देहरादून, 2012 के मिशन को पफतह करने के लिये दिल्ली की चकाचैंध् से उत्तराखण्ड पहुंचे भाजपा व कांग्रेस के मीडिया मैनेजर पांच सितारा होटलों में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित बताते हुए नजर आ रहे हैं। बंद कमरों में की जा रही इस चुनावी चाल में मीडिया मैनेजरों की बातें कितनी सटीक हैं इसका आंकलन तो 30 जनवरी को उत्तराखण्ड में होने वाले मतदान के बाद ही जनता का जनादेश मिलने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन इन पांच सितारा होटलों में बैठकर जिस तरह से मीडिया मैनेजर पार्टियों के पैसों को भारी मात्रा में खर्च कर रहे हैं उस पर चुनाव आयोग की नजरें इनायत क्यों नहीं हो रही। उत्तराखण्ड में एक प्रत्याशी 11 लाख रूपये की ध्नराशि ही चुनावी खर्च में खर्च कर सकता है लेकिन चुनाव आयोग रोजाना होने वाली इन बैठकों पर ध्यान देता हुआ नजर नहीं आ रहा। रोजाना राजनैतिक दलों के मीडिया मैनेजर पार्टी पफंड से हजारों रूपये पानी की तरह बहा रहे हैं और यह सिलसिला पिछले एक सप्ताह से भी अध्कि समय होने के चलते लगातार जारी है। दिल्ली से कांग्रस के एक मीडिया मैनेजर इन दिनों राजधनी के एक बड़े होटल में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित जिस तरह से कुछ चाटुकार मीडिया लोगों के माध्यम से कराने में लगे हैं उनमें कितनी हकीकत है इसका आंकलन करना बेहद मुश्किल भरा काम है। चुनाव आयोग एक तरपफ प्रत्याशियों के हर कार्यक्रम व चुनावी खर्च की नजर मजबूती के साथ रख रहा है। लेकिन बंद कमरों में रोजाना होने वाली इन दावतों का जिक्र न तो राजनैतिक अपने चुनावी खर्च में करते हुए देखे जा रहे हैं और न ही चुनाव आयोग इन पर रोक लगाने की कार्रवाई करता हुआ नजर आ रहा है। रोजाना किये जा रहे इस हजारों रूपये के ध्न का हिसाब चुनाव आयोग किस राजनैतिक दल से लेगा इसको लेकर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम हो गई है कि एक तरपफ तो चुनाव आयोग राज्य में बाहर से आने वाले काले ध्न पर लगातार अपना शिकंजा कसता जा रहा है वहीं दूसरी तरपफ इस तरह की होने वाली दावतों पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही। जिससे लोकतंत्रा में निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो इसे लेकर शंसय के बादल मंडराते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि इस तरह के घटना क्रम पर यदि शीघ्र ही रोक नहीं लगाई गई तो इसके खतरनाक परिणाम भी सामने आ सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजपुर रोड, सुभाष रोड, त्यागी रोड, हरिद्वार रोड, चकराता रोड के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर भी रोजाना होटलों के बंद कमरों में दावतों का जोर लगातार जारी है लेकिन इन स्थानों की जानकारी निर्वाचन आयोग को लगती हुई नजर नहीं आ रही। इन होटलों में रूकने वाले लोगों की पहचान अगर की जाए तो कई राजनैतिक चेहरों के साथ-साथ कई बड़े लोग बेपर्दा हो सकते हैं।
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