Thursday, October 16, 2008

बॉस दिवस भारत में भी हो


अमेरिका में जहाँ बॉस और कर्मचारियों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए हर साल 16 अक्‍टूबर को बॉस दिवस मनाया जाता है, वहीं बढ़ते उदारीकरण और बाजारवाद के दौर में भारत में बॉस और कर्मचारियों के बीच के संबंध बहस का मुद्दा हैं, लेकिन कई लोगों का मानना है कि ऐसा दिन यहाँ भी मनाया जाना चाहिए।'रॉबर्ट हाफ इंटरनेशनल' के सर्वेक्षण अनुसार जहाँ 85 प्रतिशत कर्मचारियों को बॉस कर्मचारी संबंधों में दरार की वजह से अपनी नौकरी गँवानी पड़ती है, वहीं केली सर्विसेस के एक अन्य सर्वेक्षण के मुताबिक भारत दुनिया में ऐसा देश है जहाँ कर्मचारि‍यों में सबसे ज्यादा संतोष है।एसोचैम द्वारा इस साल 2 हजार 500 कर्मचारियों पर कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक देश में 68 प्रतिशत कर्मचारी पुरुष बॉस पसंद करते हैं, जबकि बाकी 32 प्रतिशत ने अपनी कोई वरीयता नहीं बताई।विशेषज्ञों के अनुसार कार्यस्थल एक ऐसा स्थान है जहाँ लोग अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय बिताते हैं और वहाँ की चुनौतियाँ एवं तनाव उनके निजी जीवन पर गहरा असर छोड़ते हैं।उनका कहना कि यही वजह है कि कंपनियों में अब ओपन डोर पॉलिसी अपनाई जा रही है जहाँ कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी तक हमेशा पहुँच बनी रहती है ताकि कर्मचारी अपनी बात शीर्ष स्तर पर आसानी से पहुँचा सकें और उनकी कार्यकुशलता में बॉस के निर्णय की वजह से कोई बाधा नहीं आए।
NDमनोचिकित्सकों के अनुसार कर्मचारियों की कार्यालयी समस्याओं को यदि सिरे से खारिज कर दिया जाता है तो उनमें तनाव घर करने की आशंका बढ़ जाती है और कार्यालयी समस्याओं की वजह से कुछ लोग उस हद तक जा सकते हैं जो मानव जीवन के लिए उचित नहीं है।नोएडा स्थित एक कंपनी के प्रबंधक का इस संबंध में कहना है कि बॉस को कर्मचारियों के काम की प्रशंसा करनी चाहिए। उनके साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। आमतौर पर भारत में ऐसा नहीं हो पाता। वह अपने को बॉस के तौर पर ही पेश करता है और यही कारण है कि अकसर बॉस अलोकप्रिय हो जाते हैं।संभार

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