देहरादून। उत्तराखण्ड की मित्रता सेवा सुरक्षा पुलिस का नारा देहरादून जिले की पुलिस पूरा करती नही दिख रही। यही कारण है कि देहरादून जिले में पुलिस थानो के भीतर मुकदमे दर्ज करने में पुलिस बड़े साहब का इन्तजार करती है। बिना साहब की मर्जी के किसी भी थाने में कोई मुकदमा दर्ज नही होता जबकि फर्जी मुकदमो को कायम करने में पुलिस नम्बर 1 बन जाती है। पुलिस की इस छवि से आम जनता के बीच पुलिसिंग की व्यवस्था पर विष्वास उठता जा रहा है वहीं इस मामले में जनपद के पुलिस कप्तान केवल खुराना की भूमिका भी संदेह के घेरे में आती हुइ्र दिख रही है। अपने ही महकमे में एक दिन का वेतन काटे जाने के मामले में जनपद के पुलिस कप्तान न0 1 की श्रेणी में जा पहुंचे हैं और पुलिस के ऐसे कर्मचारी जिनका एक दिन का वेतन काटा गया वो भी खासे नाराज चल रहे हैं। इसके साथ ही खनन को लेकर भी इमानदारी से काम करने वाले पुलिस कर्मियो को पुरस्कृत करने के बजाए उन्हें लाइन हाजिर किया जाना भी साबित कर रहा है कि जनपद का पुलिस कप्तान अपनी दूरदर्षी सोच के बजाए दूसरे की सोच से जनपद की पुलिस को चला रहा है। जबकि थाने चैकी में आने वाली हर फरियाद को सुनने के निर्देष उत्तराखण्ड के डीजीपी सत्यव्रत बंसल ने भी जारी किए थे और स्पश्ट रूप् से सभी थाने चैकियो को निर्देष दिए गए थे कि हर आने वाली षिकायत पर तुरन्त कार्यवाही की जाए लेकिन देहरादून जनपद का हाल बेहद खराब है यहां अंधेर नगरी चैपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है और पुलिस फर्जी मुकदमो को कायम कर उसे सच साबित करने में जुटी है। पुलिस की इस कार्यषैली से कई लोग परेषान है लेकिन पुलिस के डर के कारण अपनी आवाल बुलन्द नही कर पा रहे। ऐसा ही एक मामला उस समय सामने आया जब प्रभा वर्मा नाम की एक महिला द्वारा वर्श 2011 में भेजे गए अष्लील एसएमएस का जिक्र कोतवाली में लिखाई गई 23 जुलाई की रिर्पोट में किया गया। इस रिपोर्ट में दो साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया और इस झूइे मुकदमे को कायम करने के लिए ऐसे लोगो की मंडली षामिल हुई जिन्होने जनपद के पुलिस कप्तान की छवि को भी बट्टा लगाने का काम कर दिया जबकि 27 जुलाई को धारा चैकी एवं 30 जुलाई को थाना डालनवाला में दी गई तहरीर पर कोई मुकदमा दर्ज नही किया गया इसके साथ ही जिले क पुलिस कप्तान ने इस मामले में सत्यता जाने बिना किस आधार पर कोतवाली देहरादून में आनन फानन में मुकदमा दर्ज कराया गया इसकी जांच भी की जानी बेहद जरूरी है। क्या देहरादून की पुलिस इतनी बेलगाम हो गई है कि उसे मानवाधिकार का भी डर नहीं। जबकि जनपद के पुलिस कप्तान को सत्यता जानने के बाद ही मकदमे को कायम करना चाहिए था लेकिन कइ दिनो बाद भी इस मामले में पुलिस ने बिना विवेचना किए ही मुकदमा अपराध संख्या 55/13 कायम कर लिया और अब तक इस मामले में पुलिस ने क्या कार्यवाही की इसका जवाब तो पुलिस को समय रहते जरूर देना होगा और इसके साथ ही कई अन्य मामलो में भी पुलिस को जवाब देने के लिए एक स्वयं सेवी संस्था कोर्ट की षरण में जाने की तैयारी कर रही हैं बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि ऐेसे लोग ही पुलिस के मनोबल को तोड़ने का काम कर रहे ळैं जिनके कन्धो पर जिले की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है वहीं सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार देहरादूनक े जनपद के अंदर विभिन्न थाने चैकियो में तैनात पुलिस के ऐसे इमानदार अफसर परेषान नजर आ रहे हें और वह अपनी आमाद पुलिस लाइन में कराने के लिए जल्द ही प्रदेष के डीजीपी सत्यव्रत बंसल से गुहार लगा सकते हैं। नाम ना छापने की षर्त पर उन्होने बताया कि देहरादून जनपद में वर्तमान पुलिस कप्तान का कार्यकाल ऐसा नही देखा जैसा वर्तमान में नजर आ रहा है।
No comments:
Post a Comment