Saturday, February 13, 2010

मेला प्रशासन शाही स्नान के अनुरूप व्यवस्था नहीं कर पाया।

अव्यवस्था के बीच महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर करीब 55 लाख श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई। सात अखाडों के करीब पचास हजार संन्यासियों और विभिन्न अखाडों के लगभग चार हजार नागा अवधूतों ने भी स्नान किया। इस मर्तबा वैरागी अखाडों ने भी शाही स्नान में भाग लिया। पर मेला प्रशासन शाही स्नान के लिए अपने दावे के अनुरूप व्यवस्था नहीं कर पाया। कई बार भगदड मच गई। हरकी पैडी पर स्थिति विस्फोटक बनने से पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पडा। शाही स्नान के साथ महाशिवरात्रि का भी स्नान था। श्रद्धालु इसके लिए देर रात से ही हरकी पैडी एवं अन्य घाटों पर जुटने लगे थे। सुबह आठ बजे तक हरकी पैडी समेत सभी घाटों पर श्रद्धालु डुबकी लगाते रहे। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैडी पर स्नान रोक दिया गया। आठ बजे के बाद संन्यासियों के शाही स्नान के लिए व्यवस्था की गई। पूर्वाह्न लगभग 11 बजे से सायं साढे छह बजे तक अखाडों का स्नान चलता रहा। पहले शाही स्नान से पूर्व जूना अखाडा, आह्वान व अग्नि अखाडे की छावनी में देवता के पूजन के बाद सुबह दस बजे तीनों अखाडे हरकी पैडी की ओर स्नान के लिए निकले। तीनों अखाडे में चालीस से अधिक महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर शामिल रहे। गाजे-बाजे के साथ अखाडे का शाही जुलूस पूरे रंग में दिखा। नागा संन्यासी तलवार, भाला, बरछी, फरसा आदि लेकर शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे। देवता के स्नान के उपरांत करीब डेढ हजार से अधिक नागाओं ने हर-हर महादेव का जयघोष कर गंगा में डुबकी लगाई। विदेशी भक्तों की भक्ति भी खूब नजर आई। साध्वी व नागा साध्वियों ने भी स्नान किया। इनकी वापसी के बाद शेष अखाडों के संन्यासियों ने अपने नियत क्रम में स्नान किया। हरकी पैडी पर शाही स्नान चल रहा था। वहीं, अन्य श्रद्धालु सुभाष घाट, बिडला घाट, प्रेम नगर आश्रम घाट, विष्णु घाट समेत लगभग एक दर्जन घाटों पर स्नान कर रहे थे। स्नान का क्रम देर रात तक बना रहा। उधर, प्रशासन के इंतजाम ने श्रद्धालुओं को खासी परेशानी में डाले रखा। शाही स्नान से ठीक पहले तुलसी चौक पर पुलिस की बैरिकेडिंग को तोडकर श्रद्धालु आगे बढ गए। उन्हें बमुश्किल नियंत्रित किया गया। पुलिस व लोगों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। नागा संन्यासियों के पवित्र स्नान की झलक पाने को धोबी घाट पर अचानक भीड उमड पडी। इससे भगदड की स्थिति बन गई। कुछ लोग गंगा नदी में गिरे, लेकिन लाइफ जैकेट पहने जवानों ने उन्हें बचा लिया। बिडला घाट पर तो श्रद्धालुओं की भीड इस कदर हुई कि स्थिति मेला पुलिस के नियंत्रण से बाहर होती दिखी। लिहाजा पुलिस ने श्रद्धालुओं पर हल्का बल प्रयोग किया। पुलिस की सख्ती की स्थिति यह थी कि मेला अस्पताल व जिला अस्पताल तक मरीज नहीं पहुंच सके। लोग घरों में कैद रहे। शिवालयों तक जल चढाने भी नहीं पहुंच सके। रोडवेज की व्यवस्था फेल नजर आई तो सिटी बसें नहीं चलने से दिक्कतें लगातार बढती ही रहीं।

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