देहरादून उत्तराखंड में इस बार भी मानसून में 15 दिन
विलंब होगा। कम से कम 30 जून तक लोगों को इंतजार करना होगा। यही नहीं जिस
तरह मौसम का मिजाज चल रहा है, उससे मानसून के पूर्व होने वाली प्री
मानसून की वर्षा की कोई संभावना फिलहाल नहीं है। जून के अंतिम पखवाड़े तक
लोगों को लू के थपेड़े झेलने पड़ेंगे। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मानसून और
प्री-मानसून का यह खेल मौसम चक्र प्रभावित होने की वजह से बन रहा है।
अक्तूबर और दिसंबर में बारिश हो जाती तो उसका कुछ लाभ मिल जाता। यही नहीं
जनवरी से अब तक भी औसत के अनुपात में बारिश नहीं हो सकी। जिससे तापमान
में चढ़ाव का क्रम जारी है। नमी कम होने से पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा
सूर्य के तेज की वजह से लू के थपेड़े में परिवर्तित हो रही है। यही नहीं
एक दिन में दो दिशा से हवा चल रही है। सुबह पश्चिम-पूरब-पश्चिम दिशा से
चलने वाली हवा दोपहर होते ही पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में परिवर्तित हो
रही है। आम तौर से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा में गर्मी
लिए होती है। इसलिए कि यह हवा मध्य भारत की ओर से चलती है। इन्हीं वजह से
क्षेत्रीय प्रभाव की वजह से बनने वाला मौसम भी प्रभावित हो रहा है।
मानसून के पूर्व होने वाली प्री मानसून की बारिश भी प्रभावित हो सकती है।
इसलिए प्री मानसून की वर्षा में क्षेत्रीय प्रभाव और पश्चिमी विक्षोभ के
मिश्रित प्रभाव होता है। मौसम विभाग ने पूर्व में ही 15 जून से 15 सितंबर
तक चलने वाले मानसून सत्र में औसत बारिश की संभावना जता दी है। यदि
मानसून सत्र पर गौर करें तो पिछले 12 साल का गोविंद वल्लभ पंत कृषि
विश्वविद्यालय में जो आंकड़ा है उस आधार पर 27 से 30 जून तक उत्तराखंड में
मानसून की दस्तक होती है। जबकि देश के अन्य राज्यों में 15 जून से मानसून
सक्रिय होता है। इसी आधार पर इस बार भी 30 जून तक मानसून की दस्तक की
संभावना है। उससे पहले लोकल सिस्टम और पश्चिम विक्षोभ अगर सक्रिय हो गया
तो आंशिक बारिश हो सकती है।
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