पिछले 20 सालों में देश भर में लगभग एक करोड़ बेटियों की जन्म से पहले ही बलि
चढ़ा दी गई। यही वजह है कि आज देश के कई राज्यों में सेक्स रेश्यो एक बड़ी समस्या बन गया है। बावजूद इसके कन्या भ्रूण हत्या पर रोक नहीं लग पा रही है। यह बात पुष्पांजलि क्रॉसले हॉस्पिटल की सीनियर गायनेकॉलजिस्ट डॉ. शारदा जैन ने कहीं। भ्रूण हत्या पर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलिज में गुरुवार को आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों का लगातार घटता अनुपात बहुत बड़ी सामाजिक समस्या का कारण बन रहा है। हरियाणा के कई जिलों में इसका असर दिखना शुरू हो गया है, जहां शादी के लिए लड़कियां पैसे देकर आदिवासी इलाकों या बांग्लादेश से मंगाई जा रही हैं। एक लड़की से कई भाइयों की शादी के मामले भी सामने आए हैं। बावजूद इसके लोगों की परंपरागत सोच में बदलाव नहीं आ रहा है और बेटे की चाह में कोख में ही बेटियों की हत्या कर दी जाती है। ऐसे में मेडिकल फेटरनिटी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस मौके पर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलिज के डीन डॉ. ए. के. अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 1951 की जनगणना के मुताबिक देश के सिर्फ एक जिले में लड़कियों का अनुपात प्रति एक हजार लड़कों पर 800 के करीब पाया गया था, मगर 2001 तक 800 जिले इस स्थिति में पहुंच गए। भ्रूण हत्या में पंजाब जैसे समृद्घ राज्य भी पीछे नहीं हैं।
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