Saturday, January 23, 2010

स्वास्थ्य विभाग में करोडों डकारने का गोरखधंधा

देहरादून। प्रदेश के विभिन्न विभागों में फिल्में बनाये जाने के नाम पर जहां लाखों रूपये की बंदरबाट की जा रही है वह विभाग से निकलने वाली निविदाओं में भी भारी गोलमोल की शिकायतें सामने आ रही हैं। ताजा मामला स्वास्थ विभाग द्वारा फिल्म बनाने के नाम पर एक कंपनी को टेंडर दिये जाने का सामने आया है। इतना ही नहीं निविदाओं में दर्शायी गई शर्तों को दरकिनार करते हुए फिल्म बनाने का ठेका एक ऐसी कंपनी को दे दिया गया जो उसकी अर्हताएं ही पूरी नहीं करती। इसे विभागीय लापरवाही कहा जाएगा या फिर पैसे की खनक के आगे अधिकारियों के बिकने की करतूत। पिछले काफी समय से बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में आकर यहां के बेरोजगारों को जहां रोजगार लूटने में लगे हैं वहीं प्रशासनिक तबका भी कमीशनखोरी के चक्कर में फंसकर पैसे की बंदरबाट करने में लगे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के चंदन नगर स्थित महानिदेशालय स्तर से एक प्राइवेट कंपनी को विज्ञापन फिल्में बनाने के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया जबकि उत्तराखंड के अन्य लोगों द्वारा दिये गये आवेदन पत्रों को पैसे की मोटी खनक के आगे दर किनार करते हुए काम ऐसी कंपनी को दे दिया गया जिसे न तो फिल्म बनाने का कोई अनुभव और न ही अभी तक उत्तराखंड में कोई काम करने का प्रमाण पत्र तक हासिल नहीं। विभाग के अधिकारी भी या तो दबाव में काम करने को मजबूर हैं या फिर पैसे की खनक के आगे अपने ईमान तक को बेच डाला जा रहा है। इतना ही नहीं कई अन्य विभागों का तो इतना बुरा हाल है कि विभाग में काम कराने की एवज में खुलकर अधिकारियों द्वारा मोटी रकम की मांग करते हुए अर्हताएं पूरी न होने के बाद भी वर्क ऑर्डर जारी किये जा रहे हैं। ऐसे विभागों के खिलाफ सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाओं से जहां विभाग के अंदर हडकंप मच गया है वहीं कई ऐसे अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब होने वाले हैं जो विभाग के अंदर रहकर ऐसे कई कामों को अंजाम दे चुके हैं जो उनके लिए अब खतरे की घंटी बनने जा रहे हैं। बीते दिवस प्रदेश में लाखो रूपये की बंदरबाट किये जाने से संबंधित एक समाचार छपने के बाद शासन स्तर से लेकर नीचे के अधिकारियों में पूरी तरह हडकंप मचा रहा और यहां तक कि खबर को लेकर खासी सनसनी फैली रही। अभी कई ऐसे विभागों की पोल खुलना बाकी है जो अपने यहां गलत कामों को अंजाम देकर लाखो रूपये की बंदरबाट करने में लगे हुए है। प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों को दिये जा रहे लाखों रूपये के काम मोटी घूस लेकर दिये जा रहे हैं वह प्रदेश के लिए उचित नहीं। वहीं जल्द ही यदि उत्तराखंड के बुद्धिजीवी वर्ग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो महाराष्ट्र की तर्ज पर प्रदेश के हालात भी बन सकते है जो निकट भविष्य के लिए राजनैतिक पार्टियों की भी सिरदर्दी बन सकते हैं। गौरतलब है कि बीते दिवस पर्यटन विभाग में फिल्म बनाने के नाम पर १८ लाख रूपये की फिल्में दिये जाने का मामला बेहद गरम रहा और अब नये मामले के उजागर होने के बाद अन्य मामले भी गरमाने की संभावना बन गई है।

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