Friday, February 26, 2010

आंदोलनकारी का हत्यारा बरी नहीं हो सकताःजुगरान

देहरादून। १९९४ के करनपुर गोली कंाड में मारे गये निर्दोष राजेश रावत के हत्यारे कौन हैं यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। जबकि यह मामला पिछले कई सालों से अदालत में विचाराधीन है। अब इस मामले को लेकर अदालत ने सीबीआई की तरफ कडा रूख अपनाते हुए गवाहों को पेश करने की तारीखें निर्धरित कर दी हैं। वहीं देहरादून के एक व्यक्ति ने नाम न छपने की शर्त पर कहा कि उस घटनाक्रम के कई फोटो भी उनके पास है। उन्होंने कहा कि करनपुर गलीकांड के कई ऐसे सबूत भी मौजूद हैं जिन्हें यदि सार्वजनिक किया गया तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा।
कुल मिलाकर इस पूरे मामले में अब भाजपा का एक गुट भी धस्माना के खिलाफ मोर्चा बांधे हुए है और उन नेताओंे का साफ कहना है कि करनपुर गोलीकांड में आंदोलनकारी मृतक रावत को तभी न्याय मिलेगा जब उनके हत्यारे को कडी सजा मिल जायेगी। इस पूरे मामले में कई नेताओं द्वारा राजनैतिक रोटियां सेकने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और न्याय की आस पाने के लिए मृतक के परिजनों की आंखें तरस गई है। इस बारे में भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान का साफ कहना है कि उत्तराखंड आंदोलन के दौरान सैकडों लोगों द्वारा राजेश पर गोली चलाने वाले हत्यारे को देखा गया था। सीबीआई की अदालत में भले ही ऐसे हत्यारे बरी हो जाए लेकिन जनता की अदालत में वे कभी भी बरी नहीं हो सकते। यह हत्या कांड राज्य के आंदोलन को खत्म करने का था और इस गोलीकांड का हत्यार राज्य का हत्यारा है उसे सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
एक तरफ देशभर में १९८४ के दंगों के दौरान जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार जैसे कांग्रेसियों पर लगे दाग को कांग्रेस अभी तक नहीं धो पाई है ऐसे में कांग्रेसी नेता सूर्यकांत धस्माना पर लगे कथित आरोपों को किस प्रकार धोया जाएगा जिससे राज्य की जनता कांग्रेस के पक्ष में जुड सके। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की राजनीति में एकाएक सरगरमी पैदा हो गई थी और प्रदेश की जनता ने सपा को मुंह तोड जवाब देते हुए विधानसभा की एक भी सीट पर कब्जा नहीं करने दिया था। तब सूर्यकंात ध्स्माना सपा में हुआ करते थे और उन पर कथित रुप से ३ अक्टूबर १९९४ को राजेश रावत की गोली चलने से मौत हो जाने का आरोप लगा था लेकिन अब कोर्ट ने २६,२७ व २८ अप्रेल को तीनों गवाहों को कोर्ट में पेश होकर अपनी गवाही देने के लिए सीबीआई पर कडा रूख अख्तियार किया है। वहीं माना जा रहा है कि सीबीआई इस मामले को लेकर गवाहों को पेश करते हुए आरोपी को सजा दिलाने के लिए पूरी जुगत में जुट गई है।
अब देखना यह है कि यह मामला अप्रैल में गवाही के बाद किस मोड पर पहुंचता है। गौरतलब है कि करनपुर के गोली कांड में उस वक्त राज्य आंदोलन के लिए सडकों पर उतर रहे आंदोलनकारियों पर उस समय गोलियां बरसायी गई थी जब वह आंदोलन के लिए करनपुर क्षेत्र में मुलायम सिंह यादव की पार्टी में रहने वाले सूर्यकांत धस्माना के आवास की ओर जा रहे थे। भीड को तितर-बितर करने के लिए कथित रुप से सूर्यकांत धस्माना की छत से आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाई गई थी और इस गोलीकांड में आंदोलनकारी राजेश रावत की मौत हो गई थी जबकि एक अन्य मोहन रावत इस गोलीकांड में घायल हो गया था। जिसके बाद घायल मोहन रावत ने कथित रुप से सूर्यकांत धस्माना पर छत से गोली चलाये जाने की बात कही थी और इस कथित रुप से गोलीकांड का मुख्य आरोपी सूर्यकांत धस्माना को बताया गया था। कई सालों से कोर्ट में चल रहे इस मामले की जब सुनवाई तेज हुई तो कोर्ट में भी गवाहों ने धस्माना पर गोली चलाने की बात कही थी। जिसके बाद उस समय सूर्यकांत धस्माना एनसीपी छोडकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये थे और गवाहों ने जिस समय कोर्ट में धस्माना को गोली चलाने की बात कही थी तो उस समय कांग्रेस ने प्रदेश मीडिया प्रभारी के पद से धस्माना की छुट्टी कर दी थी और चर्चा यह भी रही थी कि धस्माना को कई कांग्रेसी नेताओं ने भी करनपुर गोलीकांड का दोषी करार दिया। अब करनपुर गोलीकांड की सीबीआई जांच कर रही है और सीबीआई के विशेष न्यायधीश की अदालत में पुलिस के विवेचना अधिकारियों सहित ६ लोग गवाही के लिए पेश नहीं हो सके उस पर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गयी हैं। ३ अक्टूबर को हुए करनपुर गोलीकांड में तीन चश्मदीद गवाहों अजीत रावत, ध्नंजय खंडूरी और रविन्द्र रावत ने अदालत में गवाही के दौरान धस्माना के हाथ में कोई हथियार न होने की जो बात पूर्व में कही है वह उनके पूर्व के दिये गये बयानों में विरोधाभास पैदा कर रही है जबकि मोहन रावतं गोली चलाए जाने की बात कह रहे हैं। अब गवाहों के अचानक अपने बयान बदल लेने के पीछे भी राजनैतिक ड्रामा सामने आ गया है।
बताया जा रहा है कि कथित रुप से गवाहों को बदलने की एवज में लाखों रूपये का सौदा किया जा चुका है और गवाहों को तीन-तीन बीघा जमीन दिये जाने की भी चर्चाएं हैं इसके साथ ही धस्माना की छत से गोली चलाए जाने की बात पुलिस एवं अन्य गवाहों द्वारा भी की गई है तो आखिर किस आधर पर कोर्ट में गवाही देने वाले गवाहों ने छत से गोली न चलाए जाने की बात कह डाली है। इस खेल के पीछे कथित रुप से मोटी रकम का सौदा होना बताया जा रहा है।

Wednesday, February 17, 2010

चीन में करोड़ों रह जाएंगे कुंआरे

विकास के कई मोर्चों को फतह कर आगे बढ़ रहे चीन के पुरुषों के लिए बुरी ख़बर है। एक रिपोर्ट के
मुताबिक, 2020 तक करीब ढाई करोड़ चीनी दूल्हों के लिए दुल्हन खोजना बेहद मुश्किल होगा। रिपोर्ट कहती है कि इसकी वजह चीन में लगातार गड़बड़ा रहा लिंग अनुपात है। दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश चीन में चाइनीज़ ऐकेडमी ऑफ सोशल साइंस नाम की संस्था ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक लिंग अनुपात में असंतुलन की वजह चीनी लोगों का खास लिंग के मुताबिक गर्भपात (अबॉर्शन)कराना है। इसके चलते आने वाले 10 सालों में करीब 1.3 करोड़ लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं। संस्था का दावा है कि 1980 के बाद बड़ी तादाद में पैदा हुए पुरुषों की वजह से आगे चलकर ऐसी शादियां होंगी, जहां पत्नी की उम्र पति से काफी ज़्यादा होगी। अकादमी के अनुसार गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद नॉन मेडिकल वजहों के लिए सेक्स (लिंग)के चुनाव की सुविधा चीन में मौजूद है। यह समस्या चीन के ग्रामीण इलाकों में सामाजिक सुरक्षा की कमी के चलते ज़्यादा है। चीन के नैशनल पॉपुलेशन ऐंड फैमिली प्लानिंग कमिशन के मुताबिक जन्म के समय स्त्री-पुरुष औसतन अनुपात 100 लड़कियों पर 103 से 107 लड़कों का है। चीन ने 1979 में परिवार का आकार घटाने के लिए एक बच्चे की नीति लागू की थी। इस नीति ने चीन में देर में शादी करने के चलन को बढ़ावा दिया और इस नीति के चलते लिंग अनुपात में गड़बड़ी आई।

Tuesday, February 16, 2010

प्यार को हो जाने दो...

एक बार फिर से कैलंडर के पायदानों को फांदता आ ही गया गुलाबी और लाल रंग में रंगा मॉडर्न मदनोत्सव, जिसे ज
ेनरेशन एक्स, वाई और जेड वैलंटाइंस डे के नाम से जानती है। किसी गीली शाम आदित्य चोपड़ा ने यूरोप घूमने के दौरान वैलंटाइंस डे का जिक्र सुना और फिर उसे राहुल-पूजा की प्रेम कहानी में पिरोकर पेश कर दिया फिल्म दिल तो पागल है में। तब से बाजार ने वैलंटाइंस डे को हर युवा के लिए प्यार के सालाना और जरूरी त्योहार में तब्दील कर दिया। मगर प्यार सिर्फ एक दिन का मोहताज तो नहीं होता। इसका इजहार जब करो, तभी वैलंटाइंस है। प्यार अंधा होता है या प्यार इंसान को पागल कर देता है जैसे रूमानी जुमले गए जमाने की बात हो गए। अब प्यार पंख-सा हलका भी होता है और डायमंड-सा ठोस, चमकीला और इसी अर्थ में भौतिक भी। बदलते जमाने में प्यार को पाने और फिर उसे हर दिन नया रंग, नई हैसियत बख्शने की कोशिशों से जुड़े कुछ सबक बता रहे हैं सौरभ द्विवेदी : क्या लव एक वैल्यू है आपके लिए? पूरी दुनिया में प्यार, रोमांस, लव या आप इस एहसास को जिस भी नाम से पुकारते हों, उसका हंगामा बरपा हुआ है। इसे करने के फायदे और न करने के नुकसानों की लंबी फेहरिस्त गिनाने वाले मिल जाएंगे। सबके पास अपने-अपने अरमानों की पोटली हैं, जिसमें कुछ सेकंड की छोटी-सी लव स्टोरी भी हैं, जो डीटीसी के एक स्टॉप पर बालों के साथ ढुलकते, संभलते हल्के आसमानी स्कार्फ को देखकर शुरू हुई और अगले स्टॉप पर उस स्कार्फ वाली के उतरते ही हमेशा के लिए खत्म। या फिर कुछ गुदगुदाती बचपन की धूप-सी यादें, जब इंग्लिश वाली टीचर दुनिया की सबसे प्यारी और केयरिंग इंसान लगती थीं। अब हम बडे़ हो गए हैं और प्यार में भी तोला-माशा भर ही सही, कैलकुलेशन भी करने लगे हैं। प्यार के इस त्योहार पर सबसे पहले खुद से पूछें सबसे अहम सवाल। क्या प्यार आपके जीवन में एक आदर्श, एक वैल्यू है? अगर आपके लिए लव एक वैल्यू है, तो गली में पॉलिथीन के टुकड़े के लिए मुंह जोड़कर झगड़ते दो पिल्लों को देखकर आप खुश हो जाएंगे। पार्क की बेंच पर अंकल के हाथ की लकीरें गिनती आंटी जी आपको बहुत प्यारी नजर आएंगी। छोटे बच्चों के मुंह से उठती दूध की खुशबू और उसमें मिलती बेबी पाउडर की गंध आपको खुशियों से निहाल कर देगी। आपके लिए प्यार बेशकीमती वैल्यू है, जीवन मूल्य है, इसलिए जब भी, जिसको भी आप प्यार में देखते हैं, बेहतर और मजबूत, कहीं भीतर से आश्वस्त महसूस करते हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ। अभी दुनिया के किसी कोने में कुछ जादुई पल रचे जा रहे हैं, दो प्यार करने वालों के बीच। इसे ऐसे समझ लीजिए कि प्यार करना दुनिया का सबसे पवित्र काम है और जब दो लोग प्यार में होते हैं तो यूनिवर्स में पॉजिटिव एनर्जी रिलीज होती है। इस एनर्जी की वजह से दुनिया, इसके मंजर ज्यादा चमकदार, ज्यादा रोशन और ज्यादा हमख्याल नजर आने लगते हैं। अगर प्यार हमारे लिए एक वैल्यू नहीं है तो क्या होगा? हमें अपना प्यार तो बहुत महान लगेगा, मगर दूसरों के गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड में नुक्ताचीनी करते रहेंगे। उसका बोलने का तरीका कितना भद्दा है, उसका ड्रेसिंग सेंस कितना बेहूदा है या फिर दोनों कितना पीडीए (पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन) करते हैं। अरे भइया करते हैं, तो करने दो न, खुश रहो न कि दो लोग प्यार कर रहे हैं। अगर लव एक वैल्यू है, तो भले ही आपको अपना प्यार न मिल पाए, आप दूसरों को उनका प्यार पाने में हमेशा मदद करेंगे। भले ही अपने जमाने में समाज या माता-पिता की वजह से या फिर किसी और वजह से आप अपनी प्रेमिका को लाल जोड़े में सजाकर अपनी देहरी नहीं लंघा पाए, मगर जब आपके बच्चे ऐसा करेंगे, तो आप आगे बढ़कर उनकी नजर उतार लेंगे। ऐसा होगा क्योंकि प्यार आपके लिए पवित्र, महान और जीवन को गर्माहट से भरने वाला एहसास है और जिन चीजों से वक्त या नियति ने आपको महरूम रखा, आप नहीं चाहेंगे कि और कोई उससे महरूम रहे। आई जस्ट कॉल्ड टु से... प्यार है तो फिर उसे जताना भी जरूरी है। घर से निकलते हैं तो मां जानती है कि बेटा बड़ा हो गया है और आराम से दिल्ली पहुंच जाएगा। फिर भी दरवाजे तक छोड़ने आती है और रिक्शे के गली से सड़क तक पहुंचते न पहुंचते उसका आंचल हवा में उठता नजर आता है। आप जानते हैं कि मां की आंख गीली हो रही है। मगर आप मां के सामने अब नहीं रोते। बड़े जो हो गए हैं। अब नहीं बताते कि आधी रात को नींद खुलने पर दूर की बिल्डिंग से आते टीवी के शोर के बीच उसकी लोरी बलदाऊ जी के भइया... याद आ जाती है। बोलिए क्योंकि जिन लोगों को आप प्यार करते हैं, उन्हें किसी तरह से यह बताना भी जरूरी है। कानों में वह गाना गूंजा है कभी...आई जस्ट कॉल्ड टु से, आई लव यू। हां, यही तो है प्यार कि जो है, जो सबको पता है, उसे कहा जाए, नरम से रुख के साथ, रेशमी से स्पर्श के साथ। प्यार का पहला खत लिखने में भले ही वक्त लगता हो, मगर उस वक्त का खर्चा जाना बेकार नहीं, बेहद जरूरी है। प्यार है तो उसे जताइए जरूर क्योंकि नहीं जताएंगे तो एक खूबसूरत लम्हा इंतजार करता रहेगा संभावनाओं के गर्भ में। और फिर तमाम जिंदगी काश के साथ गुजारना मुश्किल भी होता है न। अगर कोई भी, जी हां, कोई भी, फिर चाहे ऑफिस में आपका कलीग हो, हॉस्टल की वॉर्डन हो, बगल के घर में रहने वाली बच्ची हो या फिर पार्क में मिलने वाले दादा जी हों, जो भी आपको अच्छा और प्यारा लगे, उससे कहिए। आंखों में आंख डालकर पूरे भरोसे के साथ - आई लव यू। अब ये तीन शब्द सिर्फ गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड टाइप के प्यार-मुहब्बत जताने वाले एंथम नहीं हैं। अगर आपको लगता है कि लव यू बोलना कुछ गड़बड़झाला कर सकता है तो आई लाइक यू या मुझे आपकी कंपनी पसंद है, जैसे कुछ सॉफ्ट जुमलों से भी काम चलाया जा सकता है। और हां, जिनसे आप बेपनाह प्यार करते हैं, जिनके साथ जिंदगी का एक बड़ा टुकड़ा गुजार चुके हैं, उन्हें भी कहने की जरूरत है कि आई केयर फॉर यू। प्यार नाम ही है शेयरिंग और केयरिंग का। अपनों से यह कहने में कैसी हिचक कि जिंदगी को मुकम्मल और अर्थपूर्ण बनाने में उनका अहम योगदान है। कहिए अपने अंदाज में, बाजार में सब्जी खरीदने के दौरान या ऑफिस पहुंचने के ठीक बाद या फिर घर में घुसने से ठीक पहले क्योंकि कहने से प्यार कम नहीं होता। सीखो न नैनों की भाषा पिया... आंसू तो लड़कियों की आंखों में बैग पैक करके तैयार बैठे रहते हैं रवाना होने के लिए, मरद तो होते ही हैं बेरहम या बूढ़ों को दूसरों में नुक्ताचीनी निकालने के अलावा कोई काम नहीं। इस तरह की अर्जित समझदारी को अलविदा कहिए। लोगों को या जेंडर को टाइपकास्ट करने से बचिए। प्यार के सफर में एक मुश्किल यह भी होती है कि हम पहले से ही मान लेते हैं कि पुरुष या महिलाएं फिक्स्ड फॉर्म्युले की तरह कुछ चीजों को पसंद या नापसंद करती हैं। इन चीजों को समझना इतना मुश्किल भी नहीं। अगली बार जब अपनी गर्लफ्रेंड के सामने बोलें कि लड़कियों को गॉसिप पसंद होती ही है, तो उसी पल ठहरकर उसकी आंखों में देखें। हंसी के नीचे एक गुम-सी तकलीफ भी नजर आएगी। प्यार पूर्वाग्रहों से मुक्त होने या कम-से-कम ऐसा करने की ईमानदार कोशिश का नाम है। प्यार अबोली भाषा को समझने का नाम है। अभी हमने कहा कि प्यार जताना जरूरी है, उतना ही जरूरी है खामोश प्यार की सतरंगी धुन को सुनने की कोशिश करना। आप जिससे प्यार करते हैं उसे कई नामों से बुलाते हैं। अपने प्रिय का निकनेम रखना, फिर चाहे वह पूपू जैसे फनी नाम हों या बेटू जैसे क्यूट नाम या फिर जान जैसे फिल्मी नाम, सब अच्छे हैं क्योंकि उनके नीचे अपनेपन की ठोस नींव है। प्यार की अपनी भाषा, अपना कोड, अपना ग्रामर डिवेलप करें क्योंकि हर रिश्ता इन्हीं सबके बीच अपना आख्यान रचता है। बहस से कभी मत बचो अक्सर कहा जाता है बहस मत करो। हम कहते हैं बहस से मत बचो। चाहे मसला डीप कट ब्लाउज या स्लीवलेस टॉप पहनने का हो या फिर दोस्त के घर देर रात तक पार्टी करने का। पढ़ाई पर ध्यान देने, न देने का हो या करियर को लेकर सही रास्ता चुनने का। बहस से बचना आगे के लिए गड्ढा खोदने की तरह है। प्यार सिर्फ कोजी-कोजी माहौल के भुलावे में जीने का नाम नहीं है। जिनसे आप प्यार करते हैं, उनसे तमाम मसलों पर, आप दोनों के बीच के भी और इससे इतर भी, खुलकर बात करना बेहद जरूरी है। यह जरूरी तो नहीं कि हर मसले पर आपसे प्यार करने वाला सहमत भी हो और यही इंसानी रिश्तों की खूबसूरती का सबब भी है। हम सब अलग हैं, हमारी सोच अलग है तो जाहिर है कि तमाम मसलों पर हमारे बीच बहस होगी ही। दूसरों के नजरिए को समझें, उनकी सोच की तहों में जाने की कोशिश करें। इससे आपको एक नई समझ को समझने का मौका मिलेगा। यह तो हुई सामान्य बहस की बात, मगर इससे भी जरूरी है जिन रिश्तों को जीवन भर के लिए निबाहने के बारे में सोचा जा रहा है, उनमें एक अनिवार्य व स्वस्थ हिस्सा बहस का भी हो। शादी के बाद कौन कहां सेटल होगा, कौन कब तक नौकरी करेगा और कब नहीं कर सकता है, बच्चों को लेकर आपसी समझदारी, एक-दूसरे के घर-परिवार वालों की बर्ताव को लेकर उम्मीदें। ऐसे तमाम मसले हैं जिन पर जमकर बात होनी चाहिए। इससे आपका रिश्ता झूठी उम्मीदों के बोझ तले नहीं सिसकता। बहस करते वक्त यह ध्यान रखें कि उसका ऑरिजिनल मकसद खत्म न हो जाए। अगर बहस एक-दूसरे में या एक-दूसरे के परिवार या अतीत को खोदने का जरिया बन गई है तो उसे किसी हल्के-फुल्के पल के लिए टाल देना बेहतर है। अगर कभी आवेश में ज्यादा जोर से बोल गए हैं तो सॉरी बोलने से छोटे नहीं हो जाएंगे। हमेशा याद रखें कि 24 घंटों में तमाम बार सिर्फ औपचारिकतावश हम सॉरी और थैंक्यू बोलते हैं, तो फिर जाने-अनजाने अपनों का दिल दुखाने पर सॉरी बोलने में कैसी शरम। उन्हें एक खूबसूरत मोड़ देकर... प्यार के माहौल में यह बात करना बेहद जरूरी है। ठीक वैसे ही जैसे सुंदर-से बच्चे के माथे पर नजर का टीका लगाया जाना मन को सुकून और सुरक्षा का भावुक एहसास दिलाता है। अतीत में कुछ लोगों के साथ हम बेहद करीब रहे। कोई दोस्त था, तो कोई जन्म-जन्मातर का साथी होने की बात करता था। फिर हालात बदले, कभी गलतफहमियों की वजह से, कभी गलतियों की वजह से हमारे रास्ते जुदा हो गए। तो फिर अब यादों को गंदला करने की क्या जरूरत। किसी के साथ जिंदगी के कुछ पल, कुछ दिन या कुछ साल बहुत अच्छे से गुजरे तो अब उन्हें गलती या अफसोस कहने की क्या जरूरत। यों सोचकर अपने रिश्तों को, अपने प्यार को खराब न करें। यह ठीक है कि आज आपस में बात नहीं करते, बरसों हो गए एक-दूसरे की शक्ल देखे, मगर फिर भी वक्त के कागज पर वह स्याही धुंधली नहीं हुई, जिसके मार्फत आपने मिलकर एक इमला लिखी थी, तोतली-सी, सच्ची-सी। और अगर कुछ मौजूदा रिश्तों में तल्खी घुल चुकी है और अब उन्हें ठीक करना दोनों ही पक्षों को मुमकिन नहीं लग रहा, तो फिर बेवजह रिश्ता खींचने या कहें कि ढोने से अच्छा है कि उसे हल्के मन से, एक-दूसरे के प्रति शुभकामनाओं के साथ खत्म कर लिया जाए। किन वजहों से हो रहा है प्यार यह सवाल बहुत बेहूदा लग सकता है। भला प्यार की भी कोई वजह होती है? हम भी कह सकते हैं कि जो किसी वजह से किया जाए, वह प्यार नहीं स्वार्थ है, सौदा है, मगर दोस्तो! कुछ बातें सिनेमा के पदेर् पर ही अच्छी लगती हैं। जिंदगी की खरी सचाई में तर्क भावनाओं की छंटनी करने का काम करते हैं। आपने किसी लड़के या लड़की को देखा। उसकी बड़ी आंखें, मखमली आवाज या क्यूट-सा चेहरा दिल में बस गया। यह तो हुई पहली स्टेज, जब हम किसी की तरफ आकर्षित होते हैं। मगर इस आकर्षण को ही प्यार का नाम देना जल्दबाजी होगी। सिर्फ रूप-रंग की वजह से रिश्ता शुरू तो हो सकता है, मगर कायम तभी रहता है, जब मन की वेवलैंथ भी मिले। बहुत पहले किसी से सुना था, आज आपके साथ साझा कर रहा हूं। शादी या प्यार सिर्फ दो शरीरों और दो मनों का ही नहीं, दो दिमागों का भी मिलन है। अगर आपका प्रेमी आपके ख्यालों में साझेदारी नहीं कर सकता, तो रिश्ता भंवर की तरफ बढ़ रही नाव की तरह होता है, जिसे बचाने के लिए खड़े होते ही नाव और भी तेजी से डगमगाने लगती है। प्यार करें, दिल की आवाज सुनें, मगर थोड़ा-सा स्पेस दिमाग को भी दें। हम यह नहीं कह रहे कि पूरे जोड़-घटाने के साथ प्यार करें, मगर हां, कुछ भी बड़ा और क्रांतिकारी बोलने-करने से पहले खुद से यह पूछ लें कि कहीं यह फैसला सिर्फ आवेश और भावनाओं के बुलबलेदार क्षणों में तो नहीं लिया जा रहा है। हमेशा रहें दोस्त मिस एक्स और मिस्टर वाई बहुत अच्छे दोस्त थे। बरसों दोस्त रहे और फिर समझ आया कि अब साथ रहना आदत नहीं, जरूरत बन चुकी है। यहां तक कहानी किसी भी हिंदी फिल्म के सांचे से निकली लगती है। मगर जब दोस्ती प्यार में तब्दील होती है तो एक गड़बड़ अक्सर होती है। प्यार शुरू होने के बाद हमारा दोस्त कहीं गुम हो जाता है। पहले जिस लड़के को अपने एक्स-बॉयफ्रेंड की कारगुजारियों और अपने बेवकूफी भरे किस्से सुनाए जा सकते थे, अब उससे यह सब बातें करते हिचक होती है। वजह, अब लड़का आपका दोस्त नहीं, बॉयफ्रेंड या हस्बैंड है और ये बातें सुनकर आपकी इमेज खराब हो सकती है। इसके ठीक उलट भी मुमकिन है कि पहले लड़का अपने अरमानों का पुलिंदा खोलकर रख देता था, मगर अब जबरन खुद को कमिटेड के नाम पर बोरिंग और वन वुमन मैन साबित करने के लिए कुछ भी ऐसा नहीं कहता, जैसा दोस्ती के दौरान कह देता था। दिक्कत यही है कि रिश्ते में प्यार की गुलाबी रंगत घोलते ही दोस्ती का पीला, चमकदार पीला रंग धुंधला पड़ने लगता है। ऐसा क्यों होता है? कभी उस दोस्त की याद नहीं आती, जो हर बात पर आपको जज नहीं करता था। जिससे कभी भी, कुछ भी कहने या शेयर करने से पहले सोचना नहीं पड़ता था। प्यार करिए मगर जिससे प्यार कर रहे हैं, उससे दोस्ती का नाता कभी खत्म मत करिए। खुद को जरूरत से ज्यादा आक्रामक या असुरक्षित मत महसूस कराइए। याद रखिए कि जो आपको प्यार कर रहा है बाई चॉइस कर रहा है, किसी प्रेशर में नहीं और अगर प्रेशर में कर रहा होगा, तो जल्द ही सीटी बजेगी और सारी भाप निकल जाएगी। अतीत को कितना उघाड़ें बीते कल के बारे में बातें करने से मन हल्का होता है, एक-दूसरे के दुख तकलीफों और अनुभवों के व्यापक सबकों के बारे में पता चलता है, मगर कई बार मन में एक ग्रंथि भी पनप जाती है। मसलन, आपकी गर्लफ्रेंड ने बताया कि पिछली बार उसके एक्स-बॉयफ्रेंड ने उसे कार की पिछली सीट पर या ऑटो में किस किया था। अब भविष्य में जब भी आपकी गर्लफ्रेंड किसी लड़के के साथ लेटनाइट पार्टी के बाद ऑटो या टैक्सी से घर लौट रही होगी और आपको इस बात का पता चलेगा तो मुमकिन है कि अतीत आपको कुरेदने लगे। इसके अलावा आपसी बहस के दौरान भी अतीत की बातें बतौर तर्क इस्तेमाल होने लगती हैं। इसलिए अतीत को उघाड़ें, मगर संभलकर। किसी के प्यार में निढाल होने का मतलब यह नहीं कि हरेक बात को रेशा-रेशा कर बता दिया जाए। मन के भीतर किसी कोने में कुछ बातें बचाकर रखिए। कुछ अपना-सा, कुछ सपना-सा, जो सिर्फ आपकी आंखें देख सकें। हो सकता है कि आज सामने वाला शख्स इतना करीब लगे कि उससे कुछ भी छुपाने का मन न करे, तो फिर उसे सब कुछ बताने में इतनी जल्दबाजी कैसी। वो कहते हैं न - टेक योर ओन स्वीट टाइम। गिव मी सम स्पेस थ्री इडियट्स का गाना बहुत चर्चित हुआ गिव मी सम सनसाइन... इस गाने में एक नई लाइन जोड़ लीजिए, गिव मी सम स्पेस। प्यार करने का मतलब एक-दूसरे की जिंदगी में बुरी तरह से घुसना नहीं होता है। कपड़े शेयर करें, ग्रेट है। खाना शेयर करें, अच्छी बात है। बल्कि द वेरी आइडिया कि आप अपनी चीजें किसी के साथ खुशी से शेयर कर रहे हैं, यह बताता है कि आप उस बंदे के साथ कम्फर्टेबल हैं, मगर वो कहावत सुनी है न कि ज्यादा गुड़ में चीटियां लग जाती हैं। याद रखें कि कोई कितना भी करीबी क्यों न हो, उसकी अपनी भी एक जिंदगी है। फिर चाहे आईने के सामने चोटी गूंथते हुए गुनगुनाती महिला हो या फिर सुबह के अखबार को पढ़ते-पढ़ते पेड़ पर टकटकी लगाए देखता पुरुष। सबका अपना एक स्पेस होता है, जिसे वह कभी शेयर करता है, कभी नहीं। इसलिए प्यार के नाम पर हर जगह घुसपैठ करने की आदत से बचें। लवर के फोन पर एसएमएस आया, आपने पढ़ लिया। जब मौका लगा, उसकी डायरी टटोलने लगे या फिर उसके दोस्तों का फोन आने पर मुंह टेढ़ा करने लगे। टेक ए ब्रेक यार, उसकी अपनी भी कोई लाइफ है कि नहीं। प्यार करने का मतलब आजादी गिरवी रखना तो नहीं होता। एक-दूसरे को स्पेस दें ताकि जिंदगी और एहसास ताजादम बने रहें। क्रिएटिव बनें जेनरेशन जेड का जमाना है, तो फिर अंदाज पुराना क्यों हो। जरूरत है प्यार में क्रिएटिव होने की, आउट ऑफ द बॉक्स चीजें करने की। और जरूरी नहीं कि इसके लिए हमेशा करण जौहर या यशराज बैनर की फिल्मों से ही फॉर्म्युला लिया जाए। मसलन, अगर आपका बचपन का दोस्त नौकरी या पढ़ाई के सिलसिले में बाहर जा रहा है, तो जाते वक्त उसको क्या दिया जाए? एक फंडा फॉलो किया जा सकता है। बाजार जाएं और बच्चों के कलरफुल मोजों का एक पेयर खरीदें। ये रंग प्यार के रंग हैं, चहकते-खिलते से रंग हैं और इन्हीं रंगों से आपका रिश्ता भी सजा है। बच्चों के मोजे दिखने में क्यूट होते हैं और आपको जिंदगी के सबसे खुशहाल-बेफिक्र दिनों की याद दिलाते हैं, ठीक आपकी दोस्ती की तरह। तो जाते हुए दोस्त को उस जोड़े का एक मोजा दें और दूसरे को अपनी स्टडी टेबल या बोर्ड के ऊपर टांक दें। आपकी तरफ टुकुर-टुकुर देखता यह मोजा सिर्फ धागों से बनी एक चीज नहीं है, बल्कि उस एहसास की बुनाई है, जो साल-दर-साल आप दोनों ने आपस में की। इसी तरह से अपने प्रेमी या प्रेमिका को अपनी कल्पनाशीलता के आधार पर चमत्कृत कर देना एक कला है, जिसमें पारंगत होना रॉकेट साइंस सीखने की तरह मुश्किल नहीं है। किसी किताब में छोटी-सी स्लिप, या फिर एक ही जगह बैठने के बावजूद एक दूसरे को शॉर्ट एसएमएस करना। कुछ भी ऐसा अलहदा, मगर अपना-सा जो आपके प्यार को, आपकी केयर को जता सके। क्रिएटिव होने के लिए यह भी जरूरी है कि आपकी याददाश्त रापचिक हो। दो साल पहले किसी गैलरी में घूमते हुए आपके अपने को कोई स्टोल या कोई वॉलेट पसंद आया और फिर जब वह इसके बारे में भूल चुका हो, तो आप अपनी याददाश्त के स्टोर रूम से उस नोट को दोबारा पढ़ें और वह भूली हुई चीज उसकी जिंदगी में लाकर अपने यूनीक और क्रिएटिव होने का सबूत दे दें। ये रिश्ता क्या कहलाता है? हम सब हमेशा से सुनते आए हैं कि प्यार का कोई रंग-रूप, मजहब-भाषा नहीं होती। यह है भी इतना नाजुक-सा एहसास कि इसे सिर्फ करने वाले ही महसूस कर सकते हैं। मगर इस प्यार के साथ एक समस्या जुड़ी है और वह है दुनियावी रिश्तों के दायरे में हर रिश्ते को परिभाषित करने की। मसलन, आपके ऑफिस में कोई कलीग है, जिससे आपकी अच्छी बनती है। अब उसे क्या कहें, भइया, सर या सिर्फ उसका नाम लें। यह जरूरी तो नहीं कि हर रिश्ते को कोई नाम ही दिया जाए। दरअसल रिश्तों का एक दायरा तो होना चाहिए, मगर उसकी शर्त सिर्फ यही होनी चाहिए कि दूसरे पक्ष को आपके प्यार की वजह से किसी भी तरह की दिक्कत न हो। इसके अलावा आप अपनी केयर, अपना कन्सर्न जताने के लिए जो भी करेंगे, उसे अच्छा लगेगा। यह गाना वाकई काबिलेगौर है कि हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू, हाथ से छूकर इसे रिश्तों का इल्जाम न दो...। लक बाय कोशिश कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है। आप इस कहने पर मत जाएं। यह सही है कि किसी के लिए जबरन प्यार पैदा नहीं किया जा सकता, मगर इतना ही सही यह भी है कि जिसके लिए मन में प्यार पैदा हो रहा है, उस तक इस एहसास को पहुंचाया भी जाए। इसीलिए हेडिंग है लक बाय कोशिश, बाय चांस नहीं। आपको कोई अच्छा लगता है तो आप उसके करीब आने की कोशिश करते हैं। उसे जानते-समझते हैं और खुद को जनवाने की कोशिश भी करते हैं। यहां तक है कोशिश का रोल। उसके बाद निश्चित तौर पर लक है कि जिसे आप चाहते हैं, वह आपकी तरफ किस भाव से आकर्षित हो रहा है, हो भी रहा है या नहीं। इसलिए अगर कोई अच्छा लगे तो उसके करीब आने की कोशिश करें, फिल्मी तरानों पर यकीन के सहारे मत जिएं कि कोई है जो सिर्फ मेरे लिए बना है और जब वह सामने आएगा तो सितार बजेंगे, हवाएं बहेंगी। प्यार मंजिल नहीं, रास्ता है किसी से प्यार हुआ, घरवालों ने पंगा किया, मन से पढ़ाई की, करियर बनाया, घरवालों को पटाया और फिर मनमुताबिक शादी हो गई। फिर कहा - मैंने अपने प्यार को, अपनी मंजिल को हासिल कर लिया। अरे पपलू, प्यार को पाना, जो इस अर्थ में शादी करने से है, मंजिल पाना नहीं एक नए सफर की शुरुआत है। प्यार पाना उतना मुश्किल नहीं, जितना उसको हमेशा प्यारा बनाए रखना है। आप अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए हमेशा कुछ नया करते हैं, मगर प्यार में कुछ महीनों या बरसों के बाद चीजों को ग्रांटेड लेने लगते हैं। यह मुझसे प्यार करती है, तो मेरे लिए ऐसा करेगी ही। यह ही वाला भाव तो दिमाग को हीमैन बना देता है, पर लाइफ कार्टून स्ट्रिप तो नहीं है न। तो फिर ध्यान रखें कि बाकी चीजों की तरह रिलेशनशिप पर भी काम करने की जरूरत है। एक-दूसरे को वक्त देना, एक-दूसरे की सुविधाओं का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो उसकी कमियों को इस तरह से देखेंगे, जैसे खुद अपनी कमियों को देखते हैं। मैं और वह की जगह हम का भाव आएगा और उसी साझा नजरिए से चीजों को देखने और सुलझाने की कोशिश की जाएगी। तो फिर देर किस बात की। अगर आपके अंदर धड़कता है एक नाजुक-सा दिल। अगर आपमें है मुश्किलों से पार पाकर जीने की हिम्मत तो प्रेम की यह गली आपका इंतजार कर रही है। याद रखिए उन लोगों के लिए ईश्वर दुखी होता है, जिनको उनका प्रेम नहीं मिलता, मगर उन लोगों पर सिर्फ तरस खाता है, जो कभी प्रेम करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

मकान खाली न कराने को लेकर कपूर ने दिखाया दबदबा

देहरादून,। मकान मालिक को किरायेदार से मकान खाली कराने में ज्यादा परेशानियों का सामना भले ही कानून के अनुसार न करना हो लेकिन राजधनी देहरादून में एक मकान मालिक को किराये पर मकान देना महंगा साबित हो गया है। यहां तक कि नियम कानूनों को पूरी तरह ताक पर रखकर अब ऊंची पहुंच का दबदबा दिखाने के साथ ही मकान खाली न किये जाने की बातें कही जा रही ह। इतना ही नहीं मकान मलिक को पिछले तीन महीने से जहां मकान का किराया नहीं दिया गया वहीं पुलिस में कार्रवाई किये जाने को लेकर भी उसकी एक नहीं सुनी गई। जबकि कानून के अनुसार कोर्ट ने ऐसे मकान मालिकों को राहत देने की बात कही है जिनके यहां किराए दार वर्षों से जमे होने के बाद मकान खाली नहीं करते हैं। ताजा मामला सिंचाई विभाग में कार्यरत बलवीर सिंह चौहान से जुडा हुआ है। थाना नेहरू कालोनी क्षेत्रा के अंतर्गत जोगीवाला स्थित बद्रीपुर में बलवीर सिंह चौहान ने अपना मकान आशीष कपिल को ४२०० रूपये प्रतिमाह के हिसाब से किराये पर दिया था और कुछ महीनों बाद मकान खाली किये जाने की बात अशीष कपिल द्वारा कही गयी थी। लेकिन दिसंबर महीने से आशीष कपिल द्वारा न तो बलवीर सिंह चौहान को मकान का किराया दिया गया और न ही मकान खाली किया जा रहा है। जिसे लेकर बीती २६ जनवरी को नेहरू कालोनी थाने में श्री चौहान द्वारा आशीष कपिल के खिलापफ किराया न देने व ध्मकाने की तहरीर पुलिस को दी गई लेकिन कार्रवाई करना तो दूर पुलिस ने पूरे मामले की जांच कहने की बात कह डाली। जिसके बाद पुनः १० पफरवरी को पुलिस को श्री चौहान द्वारा मकान खाली कराने को लेकर गुहार लगाई गई लेकिन इस बार आशीष कपिल के रिश्तेदार मोहित वालिया ने मध्य प्रदेश के स्पीकर से उत्तराखंड के स्पीकर हरबंस कपूर को पफोन करवाकर मकान खाली न करने की बात कह डाली। जिसके बाद राज्य के स्पीकर श्री कपूर ने जनपद के जिलाध्किारी व एसएसपी को पफोन कर आशीष कपिल की मदद किये जाने की बात कही गई। इसके बाद दबाव बनाने के लिए दोनों पक्षों को अपने आवास पर बुलाया गया जहां श्री चौहान के अनुसार स्पीकर कपूर द्वारा अशीष कपिल को एक दो साल तक मकान खाली न करवाने की बात कही गई। और पूरे मामले को रपफादपफा करने के लिए दबाव भी बनाया गया। मकान खाली करवाने के लिए अब श्री चौहान एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं जबकि दो माह बाद उनके भाई की लडकी की अप्रेल में शादी होनी तय है। गढवाल में परिवार के अन्य सदस्य रहने के कारण अब उन्हें देहरादून आना है लेकिन उनके सामने मकान खाली न होने की सबसे बडी मजबूरी आ खडी हुई है। जबकि विधनसभा अध्यक्ष के गरिमामय पद पर बैठे श्री कपूर को मकान खाली कराने के लिए इस तरह के दाव-पेंच नहीं आजमाने चाहिए थे। कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम ने यह बात साबित कर दी है कि दबाव बनाकर राजधनी दून सहित पूरे उत्तराखंड में मकान खाली न कराने की एवज में राजनैतिक दबाव भी पुलिस को सहन करना पड रहा है। जिसके चलते निष्पक्ष पीडत को न्याय मिल पाना बेहद कठिन है पुलिस के अध्किारी भी मानते हैं कि जिस तरह से इस मामले में राजनैतिक दबाव बनाया गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं विपक्षी दल भी इस पूरे घटनाक्रम को लेकर खासे आक्रोशित नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य का इस बारे में सापफ कहना है कि विधनसभा अध्यक्ष जैसे संवैधनिक पद पर बैठकर इस तरह के घटनाक्रम को किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और यह राजनैतिक परिदृश्य से भी उचित कदम नहीं। इस बारे में जब विधनसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर से पूछा गया तो उनका सापफ कहना था कि उन्होंने इस मामले को लेकर कोई राजनैतिक दबाव नहीं बनाया है और मकान मालिक व किरायेदार का झगडा कोर्ट से ही सुलझ सकता है। जबकि घटनाक्रम को लेकर कई भाजपा कार्यकर्ता भी आक्रोशित हैं।

Saturday, February 13, 2010

देवता स्नान के बाद शाही डुबकी


प्रतीक्षा की अवधि खत्म होने वाली है। सदी के पहले महाकुंभके पहले शाही स्नान 12फरवरी को शाही वैभव के साथ अखाडे हरकी पैडी के ब्रह्मकुंडमें डुबकी लगाने की तैयारी में जुट चुके हैं। शाही स्नान के दिन अखाडे देवता का निशान, देवता की पालकी और धर्म पताका को गंगा जल में पावन स्नान कराएंगे। फिर ब्रह्मकुंडसे निकल रही कलकल करती पतित पावनी गंगा में लाखों साधु-संत और नागा संन्यासी हर-हर महादेव, गंगा मैया की जय का जयघोष करते हुए गंगा में कूद पडेंगे।
सातों संन्यासी अखाडों की पेशवाईयोंके बाद शाही स्नान का जुलूस पूरे उमंग और उल्लास के साथ हरकी पैडी 12फरवरी को पहुंचेगा। आचार्य महामंडलेश्वरऔर मंडलेश्वर बुग्गी में सवार होकर हरकी पैडी पहुंचेंगे। इनकी तैयारियों में पूरा अखाडा जुटा हुआ है। नागा साधु भी बेहद उल्लास से भरे हुए हैं, हों भी क्यों नहीं। आखिरकार ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। अखाडों की पेशवाई की तरह ही शाही जुलूस हरकी पैडी के ब्रह्मकुंडकी ओर बढेगा।
पेशवाई की तरह ही सबसे आगे देवता का निशान, फिर पालकी में देवता, आचार्य महामंडलेश्वरसरीखे अन्य संतों का क्रम होगा। निर्धारित समय पर अखाडे गाजे-बाजेके साथ हरकी पैडी पहुंचेंगे। हरकी पैडी पहुंचने के साथ ही ब्रह्मकुंडपर सबसे पहले हर-हर महादेव और गंगा मैया के जयघोष के साथ देवता के निशान और देवता की पावन डुबकी लगेगी। धर्म पताका का भी स्नान बेहद अहम होगा। देवता के निशान और देवता की पावन डुबकी लगते ही लाखों साधु-संत और नागा ब्रह्मकुंडमें स्नान को उतर जाएंगे। यह क्षण निश्चित रूप से महाकुंभके लंबे इंतजार को खत्म करेगा। चूंकि महाकुंभके अखाडों के साधु-संतों के स्नान को श्रद्धालु भी दूर के घाटों से देख सकेंगे, इसलिए उनके लिए भी यह क्षण यादगार रहेगा।
डीआईजी आलोक कुमार शर्मा ने बताया कि अखाडों के स्नान की व्यवस्था हो गई है। देवता के निशान और देवता के स्नान के बाद ही अखाडों के साधु-संत गंगा जल में स्नान करते हैं।

इतिहास की धरोहर बन गया। .....शाही स्नान



बारह फरवरी, 2010 का दिन 11 बजते ही इतिहास की धरोहर बन गया। क्षिप्रा नदी के किनारे संन्यासियों व वैरागियों के बीच हुए खूनी संघर्ष के वर्षो बाद यह खटास पूरी तरह दूर होती दिखी। आपसी प्यार इस कदर घुला कि संन्यासी अखाडों के साथ वैरागी अखाडों ने भी स्नान किया। हरकी पैडी व आसपास मौजूद लाखों श्रद्धालु इसके गवाह बने। संन्यासी अखाडे व वैरागी अखाडों का कुंभ में स्नान के क्रम को लेकर आपसी विवाद वर्षो से चल रहा था। इस विवाद के चलते क्षिप्रा नदी तो रक्तरंजित हुई थी। संन्यासी व वैरागियों में सन् 1738 में जमकर संघर्ष हुआ। यहीं से वैरागियों व संन्यासियों के बीच मतभेद और बढने लगे। दूरियां इस कदर बढ गई कि वे एक-दूसरे को पसंद तक नहीं करते थे। इसके बाद जितने भी कुंभ हुए सब में स्नान के क्रम को लेकर संन्यासियों से वैरागियों का विवाद होता रहा। ऐसे में वैरागियों ने वृंदावन में कुंभ करने का निर्णय लिया। हालांकि यह भी कहा जाता है कि वैरागियों ने अपनी तीन अणियों को लेकर यहीं पर रचनात्मक कार्य किया था। तब से वैरागी वृंदावन में कुंभ स्नान के बाद ही कुंभ के दूसरे शाही स्नान में डुबकी लगाते थे। लेकिन इस बार अखिल भारतीय अखाडा परिषद के पदाधिकारियों व साधु-संतों की सुलझी हुई सोच ने नई संस्कृति को जन्म दिया। वैर-भाव भूलकर सभी एक हुए। उनके बीच की कडवाहट महाकुंभ के पहले शाही स्नान में दूर हो गई। अखिल भारतीय अखाडा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानदास की तीस मार्च को भी शाही स्नान घोषित कराने की कोशिश में संन्यासी अखाडों ने पूरा समर्थन दिया। नतीजा यह हुआ कि शासन-प्रशासन को तीस मार्च को शाही स्नान घोषित करना पडा। इससे पूर्व तक तीन शाही स्नान होते रहे। 12 फरवरी की पूर्वाह्न 11 बजे यह महाकुंभ ऐतिहासिक हो गया। संन्यासी अखाडों के संतों के साथ वैरागी के श्री महंत व अखिल भारतीय अखाडा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानदास ने जयघोष करते हुए गंगा में डुबकी लगाई। उदासीन व निर्मल परंपरा के श्री महंत भी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ डुबकी लगाने हरकी पैडी पहुंचे। इस यादगार क्षण को सजोने के लिए लाखों श्रद्धालु हरकी पैडी व आसपास के क्षेत्र में मौजूद थे।

मेला प्रशासन शाही स्नान के अनुरूप व्यवस्था नहीं कर पाया।

अव्यवस्था के बीच महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर करीब 55 लाख श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई। सात अखाडों के करीब पचास हजार संन्यासियों और विभिन्न अखाडों के लगभग चार हजार नागा अवधूतों ने भी स्नान किया। इस मर्तबा वैरागी अखाडों ने भी शाही स्नान में भाग लिया। पर मेला प्रशासन शाही स्नान के लिए अपने दावे के अनुरूप व्यवस्था नहीं कर पाया। कई बार भगदड मच गई। हरकी पैडी पर स्थिति विस्फोटक बनने से पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पडा। शाही स्नान के साथ महाशिवरात्रि का भी स्नान था। श्रद्धालु इसके लिए देर रात से ही हरकी पैडी एवं अन्य घाटों पर जुटने लगे थे। सुबह आठ बजे तक हरकी पैडी समेत सभी घाटों पर श्रद्धालु डुबकी लगाते रहे। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैडी पर स्नान रोक दिया गया। आठ बजे के बाद संन्यासियों के शाही स्नान के लिए व्यवस्था की गई। पूर्वाह्न लगभग 11 बजे से सायं साढे छह बजे तक अखाडों का स्नान चलता रहा। पहले शाही स्नान से पूर्व जूना अखाडा, आह्वान व अग्नि अखाडे की छावनी में देवता के पूजन के बाद सुबह दस बजे तीनों अखाडे हरकी पैडी की ओर स्नान के लिए निकले। तीनों अखाडे में चालीस से अधिक महामंडलेश्वर व मंडलेश्वर शामिल रहे। गाजे-बाजे के साथ अखाडे का शाही जुलूस पूरे रंग में दिखा। नागा संन्यासी तलवार, भाला, बरछी, फरसा आदि लेकर शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे। देवता के स्नान के उपरांत करीब डेढ हजार से अधिक नागाओं ने हर-हर महादेव का जयघोष कर गंगा में डुबकी लगाई। विदेशी भक्तों की भक्ति भी खूब नजर आई। साध्वी व नागा साध्वियों ने भी स्नान किया। इनकी वापसी के बाद शेष अखाडों के संन्यासियों ने अपने नियत क्रम में स्नान किया। हरकी पैडी पर शाही स्नान चल रहा था। वहीं, अन्य श्रद्धालु सुभाष घाट, बिडला घाट, प्रेम नगर आश्रम घाट, विष्णु घाट समेत लगभग एक दर्जन घाटों पर स्नान कर रहे थे। स्नान का क्रम देर रात तक बना रहा। उधर, प्रशासन के इंतजाम ने श्रद्धालुओं को खासी परेशानी में डाले रखा। शाही स्नान से ठीक पहले तुलसी चौक पर पुलिस की बैरिकेडिंग को तोडकर श्रद्धालु आगे बढ गए। उन्हें बमुश्किल नियंत्रित किया गया। पुलिस व लोगों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। नागा संन्यासियों के पवित्र स्नान की झलक पाने को धोबी घाट पर अचानक भीड उमड पडी। इससे भगदड की स्थिति बन गई। कुछ लोग गंगा नदी में गिरे, लेकिन लाइफ जैकेट पहने जवानों ने उन्हें बचा लिया। बिडला घाट पर तो श्रद्धालुओं की भीड इस कदर हुई कि स्थिति मेला पुलिस के नियंत्रण से बाहर होती दिखी। लिहाजा पुलिस ने श्रद्धालुओं पर हल्का बल प्रयोग किया। पुलिस की सख्ती की स्थिति यह थी कि मेला अस्पताल व जिला अस्पताल तक मरीज नहीं पहुंच सके। लोग घरों में कैद रहे। शिवालयों तक जल चढाने भी नहीं पहुंच सके। रोडवेज की व्यवस्था फेल नजर आई तो सिटी बसें नहीं चलने से दिक्कतें लगातार बढती ही रहीं।

Thursday, February 11, 2010

अब पोर्न साइट बैन नहीं कर पाएगी सरकार

अब से पोर्नोग्राफिक वेबसाइट बैन करने का अधिकार सरकार को नहीं है! जी हां। आईटी एक्ट (2000)में हालिया सुधार के बाद सरकार के पास अब ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिसके जरिए वह सविता भाभी डॉट कॉम जैसी पोर्न साइट पर प्रतिबंध लगा सके। अब ऐसी किसी भी वेबसाइट कै बैन करने का अधिकार केवल कोर्ट के पास होगा। 27 अक्टूबर 2009 को सेक्शन 69A को आईटी एक्ट में इंट्रोड्यूस किया गया। इसके लागू करते ही सरकार के हाथ से किसी भी पोर्न साइट को बैन करने की कार्यकारी ताकत ले ली गई। हालांकि सरकार अब भी पोर्न साइट को बैन कर सकती है लेकिन केवल उन्हीं साइट्स को जो कानून के शासन (पब्लिक ऑर्डर) के लिए खतरा पैदा करें। हालांकि किसी पोर्न साइट से पब्लिक लॉ एंड ऑर्डर के प्रभावित होने की संभावना कम ही है। ऐसा लगता नहीं है कि सविता भाभी जनता के बीच कोई दंगा करवा सकती है।
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'सविता भाभी' पर बैन लगाने की तैयारी
और स्टोरीज़ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंसेक्शन 69A से पहले वाले एक्ट सेक्शन 69 के तहत सरकार पोर्न साइट बैन करने के लिए कदम उठा सकती थी। नए प्रोविजन ने पिछले प्रोविजन में दिए गए उन पांच मुख्य आधारों को ध्यान में रखा है जिनके आधार पर किसी वेबसाइट को बैन किया जा सकता है। ये पांच आधार हैं- देश की संप्रभुता और एकता को खतरा, देश की सुरक्षा के लिए, किसी राज्य की सुरक्षा के लिए, दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों के मद्देनजर और आंतरिक कानून व्यवस्था के लिए। अब पोर्न साइट से ऐसी किसी भी समस्या के पैदा होने का खतरा बमुश्किल ही है। इस नए प्रोविजन के तहत कानून निर्माताओं ने सरकार को मोरल पुलिसिंग से रोक ही दिया है।

Monday, February 8, 2010

महिलाएं उन पुरुषों को अधिक पसंद करती हैं, जिनका सीना सफाचट होता है।

अभी तक आम धारणा थी कि महिलाएं उन पुरुषों को अधिक पसंद करती हैं, जिनके सीने पर बाल होते हैं। लेकिन एक नये शोध से यह बात साबित नहीं होती है। फिनलैंड में तुकरू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के ताजा अध्ययन से पता चला है कि महिलाएं उन पुरुषों को अधिक पसंद करती हैं, जिनका सीना सफाचट होता है।
विशेषकर उन महीनों में उनकी यह पसंद बढ़ जाती है, जब उनके गर्भधारण का सबसे उपयुक्त समय होता है। सीने पर बालों वाले पुरुषों में महिला हार्मोन ओएस्ट्रोजेन की बहुत बड़ी मात्ना होने की संभावना होती है। जिससे उनकी मैथुन क्षमता प्रभावित होती है।
हालांकि यह हार्मोन इन पुरषों को ज्यादा सीधा-सादा और भरोसमंद बनाता है लेकिन सिद्धांतत: उनकी महिला साथी के गर्भवती होने की संभावना को कम कर सकता है। यही कारण है कि महिलाओं के लिए अचेतन रूप से ऐसे पुरुष कम आकर्षक हो सकते हैं। यह बात भी सही है कि जिन महिलाओं के लिए गर्भधारण करना कोई समस्या नहीं है।
वे सीने पर बाल वाले पुरुषों को ज्यादा पसंद करती हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए सीने पर बालों वाले और सफाचट सीने वाले 20 पुरुषों के फोटो लिए और उन्हें 15 से 69 साल की उम्र की 550 महिलाओं को दिखाया।
इनमें 60 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाओं की तुलना में सिर्फ तीस प्रतिशत युवतियों ने सीने पर बालों वाले पुरुषों को तरजीह दी। बिहेवियरल इकोलोजी पत्निका में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि शरीर के बाल महिला साथी की पसंद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

रूम मेट हमराज भी, दगाबाज भी

अच्छी शिक्षा व नौकरी की तलाश में हर दिन कई हजारों युवा गाँवों से महानगरों की ओर पलायन करते हैं। अपनी आँखों में भविष्य के सुनहरे सपने सजाने वाले इन युवाओं के लिए महानगर में रहने के स्थान को लेकर काफी मशक्कत करनी पड़ती है। महँगे किराए व असुविधा से बचने के लिए कई लड़के-लड़कियाँ या तो पेइंग गेस्ट बनकर रहते हैं या फिर 4-5 लोग एकसाथ किराए पर रूम लेकर रूम शेयर करते हैं। इसके कई फायदे भी होते हैं और कई बार नुकसानदायक अनुभव भी होते हैं।फायदा या नुकसान : रूम शेयर करना जहाँ खाने-पीने व रहने के अनावश्यक खर्चों से बचने के लिए एक फायदे का सौदा है, वहीं यह आपके लिए नुकसान का सौदा भी हो सकता है, अगर आपका रूम मेट समझदार व सामंजस्य वाला न हो। कई महीनों या सालों तक एक साथ रहते-रहते रूम मेट आपका एक सुख-दुःख का साथी बन जाता है, लेकिन उसका जरूरत से अधिक साथ आपके लिए घातक भी हो सकता है। आजकल आए दिन हमें यह सुनने को मिलता है कि फलाँ के रूममेट ने उसकी हत्या कर दी या उसके साथ दुष्कर्म किया... वगैरह, वगैरह। यह केवल सुनी-सुनाई बातें ही नहीं बल्कि हकीकत भी है। यदि आप भी चाहते हैं कि आपके साथ ऐसा कुछ न हो तथा रूम मेट के साथ आपका रिश्ता सदैव मधुर बना रहे तो आपको चाहिए कि अपने रूम मेट से कुछ बातें छुपाएँ और खुश रहें।प्रायवेसी मेंटेन करें : हर व्यक्ति की एक निजी लाइफ होती है, जिसमें हस्तक्षेप करना हर किसी का अधिकार नहीं होता। यदि आपके पेट में कोई बात नहीं टिकती है तो उसे अपने परिवारजनों से शेयर करें, रूम मेट से नहीं। रूम मेट और आपका साथ तो कुछ महीनों या सालों का है परंतु परिवारजनों का साथ तो आपके लिए जिंदगीभर का है। अपनी हर प्राइवेट बात में रूम मेट को शरीक करना आपके लिए घातक सिद्ध हो सकता है। हो सकता है आपका रूम मेट कल इन्हीं बातों लेकर दोस्तों के सामने आपको बदनाम करे या फिर आपको ब्लैकमेल करे।बैंक अकाउंट्स में गोपनीयता जरूरी : किसी को अधिकार देना अच्छी बात है, परंतु इतना अधिकार देना कि सामने वाला आप पर ही हावी हो जाए। यह समझदारी नहीं बल्कि मूर्खता है। कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब आपको अपने रूम मेट के साथ भी शॉपिंग पर जाना पड़ता है। ऐसे में यदि आपको कुछ खरीदना है तो आप जरूर अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन ऐसे में कई बार जल्दबाजी में यार, जरा तू पैमेंट निकाल ला, कहकर हम अपने बैंक अकाउंट नंबर व पासवर्ड तक रूम मेट को बता देते हैं, जो कि गलत है।आदतों का ढिंढोरा न पीटें : प्रत्येक मनुष्य में अच्छी-बुरी आदतें दोनों होती हैं। आपको चाहिए कि आप अपनी बुरी आदतों में सुधार करें न कि रूम मेट के सामने उनका ढिंढोरा पीटें। हो सकता है कल को आपका अपने रूम मेट से झगड़ा हो जाए, तब आपका वही रूम मेट जो आज आपका हमराज है, कल दगाबाज भी बन सकता है। ऐसे में अपनी बुरी आदतों के सार्वजनिक हो जाने के कारण आपको अपने मित्रों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है।कई बार रिश्तों में दूरियाँ प्यार का संकेत होती हैं। आपका रूम मेट आपका एक बेहतर दोस्त हो सकता है बशर्तें उससे केवल वही बातें शेयर की जाएँ, जो जरूरी है। यदि आप बोलने में सतर्कता व सावधानी रखेंगे तो आपके रूम मेट से आपके रिश्ते बेहतर व चिरायु होंगे।

संबल होते हैं मन के रिश्ते

जीवन की तेजी से बदलती परिभाषा और रिश्तों में बढ़ती दूरियाँ, कहीं न कहीं मनुष्य को मनुष्यता से ही दूर करने पर आमादा हैं। इसका खामियाजा सभी भुगत रहे हैं। कहीं टीनएजर्स शराब और सिगरेट जैसी लतों के गुलाम बन रहे हैं, कहीं पति-पत्नी के बीच की दूरियाँ बढ़ रही हैं और कहीं बच्चे मार्गदर्शन, स्वस्थ हँसी-मजाक और अच्छे घरेलू माहौल से दूर, केवल कृत्रिम दुनिया में कैद हैं।रिश्तों का 'हेल्दी बॉण्ड' तथा प्रसन्नता की ताजी हवा सबके लिए जरूरी है। यह आपके रिश्तेदारों, सहयोगियों, दोस्तों, किसी से भी मिल सकती है। जरूरत है आपके हाथ बढ़ाने की। पेशे से भवन निर्माता हीरेंद्र (48) पिछले दिनों एक बड़ी परेशानी से उबरे हैं। परेशानी की वजह थी उनके 18 वर्षीय पुत्र रौनक से जुड़ी। दरअसल घर से बाहर काम के सिलसिले में व्यस्त रहे हीरेंद्र इस ओर ध्यान नहीं दे पाए कि उनका बेटा बड़ा हो रहा है। उन्होंने केवल बेटे को महँगे तोहफे लाकर देना ही सबसे बड़ा काम समझ लिया। उनकी पत्नी भी बेटे का मन ठीक से पढ़ नहीं पाईं। उन्होंने अपने जीवन का टारगेट केवल बेटे को अच्छा भोजन करवाने तक सीमित कर लिया था। मिडिल क्लास तक आने पर तो रौनक के लिए भी पिता के दिए महँगे तोहफे खुश होने का सबब बनते रहे, लेकिन दसवीं कक्षा से अनेक सवाल उसके जेहन में उमड़ने लगे थे जिनका जवाब देने के लिए न पिता के पास फुर्सत थी, न माँ उसे समझ पा रही थीं। घर में कुल जमा वे तीन ही प्राणी थे... तमाम नाते-रिश्तेदारों से दूर। रौनक अकेलेपन और ऊब से बचने के लिए नशे का सहारा लेने लगा। सिगरेट से शुरू हुआ यह सफर ड्रग्स तक पहुँच गया और पिछले दिनों जब हीरेंद्र दौरे पर थे, तब उन्हें सूचना मिली कि सुबह जब काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी रौनक ने अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला तो परेशान हो उसकी माँ ने हीरेंद्र के फैमेली फ्रेंड वर्माजी के घर फोन किया। वर्माजी ऑफिस के लिए निकल ही रहे थे... सो तुरंत आ गए और जब 2-3 लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर ड्रग्स के ओवरडोज के कारण बेहोश पड़ा रौनक मिला। आनन-फानन वर्माजी उसे हॉस्पिटल ले गए और समय रहते इलाज मिलने से रौनक बच गया। हीरेंद्र के वापस आने पर वर्माजी ने शांति से बैठकर उन्हें स्थितियों पर विचार करने को कहा। वर्माजी पूरे समय न केवल हीरेंद्र तथा उनकी पत्नी को मानसिक संबल देते रहे बल्कि रौनक को भी उन्होंने अवसाद से बाहर निकाल लिया। आज हीरेंद्र और उनकी पत्नी, रौनक को पूरा समय दे पा रहे हैं और वर्मा परिवार तो उनके लिए सबसे खास हो गया है। कहा जाता है कि दुनिया में रिश्ते केवल रक्त सिंचित हों, यह कतई जरूरी नहीं। मन से बने रिश्ते इससे भी कहीं गहरे हो सकते हैं और ऐसा एक रिश्ता आपके लिए जिंदगीभर सबसे बड़ी ताकत बनकर रहता है। चाहे वे सगे-संबंधी हों, मित्र हों, सहयोगी हों, पड़ोसी हों या फिर मात्र परिचित हों। केवल खुशियों को बाँटते समय ही नहीं, कठिनाइयों में साथ निभाते समय भी ये रिश्ते आपका संबल बनकर उभरते हैं। अब नीता की ही कहानी को लीजिए।27 वर्षीय नीता एक फर्म में अकाउंटेंट है। यूँ उसकी सभी सहयोगियों से बोलचाल है, लेकिन जब जिक्र श्रीमती मेहता का होता है तो उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक आ जाती है। 54 वर्षीय श्रीमती मेहता इस कंपनी के पुराने कर्मचारियों में से हैं। जब नीता यहाँ नई आई थी तो उसने भी श्रीमती मेहता के साथ मित्रता करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।इस रिश्ते की शुरुआत तब हुई, जब 4 साल पहले नौकरी ज्वॉइन करने के एक साल बाद प्रेगनेंसी के दौरान नीता के सामने मुश्किलें आनी शुरू हुईं। उसके बाकी सहयोगी न तो उसकी मनःस्थिति को समझ पाए, न ही उसके शारीरिक कष्टों को। वहीं अनजान शहर में माता-पिता तथा सभी रिश्तेदारों से दूर नीता के लिए यह अनुभव नया और ढेर सारे प्रश्नों से भरा था। उसे कुछ समझ नहीं आता था और उसके पति राकेश के पास इतना समय नहीं था कि वे पूरे वक्त नीता के साथ रह सकें। नीता चिड़चिड़ी होती जा रही थी। ऐसे में उसकी मदद के लिए आगे आईं श्रीमती मेहता। उन्होंने बिलकुल माँ की तरह नीता की केयर की और दोस्त की तरह उसके साथ रहीं। उनके अनुभवों ने नीता की कई चिंताएँ दूर कर दीं। डिलेवरी के बाद भी वे हॉस्पिटल और घर के बीच नीता के लिए सेतु की तरह काम करती रहीं। आज नीता की दो वर्षीय बेटी नुपुर उसकी कम, श्रीमती मेहता की लाड़ली ज्यादा है। वह उन्हें नानी ही कहती है। नीता खुद कहती है- 'मन से बने इस रिश्ते ने मुझे काफी कुछ दे दिया। श्रीमती मेहता से मैं कब काकी के संबोधन पर आ गई, मुझे पता ही नहीं चला। अब राकेश मुझे छेड़ने के लिए कहते हैं कि तुम्हारी फ्रेंड उम्र में तुमसे कुछ बड़ी नहीं है?' असल में रिश्तों का ये हेल्दी बॉण्ड आपके अंदर भावनाओं को जिंदा रखने का महत्वपूर्ण काम करता है। जरा सोचिए... तेजी से यांत्रिक और भौतिक होते जीवन में अगर भावनाओं की जगह ही न बचे तो क्या आप इंसान भी बने रह पाएँगे? फिर परिवार और समाज जैसी संस्थाओं का क्या होगा? और इससे तो पूरी दुनिया में अराजकता ही फैल जाएगी। जरा सोचिए बिना अपनों के आपकी जिंदगी के उल्लासभरे पल कितने बेरंगे होंगे और दुखभरे पलों को बिताना भी कितना कठिन हो जाएगा? इसलिए रिश्तों के बंधन जोड़िए। कुछ सामान्य टिप्स भी आप याद रख सकते हैं।ऑफिस में या कॉलोनी में एक ग्रुप बनाइए जो महीने में एक बार कहीं मिलकर पिकनिक या आउटिंग पर जाए। अपने परिचितों और रिश्तेदारों में जिससे भी आपका मानसिक स्तर मेल खाता हो और जहाँ आपको लगता है कि सकारात्मक रिश्ते बन सकते हैं, वहाँ मेलजोल बनाए रखें।दोस्तों और परिचितों के साथ समय बिताएँ और समय-समय पर उनके सुख-दुख में शरीक हों।यदि आप एकल परिवार वाले माता-पिता हैं तो अपने परिवार, नाते-रिश्तेदारों के बारे में अपने बच्चों को जरूर बताएँ।बच्चों को अच्छे दोस्तों की कीमत समझाएँ और इस बारे में उन्हें पर्याप्त मार्गदर्शन दें। कोशिश करें कि वे सामाजिक आयोजनों में भी हिस्सा लें।अपने घर और बच्चों को समय दें और कम से कम हफ्ते में एक बार सबके साथ मिल-बैठकर, स्वस्थ मनोरंजन करने का कार्यक्रम जरूर बनाएँ। हमेशा याद रखिए यदि मुसीबत में कोई आपके काम आता है तो वह आपका सच्चा हितचिंतक है। ऐसे व्यक्ति से हेल्दी बॉण्ड तो डेवलप कीजिए ही, यथाक्षमता समय पड़ने पर उसकी मदद से भी चूकिए नहीं।आपकी जिंदगी में कोई व्यक्ति ऐसा जरूर हो जो विपरीत समय पर आपको सही मार्गदर्शन दे सके और उलझन सुलझाने में आपकी मदद कर सके।

लो आ गया प्यार का महीना

ठंड की हल्की नरमी, वसंत ऋतु में खिले फूलों की खुशबू, मौसम की रवानी और फाल्गुन में मदमस्त कर देने वाला फरवरी माह प्रकृति और सुंदरता के कद्रदानों के लिए व्यस्तता से भरा होगा। इस माह में प्यार का इजहार और प्रस्ताव देने के दिवस आएँगे, वहीं प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए सबसे बड़ा प्रेम दिवस वैलेंटाइन डे भी बस सप्ताह भर ही दूर है। इसलिए फरवरी का यह पूरा महीना आशिकों के लिए व्यस्तता से भरा होगा। 7 फरवरी को गुलाब दिवस के रूप में मनाया गया। तो 8 फरवरी को यानी कि प्रपोज डे के दिन प्यार के कद्रदान अपने चाहने वालों के सामने अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं। 9 फरवरी को चॉकलेट दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन प्यार से किसी को चॉकलेट देकर संबंधों में मिठास भरी जा सकती है। 10 फरवरी को टेडी डे होगा, जिसमें टेडी टॉयज देने के बहाने भी प्यार का इजहार हो सकता है। 11 फरवरी को सच्चे प्रेमी प्रोमिस डे पर एक-दूसरे से प्यार निभाने का वायदा करेंगे। 12 फरवरी को है किस डे। इस दिन प्यार करने वाले सच्चे प्रेमी-प्रेमिका किस के जरिए अपने प्यार की कसमें खातें हैं। 13 फरवरी हो आलिंगन दिवस यानी 'हग डे' होगा। इस दिन प्यार के राही एक-दूसरे के गले लगकर आलिंगनबद्ध हो सकते हैं। 14 फरवरी का दिन जैसा कि आप सभी जानते हैं कि संत वैलेंटाइन के नाम है। प्यार करने वालों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। यह दिन प्यार करने वालों के नाम ही होता है।
NDNDप्यार का भरपूर मजा लेने के बाद 15 फरवरी को जरा संभल कर रहें। इस दिन आपको कोई प्यार से गाल पर थप्पड़ रसीद कर सकता है। जी हाँ, इस दिन है स्लैप डे। इसलिए अपने चाहने वालों को इस दिन प्यार का थप्पड़ जरूर रसीद करें। 16 फरवरी का दिन भी संभल कर रहने वाला दिन है। इस दिन को किक डे के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन आप किसी को प्यार से किक कर सकते हैं। वहीं 17 फरवरी को है परफ्यूम डे। इस दिन फूलों और इत्र के जरिए प्यार की सच्ची सुगंध का मजा लीजिए। इस दिन आप अपने चाहने वालों को परफ्यूम आदि भेंट कर सकते हैं। 18 फरवरी को है फ्लर्टिंग डे। इस दिवस पर आपअपने प्यार के साथ फ्लर्ट करने का मजा ले सकते हैं। 19 फरवरी को है कन्फेशन डे। यानी कि इस दिन आप अपने प्रियतम के प्रस्ताव या गलती को स्वीकार कर सकते हैं। आपसे अगर कोई गलती हुई है तो उसे आप अपने प्रेमी के सामने कन्फेस कर सकते हैं।20 फरवरी को है मिसिंग डे। प्यार करने वाले इस दिन अपनों की कमी महसूस करेंगे। वहीं 21 फरवरी को ब्रेकअप डे है। इस दिन समझो, हो गया प्यार पूरा। अगर आपको प्यार रास नहीं आ रहा तो इस दिन आप ब्रेकअप कर सकते हैं। तो इस 15 दिवसीय प्यार के लिए तैयारी बस शुरू कर दीजिए।दिवसों की लिस्ट : 8 फरवरी : प्रपोज डे 9 फरवरी : चॉकलेट डे 10 फरवरी : टेडी डे 11 फरवरी : प्रोमिस डे 12 फरवरी : किस डे 13 फरवरी : हग डे 14 फरवरी : वैलेंटाइन डे 15 फरवरी : स्लैप डे 16 फरवरी : किक डे 17 फरवरी : परफ्यूम डे 18 फरवरी : फ्लर्टिंग डे 19 फरवरी : कन्फेशन डे 20 फरवरी : मिसिंग डे 21 फरवरी : ब्रेक अप डे