पेड न्यूज, फर्जी वोटिंग, फंड मिसयूज पर लगेगी रोक।
देहरादून। । उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव की तैयारियां को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रदेश के आला अधिकारियों की बैठक के साथ जो संकेत दिए हैं उससे चुनाव समय पर होने की बाते सामने आ रही हैं। सात राजनैतिक दलो के साथ विचार करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त को कई समस्याओ से भी रूबरू कराया गया है। जिनमें उत्तराखण्ड में फर्जी वोटिंग, पोलिंग स्टेशनो की दूरी, पेड न्यूज, पब्लिक फंड का मिस्यूज, मिसिंग वोटरो को ढूंढना, कैश के बदले वोट सिस्टम सहित कई अन्य बातो के सामने आने के बाद निर्वाचन आयोग अब इन सब पर पैनी नजर रख रहा है। उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव को लेकर जिस तरह से डुगडुगी बजनी शुरू हो गई है उससे साफ संकेत जा रहे हैं कि विधान सभा 2012 के चुनाव अपने नियत समय में दिसम्बर जनवरी में होने तय हैं क्योकि एनसीपी व सीपीएम के अलावा किसी भी अन्य राजनैतिक पार्टी ने उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव नवम्बर में कराए जाने की बात मुख्य चुनाव आयुक्त को नही कही है जिससे साफ संकेत हो गए है कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, उक्रांद के साथ साथ कोई भी राजनैतिक पार्टी समय से पहले चुनाव नही कराना चाहती। जबकि चुनाव आयोग अपनी पूरी तैयारी के साथ विधान सभा चुनाव की कमान संभालने को तैयार बैठा है। उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड का दौरा करने के बाद मणीपुर, पंजाब, गोवा दौरे के बाद ही विधान सभा चुनाव की होने वाली तिथि का पता चल पाएगा क्योकि मुख्य चुनाव आयुक्त अभी 3 राज्यो का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट केन्द्र को सौंपेंगे जिसके बाद ही देश के 5 राज्यो में 2012 में हाने वाले विधान सभा चुनाव की तिथि तय हो पाएगी। वैसे माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के साथ साथ उत्तरारखण्ड में एक साथ चुनाव सम्पन्न कराए जा सकते हैं और दोनो ही राज्यो में चुनाव आयोग अपनी तैयारी के साथ मतदाताओ के वोटर कार्ड बनाने की अंतिम प्रक्रिया पूरी कर रहा ळै। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का साफ मत है कि उत्तराखण्ड में लिफाफो में पैसा वोटरो को बाटा जाता है और पेड न्यूज की उत्तराखण्ड में बहुत बड़ी समस्या सामने है जिसे दूर करने के लिए कोई कसर नही छोड़ी जाएगी। उनके अनुसार बिहार में पेड न्यूज पर रोक लगाने के लिए जिस तरह की कमेटी बनाई थी उसे उत्तराखण्ड में भी लागू किया जाएगा। इसके अलावा मिसिंग वोटर जो यूथ की श्रेणी मे हैं उन्हे ढूंढकर मतदान स्थल तक पहुचाने के लिए जागरूकता अभियान भी शुरू किए जायेंगे। इसके अलावा पब्लिक फंड का मिस्यूज होने की शिकायते ंभी जिस तरह से सामने आ रही है उस पर भी लगाम लगाई जायेगी। एमपी व एमएलए चुने जाने के कई सालो बाद तक भी अपनी फंड को खर्च नही करते और चुनावी वर्ष के दौरान फंड को खर्च किया जाता है जो जनता के हित में ठीक नही। उनके अनुसार कई पोलिंग स्टेशन पर्वतीय क्षेत्रों के कारण दूर स्थान पर मौजूद हैं जिन्हे पास किया जाएगा। उन्होने कहा कैश के बदले वोट सिस्टम को उत्तराखण्ड मे लागू नही होने दिया जाएगा और मतदाताओ की कम संख्या भी इसी कारण बढ़ रही है कि राजनेता कैश के बदले वोट सिस्टम को लागू कर रहे हैं जो स्वस्थ चुनाव सम्पन्न कराने के लिए ठीक नहीं। उत्तराखण्ड मे होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग कड़े तेवर में आ गया है और माना जा रहा है कि मार्च में बोर्ड की परीक्षाएं होने के कारण पहले चुनाव को इसी माह कराने का निर्णय था लेकिन अब इस पर एक राय नही बन पायी है और अब उत्तराखण्ड में 2012 का चुनाव अपने नियत समय में होगा। 2007 में जिस तरह दिसम्बर माह में आचार संहिता लगी थी ठीक उसी तरह 2012 के इलैक्शन में भी वही रोस्टर प्रणाली को लागू किया जाएगा। इसके अलावा अगस्त माह तक टाªंसफर पाॅलीसी के तहत 3 साल से ज्यादा एक ही जनपद में रहने वाले अधिकारियो को इधर से उधर किया जाएगा। वही निर्वाचन आयोग बीएलओ को ज्यादा मजबूत करने पर भी ध्यान दे रहा है उसके अनुसार बीएलओ मतदान स्थल पर वही का होना चाहिए जिससे मतदाताओ को पहचानने में परेशानी ना हो कुल मिलाकर निर्वाचन आयोग उत्तराखण्ड में चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार हो गया है लेकिन यह भी साफ संकेत हो गए है कि उत्तराखण्ड में समय पर चुनाव सम्पन्न होगे लेकिन निर्वाचन आयोग के अनुसार वह किसी भी राज्य में 6 महीने पहले चुनाव सम्पन्न करा सकता है इसके लिए उसे राज्य सरकार की अनुमति की कोई आवश्यकता नही होती।
देहरादून। । उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव की तैयारियां को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रदेश के आला अधिकारियों की बैठक के साथ जो संकेत दिए हैं उससे चुनाव समय पर होने की बाते सामने आ रही हैं। सात राजनैतिक दलो के साथ विचार करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त को कई समस्याओ से भी रूबरू कराया गया है। जिनमें उत्तराखण्ड में फर्जी वोटिंग, पोलिंग स्टेशनो की दूरी, पेड न्यूज, पब्लिक फंड का मिस्यूज, मिसिंग वोटरो को ढूंढना, कैश के बदले वोट सिस्टम सहित कई अन्य बातो के सामने आने के बाद निर्वाचन आयोग अब इन सब पर पैनी नजर रख रहा है। उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव को लेकर जिस तरह से डुगडुगी बजनी शुरू हो गई है उससे साफ संकेत जा रहे हैं कि विधान सभा 2012 के चुनाव अपने नियत समय में दिसम्बर जनवरी में होने तय हैं क्योकि एनसीपी व सीपीएम के अलावा किसी भी अन्य राजनैतिक पार्टी ने उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव नवम्बर में कराए जाने की बात मुख्य चुनाव आयुक्त को नही कही है जिससे साफ संकेत हो गए है कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, उक्रांद के साथ साथ कोई भी राजनैतिक पार्टी समय से पहले चुनाव नही कराना चाहती। जबकि चुनाव आयोग अपनी पूरी तैयारी के साथ विधान सभा चुनाव की कमान संभालने को तैयार बैठा है। उत्तरप्रदेश व उत्तराखण्ड का दौरा करने के बाद मणीपुर, पंजाब, गोवा दौरे के बाद ही विधान सभा चुनाव की होने वाली तिथि का पता चल पाएगा क्योकि मुख्य चुनाव आयुक्त अभी 3 राज्यो का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट केन्द्र को सौंपेंगे जिसके बाद ही देश के 5 राज्यो में 2012 में हाने वाले विधान सभा चुनाव की तिथि तय हो पाएगी। वैसे माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के साथ साथ उत्तरारखण्ड में एक साथ चुनाव सम्पन्न कराए जा सकते हैं और दोनो ही राज्यो में चुनाव आयोग अपनी तैयारी के साथ मतदाताओ के वोटर कार्ड बनाने की अंतिम प्रक्रिया पूरी कर रहा ळै। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का साफ मत है कि उत्तराखण्ड में लिफाफो में पैसा वोटरो को बाटा जाता है और पेड न्यूज की उत्तराखण्ड में बहुत बड़ी समस्या सामने है जिसे दूर करने के लिए कोई कसर नही छोड़ी जाएगी। उनके अनुसार बिहार में पेड न्यूज पर रोक लगाने के लिए जिस तरह की कमेटी बनाई थी उसे उत्तराखण्ड में भी लागू किया जाएगा। इसके अलावा मिसिंग वोटर जो यूथ की श्रेणी मे हैं उन्हे ढूंढकर मतदान स्थल तक पहुचाने के लिए जागरूकता अभियान भी शुरू किए जायेंगे। इसके अलावा पब्लिक फंड का मिस्यूज होने की शिकायते ंभी जिस तरह से सामने आ रही है उस पर भी लगाम लगाई जायेगी। एमपी व एमएलए चुने जाने के कई सालो बाद तक भी अपनी फंड को खर्च नही करते और चुनावी वर्ष के दौरान फंड को खर्च किया जाता है जो जनता के हित में ठीक नही। उनके अनुसार कई पोलिंग स्टेशन पर्वतीय क्षेत्रों के कारण दूर स्थान पर मौजूद हैं जिन्हे पास किया जाएगा। उन्होने कहा कैश के बदले वोट सिस्टम को उत्तराखण्ड मे लागू नही होने दिया जाएगा और मतदाताओ की कम संख्या भी इसी कारण बढ़ रही है कि राजनेता कैश के बदले वोट सिस्टम को लागू कर रहे हैं जो स्वस्थ चुनाव सम्पन्न कराने के लिए ठीक नहीं। उत्तराखण्ड मे होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग कड़े तेवर में आ गया है और माना जा रहा है कि मार्च में बोर्ड की परीक्षाएं होने के कारण पहले चुनाव को इसी माह कराने का निर्णय था लेकिन अब इस पर एक राय नही बन पायी है और अब उत्तराखण्ड में 2012 का चुनाव अपने नियत समय में होगा। 2007 में जिस तरह दिसम्बर माह में आचार संहिता लगी थी ठीक उसी तरह 2012 के इलैक्शन में भी वही रोस्टर प्रणाली को लागू किया जाएगा। इसके अलावा अगस्त माह तक टाªंसफर पाॅलीसी के तहत 3 साल से ज्यादा एक ही जनपद में रहने वाले अधिकारियो को इधर से उधर किया जाएगा। वही निर्वाचन आयोग बीएलओ को ज्यादा मजबूत करने पर भी ध्यान दे रहा है उसके अनुसार बीएलओ मतदान स्थल पर वही का होना चाहिए जिससे मतदाताओ को पहचानने में परेशानी ना हो कुल मिलाकर निर्वाचन आयोग उत्तराखण्ड में चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार हो गया है लेकिन यह भी साफ संकेत हो गए है कि उत्तराखण्ड में समय पर चुनाव सम्पन्न होगे लेकिन निर्वाचन आयोग के अनुसार वह किसी भी राज्य में 6 महीने पहले चुनाव सम्पन्न करा सकता है इसके लिए उसे राज्य सरकार की अनुमति की कोई आवश्यकता नही होती।