पुलिस में गुटबाजी से बदमाशों के हौसले बुलंद
देहरादून।
राजधनी दून में पुलिस बदमाशों को पकडने के बजाए गुटबाजी में उलझती जा रही है। जिस कारण आम जनता पुलिस के दरबार में अपनी पफरियाद सुनाती हुई नजर आ रही है पिछले कापफी समय से राजधनी दून में गुटबाजी की मार झेल रही पुलिस बदमाशों को पूरी तरह खूली छूट दे रही है गुटबाजी के कारण ही एक दूसरे को नीचा दिखाने के चलते बदमाशों के हौसले भी बढ़ते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों राजधनी दून में हुए शूटआउट के पीछे भी पुलिस की गुटबाजी भी देखने को मिली। अपने-अपने थाना क्षेत्रों में अपराधें को रोकने के बजाए पुलिस के दरोगा व कई बडे़ अध्किारी जहां पूरी तरह विपफल साबित हुए हैं वहीं कई मामलों में पुलिस के आला अध्किारियों तक को हस्ताक्षेप करना पड़ा है। बडे़ अध्किारियों के हस्ताक्षेप करने के बाद यह बात भी उजागर हो गई है कि पुलिस के दरोगा अपनी कार्य प्रणाली ठीक ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। जिसके चलते थाना क्षेत्रों में जनता को मिलने वाला न्याय भी पफरियाद लेकर आने वाले पफरियादी को नहीं मिल पा रहा है। एक तरपफ तो पुलिस मित्राता सुरक्षा का दावा करती हुई नजर आती है वहीं दूसरी तरपफ पुलिस के कई दरोगा थाना क्षेत्रों से ही मामलों को रपफा-दपफा करने का खेल खेलते नजर आ रहे हैं।
बीती रात थाना डालनवाला क्षेत्रा के अन्तर्गत सचिवालय के ठीक सामने हुई मारपीट व कातिलाना हमले में आध दर्जन लोगों ने एक व्यक्ति को चाकू व अन्य हथियारों से मौत के घाट उतारने का प्रयास किया लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें पकडने के बजाए रपफा-दपफा कर डाला। मौके से एक व्यक्ति को ही पकड़ कर थाना डालनवाला ले जाया गया लेकिन उसके अन्य साथियों को पुलिस नहीं पकड़ सकी जबकि करनपुर चैकी इंचार्ज उसके अन्य साथियों को पकडने के लिए उस स्थान पर गये थे जहां वे रूके हुए थे। लेकिन पुलिस उन्हें पकडने का साहस इसलिए नहीं जुटा सकी क्योंकि इस मामले में एक साहब की संलिप्ता मौजूद थी और साहब का लगातार थाना डालनवाला इंस्पेक्टर को पफोन पर आरोपियों को न पकडने की बात कहता रहा। अति संवेदनशील माने जाने वाले सचिवालय व पुलिस मुख्यालय के पास घटी घटना ने यह बात साबित कर दी की पुलिस के कुछ लोग इस तरह की घटनाओं को थाने से ही रपफा-दपफा करने का खेल खेलते नजर आ रहे हैं।
एक तरपफ तो पीड़ित को न्याय दिलाने की बात की जाती है लेकिन पुलिस के यह दावे पूरी तरह खोखले नजर आ रहे हैं। लगातार बढ़ रही इन घटनाओं में पुलिस हियूमन राईट्स का भी खुला उल्लंघन किया जा रहा है अगर प्रदेश में पुलिस से हियूमन राईट्स के बारे में जानकारी ली जाये तो चंद लोगों को ही इस बारे में बारिकी ज्ञान होगा। बदमाशों पर नकेल कसने की बात कहने वाले पुलिस के आला अध्किारी अब पूरी तरह खामोश होकर बैठ गये हैं और गुटबाजी का खेल इस तरह खेला जा रहा है जिससे पुलिस की छवि आपस में ही दागदार बन बैठी है। यहां तक की एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आपस में ही मनमुटाव की बाते भी बढ़ती जा रही है जो उत्तराखण्ड की मित्रा पुलिस के लिए ठीक संकेत नहीं है। अगर समय रहते इस गुटबाजी को नहीं रोका गया तो बदमाश कुछ पुलिस अध्किारियों से सैटिंग कर सरेआम खूनी होली खेलते नजर आयेंगे।
देहरादून।
राजधनी दून में पुलिस बदमाशों को पकडने के बजाए गुटबाजी में उलझती जा रही है। जिस कारण आम जनता पुलिस के दरबार में अपनी पफरियाद सुनाती हुई नजर आ रही है पिछले कापफी समय से राजधनी दून में गुटबाजी की मार झेल रही पुलिस बदमाशों को पूरी तरह खूली छूट दे रही है गुटबाजी के कारण ही एक दूसरे को नीचा दिखाने के चलते बदमाशों के हौसले भी बढ़ते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों राजधनी दून में हुए शूटआउट के पीछे भी पुलिस की गुटबाजी भी देखने को मिली। अपने-अपने थाना क्षेत्रों में अपराधें को रोकने के बजाए पुलिस के दरोगा व कई बडे़ अध्किारी जहां पूरी तरह विपफल साबित हुए हैं वहीं कई मामलों में पुलिस के आला अध्किारियों तक को हस्ताक्षेप करना पड़ा है। बडे़ अध्किारियों के हस्ताक्षेप करने के बाद यह बात भी उजागर हो गई है कि पुलिस के दरोगा अपनी कार्य प्रणाली ठीक ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। जिसके चलते थाना क्षेत्रों में जनता को मिलने वाला न्याय भी पफरियाद लेकर आने वाले पफरियादी को नहीं मिल पा रहा है। एक तरपफ तो पुलिस मित्राता सुरक्षा का दावा करती हुई नजर आती है वहीं दूसरी तरपफ पुलिस के कई दरोगा थाना क्षेत्रों से ही मामलों को रपफा-दपफा करने का खेल खेलते नजर आ रहे हैं।
बीती रात थाना डालनवाला क्षेत्रा के अन्तर्गत सचिवालय के ठीक सामने हुई मारपीट व कातिलाना हमले में आध दर्जन लोगों ने एक व्यक्ति को चाकू व अन्य हथियारों से मौत के घाट उतारने का प्रयास किया लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें पकडने के बजाए रपफा-दपफा कर डाला। मौके से एक व्यक्ति को ही पकड़ कर थाना डालनवाला ले जाया गया लेकिन उसके अन्य साथियों को पुलिस नहीं पकड़ सकी जबकि करनपुर चैकी इंचार्ज उसके अन्य साथियों को पकडने के लिए उस स्थान पर गये थे जहां वे रूके हुए थे। लेकिन पुलिस उन्हें पकडने का साहस इसलिए नहीं जुटा सकी क्योंकि इस मामले में एक साहब की संलिप्ता मौजूद थी और साहब का लगातार थाना डालनवाला इंस्पेक्टर को पफोन पर आरोपियों को न पकडने की बात कहता रहा। अति संवेदनशील माने जाने वाले सचिवालय व पुलिस मुख्यालय के पास घटी घटना ने यह बात साबित कर दी की पुलिस के कुछ लोग इस तरह की घटनाओं को थाने से ही रपफा-दपफा करने का खेल खेलते नजर आ रहे हैं।
एक तरपफ तो पीड़ित को न्याय दिलाने की बात की जाती है लेकिन पुलिस के यह दावे पूरी तरह खोखले नजर आ रहे हैं। लगातार बढ़ रही इन घटनाओं में पुलिस हियूमन राईट्स का भी खुला उल्लंघन किया जा रहा है अगर प्रदेश में पुलिस से हियूमन राईट्स के बारे में जानकारी ली जाये तो चंद लोगों को ही इस बारे में बारिकी ज्ञान होगा। बदमाशों पर नकेल कसने की बात कहने वाले पुलिस के आला अध्किारी अब पूरी तरह खामोश होकर बैठ गये हैं और गुटबाजी का खेल इस तरह खेला जा रहा है जिससे पुलिस की छवि आपस में ही दागदार बन बैठी है। यहां तक की एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए आपस में ही मनमुटाव की बाते भी बढ़ती जा रही है जो उत्तराखण्ड की मित्रा पुलिस के लिए ठीक संकेत नहीं है। अगर समय रहते इस गुटबाजी को नहीं रोका गया तो बदमाश कुछ पुलिस अध्किारियों से सैटिंग कर सरेआम खूनी होली खेलते नजर आयेंगे।
No comments:
Post a Comment