Tuesday, February 17, 2009

दिल नहीं, दिमाग से उठती हैं प्यार की हिलोरें



प्रेमी जोडे़ अक्सर प्यार


दिल देने की बात कहते सुने जाते हैं , पर क्या वाकई प्यार दिलों की पैदाइश है। प्रेमी जन शायद सहमत न भी हों , पर वैज्ञानिकों का दावा यही कहता है। न्यू यॉर्क के एक न्यूरोसाइंटिस्ट का कहना है कि प्यार का असली सोर्स सिर के भीतर मौजूद है , न कि दिल के भीतर। तस्वीरों में : आया सेक्स चिप का जमाना पढ़े : फटाफट सेक्स की बेस्ट जगह रिसर्चर असल में रोमांटिक लव की बायॉलजी समझने की कोशिश कर रहे हैं। कवि और शायरों के लिए प्रेम की परिभाषा अलग हो सकती है , पर रिसर्चरों का कहना है कि प्यार को ब्रेन इमिजों , हॉमोर्न और जिनेटिक्स के जरिए समझा जा सकता है। फिर चाहे इंसान को पहली बार प्यार हुआ हो , लंबे समय से हो या प्यार को खो चुका हो। अटलांटा की इमोरी यूनिवर्सिटी के यर्क्स नैशनल प्राइमेट रिसर्च सेंटर से जुड़ीं लैरी यंग बताती हैं कि प्यार का एक जैविक आधार होता है। हम इसके लिए जिम्मेदार कुछ तत्वों की पहचान कर सके हैं। वैज्ञानिकों ने रोडेंट्स पर टेस्ट के जरिए जानने की कोशिश की कि प्यार में पड़े इंसान के दिमाग में क्या चलता है। दिमाग के भीतर लव सर्किट असल में , वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसानी दिमाग के चार सूक्ष्म हिस्से मिलकर लव सर्किट बनाते हैं। न्यू यॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलिज ऑफ मेडिसिन में काम करने वाले एसिवेडो ने इन हिस्सों का पता लगाया है। ये हैं - वेंट्रल टेगमेंटल एरिया ( वीटीए ) , द न्यूक्लियस एकम्बंस , द वेंट्रल पैडिलम और रैफे न्यूक्लियस। इस सर्किट का हॉट स्पॉट बूंद के आकार के वीटीए को माना जा रहा है। प्यार में नए - नए पड़े लोगों को एमआरआई मशीन में रखा गया। जैसे ही इन लोगों को इनके प्रेमी या प्रेमिका की तस्वीर दिखाई गई , इनका वीटीए रोशन हो गया। इसी तरह का इफेक्ट उन लोगों पर भी दिखा , जिन्हें प्यार में पडे़ बीस साल हो चुके थे। यहां बता दें कि वीटीए ब्रेन के रिवॉर्ड सिस्टम का अहम हिस्सा है। रट्गर्स यूनिवसिर्टी में रिसर्चर और प्रफेसर हेलन फिशर के मुताबिक ये सेल्स हैं जो डोपामाइन बनाकर उसे ब्रेन के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाते हैं। ब्रेन का यह हिस्सा इस कारण ऐक्टिवेट हो गया , क्योंकि आप जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी - अपना जीवनसाथी पाने की कोशिश कर रहे थे। पढ़े : किस का करिश्मा नशा यह प्यार का नशा है हालांकि रिसर्च का एक नतीजा उत्साह को ठंडा भी करता है। रिसर्च में पता लगा कि प्यार दिमाग में दवा की लत की तरह काम करता है। फिशर के मुताबिक , रोमांटिक लव नशे की लत की तरह है , यह ऐसा नशा है जो जब तक सही चल रहा हो तो बड़ा आनंद देता है , पर जब यह कमजोर पड़ने लगता है तो खतरनाक मोड़ ले लेता है। प्यार के लिए लोग मारने पर उतारू हो जाते हैं। वे प्यार के लिए खुद भी मर जाते हैं। प्यार की लत को स्वीकारते हुए एसिवेडो कहते हैं , प्यार को मजेदार और निराला माना जाता है पर इसकी कुछ वजहें भी हैं। ये वजहें हमें साथ रखने की हैं। पर कुछ दफा प्यार हमें एकसाथ नहीं रख पाता। इसलिए वैज्ञानिकों ने हाल ही में प्यार में चोट खाए लोगों के ब्रेन की भी स्टडी की। ऐसे लोगों के बेन के न्यूक्लियस एकम्बंस में अडिशनल ऐक्टिविटी देखी गई। यह एडिक्शन से और भी ज्यादा जुड़ा हुआ है। पढ़े : बेवफा होती हैं खूबसूरत महिलाएं! टूटते रिश्तों को जोड़ने की दवा वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनकी इस रिसर्च से ब्रेन हॉर्मोंस आधारित ऐसी दवाएं बनाने में मदद मिलेगी जिन्हें थेरपी के साथ इस्तेमाल करके बिखरते रिश्तों को टूटने से बचाया जा सकेगा।

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