Thursday, March 4, 2010

२० हजार रोजगार भी चले जाएंगे।

रुद्रपुर। राज्य में लगे उद्योगों को औद्योगिक पैकेज नहीं मिलने से रोजगार के अवसर भी कम हो जाएंगे। साथ ही नए उद्योगों के खुलने का रास्ता भी सिमटता जाएगा साफ। इस स्थिति में यदि केन्द्र सरकार ने औद्योगिक पैकेज को लेकर फिर से कोई निर्णय नहीं लिया तो तराई में लोगों को नए उद्योगों के लगने से मिलने वाले लगभग २० हजार रोजगार भी चले जाएंगे।
ऊधमसिंह नगर जिले के पंतनगर स्थित सिडकुल में ३२६ व एडिल्गो सितारगंज में १०० उद्योग कार्य कर रहे हैं। इन दोनों औद्योगिक क्षतों में अबतक ३० हजार से अधिक युवकों को रोजगार मिल चुका है। इसके साथ ही दोनों औद्योगिक अस्थानों में वर्तमान में २०० से अधिक उद्योगों की स्थापना का कार्य चल रहा है। जिसमें से कई उद्योगों के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।
उत्पादन शुरू करने से पहले इन उद्योगों को औद्योगिक पैकेज की सीमा बढने का इंतजार था, लेकिन केन्द्र ने मार्च २०१० में खत्म हो रही औद्योगिक पैकेज की सीमा को न बढाकर नए उद्योगों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। स्थिति यह है कि औद्योगिक पैकेज की सीमा के खत्म होने के केन्द्र सरकार के निर्णय के बाद दजर्नों कंपनियों ने फैक्ट्री निर्माण का कार्य भी बंद कर दिया है।
केन्द्र ने यदि औद्योगिक पैकेज को लेकर निर्णय नहीं बदला तो यह उद्योग यहां अपना काम समेटने के बारे में भी सोच सकते हैं। पंतनगर व सितारगंज में यदि निर्माणाधीन २०० उद्योगों का कार्य पूरा होने के बाद उत्पादन शुरू हो जाता है तो उससे क्षेत्र में २० हजार से अधिक लोगों को नया रोजगार मिलेगा।
इस प्रकार देखा जाए क्षेत्र में हो रहे औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए टाटा मोटर्स ने ७८४०, अशोक लेलैंड ने २२००, बजज आटो ने २५०, नेस्ले इंडिया ने ३४९, सिरडी इंडस्ट्रीज ने १५५, ग्रीन प्लाई इंडस्ट्रीज ने १३००, रिद्धीसिद्धी ग्लूको बायोल्यस लि. ने ३६५, बिटानिया इंडस्ट्रीज ने ७००, एक्मे लि. ने ४०२ व डाबर इंडिया लि. ने ५९६ लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा था। साथ ही अन्य उद्योग भी हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे थे, लेकिन केन्द्र के औद्योगिक पैकेज की सीमा को नहीं बढाने के निर्णय के बाद यह सभी उद्योग असमंजस की स्थिति में आ गए हैं।
ऐसे में यदि केन्द्र ने उत्तराखंड के उद्योगों को फिर से औद्योगिक पैकेज दिए जाने के निर्णय को बहाल नहीं किया तो यहां के उद्योगों में लोगों को हजारों में संख्या में मिलने वाले रोजगार की संभावना भी समाप्त हो जाएगी। एसईडब्लूएस के अध्यक्ष दिनेश धीर कहते हैं कि केन्द्र सरकार को उत्तराखंड के लिए कम से कम २०१३ तक औद्योगिक पैकेज को लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र अपने निर्णय पर पुर्नविचार नहीं किया तो उत्तराखंड में औद्योगिक विकास को बडा धक्का लगेगा।

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