सूचना का अधिकार के तहत पिटकुल में कार्यरत लिपिक प्रबन्धक के पद तक पहुँचे कर्मचारी अधिकारी यूनियन के अध्यक्ष पी.सी.ध्यानी द्वारा अपनी श्रीनगर गढ्वाल तैनाती के दौरान बरेली कालेज बरेली से संस्थागत छात्र के रूप में एल. एल. बी. की कथित उपाधी प्राप्त की है।विभागीय सूत्रों का कहना है कि उनकी यह डिग्री फर्ज़ी है इसी तथ्य की तह तक पहुँचने की नियत से हमारे द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पिटकुल से सूचनायें चाहीं थी कि ध्यानी की डिग्री कि सत्यापित प्रतिलिपि, एल. एल.बी. की शिक्षा ग्रहण करने से पूर्व ली गयी विभागीय अनुमति तथा संस्थागत छात्र के रूप में जरूरी ७५ प्रतिशत उपस्थिति हेतु आवश्यक विभागीय अवकाशों का विवरण तथा सेवा पंजिका की सत्यापित प्रतिलिपि।
जिसके जवाब में केवल एल. एल.बी. तृतीय वर्ष का अंक पत्र उपलब्ध कराया गया । अधिनियम के तहत विभागीय अपील का भी वही आदेश था कि शेष सभी सूचनायें पी.सी.ध्यनी की व्यक्तिगत सूचनायें है तथा इसको उपलब्ध नही कराया जा सकता । हालाँकि यह प्रकरण अब उत्तराखण्ड राज्य सूचना आयोग में लाम्बित है तथा १८ दिसम्बर २००९ को इस पर पहली सुनवाई की जायेगी ।जिस प्रकार पिटकुल द्वारा ध्यानी द्वारा काथित एल. एल बी. करने के दौरान अवकाशों का विवरण न देने से डिग्री फर्ज़ी होने कि बात को बल मिलता है।यहाँ आपको बताते चलें कि इसी कथित एल. एल.बी. उपाधि के आधार पर ध्यानी को यौन शोषण की शिकायतों का निस्तारण करने के लिये गठित कमेटी में मैम्बर लीगल बैकग्राउण्ड यानी कानूनी प्रष्ठ भूमि का सदस्य बनाया गया।और यहाँ यह और भी महत्वपूर्ण इस लिये हो जाता है क्योंकि पिटकुल के गठन से आज तक यौन शोषण कि दो शिकायतें प्राप्त हुई और दोनों ही केसों में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर रफ़ा-दफ़ा कर दिया गया। इससे स्पष्ट हो जाता है या तो ध्यानी को कानूनी ज्ञान नही है य फिर इन्होंने रिश्वत लेकर जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करवायी है।चूंकि पी. सी. ध्यानी ने अकूत धन अर्जन के साथ-साथ शासन, प्रशासन व सत्ता कि गलियारों में गेहरी पैठ बना ली है जिसके चलते इनके विरुद्ध सरकार द्वारा शायद ही कोई कार्यवाही की जाये।
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