Monday, September 21, 2009
मैदानी जिलों में 532 शिक्षकों की कमी है।
सूबे के नौ पर्वतीय जिलों में छात्र संख्या के मानक के मुताबिक तकरीबन तीन हजार प्राइमरी शिक्षक सरप्लस हैं। वहीं, चार मैदानी जिलों में 532 शिक्षकों की कमी है। सरकार को भर्ती की सूरत नजर नहीं आ रही है। इससे प्राइमरी शिक्षक बनने की चाह रखने वाले युवाओं को करारा झटका लग सकता है। प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती का इंतजार कर रहे प्रशिक्षित बेरोजगारों को जोर का झटका धीरे से लग सकता है। महकमे के आंकड़े साबित कर रहे हैं कि स्कूलों में जरूरत से काफी ज्यादा शिक्षक कार्यरत हैं। नौ पर्वतीय जिलों में लगातार छात्रसंख्या गिरने से शिक्षकों के स्वीकृत पद भी ज्यादा हो गए हैं। बच्चों का जमावड़ा मैदानी जिलों में बढ़ रहा है। इस वजह से इन जिलों में गुरुजनों के स्वीकृत पद भी कम पड़ गए हैं। इन अजीबोगरीब हालात का असर प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती पर पडऩे का अनुमान है। शिक्षा महकमा अब सिर्फ सिर्फ स्वीकृत पदों के ब्योरे के आड़ लेकर शिक्षकों की कमी का रोना नहीं रो सकता। तीन हजार से ज्यादा पद अतिरिक्त होने से भर्ती प्रक्रिया शुरू होना तो दूर सरप्लस शिक्षकों को अन्य जिलों में समायोजित करने की समस्या पेश आ सकती है। मौजूदा छात्रसंख्या के आधार पर शिक्षकों की जरूरत सिर्फ देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर जिलों में ही है। दून में स्वीकृत 2321 कुल पदों के अतिरिक्त 25 शिक्षक और चाहिए। हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर में स्वीकृत पदों की संख्या क्रमश: 2627, 1962 व 2528 है। इन जिलों में छात्रसंख्या के मुताबिक क्रमश 25, 240, 92 व 175 शिक्षकों की जरूरत है। चारों जिलों में और 532 शिक्षकों की दरकार है। वहीं, नौ पर्वतीय जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद क्रमश: 1295, 2432, 1894, 3301, 4202, 3556, 2640, 1028 व 1069 हैं। महकमे के आंकड़ों के मुताबिक अब छात्रसंख्या गिरने से उक्त जिलों में शिक्षकों के क्रमश 150, 376, 344, 472, 756, 621, 270, 102 व 573 पद सरप्लस हो गए हैं। साढ़े तीन हजार से ज्यादा पद अतिरिक्त होने से महकमे की चिंता बढ गई है। इस बाबत मंत्रालय के सामने भी स्थिति साफ कर दी गई है। नौ जिलों में सरप्लस 3667 पदों के सापेक्ष चार जिलों में 532 पदों की दरकार है। फिलवक्त प्रदेश में 2400 पदों पर विशिष्ट बीटीसी को प्रशिक्षण देकर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। बीटीसी के 1300 पदों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा चुकी है। शिक्षा सचिव डा. राकेश कुमार ने स्वीकार किया कि प्राइमरी शिक्षकों के सरप्लस पदों को अन्य जिलों में समायोजित करने पर विचार किया जाएगा। शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी नीति पर हर तीन साल में पुनर्विचार करने की जरूरत है।
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