पुलिस की कब्र खोदने की तैयारी!
देहरादून।
उत्तराखण्ड शासन के कुछ अध्किारी पूरे पुलिस विभाग की कब्र खोदने की तैयारी में जुट गये हैं वह पुलिस अध्किारियों के बीच नपफरत का जो बीज बोने के मिशन में लगे हुए हैं अगर उस मिशन को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इस राज्य में अंजाम दे दिया गया तो पुलिस विभाग में विद्रोह की आग कभी भी भड़क उठेगी जिसकी लपटों से पूरा पुलिस महकमा सुलग जायेगा। सवाल उठ रहा है कि नये व पुराने पुलिस कप्तानों से जिस तरह बडे जिले छीनकर उनके स्थान पर डीआईजी स्तर के अधिकारियों को बिठाने का तानाबाना बुना जा रहा है वह राज्य में बगावत की चिंगारी सुलगाने की तरपफ इशारा करता है। नये व पुराने आईपीएस अब शासन के होने वाले निर्णय पर अपनी निगाहें जमाये हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि शासन के कुछ अध्किारी प्रदेश पुलिस की कब्र खोदने के लिए ऐसी योजना बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं जिससे कि पुलिस महकमें में कभी भी विद्रोह की ज्वाला भड़क सकती है। देखने में आ रहा है कि जब से कुछ बडे जिलो में रैंकर आईपीएस अध्किारियेां की तैनाती हुई है वह शासन के कुछ अध्किारियों की आंखों में लगातार खटक रही है। इसी के चलते उन्होंने इन बडे जिलों से रैंकर आईपीएस अध्किारियेां को हटवाने के लिए गुप्त रूप से तानाबाना बुन लिया है इसी कडी के चलते उन्होंने यह योजना तैयार की है कि तीन बडे जिलों, दून, हरिद्वार व उध्मसिंह नगर में डीआईजी रैंक के अध्किारियेां को तैनाती दे दी जाये। इस योजना को जो चंद अधिकारी अमलीजामा पहनाने के मिशन में लगे हुए हैं वह इस छोटे से राज्य के लिए कापफी घातक हो सकता है। शासन के यह चंद अध्किारी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी कुछ बडे जिलों केा डीआईजी के हवाले करने का जो तानाबाना बुन रहे हैं उससे पुलिस के छोटे अध्किारियों में एक विद्रोह की भावना देखने केा अभी से मिलने लगी है। भले ही यह योजना अभी कागजों में चल रही हो लेकिन जिस तेजी के साथ इस योजना का पूरे राज्य के अन्दर प्रचार हुआ है वह कहीं न कहीं पुलिस विभाग की कब्र खेादने की तैयारी की ओर इशारा कर रहा है। पुलिस महकमें में यहां तक चर्चाएं हैं कि दून में संजय गुज्याल को डीआईजी के पद पर आसीन करने की कवायद की जा रही है तथा अब तक एसटीएपफ में एसएसपी के पद पर तैनात रहे डीआईजी अमित सिन्हा को हरिद्वार का डीआईजी बनाये जाने पर भी तेजी से मंथन शासन में बैठे कुछ अध्किारी करने में लगे हुए हैं। वहीं कई जिलों में पुलिस कप्तान की बागडोर संभाल चुके डीआईजी अभिनव कुमार को उध्मसिंह नगर का डीआईजी बनाये जाने के लिए भी मंथन शासन में बैठे चंद अध्किारी करने में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी इस बात की भनक नहंी लग पाई है कि जिन अध्किारियेां को बडे जिलों में डीआईजी के पद पर भेजने के लिए मंथन चल रहा है उन्होंने शासन में बैठे कुछ अध्किारियों की इस कार्यवाही का समर्थन किया है या नहीं?
शासन में बैठे कुछ अध्किारी जिस तरह से पुराने व नये आईपीएसों के साथ भेदभाव करने का खाका तैयार करने में जुटे हुए हैं वह इस राज्य के लिए कापफी खतरनाक साबित हो सकता है। राज्य में आये कुछ नये आईपीएस व रैंेकर पुलिस कप्तानों में इस योजना को लेकर हालांकि अभी विद्रोह की भावना देखने को नहंी मिल रही है लेकिन पीपीएस रैंक के कई अध्किारियेां का सापफ कहना है कि अगर इस राज्य में एसएसपी के स्थान पर डीआईजी को जनपदों में तैनात करना है तो प्रदेश के सभी पीपीएस अध्किारियों को बर्खास्त करके घर भेज देना चाहिए क्योंकि जिस तरह से इस राज्य में उत्तर प्रदेश की परिपार्टी अपनाने के लिए शासन के कुछ अध्किारी खेल खेलने के मिशन में जुटे हुए हैं उन्होंने अगर अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने का सपना पूरा किया तो यह तय है कि वह भी किसी कीमत पर चुप बैठने वाले नहीं हैं। पुलिस मुख्यालय में बैठे कुछ बडे अधिकारियेां का कहना है कि शासन के जो चंद अध्किारी बडे जिलों में डीआईजी को बैठाने के लिए रणनीति बना रहे हैं उससे आने वाले समय में पुलिस के अन्दर विद्रोह की चिंगारी भड़क जायेगी जो कि इस शांतप्रिय प्रदेश के लिए खतरनाक साबित होगी।
09837261570
देहरादून।
उत्तराखण्ड शासन के कुछ अध्किारी पूरे पुलिस विभाग की कब्र खोदने की तैयारी में जुट गये हैं वह पुलिस अध्किारियों के बीच नपफरत का जो बीज बोने के मिशन में लगे हुए हैं अगर उस मिशन को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इस राज्य में अंजाम दे दिया गया तो पुलिस विभाग में विद्रोह की आग कभी भी भड़क उठेगी जिसकी लपटों से पूरा पुलिस महकमा सुलग जायेगा। सवाल उठ रहा है कि नये व पुराने पुलिस कप्तानों से जिस तरह बडे जिले छीनकर उनके स्थान पर डीआईजी स्तर के अधिकारियों को बिठाने का तानाबाना बुना जा रहा है वह राज्य में बगावत की चिंगारी सुलगाने की तरपफ इशारा करता है। नये व पुराने आईपीएस अब शासन के होने वाले निर्णय पर अपनी निगाहें जमाये हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि शासन के कुछ अध्किारी प्रदेश पुलिस की कब्र खोदने के लिए ऐसी योजना बनाने के मिशन में जुटे हुए हैं जिससे कि पुलिस महकमें में कभी भी विद्रोह की ज्वाला भड़क सकती है। देखने में आ रहा है कि जब से कुछ बडे जिलो में रैंकर आईपीएस अध्किारियेां की तैनाती हुई है वह शासन के कुछ अध्किारियों की आंखों में लगातार खटक रही है। इसी के चलते उन्होंने इन बडे जिलों से रैंकर आईपीएस अध्किारियेां को हटवाने के लिए गुप्त रूप से तानाबाना बुन लिया है इसी कडी के चलते उन्होंने यह योजना तैयार की है कि तीन बडे जिलों, दून, हरिद्वार व उध्मसिंह नगर में डीआईजी रैंक के अध्किारियेां को तैनाती दे दी जाये। इस योजना को जो चंद अधिकारी अमलीजामा पहनाने के मिशन में लगे हुए हैं वह इस छोटे से राज्य के लिए कापफी घातक हो सकता है। शासन के यह चंद अध्किारी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी कुछ बडे जिलों केा डीआईजी के हवाले करने का जो तानाबाना बुन रहे हैं उससे पुलिस के छोटे अध्किारियों में एक विद्रोह की भावना देखने केा अभी से मिलने लगी है। भले ही यह योजना अभी कागजों में चल रही हो लेकिन जिस तेजी के साथ इस योजना का पूरे राज्य के अन्दर प्रचार हुआ है वह कहीं न कहीं पुलिस विभाग की कब्र खेादने की तैयारी की ओर इशारा कर रहा है। पुलिस महकमें में यहां तक चर्चाएं हैं कि दून में संजय गुज्याल को डीआईजी के पद पर आसीन करने की कवायद की जा रही है तथा अब तक एसटीएपफ में एसएसपी के पद पर तैनात रहे डीआईजी अमित सिन्हा को हरिद्वार का डीआईजी बनाये जाने पर भी तेजी से मंथन शासन में बैठे कुछ अध्किारी करने में लगे हुए हैं। वहीं कई जिलों में पुलिस कप्तान की बागडोर संभाल चुके डीआईजी अभिनव कुमार को उध्मसिंह नगर का डीआईजी बनाये जाने के लिए भी मंथन शासन में बैठे चंद अध्किारी करने में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी इस बात की भनक नहंी लग पाई है कि जिन अध्किारियेां को बडे जिलों में डीआईजी के पद पर भेजने के लिए मंथन चल रहा है उन्होंने शासन में बैठे कुछ अध्किारियों की इस कार्यवाही का समर्थन किया है या नहीं?
शासन में बैठे कुछ अध्किारी जिस तरह से पुराने व नये आईपीएसों के साथ भेदभाव करने का खाका तैयार करने में जुटे हुए हैं वह इस राज्य के लिए कापफी खतरनाक साबित हो सकता है। राज्य में आये कुछ नये आईपीएस व रैंेकर पुलिस कप्तानों में इस योजना को लेकर हालांकि अभी विद्रोह की भावना देखने को नहंी मिल रही है लेकिन पीपीएस रैंक के कई अध्किारियेां का सापफ कहना है कि अगर इस राज्य में एसएसपी के स्थान पर डीआईजी को जनपदों में तैनात करना है तो प्रदेश के सभी पीपीएस अध्किारियों को बर्खास्त करके घर भेज देना चाहिए क्योंकि जिस तरह से इस राज्य में उत्तर प्रदेश की परिपार्टी अपनाने के लिए शासन के कुछ अध्किारी खेल खेलने के मिशन में जुटे हुए हैं उन्होंने अगर अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने का सपना पूरा किया तो यह तय है कि वह भी किसी कीमत पर चुप बैठने वाले नहीं हैं। पुलिस मुख्यालय में बैठे कुछ बडे अधिकारियेां का कहना है कि शासन के जो चंद अध्किारी बडे जिलों में डीआईजी को बैठाने के लिए रणनीति बना रहे हैं उससे आने वाले समय में पुलिस के अन्दर विद्रोह की चिंगारी भड़क जायेगी जो कि इस शांतप्रिय प्रदेश के लिए खतरनाक साबित होगी।
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