देहरादून। बिना जू- ऑर्थरिटी के राजधानी में अधिकारियों की आखों में धूल झोंक कर सर्कस का संचालन नियम कानूनों को ताक पर रखकर संचालित किया जा रहा है इसकी भनक जैसे ही वन विभाग के अधिकारियों को लगी तो उनमें हडकंप मच गया। परेड ग्राउंड में स्थित सर्कस का उद्घाटन नगर निगम के मेयर विनोद चमोली व पुलिस अधिकारी आर.एस मीना ने संयुक्त रूप से किया था। सर्कस का संचालक अधिकारिय को गलत सूचनाएं देकर भ्रमित करता रहा। वन विभाग के अध्किारियों ने शिकायत मिलने पर वेस्टर्न सर्कस को नोटिस जारी कर सभी कागजात प्रस्तुत करने को कहा है। १४ अप्रैल से नियम-कानूनों को ठेंगा दिखाकर सर्कस का संचालन राजधानी देहरादून में किया जा रहा है जबकि सर्कस के संचालन को लेकर नेशनल-जू अथॅारिटी से अनुमति तक मौजूद नहीं है। विभिन्न जाानवरों को लाने के लिए चीफ फॉरेस्ट कंजरवेटर तक से परमिशन तक नहीं ली गई है लेकिन इसके बाद भी सर्कस का संचालन बेखौफ होकर किया जा रहा है।
बीते दिवस पीपुल फॅार एनिमल की मानवी भट्ट को सूचना मिली कि बिना जू- ऑर्थरिटी के सर्कस संचालन किया जा रहा है और न ही वन विभाग से जानवरों को रखे जाने की को ई परमिशन ली गयी है। इसके बाद पीपुल फॅार एनिमल ने वन विभाग से शिकायत कर वेस्टर्न सर्कस का संचालन बंद करने को लेकर शिकायत की। जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों में शिकायत मिलते ही हडकंप मच गया और तुरंत ही वन विभाग की एक टीम ने मौके पर पहुंचकर सर्कस के संचालन कर्ताओं से जू-ऑर्थरिटी की दी जाने वाली परमिशन के कागजात मांगे लेकिन परमिशन के कागजात उपलब्ध न होने के कारण वन विभाग ने वेस्टर्न सर्कस को नोटिस जारी कर कागजात उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
वह वन विभाग की प्रभागीय वन अधिकारी मीनाक्षी जोशी का साफ कहना है कि वन अधिनियम के तहत जानवरों को बिना परमिशन के रखा जाना गैर कानूनी है और यदि बिना परमिशन के जानवर रखे जाने का पता चला तो वन सरक्षण अधििनयम के तहत कडी कार्रवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि वेस्टर्न सर्कस को नोटिस जारी कर कागजात पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। पीपुल फॉर एनिमल संस्था का आरोप है कि हरियाणा के गुडगांव में कुछ दिनों पूर्व वेस्टर्न सर्कस को परमिशन न होने के कारण वहां से इसे बंद कर दिया था और बिना परमिशन के सर्कस का संचालन किया जाना अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए सर्कस को शीघ्र बंद किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बिना परमिशन के किस आधार पर ५ दिनों तक सर्कस का संचालन किया जाता रहा और वन विभाग के अधिकारी शिकायत होने से पहले हरकत में क्यों नहीं आए? यह भी जानकारी मिली है कि सर्कस को संचालित करने के पीछे पैसे का मोटा खेल खेला गया है। लेकिन सरकस व जानवरों की परमिशन न होने के बाद सर्कस के संचालन पर ही पूरी तरह प्रश्न चिन्ह लग गया है। वही कागजों के संबंध में डालनवाला के एसएसआई श्री टम्टा से बात की गई तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ इंकार किया। जबकि वन विभाग कागजों के पूरा न होने की बात कह रहा है। कुल मिलाकर पैसे के मोटे खेल के चलते सर्कस को बंद करने की हिम्मत नहीं जुटाई जा रही।
Tuesday, April 20, 2010
कलराज हो सकते हैं भाजपा उत्तराखण्ड प्रदेश प्रभारी
देहरादून। देशभर में पार्टी संविधान संशोधन के साथ ही उत्तराखंड को भी डी से सी श्रेणी में शामिल कर लिये जाने के बाद भाजपा के प्रदेश संगठन में एक महामंत्री, उपाध्यक्ष व चार प्रदेश स्तरीय मंत्री के साथ-साथ कार्यकारिणी में ८५ से अधिक लोगों को जगह दी जाएगी। देशभर में महिलाओं को ३३ फीसदी आरक्षण मिलने के कारण भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में भी महिलाओं को अध्कि स्थान दिया जाएगा। अब तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुपफाल की अधिकारिक घोषणा होने के बाद संगठन मे ५१ लोग ही कार्यकारिणी में शामिल है। जबकि अब इन्हें बढाकर ८५ से अध्कि किया जाएगा जिनमें एक महामंत्री, चार उपाध्यक्ष के साथ-साथ चार प्रदेश मंत्री बढाए जाएंगें। संगठन में मजबूत पदाध्किारियों की कमी से जूझ रही भाजपा को अब ऐसे ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की जरूरत है जो मजबूती के साथ २०१२ के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सत्ता में भाजपा की सरकार को लाने में पुरजोर कोशिश कर सके। वर्तमान में संगठन स्तर पर प्रदेश महामंत्री धनसिंह रावत, सुरेश जोशी के साथ-साथ लाखी राम जोशी संगठन की कमान संभाले हुए हैं लेकिन अधिकतर ऊर्जावान कार्यकर्ता सरकार में शामिल हो जाने के कारण संगठन मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह पैदा नहीं कर पा रहा है। जबकि संगठन की सारी ताकत सरकार में शामिल हो गई है जिस कारण सरकार तो मजबूती के साथ प्रदेश में कार्य कर रही है लेकिन भाजपा संगठन कमजोर स्थिति के कारण कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा नहीं कर पा रहा है। जिसे देखते हुए संगठन में अब पार्टी संविधान के अनुसार नये कार्यकर्ताओं को भी जगह मिलनी तय मानी जा रही है। महिलाओं को तव्वजो देते हुए भाजपा संगठन में भी उन्हें जगह मिलनी तय मानी जा रही है। जिनमें उधमसिंहनगर की श्रीमती राजकुमारी के साथ-साथ कुसुम कंडवाल को भी प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी दी जानी तय है। इसके अलावा संगठन में एक महामंत्री, चार उपाध्यक्ष को भी जिनमें कुछ विधायकों के भी शामिल होने की संभावनाएं बनी हुई हैं जिसे लेकर संगठन की अंतिम तैयारियां हो गई है। लोकसभा चुनाव की पांचों सींटें हारने के बाद संगठन में रहने वाले अधिकतर पदाधिकारी सरकार में शामिल हो गए है। जिस कारण संगठन पूरी तरह खाली हो गया है। ऐसे में भाजपा अब अपने ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को पुनः संगठन में लाने पर लगभग तैयार हो गई है। इसके साथ ही प्रदेश के प्रभारी पद को लेकर भी दिल्ली में पूरा खाका तैयार कर लिया गया हैं और उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी कृष्ण मुरारी मोघे के इंदौर का मेयर बन जाने के कारण यह सीट भी पिछले काफी समय से खाली चल रही है। इस सीट पर काबिज होने के लिए हिमाचल के एक नेता के साथ-साथ उत्तर प्रदेश से भाजपा नेता कलराज मिश्र के भी उत्तराखंड प्रभारी बनने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। वहीं भाजपा के सह प्रभारी डा. अनिल जैन भी प्रदेश प्रभारी बनने के लिये जोर आजमाईश में लगे हुए हैं। वैसे प्रदेश प्रभारी को लेकर फैसला भाजपा हाईकमान को करना है और प्रदेश का प्रभारी बाहरी व्यक्ति को ही बनाये जाने की परंपरा पार्टी संविधान में तय है। ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता कलराज मिश्र को उत्तराखंड के प्रदेश प्रभारी की कमान सौंपी जा सकती है। उनके अनुभवों का लाभ उत्तराखंड में होने वाले २०१२ के विधानसभा चुनाव में लेने के लिए पार्टी हाईकमान उन्हें उत्तराखंड का प्रभारी बना सकती है क्योंकि २०१२ के विधानसभा चुनाव को भाजपा पूरी मजबूती के साथ जीतने के लिये अभी से जुट गई है।
Friday, April 16, 2010
यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष खरोला के हटाये जाने की संभावना
देहरादून,। प्रदेश में यूथ कांग्रेस को लेकर स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। प्रदेश में यूथ कांग्रेस के प्रवक्ताओं को लेकर फर्जी तरीके से यूथ कांग्रेस के नाम का उपयोग करते युवा कार्यकर्ता कांग्रेस की छवि को बदनाम करने में लगे हैं जबकि प्रदेश भर में भी यूथ कांग्रेस के सिफ चार ही प्रदेश प्रवक्ता काम कर रहे हैं। इससे पूर्व भी यूथ कांग्रेस में जिलाध्यक्षों व अन्य पदों को लेकर यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल खरोला पर कथित रूप से कई गंभीर आरोप कांग्रेसी कार्यकर्ता लगा चुके हैं। यहां तक कि पदों पर बैठाने की एवज में कथित रूप् से मोटी रकम का खेल तक खेले जाने की बातें सामने आती रही हैं। इतना ही नहीं विभिन्न स्थानों पर पदों पर बैठाए गए कार्यकर्ताओं को लेकर भी गुटबाजी खुलकर सडक से लेकर हाईकमान के कानों तक पहुंचाई जा चुकी है। जिसे लेकर हाईकमान ने अब गंभीर रूख अपना लिया है और माना जा रहा है कि जल्द ही यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल खरोला को उनके पद से हटाए जाने की संभावनाएं भी बढ गई है। इसके पीछे पार्टी हाईकमान का मानना है कि प्रदेश में जिस तरह की यूथ विंग की परिकल्पना को साकार किया जाना था उसे साकार कर पाने में प्रदेश की यूथ कांग्रेस पूरी तरह नाकामयाब साबित हुई है। यहां तक कि पदों पर बैठाये जाने को लेकर जिस तरह से कार्यकर्ताओं में विरोध के स्वर उठ खडे हुए उसे लेकर भी यूथ कांग्रेस प्रदेश में अपना नेटवर्क तैयार नहीं कर पाई। यहां तक यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल खरोला लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से चुनाव लडने की बात कहने के बाद हरीश रावत के विरोधी होने के रूप में सामने आए और जिस कारण दोनेां के बीच गतिरोध् बढता गया। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य से भी राजपाल खरोला के संबंध् मध्ुर नहीं रहे और यूथ कांग्रेस में दोनों ही नेताओं के अनुरूप युवाओं को तवज्जो नहीं दी गई। कुल मिलाकर प्रदेशभर में मात्रा डेढ लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य यूथ कांग्रेस हासिल कर नपाई है जबकि प्रदेशभर में तीन लाख से अध्कि युवाओं को पार्टी से जोडे जाने का लक्ष्य निर्धरित किया गया था जबकि यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष खरोला का आयु सीमा को लेकर भी विरोध् के स्वर अब हाईकमान तक जा पहुचे हैं और वर्तमान में खरोला की आयु सीमा को उनके विरोध्यिों ने यूथ के नाकाबिल होने की बात हाई कमान से कही है। इसके साथ ही यूथ कांग्रेस में प्रदेश प्रवक्ता को लेकर पिछले कापफी समय से उध्मसिंहनगर के काशीपुर में युवा काय र्कर्ता जितेंद्र सरस्वती अपने को प्रदेश प्रवक्ता बताते चले आए हैं लेकिन इसका यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने खंडन किया उनका कहना है कि काशीपुर में किसी भी कार्यकर्ता को यूथ के प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी नहीं दी गई है जबकि प्रदेशभर में चार ही प्रदेश प्रवक्ता वर्तमान में काम कर रहे हैं जिनमें देहरादून में बेग शरीपफ अहमद, पिथौरागढ में रातिक राव जोशी, उत्तकाशी में हिमांशु, हरिद्वार में दीपक जखमोला यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और इसके अलावा कोई भी प्रदेश प्रवक्ता वर्तमान में कार्यरत नहीं हैं यदि पिफर भी कोई कार्यकर्ता अपने को प्रदेश प्रवक्ता लिख रहा है तो उसके खिलापफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। खरोला का सापफ कहना है कि राहुल गांध्ंी व महात्मा गांधी की नीतियों को आगे बढाते हुए प्रदेश में युवाओं की पफौज को बढाया जाएगा। कुल मिलाकर यूथ के प्रदेश प्रवक्ता को लेकर फर्जीवाडा सामने आ गया है
Wednesday, April 7, 2010
२०१२ के मिशन को संगठन और सरकार का मूल मंत्र
देहरादून। भाजपा के अध्विेशन में आडवाणी ने जहां कार्यकर्ताओं में नये उत्साह व ताकत का अहसास भाजपा कार्यकर्ताओं में करा दिया वहीं प्रदेश सरकार की तारीपफ के पुल भी बांध डाले जिससे सरकार को बेहतर संजीवनी मिलने के साथ-साथ उत्साह का नया संचार हो गया है। मिशन २०१२ की तैयारियों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को जहां संविधन के अनुरूप एकजुटता स काम करने की नसीहत दी गई है वहीं २०१२ के चुनाव में विजय पताका फहराने का भी मूल मंत्र दिया गया है। प्रदेशभर के पार्टी कार्यकर्ता इस उत्साह का संचार २०१२ तक करते रहें इसे लेकर भी प्रदेश के जिलाध्यक्षों व महामंत्रियों के साथ बैठक कर इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोडी गई है। कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल की अधिकारिक प्रदेश अध्यक्ष पर मुहर लग जाने के बाद उनमें भी नये उत्साह का संचार हो गया है। कम बोलने वाले बिशन सिंह चुफाल अध्विेशन के साथ-साथ कार्य समिति में कार्यकर्ताओं को भाजपा की नीतियों के साथ-साथ अपने अब तक के कार्यकाल को लेकर भी नसीहत देते नजर आए। इतना ही नहीं अपने भाषण मेंउन्होंने जहां पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त किया वहीं कांग्रेस पर भी जमकर राज्य की उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्तओं में नये उत्साह का संचार करते हुए २०१२ के मिशन में अभी से जुट जाने के मूल मंत्रा भी दे दिये हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला अवसर था जब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में श्री चुपफाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोध्ति किया हों। इससे पूर्व के प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत ने भी जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह का संचार करने का प्रयास किया वहीं अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव में विजय पताका पफहराने के मूल मंत्रा भी कार्यकर्ताओं के साथ बांटे। हालांकि लोक सभा चुनाव को लेकर मानसिक रूप से तैयार न होने की बातें भी बचदा ने कार्यकर्ताओं से की कुल मिलाकर आडवाणीी ने जहां प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं व कुंभ को लेकर बेहतर इंतजाम किये जाने का सराहा वहीं सरकार के अब तक के कार्यकाल को बेहतर करार दिया। एक मंच पर जुटे प्रदेश के सभी नेताओं को देखकर कार्यकर्ताओं भी जिस तरह से नये उत्साह का संचार हुआ है उसे लेकर कांग्रेस में खलबली मच गयी है। हमेशा से ही कांग्रेस भाजपा पर गुटबाजी में उलझे होने का आरोप लगाती आई है लेकिन जिस तरह से भाजपा के अधिवेशन में खंडूडी, कोश्यारी, ध्यानी के साथ-साथ प्रदेश भर के पार्टी नेताओं ने एक जुटता का परिचय दिया है उसस कार्यकर्ताओं के उत्साह में नया संचार देखा जा रहा है। यदि २०१२ के चुनाव तक पार्टी कार्यकर्ताओं में इसी तरह का उत्साह बना रहा तो निश्चित रूप से विधनसभा चुनाव में कांग्रेस के गणित को भाजपा बिगाड सकती है। कुल मिलाकर भाजपा की ताकत ने कांग्रेस के दिग्गजों को हिलाकर रख डाला है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल की भी २०१२ के विधनसभा चुनाव को लेकर अग्निपरीक्षा अध्किारिक घोषणा होने के बाद शुरू हो गयी है। भाजपा के अध्विेशन में आडवाणी ने जिस तरह से एकजुटता का परिचय देते हुए कार्य करने की नसीहत कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रदेश के पदाधिकारियों को दी है उसका कितना असर भाजपा कार्यकर्ताओं पर पडता है यह भी देखने लायक होगा।े वहीं गुटबाजी में उलझने के कारण लोकसभा चुनाव की हार को भी लेकर पार्टी कार्यकर्ता ने आत्म मंथन किया है और इस पीडा को भाजपा के निर्वतमान प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत कार्यकर्ताओं के बीच बयां भी कर गये हैं। वहीं भगतसिंह कोश्यारी ने पद छोडने की बात जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कही है उसे लेकर भी इन बातों को बेहद गंभीर माना जा रहा है कुल मिलाकर गुटबाजी से उभरने के बाद यह पहला अवसर था जब संगठन और सरकार मिलकर पार्टी कार्यकर्ताओं को २०१२ का मूल मंत्रा दने में कामयाब रहे हैं और भाजपा के शीर्ष नेता आडवाणी की उपस्थिति भी कार्यकर्ताओं में नये उत्साह का संचार कर गई है।
Saturday, April 3, 2010
अभी ७ हजार शिक्षकों की कमी है।
अप्रैल से देशभर में शिक्षा का मौलिक अधिकार लागू हो गया है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मौजूदा सिस्टम नाकाफी है। जिले में अभी ७ हजार शिक्षकों की कमी है। आलम यह है कि एक शिक्षक के भरोसे सैंकड़ों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में अनिवार्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना शिक्षा विभाग के लिए कड़ी चुनौती से कम नहीं है। इधर निजी स्कूल संचालक २५ फीसदी सीट गरीब बच्चों को देने में नाक-भों सिकोड़ रहे हैं। कानूनन अनिवार्य की गई शिक्षा के लिए जिले में १३ हजार से ज्यादा शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि अभी महज ५ हजार ७०० शिक्षक ही कार्यरत हैं। अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षा विभाग ने शत-प्रतिशत बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कमर कस ली है। ताबड़तोड पालकों से संपर्क कर स्कूल में दाखिला कराया जा रहा है लेकिन अभी विभाग के पास शिक्षकों का खासा टोटा है। अच्छी शिक्षा के लिए छात्र संख्या के मान से जिले में १३०९९ शिक्षक चाहिए, लेकिन विभाग में केवल ५ हजार ७६५ शिक्षक ही है। यानि अधिनियम संचालित करने के लिए जिले में ७ हजार १६४ शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों के अभाव में विभाग बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के प्रयास में लगा है। इसके लिए उन्होंने ६ माह की समयावधि दी है लेकिन इनकी पूर्ति कैसे होगी, इसकी योजना तक अभी नहीं बनाई गई है।सुविधाओं का अभाव : ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि वहां कक्षा 1 से लेकर ५ तक बच्चों के लिए एक या दो शिक्षक ही कार्यरत हैं। उससे भी बढ़कर बात यह है कि एक या दो कमरों में कई कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। अधिनियम लागू होने के बाद शासकीय व अशासकीय स्कूलों में बच्चों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाना आवश्यक है लेकिन अधिकांश स्कूल बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। स्कूलों में न तो पानी की व्यवस्था है और न ही खेलने के लिए मैदान। ऐसे में बच्चों को मजबूरन अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षा प्राप्त करना होगी। पढ़ाई के साथ फिटनेस का भी ख्याल : पढ़ाई के साथ स्कूलों में अब बच्चों को फिटनेस का पाठ भी पढ़ाया जाएगा। इसके लिए स्कूलों में अलग से फिटनेस टीचर नियुक्त किए जाएंगे, जो स्कूल पढ़ाई के बाद अलग से कक्षा लेकर बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रहने के तरीके बताएंगे।ञ्चराइट टू एजुकेशन शुरू होने के बाद छात्र संख्या के मान से शिक्षक नियुक्त होना है। इसके लिए जिले में आवश्यकतानुसार आगामी ६ माह में पदों की पूर्ति की जाना है। वहीं संस्थाओं में बुनियादी सुविधाएं जुटाने की निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
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