एक स्टडी के अनुसार गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां को-एड स्कूल में एजुकेशन लेने वाली गर्ल्स से एक
ेडेमिक परफॉर्मेंस के मामले में काफी बेहतर होती हैं। ब्रिटेन में जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन में 7 लाख से ज्यादा लड़कियों के स्कोर का एनालिसिस करने के बाद यह खुलासा किया कि गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां को-एड स्कूल की गर्ल्स से ज्यादा तेज होती हैं। गर्ल्स स्कूल में पढ़ते समय लड़कियों का लड़कों की वजह से ध्यान भटकने का खतरा नहीं रहता। इन लड़कियों के सामने सिर्फ एक ही मकसद होता है-एग्जाम में किसी भी तरह अच्छे से अच्छे नंबर लाना। इसलिए वह साइंस और मैथ्स जैसे टफ सब्जेक्ट्स पर काफी मेहनत करती हैं और उनकी यह मेहनत सफल भी होती है। शोधकर्ताओं ने एक खास टाइम स्पैन में देखा कि गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि को-एड स्कूलों में पढ़ने वाली गर्ल्स की परफॉर्मेंस आशाओं की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। गार्जियन के हवाले से कहा गया कि बच्चों का एडमिशन
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और समय बहुत से पैरंट्स को सिर्फ को-एड स्कूल के फायदे ही नजर आते हैं। उनको लगता है कि अगर लड़के-लड़कियां साथ-साथ एजुकेशन लेंगे तो जिंदगी में आगे आने वाली किसी भी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए वह हरदम तैयार रहेंगे। लेकिन इसी के साथ गाजिर्यन ने यह भी कहा है, 'जो पैरंट्स अपनी लड़कियों को अच्छी एजुकेशन दिलाना चाहते हैं, उन्हें गर्ल्स स्कूल में अपनी बेटियों का एडमिशन कराना चाहिए। जो गर्ल्स को-एड स्कूल में अच्छी परफॉर्मेंस नहीं दे पा रही हैं, अगर उनका एडमिशन गर्ल्स स्कूल में कराया जाए तो हो सकता है उनकी इंटेलिजेंस और परफॉर्मेंस निखरकर सामने आए।' इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन के रिर्सचर एलाइस सुलिवन का कहना है, 'यह काफी दिलचस्प है कि गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां एग्जाम में अच्छे नंबर लाती है। लेकिन को-एड स्कूल में भी टीचर्स पढ़ाते समय क्लासरूम में लड़के-लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं करते। हां, कुछ अंतर जरूर हो सकते हैं। गर्ल्स स्कूल में अपनी बेटियों को पढ़ाने वाले पैरंट्स की अपनी लड़कियों से उम्मीदें कुछ अलग ही होती हैं। र्गल्स स्कूल में मैथ्स, साइंस और फिजिक्स जैसे टफ सब्जेक्ट्स में भी लड़कियां काफी अच्छा स्कोर कर सकती हैं। जिन लड़कियों में सेल्फ कॉन्फिडंस कम है, वह गर्ल्स स्कूल में अच्छे नंबर ला सकती हैं क्योंकि इसमें न तो बॉयज उनका ध्यान बंटाने की कोशिश करते हैं और न ही उन्हें उनसे मुकाबला करना होता है। इसलिए वह सिर्फ एग्जाम में अच्छे नंबर लाने पर फोकस करती हैं।
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