रूद्रपुर के चिकित्सालय में मशीनों में लगी जंग।
नारायण परगांई। देहरादून। सरकारी अस्पातालों में जीवन रक्षक उपकराणों की उपयोग ना हो पाने के चलते हजारो मरीजों को इसका लाभ नही मिल पा रहा। कांग्रेस शासन काल में खरीदे गए उपकराणों के कारण 1355 मरीजो को चिकित्सा सुविधाओ का लाभ नही मिल पाया जिस कारण दूसरे स्थानो पर जाकर अपना इलाज करवाना पड़ा यही नही अप्रैल 2006 से जुलाई 2009 तक मरीजों को दूर दराज इलाज कराने में भारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। मशीनो ंका संचालन ना हो पाने के कारण नौ श्रेणियों की 12 जीवन रक्षक मशीनें 3 वर्ष की वारंटी समाप्त होने के चलते सरकार को करीब 85 लाख की लागत देनेके बाद भी मरीजो को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही हो सकी। सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 85 लाख की जीवन रक्षक उपकरणों का 4 साल से अधिक समय तक उपयोग ना होने के कारण रोगियों को इसका लाभ नही मिल सका जबकि वर्ष 2002 एवं 03 में सरकार ने चिकित्सा प्र्रबन्ध समीति का गठन किया था जिसका उद्देश्य सरकार से प्राप्त उपकरणों का रखरखाव एवं संचालन करना था। इतना ही नही प्रत्येक 3 माह में एक बार बैठक आयोजित कर पैरामैडिकल स्टाफ की नियुक्ति तथा संविदा पर सेवाओ का प्रबन्ध करने के साथ साथ चिकित्सक व कर्मचारियों के लिए कार्यशालाओ का आयोजन भी करना था लेकिन मुख्यचिकित्सा अधीक्षक जवाहरलाल नेहरू जिला चिकित्सालय रूद्रपुर के कार्यालय की अगस्त 2009 की लेखा परीक्षा के दौरान यह पाया गया कि 85 लाख की 12 जीवन रक्षक मशीने दिसम्बर 2005 से मई 2006 के बीच चिकित्सालय को आपूर्ति की गई थी लेकिन उपकरणो को ना तो स्थापित किया गया और ना ही इनका संचालन किया गया जिस कारण मई 2010 तक चिकित्सालय में यह मशीने बिना उपयोग के ही पड़ी हुई थी यहां तक कि संविदा पर कर्मचारियो व मैडिकल सटाफ को लेने तक कि कोशिश नही की गई और विशेषज्ञों की नियुक्ति भी ना होने के व चलते इन सेवाओ का लाभ मरीजों को नही मिल सका। रिपोर्ट में गठन के उद्दश्यों की अनदेखी करने एवं सरकार के निर्देशों की अवहेलना करने के फलस्वरूप सामान्य जनता को 85 लाख की जीवन रक्षक मशीनो के उपलब्ध होने के बाद भी इसका लाभ नही मिल सका। जबकि मशीनोे के उपयोग ना करने के कारण परिचालन की स्थिति समय व्यतीत होने के साथ साथ वारंटी अवधि समाप्त हो जाने के कारण खराब हो रही थी। दिसम्बर 2009 में मुख्य चिकित्सक ने स्वीकार किया कि जगह की कमी तकनिशियनों की कमी के कारण उपकरणोे की स्थापना नही की जा सकी। और अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों की एक साथ उपलब्धता ना होने कारण बैठक भी संचालित नही की जा सकी प्रबंधन के उदासीन रवैये के कारण निष्क्रिय पड़े उपकरणें से उद्देश्यों की पूर्ति नही हो सकी जिस कारण उपकरणोे से मरीज लाभान्वित नही हुए। उपप्रकरण शासन को मई 2010 में भेजा गया था जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हो पायी है। कुल मिलाकर लाखों रूपये के खरीदे गए उपकरणो का लाभ रूद्रपुर की जनता को नही मिल पाया है। अधिकारियो की लापरवाही के कारण जहां सरकार के पैसे का नुकसान हुआ हेै वही चिकित्सा विभाग भी इसे सुचारू करने में फिसड्डी साबित हुआ है। इस बारे में जब रूद्रपुर के सीएमएस जे सी दुर्गापाल से बात की गई तो साफ कहना था कि स्टाफ की नियुक्ति ना हो पाने के कारण मशीनों ा संचालन नही हो पा रहा है और पूरा मामला शासन के संज्ञान में है।
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