Thursday, February 12, 2009

लिखा न तुमको खत कभी, न इजहार किया हमने
दिल ही दिल में आज तक तुमसे प्यार किया हमने

यकीनन प्यार एक रात है भीगी-भीगी, जिसमें एक उम्र ख्वाबों में गुजर जाती है। प्यार वह स्वाभाविक आकर्षण है, जो प्रेम करने वाले दो विपरीत लिंग के मनुष्žयों को एक-दूसरे की तरफ खींचता जाता है। प्यार करने के अनुभव भी हर किसी के साथ अलग-अलग होते है। कहा तो यह भी जाता है कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सच्चा और नि:स्वार्थ प्रेम महज एक काल्पनिक एहसास है। प्रेम दिमाग की एक रूमानी उड़ान है, जिसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं। इश्क ... मोहब्बत .... आशिकी .... को किसी ने इस रास्ते का पत्थर बनाया तो किसी ने उल्फत का मंदिर. प्यार मगरूर भी बना और सुरूर भी। भौतिकता की आंधी और जिंदगी की आपाधापी में रिश्तों की बिखरती छटाओं और महकती पुरवाइयों के बीच प्यार की आकांक्षाओं को पूरा करने का दिन 14 फरवरी वेलेनटाइन डे है। विश्व भर में इसे प्रेमियों के दिन की संज्ञा दी गई है।

यहां इस दिन के विरोध करने वालों से ज्यादा बड़ी संख्या इसे मानने वालों की है। यह एक ऐसा दिन है जब एक प्रेमी अपने प्रेमिका को रेड रोज या फिर अन्य कोई गिफ्ट देकर मोहब्बत के रिश्तों को मजबूत करता है। हालांकि प्रेम करने के लिए कोई दिन निश्चित नहीं है, क्योंकि यह बहने वाला प्रवाह है। लेकिन ''वेलेनटाईन डे'' अपनी प्रेम रूपी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक सुनहरा मौका है। रोमन साम्राज्žय में लोग कई वर्षो से यह दिन देवी-देवताओं की रानी जूनों का सम्मान देने के लिये मनाया जा रहा है। यहां राजा क्लोडीयस के जमाने में शादी करना जुर्म था, मगर संत वैलेनटाइन ने इस कानून की खिलाफ बगावत कर दी। वैलेनटाइन और उसके कुछ दोस्त चोरी-छिपे शादी करवाते थे। इसकी जानकारी जब राजा तक गई तो उसने उन्हें जेल में बन्द करवा दिया। इस मध्य वैलेनटाइन को अपने साथी कैदी की अंधी बेटी से प्यार हो गया। वैलेनटाइन की मोहब्बत का लड़की पर इतना असर होता है कि उसकी आंखों में रोशनी वापस आ जाती है। मोहब्बत के दुश्मन राजा क्लोडीयस ने 14 फरवरी 269 ईसवी के दिन संत वैलेनटाइन को फांसी पर लटका दिया। उसी समय उन्होंने अपनी प्रेमिका के नाम एक प्रेम पत्र लिखा, जिसके अन्त में ''लव फ्रॉम योर वैलेनटाइन'' लिखा था। उसी समय से इस तारीख को वेलेनटाईन अर्थात प्रेम दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाये जाने की परम्परा शुरू की गई। आज तो सारी दुनिया में इसके ग्लैमर का जादू सर चढ़कर बोल रहा है।

बदलते के साथ वैलेनटाइन डे दिल लेने और देने तक सीमित नहीं, बल्कि इस पर व्यवसायिक प्रभाव अर्थात प्रेम को एक इसेंशियल बिजनेस कमोटिडी में परिवर्तित करने का उपक्रम बन गया है। चूंकि इसका असर अभी शहरी क्षेत्रों में अधिक है, इस कारण इस दिन शहरी क्षेत्रों में लाखों रूपयों का व्यवसाय किया जाता है। अनुमान है कि इस दिन पूरी दुनिया में तीन सौ करोड़ से अधिक व्यवसाय किया जाता है।
बहरहाल, प्यार का इजहार और फूलों की बहार के इस मदनोत्सव का हमारे देश में भले ही संस्कृति के विरूध्द परम्परा की संज्ञा देकर इसका विरोध किया जाए पर इसका असर दिखाई नहीं पड़ता। आज वैलेनटाइन दिवस विश्वग्राम और विश्व नागरिक बनने की तरफ बढ़ते युग का प्रतीक बन गया है। यही कारण है कि हमारे यहां भी प्यार के इजहार के इस दिन के सफर में डूबने के लिए बेताबी के साथ इसका इंतजार करते है, वहीं कुछ कहते है कि प्रेम के लिये अपनी जान कुर्बान करने वाले फादर वैलेनटाइन के इस दिन मनाने में बुराई क्या है? तो कुछ का मत है कि यह दिन पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति की देन है, बल्कि हमारी संस्कृति के इतिहास में बसंत उत्सव के रूप में इसकी जड़ें और लक्षण पाये जाते है. परन्तु हम अपनी संस्कृति को छोड़कर विदेशी की ओर भाग रहे है। कहने का आशय है यह कि इस दिन को लेकर विचारों में भारी विरोधाभाष होने के बाद भी इसके ग्लैमर को कम कर पाना मुश्किल है, क्योंकि एक बार किसी से मोहब्बत हो जाये तो उसे भुलाने की सारी कोशिश नाकाम हो जाती है।

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