करूंगा। - जल्दी सो जाया करूंगा और सुबह जल्दी उठा करूंगा। - गुस्से पर काबू रखूंगा -10 बेकार की बातों को दिल में नहीं रखूंगा।

Monday, December 29, 2008

'ब्रेकफस्ट न लेने वाले जल्द गंवाते हैं कुंआरापन'

सुबह के समय लिए जाने वाले नाश्ते (ब्रेकफस्ट) का सेक्स से संबंध हो सकता है। पहली नज़र में यह सवाल अटपटा
लग सकता है, लेकिन जापानी रिसर्चर नई खोज के साथ सामने आए हैं। उनके मुताबिक, ऐसे यंगस्टर्स जो ब्रेकफस्ट नहीं करते, वे कम उम्र में ही अपना कुंआरापन गंवा देते हैं। जापान में 3 हजार लोगों पर की गई स्टडी में पता चला कि शुरुआती टीन ऐज में नियमित तौर पर नाश्ता न करने वाले लोगों ने औसतन 17.5 साल की उम्र में ही सेक्स कर लिया, जबकि ओवरऑल तौर पर यह उम्र 19 साल थी। ऐसे लोग जिन्होंने शुरुआती टीन ऐज में नियमित तौर पर ब्रेकफस्ट किया, उन्होंने 19.4 साल की उम्र में पहली बार सेक्स का अनुभव लिया। जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से की गई इस स्टडी का मकसद अनचाहे गर्भधारण को रोकने के उपाय ढूंढना था। स्टडी में यह नतीजा भी सामने आया कि सुव्यवस्थित घरेलू जीवन कम उम्र में सेक्स नहीं करने में सहायक होता है।
संभार टाईम्स

Tuesday, December 9, 2008

छोटे केश वाली महिलाएं कम कामुक


ये जुल्फ इतनी हसीन कैसे, ये जुल्फ नहीं घटा है घटा, यदि इन्हें घटा कहें तो फिर घटा को क्या कहें।’ वर्षो से कवि व शायर केशों को न जाने कैसी-कैसी उपमाएं देते आ रहे हैं। सेक्स का संबंध बालों से भी है। इसका खुलासा वैज्ञानिकों ने एक शोध में किया है शोध के अनुसार जिन महिलाओं के केश छोटे होते हैं वे सेक्स में कम रुचि लेती हैं। छोटे केश सज्जा वाली महिलाएं अथवा युवतियों की शारीरिक भाषा लंबे केश सज्जा वाली महिलाओं की तुलना में अलग होती है।
ऐसे में इन महिलाओं के प्रति पुरुष कम आकर्षित होते हैं। प्रारंभ में यह दावा 59 वर्षीय सेक्सथेरेपिस्ट व पूर्व हास्य कलाकार ‘पामेला स्टिफस्न ने किया था, कि ‘जो महिलाएं छोटे केश सज्जा को प्रमुखता देती हैं इनमें सेक्स के प्रति आकर्षण कम होता है। पामेला की इस रिपोर्ट को वैज्ञानिकों ने सही ठहराया।
‘वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि सेक्स व बालों के बीच गहरा संबंध हैं। जो महिलाएं अथवा युवतियां लंबे बालों को प्रमुखता देती हैं वे स्वंच्छंद प्रवृत्ति की होती हैं और वे अपने साथी का भरपूर साथ देती हैं।
इसके विपरीत जो महिलाएं छोटे केश सज्जा को प्रमुखता देती हैं वे अपने साथी का सहयोग नहीं दे पाती। वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी के लिए ‘केवमैन इरा’ यानी गुफा में रहने वाले आदिमानव का भी उदाहरण पेश किया। ‘डा. पैम स्पर’ ने बताया कि ‘आदिकाल से महिलाओं के केश पुरुषों को आकर्षित करते आ रहे हैं।और तो और शारीरिक संबंध बनाने में महिलाओं के केशों का एक अहम रोल होता है।’

Sunday, December 7, 2008

कुत्ता ढूंढो और एक लाख पाओ


भले उत्तराखण्ड में किसी अपराधी का पता देने वाले या पकड़वाने वाले के लिए एक लाख का इनाम न हो, पर दिल्ली से गायब हुए एक जर्मन शेफर्ड कुत्ते का पता देने वाले को जरूर एक लाख रुपये का इनाम दिया जायेगा। दिल्ली पुलिस ने इस बारे में उत्तराखण्ड और यूपी की पुलिस से भी मदद मांगी है और कुत्ते के फोटोग्राफ यहां भेजे हैं। डीसीआरबी ने इस बारे में सभी थानों को सचेत भी किया है और कहा है कि अगर कुत्ते का कहीं भी पता चले तो जरूर जानकारी दी जाए। दिल्ली के एक बड़े कारोबारी का प्रिय और बेशकीमती कुत्ता लूका कहीं गायब हो गया। मिक्स ब्रीड का ये डालमेशियन जर्मन शेफर्ड कुत्ता 28 अक्टूबर 08 को दिल्ली के मालचा मार्ग, चाणक्यपुरी से गायब है। एक साल चार माह का ये कुत्ता चूंकि बेशकीमती था, इसलिए हड़कंप मच गया। कुत्ते के लिए तमाम बड़े लोगों के फोन बजने शुरू हो गए और दिल्ली के चाणक्यपुरी थाने में मामला भी दर्ज कर लिया गया। कुत्ते का पता देने वाले को एक लाख रुपये का इनाम भी आनन-फानन में घोषित कर दिया गया। आसपास के जिलों में भी कुत्ते की फोटो समेत संदेश भेज दिये गए और इस काम में खुद चाणक्यपुरी थाने की पुलिस जुट गई। पुलिस के पास भी कुत्ते का फोटो और जानकारी पहुंची और उसका पता लगाने के लिए कहा गया है। इस बावत डीसीआरबी ने पूरे जिले के थानों को सूचना प्रेषित की है। अब भले पूरे जोन में एक लाख रुपये का कोई इनामी अपराधी न हो, लेकिन उक्त कुत्ते को खोजने पर जरूर एक लाख का इनाम मिलेगा।.............

Friday, December 5, 2008


अमेरिकी इंटेलिजंस चीफ ने कहा लश्कर की करतूत...........1
वॉशिंगटन: अमेरिका के इंटेलिजंस चीफ ने मुंबई हमलों के मामले में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैबा
पर उंगली उठाई है। इससे भारत के इस दावे को बल मिला है कि हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। अमेरिका में नैशनल इंटेलिजंस डाइरेक्टर माइक मेककॉनेल ने मंगलवार रात हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में दिए भाषण में यह शक जताया। इससे चंद घंटे पहले भारत ने मुंबई में आतंकवादी हमलों के मद्देनजनर लश्कर-ए-तैबा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद और पाकिस्तान में रह रहे अन्य भगोड़ों को सौंपने की मांग की थी। मुंबई में हुए हमलों में मारे गए लोगों में 6 अमेरिकी भी हैं। मैककॉनेल ने हालांकि लश्कर का नाम खुले तौर पर नहीं लिया लेकिन कहा कि हमारा मानना है कि मुंबई में हमलों के लिए वही ग्रुप जिम्मेदार है, जिसने सन 2006 में मुंबई की टेनों पर और 2001 में भारतीय संसद पर हमले किए थे। गौरतलब है कि भारत ने 2006 में मुंबई ट्रेन विस्फोट के लिए लश्कर-ए-तैबा को जिम्मेदार ठहराया था। संसद पर 2001 के हमले के लिए भी पाकिस्तान स्थित अन्य उग्रवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और इसी संगठन को जिम्मेदार ठहराया था। मैककॉनेल पहले अमेरिकी अधिकारी हैं, जिन्होंने अधिकृत तौर पर लश्कर पर मुंबई हमलों के पीछे होने का शक जताया है। .................................
,,,,,,,,,,,,के विभिन्न प्रांतों में पाकिस्तानी सेना की नाक के न
ीचे आतंक के कई स्कूल चलाए जा रहे हैं। इनमें न केवल कई तरह की एसॉल्ट राइफलें चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि जमीन से आसमान में मार करने वाली मिसाइलें और कंधे से छोड़ी जाने वाली मिसाइलें चलाने की भी ट्रेनिंग दी जाती है। पाकिस्तान में सेना से रिटायर्ड सैनिकों द्वारा चलाए जा रहे इन आतंकी स्कूलों का गहन अध्ययन करने के बाद यहां पाकिस्तान मामलों के विशेषज्ञ विलसन जॉन ने एक शोध रिपोर्ट में कहा है कि इन स्कूलों में आत्मघाती हमलों के लिए सैकड़ों लड़कों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें न केवल एके-47 और एमआई-5 जैसी राइफलें चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, बल्कि इन्हें जमीन से छोड़ी जाने वाली मिसाइलों के साथ कई तरह की लंबी दूरी तक जाने वाले रॉकिट लॉन्चरों को छोड़ने की भी ट्रेनिंग दी जाती है। विचार संस्था ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो विलसन जॉन ने अपनी रिपोर्ट में जो खुलासा किया है इससे साफ है कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय संकल्प दिखाए तो पाकिस्तानी सेना पर सबसे पहले इस बात के लिए दबाव डालना होगा कि इन स्कूलों को बंद करवाए। विलसन जॉन के मुताबिक, छोटे स्कूलों को तीन से चार लाख रुपये और बड़े स्कूलों को 20 से 30 लाख रुपये हर महीने सरकारी कोष से ही भेजे जाते हैं। संभवत: यह राशि पाकिस्तानी सेना की गुप्तचर एजंसी आईएसआई अपने विशेष कोष से भेजती है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक, ये आतंकी स्कूल खुले आम चल रहे हैं और यदि अमेरिकी सेना चाहे तो पाकिस्तानी सेना पर दबाव डलवा कर इन्हें बंद करवा सकती है। आतंकवाद की जड़ें उखाड़ने में अमेरिका सबसे बड़ा कदम यही उठा सकता है। यदि इन स्कूलों को बंद करवा दिया गया तो तालिबान और भारत विरोधी अन्य आतंकवादी संगठनों को जिहादी सैनिक नहीं मिलेंगे। विलसन जॉन के मुताबिक, ये स्कूल न केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर बल्कि पंजाब, वजीरिस्तान और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) में चल रहे हैं और इन स्कूलों के सिलेबस 9/11( न्यू यॉर्क में हुए हमले) के पहले चलाए जाने वाले आतंकवादी स्कूलों से अधिक आधुनिक है और जहां नई प्रणालियों की जानकारी दी जाती है। विलसन के मुताबिक, मुंबई पर आतंकवादी हमला करने वाले आतंकवादी इन्हीं स्कूलों से आए हैं। इन स्कूलों की मौजूदगी की जानकारी किसी गुप्तचर सूत्र से नहीं, बल्कि पाकिस्तान के अखबारों से हासिल की गई है। ये आतंकी स्कूल पिछले दो सालों के दौरान खुले हैं। इन्हीं स्कूलों से आतंकवादी संगठन तालिबान, हिजबुल मुजाहिदीन, अल बदर, मुजाहिदीन, लश्कर ए तैबा, जैश ए मुहम्मद अपने लिए जिहादी आतंकवादियों की भर्ती करते हैं। उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के हजारा इलाके में चल रहे इन स्कूलों में एक हजार से अधिक आतंकवादी ट्रेनिंग ले रहे हैं जहां इन जिहादियों द्वारा खुले आम किसी सैनिक की तरह राइफलें और मिसाइलों का संचालन सीखते देखा जा सकता है। मनसेहरा जिला के हिसारी और बतरासी आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में सबसे अधिक आतंकवादी तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा एबोटाबाद जिले में चल रहे ट्रेनिंग स्कूल में भी नाटो की सेना से लड़ने के लिए लश्कर ए तैबा द्वारा तालिबान के लड़ाकों की भर्ती की जा रही है। पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय रावलपिंडी की नाक के नीचे हरकत उल मुजाहिदीन द्वारा चलाए जा रहे ट्रेनिंग कैंप में सैकड़ों आतंकवादी प्रशिक्षित हो रहे हैं। भारतीय एजंसियों का आकलन है कि पाकिस्तान में इस तरह के कुल 55 कैंप चल रहे हैं जिन पर रोक लगाया जाए तो आतंकवाद से निबटने में बड़ी कामयाबी मिल सकती है। .......................2
इस्लामाबाद: मुंबई के आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानियों का हाथ होने की आशंका के बाद भारत ने पाकिस्तानी न
ागरिकों के लिए वीजा नियम सख्त कर दिए हैं। गुरुवार को यहां भारतीय उच्चायोग के वीजा काउंसिलर सुरेश रेड्डी ने बताया कि अब पाकिस्तानी नागरिकों की वीजा ऐप्लिकेशन 15 दिन की बजाय 30 दिन में प्रोसेस होंगी। नया नियम 15 दिसंबर से लागू कर दिया जाएगा। हालांकि, रेड्डी ने स्पष्ट किया कि यह नियम मेडिकल इमरजंसी के मामलों में लागू नहीं होगा। इसके अलावा भारत सरकार ने नया वीजा फॉर्म भी जारी किया है। यह हाई कमिशन की वेबसाइट पर मौजूद है। ..................मुंबई में आतंकवादी हमलों के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान में तना
व की स्थिति बन गई है। भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान से दाऊद इब्राहिम समेत 20 मोस्ट वॉन्टिड आतंकवादियों को सौंपे जाने की मांग की है। इन सबके बीच अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम कराची में आराम से रह रहा है। उसे किसी की भी परवाह नहीं है। वह हर रोज की ही तरह अपनी दिनचर्या में व्यस्त है। कुछ दिन पहले दाऊद के रिश्तेदार (वैध भारतीय पासपोर्ट के साथ) उससे मिलने कराची गए थे। उनमें सलीम अंसारी भी था। सूत्रों ने बताया कि दाऊद को इस बात का पूरा यकीन है कि पाकिस्तानी प्रशासन के अधिकारी उसे छू भी नहीं पाएंगे। इसी यकीन के सहारे उसने अपनी डेली रूटीन में कोई तब्दीली नहीं की है। वह मुंबई में अपने जानने वालों से निरंतर फोन पर बातें करता है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, रीयल एस्टेट बिजनस में डी कंपनी की बागडोर संभालने वाले दाऊद के एक कॉन्टैक्ट ने हवाला के जरिए 120 करोड़ रुपये उस तक पहुंचाए। मुंबई और कराची के बीच हवाला का यह खेल बदस्तूर जारी है। भारतीय सुरक्षा एजंसियां और अमेरिकी खुफिया विभाग के अधिकारी भी दाऊद की गतिविधियों पर पैनी पजर रखे हुए हैं। उनसे मिलने वाली जानकारी के आधार पर ही भारत यह कहता आ रहा है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है। लेकिन, सेंट्रल एजंसियां यह सवाल उठा रही हैं कि महाराष्ट्र सरकार ने आखिर यहां डी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब हम मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में दाऊद के साम्राज्य को खत्म करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं तो पाकिस्तान से उसे सौंपने के लिए कहने का कोई औचित्य नहीं है। ..................

'पाक दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क'

वॉशिंगटनः अमेरिका में जारी एक खास रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बन ग
या है। अगर विश्व बिरादरी ने इस पर गौर नहीं किया, तो आने वाले पांच सालों में यहां पनप रहे आतंकवादी परमाणु और जैविक हथियारों से दुनिया को तबाह करने में सक्षम हो जाएंगे। मुंबई पर हुए आतंकी हमले बाद अमेरिकी संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। पाकिस्तानी अखबार ' द न्यूज़ ' में इस रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान की जमीन पर पनप रही दहशतगर्दों की पौध 2013 तक इतनी खतरनाक हो जाएगी कि वह किसी भी देश पर परमाणु या जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने में नहीं हिचकेगी। गौरतलब है कि 6 महीने पहले अमेरिकी संसद की पहल पर ' वर्ल्ड एट रिस्क ' नाम से तैयार की गई इस रिपोर्ट को मंगलवार को कांग्रेस को सौंपा गया। छह महीने के शोध पर आधारित इस रिपोर्ट में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा को आगाह किया गया है कि अमेरिकी सुरक्षा की दीवार अब कमजोर पड़ रही है। वाइट हाउस की ओर से बताया गया कि इस रिपोर्ट को प्रेज़िडंट जॉर्ज डब्ल्यू बुश और नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति जोसेफ बिदेन को सौंपा गया है।

Thursday, December 4, 2008

पुलिस के उन अधिकारियों पर सवालियां निशान लग गया है

मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में सैकड़ों लोगों के मारे जाने के बाद उत्तराखंड सरकार पिछले तीन दिनों से आंतरिक सुरक्षा को लेकर बैठकें कर रही है और प्रदेश के डीजीपी दावा कर रहे है कि बढ़ते आतंकवाद को देखते हुए उत्तराखंड में पुलिस सुरक्षा के अत्याधुनिक तरीके अपनाएंगी, लेकिन धरातल पर पुलिस मुख्यालय के चंद अधिकारियों के यह दावें उस समय हवाई साबित हो गए जब आतंकवादियों से जंग लड़ने के लिए तीन बार खरीदी गयी बुलेटप्रूफ जैकेटों की गुणवत्ता को परखने के लिए जब उन पर 9 एमएम की गोलियां दागी गयी तो यह जैकेटे इन गोलियों को नहीं झेल पायी और इन सभी जैकेटों में गोलियां आर-पार हो गयी। जांबाजों के लिए खरीदी गयी निम्न स्तर की इन बुलेटप्रूफ जैकेटों को किन अधिकारियों के इशारे पर खरीदा गया था इसकी जांच अब होना लाजमी है क्योंकि अब देश की जनता उन अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बक्शने के लिए तैयार नहीं है जो कि जांबाज अधिकारियों व पुलिस कर्मियों की जान को कमीशनखोरी के चलते जोखिम में डालने का खेल खेल रहे है। पुलिस के अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय ने अपने जांबाज अधिकारियों व पुलिसकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए वर्ष 2004, 2006 व 2007 में बुलेटप्रूफ जैकेटे खरीदी थी। चर्चा है कि इन जैकेटों को सभी जनपदों में वितरित कर दिया गया था। बताया जा रहा था कि इन जैकेटों को राज्य में बनाए गए दल एसओजी ग्रुप को भी सुरक्षा की दृष्टि से दिया गया था। यह जैकेटे पुलिस ने हालांकि अल्मारियों में कैद करके रखी गयी है और अभी तक किसी भी जनपद के पुलिस अधिकारी ने संभवतः इतनी जहमत नहीं उठायी कि वे इस बात का आंकलन कर लें कि जो जांबाज आतंकवादियों से जंग लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहते है उनके लिए जो बुलटप्रुपफ जैकेट खरीदी गयी है वे किस स्तर की है और अगर जांबाज सिपाहियों पर आतंकी हमला हो जाए तो जिन जैकेटों को पहनकर जांबाज सिपाही जंग लड़े तो क्या ये जैकेटें आतंकियों की गोली को झेल पाएगी। विश्वस्तसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस मुख्यालय ने खरीदी इन जैकेटों की गुणवत्ता को परखने के लिए कोई मिशन नहीं चलाया क्योंकि यहां अभी तक ऐसा कोई आतंकी हमला नहीं हुआ है जिससे कि ऐसी जैकेटों को पहनकर जांबाज जंग में उतर सके। चंद समय पूर्व जब मुंबई में आतंकवादियों ने हमला किया तो उन्होंने अपने अतिआधुनिक हथियारियों से हमला कर सैकड़ों लोगों के अलावा दर्जनों सिपाहियों व पुलिस अधिकारियों को भी मौत के घाट उतार दिया जिसके बाद एकाएक राज्य की सरकार भी ऐसे आतंकी हमलों से निपटने के लिए मंथन करने लगी। हालांकि इस राज्य में न तो एटीएस का गठन और न ही एसटीएपफ का। हां इतना जरूर है कि चार जनपदों के लिए अधिकारियों ने क्विक एक्शन टीम का गठन किया है जिनमें से हरिद्वार, दून नैनीताल, उफधमसिंहनगर को चुना गया है। इस टीम में 24 सदस्यों को शामिल किया गया है और वे कुछ दिनों बाद पुलिस कंट्रोल रूम में बैठेंगे। एक ओर जहां सरकार व पुलिस मुख्यालय के कुछ अधिकारी आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले तीन दिनों से बैठकों का आयोजन कर आतंरिक सुरक्षा से निपटने के लिए रणनीति बना रहे है वहीं उनकी यह रणनीति उस समय तार-तार होती दिखायी पड़ी जब पुलिस मुख्यालय द्वारा तीन बार खरीदी गयी बुलेटप्रूफ जैकेटों की गुणवत्ता के परखच्चे उड़ गए।पुलिस के अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते रोज राजधानी के कुछ पुलिस अधिकारियों ने हमने जांबाजों के लिए खरीदी गयी तीनो जैकेटों की गुणवत्ता को परखने के लिए उन्हें वे क्लेमनटाउन के सैन्य क्षेत्र में पफायरिंग रेंज ले गए। पुलिस में ही चर्चा है कि जब इन बुलेटप्रूफ जैकेटों पर 9 एमएम की गोलियां दागी गयी तो यह जैकेटे इन गोलियों को नहीं झेल पायी और तीनों जैकेटों में गोलियां आर-पार हो गयी। आतंकवाद से लोहा लेने के लिए जांबाज अधिकारियों व सिपाहियों के लिए खरीदी गयी इन दिखावटी बुलेटप्रूफ जैकेटों में जिस तरह से गोलियां आर-पार हुई है उससे पुलिस के उन अधिकारियों पर सवालियां निशान लग गया है जिनकी देखरेख में इन बुल्लेट प्रूफ़ जैकेटों को खरीदा गया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार किन अधिकारियों ने इन जैकेटों को खरीदने के लिए हरी झंडी दी और इन्हें खरीदते समय इनकी गुणवत्ता को क्यों नजरअंदाज किया गया है। अब बात यह भी उठ रही है कि एक ओर तो राज्य में आतंकवाद का खतरा लगातार मंडरा रहा है और वहीं उनसे लोहा लेने वाले जांबाज सिपाहियों के लिए बुलटप्रुपफ जैकेटे नहीं बल्कि मौत का सामान खरीदा गया है। पुलिस विभाग में यह चर्चा भी है कि जो बुलेटप्रूफ जैकेट 9 एमएम की गोली को नहीं झेल पायी वे आतंकवादियों के अतिआधुनिक हथियार एके-56 व एके-47 की गोलियां कैसे झेल पाएगी यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अगर वास्तव में सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए गंभीर है तो उसे जांबाज अधिकारियों व पुलिसकर्मियों के लिए उन संसाधनों को खरीदना चाहिए जो कि आतंकवादियों से लड़ने के दौरान उनके लिए ढाल का काम कर सके।

वही भिक्षुक हैं ना जो हर पाँच वर्ष में रंग बदलते हैं?

मुंबई हमले के बाद हमारे देश के नेताओं ने जिस तरह से बयान दिए हैं उससे उनकी बेशर्मी और बेहूदगी का अहसास स्वतः ही हो जाता है सत्ता के गलियारे में बैठे इन नेताओं से तो देश की सुरक्षा व्यवस्था की दिशा में कोई काम नहीं किया जाता दूसरा एक जवान देश के नाम अपनी जान कुर्बान कर देता और उसकी शहादत पर गर्व करने के बजाय उस पर व्यंगात्मक टिप्पणी की जाती है शहीद मेजर के पिता की अव्यक्त पीड़ा को कौन समझेगा जो छटपटाकर नेता को बाहर का रास्ता दिखाने को बाध्य हो जाती है? स्तब्ध हैं सारे देशवासी केरल के सीएम के बयान को सुनकर कि अगर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद नहीं होते तो कोई कुता भी उनके दरवाजे नहीं आता । अपने इस बयान के बाद मुख्यमंत्री ने न सिर्फ अपने पद की गरिमा को ठेश पहुंचाई बल्कि पूरे देश का अपमान किया ये वही भिक्षुक हैं ना जो हर पाँच वर्ष में रंग बदलते हैं? ये वही झूठों के बादशाह हैं जो चुनाव के वक्त अपनी वादों की पिटारी खोल कर तमाशा दिखाने बैठ जाते हैं और वह वोट जो हम लोकतंत्र की लाज बचाने के लिए धूप में कतारबद्ध खड़े हो कर इन्हें अर्पित करते हैं। उस वोट के बदले में हमें मिलाती है बेरोजगारी, असुरक्षा, भ्रष्टाचार, अनीति खुद लालबत्ती और सुरक्षा के घेरे में रहने वाले इन नेताओं को पूरे देश की असुरक्षा का ज़रा भी एहसास नहीं है और इस एक बेशकीमती वोट के बदले नेताओं को मिलती है लाल बत्ती की गाड़ी ,सुरक्षा गार्ड, आलीशन बंगले, नौकर और सुख-सुविधाओं का जखीरा । इन्हें तो भिक्षुक कहना भी गलत होगा क्योंकि भिक्षुक भिक्षा प्राप्ति के बाद आशीर्वाद देकर जाते हैं । उनकी इस बयानबाजी से समझ नहीं आता कि किस मिट्टी के बने हैं ये घृणित नेता जिन पर किसी भी गाली का असर तो होता नहीं उल्टे बेलगाम जुबान से समय, मौका और परिस्थितियों को ना समझते हुए ऐसी शर्मनाक बयानबाजी करते हैं। शहीद उन्नीकृष्णन के पिता ने तो सिर्फ घर घर में प्रवेश करने से रोका है अगर और कोई होता तो शायद वही सलूक करता जिसके वो लायक हैं देश के मासूम सपूत इस देश की रक्षा के लिए कुर्बान हो गए और हमारे नेताओं के मुँह से ऐसी मिट्टी झर रही है। क्या केरल के मुख्यमंत्री को इस दर्द का अहसास भी है कि अपने इकलौते बेटे को राजनीतिक दुर्बलता के चलते खो देना कैसा होता है? क्या बेहतर यह नहीं होता कि वे सार्वजनिक रूप से क्षमा याचना करते हुए कहते कि मैं शहीद के पिता की पीड़ा समझ सकता हूँ और इस समय उनका गुस्सा जायज है। मैं उनके गुस्से का सम्मान करता हूँ । हर नेता चाहे वे किसी भी पार्टी के हों उन्हें एक बात को अच्छी तरह से समझ में आ जानी चाहिए कि आज वे सब सड़क पर खड़े हैं। उनके सारे भेद खुल चुके हैं। आज देश का बच्चा-बच्चा उनके नाम पर गालियाँ दे रहा है। और उन पर सौपी गई अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी पर अफ़सोस व्यक्त कर रहा है एक शहीद के लिए इतनी निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करना संस्कार नहीं हैं अफ़सोस तो इस बात का भी है कि देश के नेता इतना भी नहीं जानते कि एक शहीद के परिवार की व्यथा को समझते हुए संवेदना प्रकट करने का तरीका क्या है तब तो उन्हें इसी तरह की भाषा में समझाना होगा, यही उनके स्तर की है । देश की जनता अब इन्हें सुधरने और सम्हलने का मौका भी नहीं देना चाहती । इनकी झूठी माफी भी नामंजूर किया जाना चाहिए सारा देश इस समय संदीप उन्नीकृष्णन के पिता के साथ-साथ सभी शहीदों के परिवार के दर्द को गहराई से महसूस कर रहा है। मुंबई में हुए हमलों के बाद सारा देश एक जुट है और आज गद्दी पर बैठे इन नेताओं को होश में आ जाना चाहिए कि अब कोई धोखा नहीं चलेगा कोई फरेब नहीं चलेगा कोई बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जायेगी अब वे देश की जनता को अपने झूठे वादे और बड़ी बड़ी घोषणाओं से गुमराह नहीं कर सकते यही समय है कि वे अपनी खोती हुई साख बचाने एकजुट होकर काम करें

पाक की आतंकी सूची में ठाकरे, छोटा राजन भी

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने भारत की तरफ से दी गई आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल लोगों को सौंपने से तो इनकार कर ही दिया है , अब वह जवाब में भारत को भी आतंकियों की एक लिस्ट सौंपने की सोच रहा है , जो भारत में रह रहे ऐसे लोगों की है जो पाकिस्तान सरकार के मुताबिक वहां आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। इस सूची में अन्य लोगों के अलावा शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन भी शामिल हैं।
एक पाकिस्तानी वेबसाइट 'डेलीमेल टुडे ' ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि कुछ पहले ही तैयार कर ली गई है। लिस्ट में बाल ठाकरे का नाम चौथे नंबर पर दिखाया गया है। ठाकरे को पाकिस्तान में कम से कम तीन बड़े जनसंहार करवाने का दोषी बताया गया है जिनमें 33 लोगों की मौत बताई गई है। इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में जातीय हिंसा भड़काने का भी जिम्मेदार बताया गया है।
लिस्ट इस प्रकार है : 1) अजय वर्मा कर्नाटक निवासी) , 2) मनोज शास्त्री उर्फ जावेद खान मुंबई निवासी 3) राजू मुखर्जी , कोलकाता निवासी 4) बाल ठाकरे , मुंबई निवासी 5) विवेक खत्री उर्फ काला पठान , महाराष्ट्र निवासी 6) अशोक विद्यार्थी उर्फ असलम , अजमेरशरीफ निवासी , 7) राजन निखालजे उर्फ छोटा राजन (उसे रॉ के स्पेशल ऑपरेशंस विंग का प्रमुख बताया गया है) , 8) आशुतोष श्रीवास्तव उर्फ मौलवी नजीर उर्फ मुल्ला , इलाहाबादवासी 9) अशोक दूबे उर्फ शाहजी , गांधीनगर निवासी 10) संजीव जोशी , मुंबई निवासी 11) रामप्रकाश उर्फ रानू उर्फ अली , हैदराबाद निवासी 12) रमेश वर्मा , पुणे निवासी 13) बिहारी मिश्र 14) मनोज कुलकर्णी , कोलकाता निवासी 15) वेंकटेश राघवन , महाबलेश्वर निवासी 16) अजित सहाय , 17) अशोक वोहरा उर्फ नेपाली 18) विजय कपाली उर्फ गुरु , महाराष्ट्र निवासी 19) विवेक संतोषी , कोलकाता निवासी 20) मोहनदास शर्मा , पटना निवासी , 21) रामगोपाल सूरती , सूरत निवासी 22) राकेश उर्फ कालिया , मुंबई निवासी 23) प्रकाश संतोषी , लखनऊ निवासी 24) अमन वर्मा उर्फ पप्पू उर्फ गुल्लू , आगरा निवासी 25) मोहिंदर प्रकाश उर्फ यासिन खान उर्फ रियाज चिट्ठा , लखनऊ निवासी 26) आशीष जेटली उर्फ शेख उर्फ ओसामा , मुंबई निवासी 27) मनोहर लाल उर्फ पीर जी उर्फ अबू खालिद , गोहाटी निवासी 28) रामनारायण उर्फ मुफ्ती नई दिल्ली निवासी 29) अरुण शेट्टी , मुंबई निवासी 30) निखंज लाल , हरियाणा निवासी 31) सुनील वर्मा उर्फ हत्यारा , महाराष्ट्र निवासी , 32) आशीष चौहान , नई दिल्ली निवासी 33) बबलू श्रीवास्तव (छोटा राजन गैंग का सदस्य) 34) सुरेश उर्फ आमिर उर्फ अकबर खान 35) अबू बकर।
चुटकी : मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की लिस्ट सौंपी तो अब पाकिस्तान भी ऐसी ही एक लिस्ट भेजकर भारत को जवाब देने की तैयारी में है। भारत ने पाकिस्तान से माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम मांगा जबकि पाकिस्तान ने अपनी लिस्ट में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का नाम शामिल कर दिया है। क्या भारत को दाऊद के बदले बाल ठाकरे को पाकिस्तान को सौंप देना ........................संभार दलली मेल

जब आपका बच्चा करने लगे ड्रिंक

मेट्रो सिटीज़ में युवाओं में ड्रिंक्स करने का चस्का तेजी से फैल रहा है। अगर आप चाहते हैं कि ड्रिंक के
नशे में आपका बच्चा किसी दुर्घटना का शिकार न हो, तो उसकी हरकतों पर नज़र रखें। हाल ही में हुए एक सर्वे ने स्पष्ट कर दिया है कि कॉलिज तो कॉलिज, अब स्कूल के बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं और उन्हें इसमें कोई बुराई नज़र नहीं आती। फिर पैरंट्स के वर्किन्ग होने की वजह से बच्चों पर कंट्रोल भी बहुत कम है। ऐसे में वे ड्रिंक की लत में बहुत जल्दी फंस जाते हैं। इस बात से उनको दूर रखने के लिए उनसे अच्छा कम्यूनिकेशन बनाएं और उनकी हरकतों पर भी नज़र रखें। शौकिया होती है लत कॉलिज व स्कूल में टीनएजर्स अपने दोस्तों के उकसाने पर ड्रिंक करते हैं, लेकिन बाद में उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है। उनके लिए पार्टियों व डिस्को में ड्रिंक करना एक स्टाइल स्टेटमेंट है। अगर आपका बच्चा रात को देर से आता है या अक्सर अपने दोस्त के घर रुकता है, तो इसका साफ मतलब है कि वह बुरी संगति में फंस गया है। ऐसी नौबत को रोकने के लिए आप उसे ड्रिंक्स से होने वाले नुकसान से पहले ही वाक़िफ करवा दें। अपने बच्चे को बताएं कि दोस्त हमेशा ड्रिंक करने के लिए उकसाते हैं, लेकिन उसे इन चीजों से बचकर चलना है। एजुकेशन अक्सर पैरंट्स अपने बच्चों को ज्यादा ड्रिंक न करने और ड्रिंक करके ड्राइव न करने की ठीक सलाह देते हैं, लेकिन टीनएजर्स इन्हें बस लेक्चर की तरह लेते हैं। वे इन बातों की गहराई को समझ नहीं पाते। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी बात सुनने के साथ उनका अर्थ भी समझे, तो आप पूरा दिन उसके साथ बिताएं। अपने बच्चे की सारी बातों को ध्यान से सुनें और उदाहरण के साथ अपनी बात कहें। उसे इंटरनेट के जरिए भी इन बातों से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं। उसे समझाएं कि यह सिर्फ एक विषय ही नहीं, बल्कि हकीकत है। अपने आस-पास ड्रिंक करने वाले लोगों के उदाहरण दें। बच्चे से करें कमिटमंट आप जानते हैं कि आपका बच्चा पार्टी में ड्रिंक करता है। ऐसी स्थिति में उसके लिए कुछ नियम बना दें। उसे बता दें कि अगर वह पार्टी में डिंक करता है, तो खुद ड्राइव न करे, बल्कि घर से किसी को लेने के लिए बुलाए। आप भी अपने बच्चे को लेट नाइट पार्टी से लाने के लिए हमेशा तैयार रहें। अक्सर देखा गया है कि जब बच्चा रात में आपको फोन करता है, तो झुंझलाहट में आप उसे लाने से इनकार कर देते हैं। आप जब उसे लेकर आ रहे हैं, तो उसे कोई भी लेक्चर न दें। बल्कि उसकी तारीफ करें कि ऐसी सिचुएशन में उसने आपको फोन किया। अगर आप उसे कुछ समझाना चाहते हैं, तो सुबह कहें क्योंकि तब तक उसका नशा उतर चुका होगा। बच्चे को यह भी बताएं कि ड्रिंक के नशे में वह अपने किसी दोस्त या अजनबी के साथ न जाए। इस तरह ड्रिंक करने के बाद बच्चा भटकेगा नहीं। लक्षण पहचानें बच्चा जब भी डिंक करके घर आएगा, तो वह कोशिश करेगा कि किसी को पता न चले। चूंकि आप भी अपने काम में बिजी होते हैं, इसलिए आप भी उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाएंगे। ऐसे में कभी-कभार ड्रिंक करने का उसका शौक धीरे-धीरे लत में तब्दील हो जाएगा। उसको पकड़ने के लिए आप उन लक्षणों को पहचानें, जिससे पता चल जाए कि उसने ड्रिंक किया है। अगर उसकी आंखें लाल रहती हों, उसका फ्रेंड सर्कल बदल रहा हो, कॉलिज या स्कूल उसकी परफॉर्मेन्स का स्तर गिर रहा हो, तो समझ जाएं कि वह गलत राह पर है।

Monday, December 1, 2008

महिलाओं के एचआईवी से बचाव का अभी एकमात्र उपाय फीमेल कंडोम ही है।


ऐसे समय में जब दुनिया भर में एचआईवी/ एड्स की बी मारी लगातार अपने पांव पसारती जा रही है तो भारत ने इसकी रोकथाम के लिए नई पहल करने की ठानी है। भारत ने इस घातक बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए महिला कॉन्डम के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और इसे लोकप्रिय बनाने का फैसला किया है। महिलाओं के एचआईवी से बचाव का अभी एकमात्र उपाय फीमेल कंडोम ही है।
भारत के प्रयास को इस तथ्य के मद्देनज़र विशेष कहा जा सकता है कि दुनिया भर की जानी-मानी महिला कार्यकर्ताओं का मानना है कि फीमेल कॉन्डम को लोकप्रिय बनाने में ग्लोबल स्तर पर नाकामी हाथ लगी है। पिछले 15 सालों से इस बारे में भारी अज्ञानता और काहिली बनी हुई है। लेकिन भारत उन चंद अपवादों में शामिल है, जहां महिला कंडोम की स्वीकार्यता 97 % परसेंट के उच्चतम स्तर पर है। यही वजह है कि नैशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) इस प्रस्ताव पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है कि पूरे देश में फीमेल कंडोम को मात्र तीन रुपये की कम कीमत पर मुहैया कराया जाए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदॉस ने यहां अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन में कहा कि भारत में 87 फीसदी से ज्यादा मामलों में एड्स असुरक्षित सेक्स की वजह से होता है। उन्होंने कहा कि सभी नए इनफेक्शन में करीब 38 परसेंट महिलाओं को होता है। हमने पायलट चरण में पांच लाख कॉन्डम वितरित किए और इस कार्यक्रम को बड़ी कामयाबी मिली। अब हम अपने अभियान को और जोर-शोर से चलाने की योजना बना रहे हैं। 2001 में हमारे देश में कॉन्डम के नौ लाख सामान्य आउटलेट्स थे, जबकि 2010 तक 30 लाख आउटलेट्स हो जाएंगे।
नाको की महानिदेशक के. सुजाथा राव बताया कि फीमेल कंडोम खासकर घरेलू सेक्स के संदर्भ में प्रभावी साबित हुआ है लेकिन वेश्यावृत्ति के संबंध में इसे उतनी कामयाबी नहीं मिली। हमलोग महिलाओं को महज तीन रुपये में कॉन्डम मुहैया कराने की योजना पर काम कर रहे हैं, जबकि हमें इस कॉन्डम की लागत 23 रुपये पड़ती है। राव ने कहा कि हाल तक हमलोग फीमेल कॉन्डम को 40 रुपये में खरीदकर पांच रुपये में महिलाओं को उपलब्ध करा रहे थे।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत नाको ने यूके की फीमेल हेल्थ कंपनी (एफएचसी) से पांच लाख कॉन्डम खरीदे और इन्हें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों में घरेलू महिलाओं के साथ-साथ सेक्स वर्कर्स को उपलब्ध करवाया गया। भारत अभी हाल तक फीमेल कॉन्डम का आयात करता रहा है। अब हिंदुस्तान लेटेक्स कंपनी ने कोच्चि में फीमेल कंडोम मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई है। यह यूनिट हर साल एक करोड़ फीमेल कॉन्डम का उत्पादन करेगी। ..........................................संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि दुनिया भर में हर दिन 7,000 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव हो जाती हैं। इसके मद्देनजर यूएन ने सेक्सुअल हेल्थ सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच का आह्वान किया है। उसने एड्स बीमारी के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए भारत के प्रयासों की प्रशंसा भी की है।
युनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड की डिप्टी इग्जेक्युटिव डायरेक्टर पूर्णिमा माने ने कहा कि लड़कियों और जवान महिलाओं को दोगुने खतरे का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस बीमारी से उनके बचाव के लिए दोगुनी कोशिश की जरूरत है। उन्होंने कम उम्र की लड़कियों में एचआईवी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले उपायों पर यहां एक गाइड जारी करते हुए यह बात कही।
माने ने कहा कि भारत में नागरिक प्रशासन संगठनों और कार्यकर्ताओं ने बाल विवाह निषेध अधिनियम को पारित करवाने में योगदान किया है। यह लड़कियों को कम उम्र में शारीरिक संबंध से बचाने में मदद करता है जो उनमें एचआईवी संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। उन्होंने इस बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिश के लिए दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम की भी प्रशंसा की।
यूएन की इस संस्था ने बाल विवाह को समाप्त करने और जवान महिलाओं को एचआईवी/ एड्स से लड़ने के लिए ज्यादा सामाजिक-आर्थिक सुविधाएं देने का आह्वान भी किया। इस गाइड को युनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड (यूएनएफपीए), इंटरनैशनल प्लैंड पैरंटहुड फेडरेशन (आईपीपीएफ) और एचआईवी पॉजिटिव यंग लोगों ने मिलकर तैयार किया है। .........................क्या सेक्स आपको राजनीति के ऊंचे पायदान पर चढ़ा सकता है ? अगर आप इस सवाल को ब ेतुका समझ रहे हैं, तो ऑस्ट्रेलिया का रुख कीजिए। ऑस्ट्रेलिया में सेक्स को गंभीरता से लेने वालों के लिए ' द ऑस्ट्रेलियन सेक्स पार्टी ' बनाई गई है।
गुरुवार को बनाई गई इस पार्टी का स्लोगन है ' हम सेक्स को लेकर गंभीर हैं ' । इस पार्टी ने उन 40 लाख लोगों को अपना लक्ष्य बनाया है जो पॉरनॉग्रफी को लेकर काफी संजीदा हैं। पार्टी के नेताओं का विश्वास है इसकी मदद से स्टेट और फेडरल संसद में सीटों को जीतने में अंतर आएगा। इस पार्टी के एजेंडे में सेक्स एजुकेशन, सेंसरशिप को समाप्त करना, सरकार के प्रस्तावित इंटरनेट फिल्टर को हटाना और लोगों को शादी करने में मदद करना शामिल है।
पार्टी की संयोजक फियोना पट्टन ने मीडिया में आई रिपोर्ट में कहा कि पांच साल में ऑस्ट्रेलियाई सेक्स इंडस्ट्री को इंटरनेट फिल्टर के कारण बाज़ार से बाहर होना पड़ सकता है। नैशनल सेक्स एजुकेशन सिलेबस पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि सेक्स के बारे में बच्चों में जागरुकता लाना बेहद जरूरी है। हम चाहेंगे कि सेक्स एजुकेशन को लागू किया जाए। ..................भारतीय दंपती अभी भी सेक्स जैसे मुद्दे पर आपस में खुलकर बातचीत नहीं करते। एक सर्वे के मुताबि क, भारतीय पुरुषों के लिए प्राथमिकता के लिहाज से सेक्स 17वें पायदान पर आता है, जबकि महिलाओं में यह 14वें नंबर पर है। पारिवारिक जीवन के अलावा पुरुषों ने जीवनसाथी, करिअर, मां या पिता की भूमिका निभाने, आर्थिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने को अहमियत दी। कमोबेश महिलाओं की भी यही प्राथमिकताएं थीं।
यह सर्वे जानी-मानी दवा कंपनी फाइजर ग्लोबल फार्मास्युटिकल्स द्वारा कराया गया है। इससे निकले नतीजों के मुताबिक यौन संतुष्टि का शारीरिक स्वास्थ्य और प्यार या रोमैंस से गहरा संबंध है। मुंबई के लीलावती अस्पताल के डॉक्टर रुपिन शाह का कहना है कि भारत में जो पुरुष यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, उनके समग्र जीवन में भी संतुष्टि की कमी है। भारत में हुए इस सर्वे में 400 इलाके चुने गए थे। इनमें से अधिकतर शहरी क्षेत्र थे। इस पर टिप्पणी करते हुए शाह कहते हैं कि इस सर्वे को शहरी कहा जा सकता है। लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मैं जानता हूं कि देश के ग्रामीण इलाकों से भी सर्वे के ऐसे ही नतीजे निकलते।
सर्वे के अनुसार भारत सहित एशिया प्रशांत क्षेत्र देशों के 57 फीसदी पुरुष और 64 फीसदी महिलाएं सेक्स जीवन से बहुत संतुष्ट नहीं हैं। जो महिला और पुरुष अपने यौन जीवन से बहुत अधिक संतुष्ट हैं, उनमें से 67-87 फीसदी ने कहा कि वे अपने जीवन से खुश हैं। दूसरी ओर ऐसे लोग जो अपने सेक्स जीवन से कम संतुष्ट हैं, उनमें से महज 10 से 26 फीसदी ने माना कि उनकी जिंदगी खुशहाल है।
इस सर्वे का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि पुरुष सेक्स को जिंदगी की अहम प्राथमिकताओं में जगह देते हैं। दूसरी ओर, महिलाएं उसे कम तरजीह देती हैं। सर्वे में भारतीय पुरुषों की स्तंभन कठोरता और उनके सेक्स जीवन में भी सीधा संबंध देखा गया। इस सर्वे में भारत सहित 13 देशों के 25 से 74 की उम्र के कुल 3,957 लोगों को शामिल किया गया था, जिनमें 2016 पुरुष और 1,941 महिलाएं शामिल थीं। संभार दर्पण