श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। पर्यटक स्थलों के संरक्षण को लेकर वैज्ञानिक तकनीकों से उनके बचाव और विकास को लेकर गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग ने
श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। पर्यटक स्थलों के संरक्षण को लेकर वैज्ञानिक तकनीकों से उनके बचाव और विकास को लेकर गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग ने 5 मार्च को एक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र इस कार्यशाला में सहभागी है।
इस कार्यशाला के आयोजन प्रबन्ध को लेकर आयोजित बैठक में गढ़वाल विवि पर्यटन विभाग के अध्यक्ष प्रो. एससी बागड़ी ने कहा कि पर्यटकों स्थलों पर भारी दवाब होने के कारण विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभावों को बल मिला है। पर्यटन से जुड़ी सभी क्रियाओं और आवश्यकताओं का वैज्ञानिक तकनीक से डाटा बैंक तैयार करना आज की जरूरत भी बन गया है। प्रो. बागड़ी ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं से भी परिचित कराया जाएगा। कार्यशाला के संयोजक संजय सिंह महर ने कहा कि भौगोलिक सूचना तंत्र और सुदूर संवेदन तकनीकी के माध्यम से सभी पर्यटक स्थलों और उनकी गतिविधियों की जानकारी के टूर ऑपरेटर्स को एक डाटा बेस के माध्यम से जारी किए जाने की योजना है। इससे पर्यटकों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से कार्य करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी अब यह जरूरी हो गया है। पर्यटन विभाग के सर्वेश उनियाल ने कहा कि अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र के माध्यम से प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड का एक सैटेलाइट डाटा बेस भी तैयार कर रही है। इससे यहां के सभी प्राकृतिक स्थलों, नदी, झरने, ट्रैक, बुग्यालों आदि की सभी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। इसको लेकर गढ़वाल विवि का पर्यटन विभाग पर्यटन से जुड़े लोगों को जागरूक भी करेगा।कर रहा है। उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र इस कार्यशाला में सहभागी है।
इस कार्यशाला के आयोजन प्रबन्ध को लेकर आयोजित बैठक में गढ़वाल विवि पर्यटन विभाग के अध्यक्ष प्रो. एससी बागड़ी ने कहा कि पर्यटकों स्थलों पर भारी दवाब होने के कारण विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभावों को बल मिला है। पर्यटन से जुड़ी सभी क्रियाओं और आवश्यकताओं का वैज्ञानिक तकनीक से डाटा बैंक तैयार करना आज की जरूरत भी बन गया है। प्रो. बागड़ी ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं से भी परिचित कराया जाएगा। कार्यशाला के संयोजक संजय सिंह महर ने कहा कि भौगोलिक सूचना तंत्र और सुदूर संवेदन तकनीकी के माध्यम से सभी पर्यटक स्थलों और उनकी गतिविधियों की जानकारी के टूर ऑपरेटर्स को एक डाटा बेस के माध्यम से जारी किए जाने की योजना है। इससे पर्यटकों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से कार्य करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए भी अब यह जरूरी हो गया है। पर्यटन विभाग के सर्वेश उनियाल ने कहा कि अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र के माध्यम से प्रदेश सरकार उत्तराखण्ड का एक सैटेलाइट डाटा बेस भी तैयार कर रही है। इससे यहां के सभी प्राकृतिक स्थलों, नदी, झरने, ट्रैक, बुग्यालों आदि की सभी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। इसको लेकर गढ़वाल विवि का पर्यटन विभाग पर्यटन से जुड़े लोगों को जागरूक भी करेगा।
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