Saturday, February 13, 2010

देवता स्नान के बाद शाही डुबकी


प्रतीक्षा की अवधि खत्म होने वाली है। सदी के पहले महाकुंभके पहले शाही स्नान 12फरवरी को शाही वैभव के साथ अखाडे हरकी पैडी के ब्रह्मकुंडमें डुबकी लगाने की तैयारी में जुट चुके हैं। शाही स्नान के दिन अखाडे देवता का निशान, देवता की पालकी और धर्म पताका को गंगा जल में पावन स्नान कराएंगे। फिर ब्रह्मकुंडसे निकल रही कलकल करती पतित पावनी गंगा में लाखों साधु-संत और नागा संन्यासी हर-हर महादेव, गंगा मैया की जय का जयघोष करते हुए गंगा में कूद पडेंगे।
सातों संन्यासी अखाडों की पेशवाईयोंके बाद शाही स्नान का जुलूस पूरे उमंग और उल्लास के साथ हरकी पैडी 12फरवरी को पहुंचेगा। आचार्य महामंडलेश्वरऔर मंडलेश्वर बुग्गी में सवार होकर हरकी पैडी पहुंचेंगे। इनकी तैयारियों में पूरा अखाडा जुटा हुआ है। नागा साधु भी बेहद उल्लास से भरे हुए हैं, हों भी क्यों नहीं। आखिरकार ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। अखाडों की पेशवाई की तरह ही शाही जुलूस हरकी पैडी के ब्रह्मकुंडकी ओर बढेगा।
पेशवाई की तरह ही सबसे आगे देवता का निशान, फिर पालकी में देवता, आचार्य महामंडलेश्वरसरीखे अन्य संतों का क्रम होगा। निर्धारित समय पर अखाडे गाजे-बाजेके साथ हरकी पैडी पहुंचेंगे। हरकी पैडी पहुंचने के साथ ही ब्रह्मकुंडपर सबसे पहले हर-हर महादेव और गंगा मैया के जयघोष के साथ देवता के निशान और देवता की पावन डुबकी लगेगी। धर्म पताका का भी स्नान बेहद अहम होगा। देवता के निशान और देवता की पावन डुबकी लगते ही लाखों साधु-संत और नागा ब्रह्मकुंडमें स्नान को उतर जाएंगे। यह क्षण निश्चित रूप से महाकुंभके लंबे इंतजार को खत्म करेगा। चूंकि महाकुंभके अखाडों के साधु-संतों के स्नान को श्रद्धालु भी दूर के घाटों से देख सकेंगे, इसलिए उनके लिए भी यह क्षण यादगार रहेगा।
डीआईजी आलोक कुमार शर्मा ने बताया कि अखाडों के स्नान की व्यवस्था हो गई है। देवता के निशान और देवता के स्नान के बाद ही अखाडों के साधु-संत गंगा जल में स्नान करते हैं।

No comments: