एक बार फिर से कैलंडर के पायदानों को फांदता आ ही गया गुलाबी और लाल रंग में रंगा मॉडर्न मदनोत्सव, जिसे ज
ेनरेशन एक्स, वाई और जेड वैलंटाइंस डे के नाम से जानती है। किसी गीली शाम आदित्य चोपड़ा ने यूरोप घूमने के दौरान वैलंटाइंस डे का जिक्र सुना और फिर उसे राहुल-पूजा की प्रेम कहानी में पिरोकर पेश कर दिया फिल्म दिल तो पागल है में। तब से बाजार ने वैलंटाइंस डे को हर युवा के लिए प्यार के सालाना और जरूरी त्योहार में तब्दील कर दिया। मगर प्यार सिर्फ एक दिन का मोहताज तो नहीं होता। इसका इजहार जब करो, तभी वैलंटाइंस है। प्यार अंधा होता है या प्यार इंसान को पागल कर देता है जैसे रूमानी जुमले गए जमाने की बात हो गए। अब प्यार पंख-सा हलका भी होता है और डायमंड-सा ठोस, चमकीला और इसी अर्थ में भौतिक भी। बदलते जमाने में प्यार को पाने और फिर उसे हर दिन नया रंग, नई हैसियत बख्शने की कोशिशों से जुड़े कुछ सबक बता रहे हैं सौरभ द्विवेदी : क्या लव एक वैल्यू है आपके लिए? पूरी दुनिया में प्यार, रोमांस, लव या आप इस एहसास को जिस भी नाम से पुकारते हों, उसका हंगामा बरपा हुआ है। इसे करने के फायदे और न करने के नुकसानों की लंबी फेहरिस्त गिनाने वाले मिल जाएंगे। सबके पास अपने-अपने अरमानों की पोटली हैं, जिसमें कुछ सेकंड की छोटी-सी लव स्टोरी भी हैं, जो डीटीसी के एक स्टॉप पर बालों के साथ ढुलकते, संभलते हल्के आसमानी स्कार्फ को देखकर शुरू हुई और अगले स्टॉप पर उस स्कार्फ वाली के उतरते ही हमेशा के लिए खत्म। या फिर कुछ गुदगुदाती बचपन की धूप-सी यादें, जब इंग्लिश वाली टीचर दुनिया की सबसे प्यारी और केयरिंग इंसान लगती थीं। अब हम बडे़ हो गए हैं और प्यार में भी तोला-माशा भर ही सही, कैलकुलेशन भी करने लगे हैं। प्यार के इस त्योहार पर सबसे पहले खुद से पूछें सबसे अहम सवाल। क्या प्यार आपके जीवन में एक आदर्श, एक वैल्यू है? अगर आपके लिए लव एक वैल्यू है, तो गली में पॉलिथीन के टुकड़े के लिए मुंह जोड़कर झगड़ते दो पिल्लों को देखकर आप खुश हो जाएंगे। पार्क की बेंच पर अंकल के हाथ की लकीरें गिनती आंटी जी आपको बहुत प्यारी नजर आएंगी। छोटे बच्चों के मुंह से उठती दूध की खुशबू और उसमें मिलती बेबी पाउडर की गंध आपको खुशियों से निहाल कर देगी। आपके लिए प्यार बेशकीमती वैल्यू है, जीवन मूल्य है, इसलिए जब भी, जिसको भी आप प्यार में देखते हैं, बेहतर और मजबूत, कहीं भीतर से आश्वस्त महसूस करते हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ। अभी दुनिया के किसी कोने में कुछ जादुई पल रचे जा रहे हैं, दो प्यार करने वालों के बीच। इसे ऐसे समझ लीजिए कि प्यार करना दुनिया का सबसे पवित्र काम है और जब दो लोग प्यार में होते हैं तो यूनिवर्स में पॉजिटिव एनर्जी रिलीज होती है। इस एनर्जी की वजह से दुनिया, इसके मंजर ज्यादा चमकदार, ज्यादा रोशन और ज्यादा हमख्याल नजर आने लगते हैं। अगर प्यार हमारे लिए एक वैल्यू नहीं है तो क्या होगा? हमें अपना प्यार तो बहुत महान लगेगा, मगर दूसरों के गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड में नुक्ताचीनी करते रहेंगे। उसका बोलने का तरीका कितना भद्दा है, उसका ड्रेसिंग सेंस कितना बेहूदा है या फिर दोनों कितना पीडीए (पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन) करते हैं। अरे भइया करते हैं, तो करने दो न, खुश रहो न कि दो लोग प्यार कर रहे हैं। अगर लव एक वैल्यू है, तो भले ही आपको अपना प्यार न मिल पाए, आप दूसरों को उनका प्यार पाने में हमेशा मदद करेंगे। भले ही अपने जमाने में समाज या माता-पिता की वजह से या फिर किसी और वजह से आप अपनी प्रेमिका को लाल जोड़े में सजाकर अपनी देहरी नहीं लंघा पाए, मगर जब आपके बच्चे ऐसा करेंगे, तो आप आगे बढ़कर उनकी नजर उतार लेंगे। ऐसा होगा क्योंकि प्यार आपके लिए पवित्र, महान और जीवन को गर्माहट से भरने वाला एहसास है और जिन चीजों से वक्त या नियति ने आपको महरूम रखा, आप नहीं चाहेंगे कि और कोई उससे महरूम रहे। आई जस्ट कॉल्ड टु से... प्यार है तो फिर उसे जताना भी जरूरी है। घर से निकलते हैं तो मां जानती है कि बेटा बड़ा हो गया है और आराम से दिल्ली पहुंच जाएगा। फिर भी दरवाजे तक छोड़ने आती है और रिक्शे के गली से सड़क तक पहुंचते न पहुंचते उसका आंचल हवा में उठता नजर आता है। आप जानते हैं कि मां की आंख गीली हो रही है। मगर आप मां के सामने अब नहीं रोते। बड़े जो हो गए हैं। अब नहीं बताते कि आधी रात को नींद खुलने पर दूर की बिल्डिंग से आते टीवी के शोर के बीच उसकी लोरी बलदाऊ जी के भइया... याद आ जाती है। बोलिए क्योंकि जिन लोगों को आप प्यार करते हैं, उन्हें किसी तरह से यह बताना भी जरूरी है। कानों में वह गाना गूंजा है कभी...आई जस्ट कॉल्ड टु से, आई लव यू। हां, यही तो है प्यार कि जो है, जो सबको पता है, उसे कहा जाए, नरम से रुख के साथ, रेशमी से स्पर्श के साथ। प्यार का पहला खत लिखने में भले ही वक्त लगता हो, मगर उस वक्त का खर्चा जाना बेकार नहीं, बेहद जरूरी है। प्यार है तो उसे जताइए जरूर क्योंकि नहीं जताएंगे तो एक खूबसूरत लम्हा इंतजार करता रहेगा संभावनाओं के गर्भ में। और फिर तमाम जिंदगी काश के साथ गुजारना मुश्किल भी होता है न। अगर कोई भी, जी हां, कोई भी, फिर चाहे ऑफिस में आपका कलीग हो, हॉस्टल की वॉर्डन हो, बगल के घर में रहने वाली बच्ची हो या फिर पार्क में मिलने वाले दादा जी हों, जो भी आपको अच्छा और प्यारा लगे, उससे कहिए। आंखों में आंख डालकर पूरे भरोसे के साथ - आई लव यू। अब ये तीन शब्द सिर्फ गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड टाइप के प्यार-मुहब्बत जताने वाले एंथम नहीं हैं। अगर आपको लगता है कि लव यू बोलना कुछ गड़बड़झाला कर सकता है तो आई लाइक यू या मुझे आपकी कंपनी पसंद है, जैसे कुछ सॉफ्ट जुमलों से भी काम चलाया जा सकता है। और हां, जिनसे आप बेपनाह प्यार करते हैं, जिनके साथ जिंदगी का एक बड़ा टुकड़ा गुजार चुके हैं, उन्हें भी कहने की जरूरत है कि आई केयर फॉर यू। प्यार नाम ही है शेयरिंग और केयरिंग का। अपनों से यह कहने में कैसी हिचक कि जिंदगी को मुकम्मल और अर्थपूर्ण बनाने में उनका अहम योगदान है। कहिए अपने अंदाज में, बाजार में सब्जी खरीदने के दौरान या ऑफिस पहुंचने के ठीक बाद या फिर घर में घुसने से ठीक पहले क्योंकि कहने से प्यार कम नहीं होता। सीखो न नैनों की भाषा पिया... आंसू तो लड़कियों की आंखों में बैग पैक करके तैयार बैठे रहते हैं रवाना होने के लिए, मरद तो होते ही हैं बेरहम या बूढ़ों को दूसरों में नुक्ताचीनी निकालने के अलावा कोई काम नहीं। इस तरह की अर्जित समझदारी को अलविदा कहिए। लोगों को या जेंडर को टाइपकास्ट करने से बचिए। प्यार के सफर में एक मुश्किल यह भी होती है कि हम पहले से ही मान लेते हैं कि पुरुष या महिलाएं फिक्स्ड फॉर्म्युले की तरह कुछ चीजों को पसंद या नापसंद करती हैं। इन चीजों को समझना इतना मुश्किल भी नहीं। अगली बार जब अपनी गर्लफ्रेंड के सामने बोलें कि लड़कियों को गॉसिप पसंद होती ही है, तो उसी पल ठहरकर उसकी आंखों में देखें। हंसी के नीचे एक गुम-सी तकलीफ भी नजर आएगी। प्यार पूर्वाग्रहों से मुक्त होने या कम-से-कम ऐसा करने की ईमानदार कोशिश का नाम है। प्यार अबोली भाषा को समझने का नाम है। अभी हमने कहा कि प्यार जताना जरूरी है, उतना ही जरूरी है खामोश प्यार की सतरंगी धुन को सुनने की कोशिश करना। आप जिससे प्यार करते हैं उसे कई नामों से बुलाते हैं। अपने प्रिय का निकनेम रखना, फिर चाहे वह पूपू जैसे फनी नाम हों या बेटू जैसे क्यूट नाम या फिर जान जैसे फिल्मी नाम, सब अच्छे हैं क्योंकि उनके नीचे अपनेपन की ठोस नींव है। प्यार की अपनी भाषा, अपना कोड, अपना ग्रामर डिवेलप करें क्योंकि हर रिश्ता इन्हीं सबके बीच अपना आख्यान रचता है। बहस से कभी मत बचो अक्सर कहा जाता है बहस मत करो। हम कहते हैं बहस से मत बचो। चाहे मसला डीप कट ब्लाउज या स्लीवलेस टॉप पहनने का हो या फिर दोस्त के घर देर रात तक पार्टी करने का। पढ़ाई पर ध्यान देने, न देने का हो या करियर को लेकर सही रास्ता चुनने का। बहस से बचना आगे के लिए गड्ढा खोदने की तरह है। प्यार सिर्फ कोजी-कोजी माहौल के भुलावे में जीने का नाम नहीं है। जिनसे आप प्यार करते हैं, उनसे तमाम मसलों पर, आप दोनों के बीच के भी और इससे इतर भी, खुलकर बात करना बेहद जरूरी है। यह जरूरी तो नहीं कि हर मसले पर आपसे प्यार करने वाला सहमत भी हो और यही इंसानी रिश्तों की खूबसूरती का सबब भी है। हम सब अलग हैं, हमारी सोच अलग है तो जाहिर है कि तमाम मसलों पर हमारे बीच बहस होगी ही। दूसरों के नजरिए को समझें, उनकी सोच की तहों में जाने की कोशिश करें। इससे आपको एक नई समझ को समझने का मौका मिलेगा। यह तो हुई सामान्य बहस की बात, मगर इससे भी जरूरी है जिन रिश्तों को जीवन भर के लिए निबाहने के बारे में सोचा जा रहा है, उनमें एक अनिवार्य व स्वस्थ हिस्सा बहस का भी हो। शादी के बाद कौन कहां सेटल होगा, कौन कब तक नौकरी करेगा और कब नहीं कर सकता है, बच्चों को लेकर आपसी समझदारी, एक-दूसरे के घर-परिवार वालों की बर्ताव को लेकर उम्मीदें। ऐसे तमाम मसले हैं जिन पर जमकर बात होनी चाहिए। इससे आपका रिश्ता झूठी उम्मीदों के बोझ तले नहीं सिसकता। बहस करते वक्त यह ध्यान रखें कि उसका ऑरिजिनल मकसद खत्म न हो जाए। अगर बहस एक-दूसरे में या एक-दूसरे के परिवार या अतीत को खोदने का जरिया बन गई है तो उसे किसी हल्के-फुल्के पल के लिए टाल देना बेहतर है। अगर कभी आवेश में ज्यादा जोर से बोल गए हैं तो सॉरी बोलने से छोटे नहीं हो जाएंगे। हमेशा याद रखें कि 24 घंटों में तमाम बार सिर्फ औपचारिकतावश हम सॉरी और थैंक्यू बोलते हैं, तो फिर जाने-अनजाने अपनों का दिल दुखाने पर सॉरी बोलने में कैसी शरम। उन्हें एक खूबसूरत मोड़ देकर... प्यार के माहौल में यह बात करना बेहद जरूरी है। ठीक वैसे ही जैसे सुंदर-से बच्चे के माथे पर नजर का टीका लगाया जाना मन को सुकून और सुरक्षा का भावुक एहसास दिलाता है। अतीत में कुछ लोगों के साथ हम बेहद करीब रहे। कोई दोस्त था, तो कोई जन्म-जन्मातर का साथी होने की बात करता था। फिर हालात बदले, कभी गलतफहमियों की वजह से, कभी गलतियों की वजह से हमारे रास्ते जुदा हो गए। तो फिर अब यादों को गंदला करने की क्या जरूरत। किसी के साथ जिंदगी के कुछ पल, कुछ दिन या कुछ साल बहुत अच्छे से गुजरे तो अब उन्हें गलती या अफसोस कहने की क्या जरूरत। यों सोचकर अपने रिश्तों को, अपने प्यार को खराब न करें। यह ठीक है कि आज आपस में बात नहीं करते, बरसों हो गए एक-दूसरे की शक्ल देखे, मगर फिर भी वक्त के कागज पर वह स्याही धुंधली नहीं हुई, जिसके मार्फत आपने मिलकर एक इमला लिखी थी, तोतली-सी, सच्ची-सी। और अगर कुछ मौजूदा रिश्तों में तल्खी घुल चुकी है और अब उन्हें ठीक करना दोनों ही पक्षों को मुमकिन नहीं लग रहा, तो फिर बेवजह रिश्ता खींचने या कहें कि ढोने से अच्छा है कि उसे हल्के मन से, एक-दूसरे के प्रति शुभकामनाओं के साथ खत्म कर लिया जाए। किन वजहों से हो रहा है प्यार यह सवाल बहुत बेहूदा लग सकता है। भला प्यार की भी कोई वजह होती है? हम भी कह सकते हैं कि जो किसी वजह से किया जाए, वह प्यार नहीं स्वार्थ है, सौदा है, मगर दोस्तो! कुछ बातें सिनेमा के पदेर् पर ही अच्छी लगती हैं। जिंदगी की खरी सचाई में तर्क भावनाओं की छंटनी करने का काम करते हैं। आपने किसी लड़के या लड़की को देखा। उसकी बड़ी आंखें, मखमली आवाज या क्यूट-सा चेहरा दिल में बस गया। यह तो हुई पहली स्टेज, जब हम किसी की तरफ आकर्षित होते हैं। मगर इस आकर्षण को ही प्यार का नाम देना जल्दबाजी होगी। सिर्फ रूप-रंग की वजह से रिश्ता शुरू तो हो सकता है, मगर कायम तभी रहता है, जब मन की वेवलैंथ भी मिले। बहुत पहले किसी से सुना था, आज आपके साथ साझा कर रहा हूं। शादी या प्यार सिर्फ दो शरीरों और दो मनों का ही नहीं, दो दिमागों का भी मिलन है। अगर आपका प्रेमी आपके ख्यालों में साझेदारी नहीं कर सकता, तो रिश्ता भंवर की तरफ बढ़ रही नाव की तरह होता है, जिसे बचाने के लिए खड़े होते ही नाव और भी तेजी से डगमगाने लगती है। प्यार करें, दिल की आवाज सुनें, मगर थोड़ा-सा स्पेस दिमाग को भी दें। हम यह नहीं कह रहे कि पूरे जोड़-घटाने के साथ प्यार करें, मगर हां, कुछ भी बड़ा और क्रांतिकारी बोलने-करने से पहले खुद से यह पूछ लें कि कहीं यह फैसला सिर्फ आवेश और भावनाओं के बुलबलेदार क्षणों में तो नहीं लिया जा रहा है। हमेशा रहें दोस्त मिस एक्स और मिस्टर वाई बहुत अच्छे दोस्त थे। बरसों दोस्त रहे और फिर समझ आया कि अब साथ रहना आदत नहीं, जरूरत बन चुकी है। यहां तक कहानी किसी भी हिंदी फिल्म के सांचे से निकली लगती है। मगर जब दोस्ती प्यार में तब्दील होती है तो एक गड़बड़ अक्सर होती है। प्यार शुरू होने के बाद हमारा दोस्त कहीं गुम हो जाता है। पहले जिस लड़के को अपने एक्स-बॉयफ्रेंड की कारगुजारियों और अपने बेवकूफी भरे किस्से सुनाए जा सकते थे, अब उससे यह सब बातें करते हिचक होती है। वजह, अब लड़का आपका दोस्त नहीं, बॉयफ्रेंड या हस्बैंड है और ये बातें सुनकर आपकी इमेज खराब हो सकती है। इसके ठीक उलट भी मुमकिन है कि पहले लड़का अपने अरमानों का पुलिंदा खोलकर रख देता था, मगर अब जबरन खुद को कमिटेड के नाम पर बोरिंग और वन वुमन मैन साबित करने के लिए कुछ भी ऐसा नहीं कहता, जैसा दोस्ती के दौरान कह देता था। दिक्कत यही है कि रिश्ते में प्यार की गुलाबी रंगत घोलते ही दोस्ती का पीला, चमकदार पीला रंग धुंधला पड़ने लगता है। ऐसा क्यों होता है? कभी उस दोस्त की याद नहीं आती, जो हर बात पर आपको जज नहीं करता था। जिससे कभी भी, कुछ भी कहने या शेयर करने से पहले सोचना नहीं पड़ता था। प्यार करिए मगर जिससे प्यार कर रहे हैं, उससे दोस्ती का नाता कभी खत्म मत करिए। खुद को जरूरत से ज्यादा आक्रामक या असुरक्षित मत महसूस कराइए। याद रखिए कि जो आपको प्यार कर रहा है बाई चॉइस कर रहा है, किसी प्रेशर में नहीं और अगर प्रेशर में कर रहा होगा, तो जल्द ही सीटी बजेगी और सारी भाप निकल जाएगी। अतीत को कितना उघाड़ें बीते कल के बारे में बातें करने से मन हल्का होता है, एक-दूसरे के दुख तकलीफों और अनुभवों के व्यापक सबकों के बारे में पता चलता है, मगर कई बार मन में एक ग्रंथि भी पनप जाती है। मसलन, आपकी गर्लफ्रेंड ने बताया कि पिछली बार उसके एक्स-बॉयफ्रेंड ने उसे कार की पिछली सीट पर या ऑटो में किस किया था। अब भविष्य में जब भी आपकी गर्लफ्रेंड किसी लड़के के साथ लेटनाइट पार्टी के बाद ऑटो या टैक्सी से घर लौट रही होगी और आपको इस बात का पता चलेगा तो मुमकिन है कि अतीत आपको कुरेदने लगे। इसके अलावा आपसी बहस के दौरान भी अतीत की बातें बतौर तर्क इस्तेमाल होने लगती हैं। इसलिए अतीत को उघाड़ें, मगर संभलकर। किसी के प्यार में निढाल होने का मतलब यह नहीं कि हरेक बात को रेशा-रेशा कर बता दिया जाए। मन के भीतर किसी कोने में कुछ बातें बचाकर रखिए। कुछ अपना-सा, कुछ सपना-सा, जो सिर्फ आपकी आंखें देख सकें। हो सकता है कि आज सामने वाला शख्स इतना करीब लगे कि उससे कुछ भी छुपाने का मन न करे, तो फिर उसे सब कुछ बताने में इतनी जल्दबाजी कैसी। वो कहते हैं न - टेक योर ओन स्वीट टाइम। गिव मी सम स्पेस थ्री इडियट्स का गाना बहुत चर्चित हुआ गिव मी सम सनसाइन... इस गाने में एक नई लाइन जोड़ लीजिए, गिव मी सम स्पेस। प्यार करने का मतलब एक-दूसरे की जिंदगी में बुरी तरह से घुसना नहीं होता है। कपड़े शेयर करें, ग्रेट है। खाना शेयर करें, अच्छी बात है। बल्कि द वेरी आइडिया कि आप अपनी चीजें किसी के साथ खुशी से शेयर कर रहे हैं, यह बताता है कि आप उस बंदे के साथ कम्फर्टेबल हैं, मगर वो कहावत सुनी है न कि ज्यादा गुड़ में चीटियां लग जाती हैं। याद रखें कि कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, उसकी अपनी भी एक जिंदगी है। फिर चाहे आईने के सामने चोटी गूंथते हुए गुनगुनाती महिला हो या फिर सुबह के अखबार को पढ़ते-पढ़ते पेड़ पर टकटकी लगाए देखता पुरुष। सबका अपना एक स्पेस होता है, जिसे वह कभी शेयर करता है, कभी नहीं। इसलिए प्यार के नाम पर हर जगह घुसपैठ करने की आदत से बचें। लवर के फोन पर एसएमएस आया, आपने पढ़ लिया। जब मौका लगा, उसकी डायरी टटोलने लगे या फिर उसके दोस्तों का फोन आने पर मुंह टेढ़ा करने लगे। टेक ए ब्रेक यार, उसकी अपनी भी कोई लाइफ है कि नहीं। प्यार करने का मतलब आजादी गिरवी रखना तो नहीं होता। एक-दूसरे को स्पेस दें ताकि जिंदगी और एहसास ताजादम बने रहें। क्रिएटिव बनें जेनरेशन जेड का जमाना है, तो फिर अंदाज पुराना क्यों हो। जरूरत है प्यार में क्रिएटिव होने की, आउट ऑफ द बॉक्स चीजें करने की। और जरूरी नहीं कि इसके लिए हमेशा करण जौहर या यशराज बैनर की फिल्मों से ही फॉर्म्युला लिया जाए। मसलन, अगर आपका बचपन का दोस्त नौकरी या पढ़ाई के सिलसिले में बाहर जा रहा है, तो जाते वक्त उसको क्या दिया जाए? एक फंडा फॉलो किया जा सकता है। बाजार जाएं और बच्चों के कलरफुल मोजों का एक पेयर खरीदें। ये रंग प्यार के रंग हैं, चहकते-खिलते से रंग हैं और इन्हीं रंगों से आपका रिश्ता भी सजा है। बच्चों के मोजे दिखने में क्यूट होते हैं और आपको जिंदगी के सबसे खुशहाल-बेफिक्र दिनों की याद दिलाते हैं, ठीक आपकी दोस्ती की तरह। तो जाते हुए दोस्त को उस जोड़े का एक मोजा दें और दूसरे को अपनी स्टडी टेबल या बोर्ड के ऊपर टांक दें। आपकी तरफ टुकुर-टुकुर देखता यह मोजा सिर्फ धागों से बनी एक चीज नहीं है, बल्कि उस एहसास की बुनाई है, जो साल-दर-साल आप दोनों ने आपस में की। इसी तरह से अपने प्रेमी या प्रेमिका को अपनी कल्पनाशीलता के आधार पर चमत्कृत कर देना एक कला है, जिसमें पारंगत होना रॉकेट साइंस सीखने की तरह मुश्किल नहीं है। किसी किताब में छोटी-सी स्लिप, या फिर एक ही जगह बैठने के बावजूद एक दूसरे को शॉर्ट एसएमएस करना। कुछ भी ऐसा अलहदा, मगर अपना-सा जो आपके प्यार को, आपकी केयर को जता सके। क्रिएटिव होने के लिए यह भी जरूरी है कि आपकी याददाश्त रापचिक हो। दो साल पहले किसी गैलरी में घूमते हुए आपके अपने को कोई स्टोल या कोई वॉलेट पसंद आया और फिर जब वह इसके बारे में भूल चुका हो, तो आप अपनी याददाश्त के स्टोर रूम से उस नोट को दोबारा पढ़ें और वह भूली हुई चीज उसकी जिंदगी में लाकर अपने यूनीक और क्रिएटिव होने का सबूत दे दें। ये रिश्ता क्या कहलाता है? हम सब हमेशा से सुनते आए हैं कि प्यार का कोई रंग-रूप, मजहब-भाषा नहीं होती। यह है भी इतना नाजुक-सा एहसास कि इसे सिर्फ करने वाले ही महसूस कर सकते हैं। मगर इस प्यार के साथ एक समस्या जुड़ी है और वह है दुनियावी रिश्तों के दायरे में हर रिश्ते को परिभाषित करने की। मसलन, आपके ऑफिस में कोई कलीग है, जिससे आपकी अच्छी बनती है। अब उसे क्या कहें, भइया, सर या सिर्फ उसका नाम लें। यह जरूरी तो नहीं कि हर रिश्ते को कोई नाम ही दिया जाए। दरअसल रिश्तों का एक दायरा तो होना चाहिए, मगर उसकी शर्त सिर्फ यही होनी चाहिए कि दूसरे पक्ष को आपके प्यार की वजह से किसी भी तरह की दिक्कत न हो। इसके अलावा आप अपनी केयर, अपना कन्सर्न जताने के लिए जो भी करेंगे, उसे अच्छा लगेगा। यह गाना वाकई काबिलेगौर है कि हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू, हाथ से छूकर इसे रिश्तों का इल्जाम न दो...। लक बाय कोशिश कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है। आप इस कहने पर मत जाएं। यह सही है कि किसी के लिए जबरन प्यार पैदा नहीं किया जा सकता, मगर इतना ही सही यह भी है कि जिसके लिए मन में प्यार पैदा हो रहा है, उस तक इस एहसास को पहुंचाया भी जाए। इसीलिए हेडिंग है लक बाय कोशिश, बाय चांस नहीं। आपको कोई अच्छा लगता है तो आप उसके करीब आने की कोशिश करते हैं। उसे जानते-समझते हैं और खुद को जनवाने की कोशिश भी करते हैं। यहां तक है कोशिश का रोल। उसके बाद निश्चित तौर पर लक है कि जिसे आप चाहते हैं, वह आपकी तरफ किस भाव से आकर्षित हो रहा है, हो भी रहा है या नहीं। इसलिए अगर कोई अच्छा लगे तो उसके करीब आने की कोशिश करें, फिल्मी तरानों पर यकीन के सहारे मत जिएं कि कोई है जो सिर्फ मेरे लिए बना है और जब वह सामने आएगा तो सितार बजेंगे, हवाएं बहेंगी। प्यार मंजिल नहीं, रास्ता है किसी से प्यार हुआ, घरवालों ने पंगा किया, मन से पढ़ाई की, करियर बनाया, घरवालों को पटाया और फिर मनमुताबिक शादी हो गई। फिर कहा - मैंने अपने प्यार को, अपनी मंजिल को हासिल कर लिया। अरे पपलू, प्यार को पाना, जो इस अर्थ में शादी करने से है, मंजिल पाना नहीं एक नए सफर की शुरुआत है। प्यार पाना उतना मुश्किल नहीं, जितना उसको हमेशा प्यारा बनाए रखना है। आप अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए हमेशा कुछ नया करते हैं, मगर प्यार में कुछ महीनों या बरसों के बाद चीजों को ग्रांटेड लेने लगते हैं। यह मुझसे प्यार करती है, तो मेरे लिए ऐसा करेगी ही। यह ही वाला भाव तो दिमाग को हीमैन बना देता है, पर लाइफ कार्टून स्ट्रिप तो नहीं है न। तो फिर ध्यान रखें कि बाकी चीजों की तरह रिलेशनशिप पर भी काम करने की जरूरत है। एक-दूसरे को वक्त देना, एक-दूसरे की सुविधाओं का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो उसकी कमियों को इस तरह से देखेंगे, जैसे खुद अपनी कमियों को देखते हैं। मैं और वह की जगह हम का भाव आएगा और उसी साझा नजरिए से चीजों को देखने और सुलझाने की कोशिश की जाएगी। तो फिर देर किस बात की। अगर आपके अंदर धड़कता है एक नाजुक-सा दिल। अगर आपमें है मुश्किलों से पार पाकर जीने की हिम्मत तो प्रेम की यह गली आपका इंतजार कर रही है। याद रखिए उन लोगों के लिए ईश्वर दुखी होता है, जिनको उनका प्रेम नहीं मिलता, मगर उन लोगों पर सिर्फ तरस खाता है, जो कभी प्रेम करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
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