आस्ट्रेलिया में पढाई कर रहे छात्रों को मिलता है भारतीयों जैसा प्यार
परिजनों की आती है याद तो गोरों का मिल जाता है प्यार
देहरादून। देश की माटी की खुशबु के हजारों किलामीटर देर होने के बाद भी विदेशों में अपनों की खुशबु हिंदुस्तानी बखूबी पहचान लेते हैं। और जब कोई भारतीय विदेशी सरजमीं पर मिल जाता है तो खुशी के मारे आंखों से प्यार के आंसू भी छलक आते हैं। परिजनों से दूर रहकर उनकी याद हमेशा आती है और रोजाना घर पर बातें भी हो जाया करती है। भारतीयों की इसी अपनेपन की खुशबू को लिए आस्ट्रेलिया यूरोप में रहने वाले उत्तराखंड से पढने के लिए गए गदरपुर के छात्र कपिल अरोरा व बाजपुर के देवेन्द्र सिंह से पत्रकार नारायण परगाई की प्रस्तुत है उन बातचीत के प्रमुख अंश
. सवाल-हिंदुस्तान से दूर रहकर विदेश में कैसा महसूस करते हैं
जवाब- हिंदुस्तानसे दूर रहकर हमेशा ही अपनों की कमी खलती रहती है और यहां पर सुख और दुख सबकुछ अपना ही होता है। लेकिन जिंदगी इसी का नाम है कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पडता है। अपनों की याद रोजाना आती है और आस्ट्रेलिया से बैठकर ही घरपर पफोन पर बातचीत हो जाया करती है।
. सवाल- विदेशों में लगातार भारतीय काम-काज के लिए जा रहे हैं क्या वहां आय के स्रोत ज्यादा हैं?
जवाब- जी हां हिंदुस्तान से ज्यादा मेहनत यदि हम विदेशो में करते है। तो उसका पफायदा भी निश्चित रूप से हमें ही मिलता है। इंडिया में एक घंटे के काम करने पर महज दो वक्त की रोटी ही नसीब ह पाती है जबकि विदेशों में एक घंटा काम करने के दस डॉलर तक मिल जाते हैं। तो ऐसे में भारतीय विदेशों की तरपफ रूख क्यों न करें।
सवाल- हिंदुस्तान से ज्यादा विदेशों में रहने वोल लोग क्यों मन केा भाज ाते हैं क्या कोई खास कारण है?
जवाब- हिंदुस्तानियों से ज्यादा विदेशी लोग अच्छे होते हैं आस्ट्रलिया में मैंने यह देखा है कि हिंदुस्तानी ही हिंदुस्तानी को आगे बढते हुए नहीं देख सकता जबकि गोरी चमडी वाले लोग हिंदुस्तानियों को ज्यादा पसन्द करते हैं।
-सवाल- सुना है विदेशियों से ज्यादा भारतीय काम अध्कि मेहनत से करते हैं। इसमें क्या सच्चाई है?
जवाब- जी नहीं यह बिल्कुल गलत है कि विदेशियों से ज्यादा भारतीय काम करते हैं। भारतीय तो सिफ मेहनत के लिए काम करते हैं जबकि विदेशी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए काम। विदेशियों की जगह कभी भी हिंदुस्तानी नहीं ले सकते। लेकिन हिंदुस्तानी अपने एक घंटे का काम पूरी महनत के साथ करते हैं।
.सवाल- हर महीने का खर्च विदेशों मेंकितना है और कितना कमा लिया जाता है।
जवाब- वैसे तो हिंदुस्तान के नजरीये से देखा जाय तो विदेशाों में कोई ज्यादा खर्च नही ंहै हर महीने रहने खाने और अपने खर्चों पर करीब
६०० डॉलर खर्च हा ेजाते हैं जबकि एक हफ्रते में पार्ट टाइम के रूप में बीस घंटे काम करने को मिल जाता ह ै। कुल मिलाकर पूरे महीने के खर्चे में कुछ डलर बचत भी हो जाती है।
.सवाल- क्या आस्ट्रलिया में हिंदुस्तानी खाना आराम से मिल जाता है?
जवाब- जी हां आस्ट्रेलिया में रहकर भी हमें पर्थ जेनी में हिंदुस्तानी स्टोरों पर सबकुछ मिल जाता है। इसके साथ ही जलेबी और पंजाबी ढाबा भी खाने को तमिल जाता है। इन दिनों भारतीय स्टोरों पर हम बडे मजे से नवरात्राों के सभी सामान आराम से ले रहे हैं।
.सवाल- कुछ दिनों पूर्व मेलबोर्न में भारतीयों के साथ जो कुछ हुआ उसे किस नजरीये से देखते हैं?
जवाब- आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में कुछ गोरी चमडी वाले भारतीयोंसे मेहनत अध्कि करने से चिडतेहैं जिस कारण इस तरह की घटना हुई और वहां भारतीयों को पीटा गया। लेकिन पर्थ जैनी में ाकेई बात नह है हम रोजाना रात दो बजे तक आराम से घूमते हैं और यहां के सभी लोग हिंदुस्तानियों की तरह हैं।
परिजनों की आती है याद तो गोरों का मिल जाता है प्यार
देहरादून। देश की माटी की खुशबु के हजारों किलामीटर देर होने के बाद भी विदेशों में अपनों की खुशबु हिंदुस्तानी बखूबी पहचान लेते हैं। और जब कोई भारतीय विदेशी सरजमीं पर मिल जाता है तो खुशी के मारे आंखों से प्यार के आंसू भी छलक आते हैं। परिजनों से दूर रहकर उनकी याद हमेशा आती है और रोजाना घर पर बातें भी हो जाया करती है। भारतीयों की इसी अपनेपन की खुशबू को लिए आस्ट्रेलिया यूरोप में रहने वाले उत्तराखंड से पढने के लिए गए गदरपुर के छात्र कपिल अरोरा व बाजपुर के देवेन्द्र सिंह से पत्रकार नारायण परगाई की प्रस्तुत है उन बातचीत के प्रमुख अंश
. सवाल-हिंदुस्तान से दूर रहकर विदेश में कैसा महसूस करते हैं
जवाब- हिंदुस्तानसे दूर रहकर हमेशा ही अपनों की कमी खलती रहती है और यहां पर सुख और दुख सबकुछ अपना ही होता है। लेकिन जिंदगी इसी का नाम है कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पडता है। अपनों की याद रोजाना आती है और आस्ट्रेलिया से बैठकर ही घरपर पफोन पर बातचीत हो जाया करती है।
. सवाल- विदेशों में लगातार भारतीय काम-काज के लिए जा रहे हैं क्या वहां आय के स्रोत ज्यादा हैं?
जवाब- जी हां हिंदुस्तान से ज्यादा मेहनत यदि हम विदेशो में करते है। तो उसका पफायदा भी निश्चित रूप से हमें ही मिलता है। इंडिया में एक घंटे के काम करने पर महज दो वक्त की रोटी ही नसीब ह पाती है जबकि विदेशों में एक घंटा काम करने के दस डॉलर तक मिल जाते हैं। तो ऐसे में भारतीय विदेशों की तरपफ रूख क्यों न करें।
सवाल- हिंदुस्तान से ज्यादा विदेशों में रहने वोल लोग क्यों मन केा भाज ाते हैं क्या कोई खास कारण है?
जवाब- हिंदुस्तानियों से ज्यादा विदेशी लोग अच्छे होते हैं आस्ट्रलिया में मैंने यह देखा है कि हिंदुस्तानी ही हिंदुस्तानी को आगे बढते हुए नहीं देख सकता जबकि गोरी चमडी वाले लोग हिंदुस्तानियों को ज्यादा पसन्द करते हैं।
-सवाल- सुना है विदेशियों से ज्यादा भारतीय काम अध्कि मेहनत से करते हैं। इसमें क्या सच्चाई है?
जवाब- जी नहीं यह बिल्कुल गलत है कि विदेशियों से ज्यादा भारतीय काम करते हैं। भारतीय तो सिफ मेहनत के लिए काम करते हैं जबकि विदेशी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए काम। विदेशियों की जगह कभी भी हिंदुस्तानी नहीं ले सकते। लेकिन हिंदुस्तानी अपने एक घंटे का काम पूरी महनत के साथ करते हैं।
.सवाल- हर महीने का खर्च विदेशों मेंकितना है और कितना कमा लिया जाता है।
जवाब- वैसे तो हिंदुस्तान के नजरीये से देखा जाय तो विदेशाों में कोई ज्यादा खर्च नही ंहै हर महीने रहने खाने और अपने खर्चों पर करीब
६०० डॉलर खर्च हा ेजाते हैं जबकि एक हफ्रते में पार्ट टाइम के रूप में बीस घंटे काम करने को मिल जाता ह ै। कुल मिलाकर पूरे महीने के खर्चे में कुछ डलर बचत भी हो जाती है।
.सवाल- क्या आस्ट्रलिया में हिंदुस्तानी खाना आराम से मिल जाता है?
जवाब- जी हां आस्ट्रेलिया में रहकर भी हमें पर्थ जेनी में हिंदुस्तानी स्टोरों पर सबकुछ मिल जाता है। इसके साथ ही जलेबी और पंजाबी ढाबा भी खाने को तमिल जाता है। इन दिनों भारतीय स्टोरों पर हम बडे मजे से नवरात्राों के सभी सामान आराम से ले रहे हैं।
.सवाल- कुछ दिनों पूर्व मेलबोर्न में भारतीयों के साथ जो कुछ हुआ उसे किस नजरीये से देखते हैं?
जवाब- आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में कुछ गोरी चमडी वाले भारतीयोंसे मेहनत अध्कि करने से चिडतेहैं जिस कारण इस तरह की घटना हुई और वहां भारतीयों को पीटा गया। लेकिन पर्थ जैनी में ाकेई बात नह है हम रोजाना रात दो बजे तक आराम से घूमते हैं और यहां के सभी लोग हिंदुस्तानियों की तरह हैं।
1 comment:
hum abhee abhee Australian tour se laute hain aapka anubhaw jankar achcha laga hume bhhe koee pareshani nahee huee. Bason me yuwa aage aakar hume seat dete the.
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